इंसान का जीवन उसके अपने विचारों के दम पर ही चलता है। अमेरिका के दार्शनिक एमर्सन के अनुसार मनुष्य दिनभर जो सोचता है, वह उसी विचार के अनुरूप ढल जाता है। आदमी के विचार ही उसके व्यक्तित्व को गढ़ते हैं।
लोग नए कपड़े खरीदते हैं, बाल सेट करवाते हैं, वजन कम करते हैं, व्यायाम करते हैं क्योंकि वे अपने बारे में बेहतर महसूस करना चाहते हैं।
अच्छा दिखने के बदले लोग उनकी तारीफ करें। जो लोग खुद को आकर्षक बनाने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी तारीफ जरूर करें। इस तरह वो तो खुश होंगे ही, आपको भी खुशी होगी। तारीफ प्रेरित करती है।
सफलता के बारे में सोचने से आपको सफलता मिल जाती है। इसी तरह असफलता के बारे में सोचने से असफलता मिलती है। हमेशा सफलता के बारे में सोचें, असफलता की न सोचें।
जब अवसर नजर आए तो सोचें मैं ये कर सकता हूं। ये न सोचें कि मैं इसे नहीं कर सकता। अपनी चिंतन-प्रक्रिया पर इस विचार को हावी हो जाने दें कि ‘मुझे सफल होना ही है।’
उत्साही बनें। उत्साह चुम्बकीय होता है। यह दूसरों को भी रोमांच, ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है। जिज्ञासु बने रहें। विनम्रता को अपनाएं।
सबसे सफल लोगों में भी अहं होता है, लेकिन वो इसे दबा देते हैं और विनम्रता को अपनाकर दूसरों की सेवा करते हैं। उत्साह, जिज्ञासा और विनम्रता, तीनों ही सफलता के लिए जरूरी हैं।