विद्यार्थी शब्द विद्या+अर्थी शब्दों के योग से बना है जिसका अर्थ है विद्या प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति जब कोई बालक/ व्यक्ति नियमित रूप से विद्या प्राप्त कर रहा होता है तो उसे विद्यार्थी कहते हैं।
एक विद्यार्थी को सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए। “सत्य” विद्यार्थी का आवश्यक गुण है।
विद्यार्थी जीवन साधना एवं तपस्या का जीवन है। एक अध्ययनशील विद्यार्थी सदा सादा-सात्विक तथा अल्प भोजन लेने वाला होता है।
विद्या के गुण के बगैर व्यक्ति को विद्यार्थी नहीं कहा जा सकता है। विद्या के गुण से तात्पर् सिर्फ साक्षर होने से नहीं बल्कि शिक्षित होने से है।
बगुला तालाब या नदी के किनारे एक पैर पर खड़ा रहकर ध्यान मग्न रहता है। मछली आने पर तुरंत उन्हें अपना ग्रास बनाकर पुनः ध्यानस्थ हो जाता है।
किसी भी व्यक्ति में यदि त्याग की भावना है तो उसे समाज में श्रेष्ठ लोगों में रखा जाता है। इसीलिए विद्यार्थी में अब रात में त्याग की भावना है तो उसे आदर्श विद्यार्थी के रूप में देखा जाएगा।
अच्छे विद्यार्थी का महत्वपूर्ण गुण आत्मनिर्भरता है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है खुद पर भरोसा रखना ।
एक अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है जो विद्यार्थी समय की कद्र नहीं करता उसे विद्या की प्राप्ति कभी नहीं होती।
देश भक्ति का अर्थ है आप जिस देश और समाज में रहते हैं उसके प्रति आपके मन में श्रद्धा होनी चाहिए साथ ही साथ उसके हितों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझना चाहिए
एक विद्यार्थी में हमेशा सीखने की चेष्टा होनी चाहिए । सीखने की चेष्टा रखने वाला विद्यार्थी हर कार्य अच्छे से कर सकता है,
यहां ध्यान करने का अर्थ ध्यान लगाने से अथार्थ meditation से नहीं है, ध्यान करना अथार्थ सब की बातों पर गौर करना अपने से बड़ों की बात ध्यान से सुनना और उन्हें पूरा करना है।
विद्यार्थी के जीवन में संयम का अर्थ है नियंत्रण। संयम शब्द सम् और यम शब्दों के योग से बना है ।‘सम्’ का अर्थ है-उचित और ‘यम’ का अर्थ है-नियंत्रण।