एजुकेशनल लोन लेने से पहले जान ले यह इंपोर्टेन्ट पॉइंट , नहीं तो झेलना पड़ेगा नुकसान तो चलिए पूरी जानकारी प्राप्त करते है।
देश महंगाई की मार से चोटिल है। पढाई का खर्च बढ़ता जा रहा है। वही आज शिक्षा का महत्व इतना बढ़ गया है कि एक सक्षम परिवार से लेकर आम आदमी तक अपने बच्चो को बेहतर शिक्षा दिलाना चाहता है
उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता है। वही कई लोग पैसे की किल्लत के चलते अपने सपने को मार देते हैं तो कुछ लोग अपने और अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए एजुकेशनल लोन का सहारा लेते हैं।
लेकिन उन्हें एजुकेशनल लोन के कुछ बेसिक टर्म का ज्ञान नहीं होता है और बाद में वह समस्या बन जाते हैं। तो आइए समझते हैं एजुकेशनल लोन के पांच बेसिक टर्म जो आपके एजुकेशनल लोन को बनाएंगे आसान में
एजुकेशनल लोन का मूलधन:-
मूलधन वह राशि होती है जो बैंक आपको कर्ज के रूप में देती है और इसी राशि के मुताबिक वह आपसे ब्याज बसूलती है।
एजुकेशनल लोन लेने से पहले आपको अच्छे से यह समझ लेना चाहिए कि आपकी पढाई में कितना खर्च आएगा। क्योंकि कई बार स्टूडेंट्स यह नहीं समझते की उनकी पढ़ाई में टोटल कितना पैसा लगेगा
समान गिरवी रखना:-
एजुकेशनल लोन वैसे तो आपकी आर्थिक मदद करता है। लेकिन यह काफी जोखिम भरा होता है। जब आप एजुकेशनल लोन लेने जाते हैं
आपको या तो अपनी जमीन गिरवी रखनी होती है या फिर गारंटर बनाना होता है। वही अगर आप एजुकेशनल लोन चुकाने में डिफॉल्ट करते हैं तो यह राशि आपके गारेन्टर से बसूली जाती है।
सह आवेदक:-
कई बार बैंक सींधे तौर पर आवेदक को लोन नहीं देते। तो जिस व्यक्ति को एजुकेशनल लोन लेना रहता है वह सह आवेदक की मदद से एजुकेशनल लोन ले सकता है।
सह आवेदक आप अपने अभिभावक या किसी जानकार व्यक्ति को बना सकते हैं। ध्यान रहे आप सह आवेदन उसे ही बना सकते हैं जो की आर्थिक रूप से मजबूत हो।
मोरेटोरियम की अवधि:-
एजुकेशनल लोन जहां एक ओर काफी रिस्की है वही दूसरी ओर यह स्टूडेंट्स को लोन चुकाने के लिए राहत समय देता है। एजुकेशनल लोन पढाई के लिए दिया जाता है।
यह लोन धारक को पाठ्यक्रम समाप्त होने के बाद एक साल का समय देता है लोन चुकाने के लिए वही अगर आपकी नौकरी लग जाती है तो आप 6 माह की जॉब के बाद एजुकेशनल लोन चुका सकते हैं।
कितने दिन में चुकाए एजुकेशनल लोन:-
कई लोग कर्ज चुकाने के डर से एजुकेशनल लोन लेने से डरते हैं। वही लोगो को हमेशा लोन चुकाने की अवधि का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए।
आप लम्बे समय के लिए लोन चुकाने की अवधि निर्धारित करते हैं, इसमे आपकी EMI भले कम आए,आपको ब्याज के रूप में बैंक को अधिक पैसा देना होगा। वहीं,कम अवधि में लोन चुकाया तो ब्याज का बोझ कम होगा