विकास पाठ 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solution For Class 10th Economics, के इस ब्लॉग पोस्ट पर आप सभी विद्यार्थी जो क्लास 10 वीं में अध्ययनरत हैं, का स्वागत है, आज हम बात करने वाले हैं, पाठ से जुड़ी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के बारे में जो बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस तरह के प्रश्न कई बार पिछले परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, अतः आपसे निवेदन है, की यदि आप इस ब्लॉग पर हैं, तो कृपया करके ब्लॉग को पूरा पढ़ें जिसे आप की परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके।
विकास पाठ 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solution For Class 10th Economics
विकास पाठ 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
विकास पाठ 1 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
विकास पाठ 1 अति उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 प्रति व्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है इसलिए प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं चर्चा करें।
उत्तर-नीचे दी गई तालिका को देखने से साफ स्पष्ट होता है कि केरल की तुलना में पंजाब की प्रति व्यक्ति आय अधिक है। पंजाब में प्रति व्यक्ति आय सम्पूर्ण वर्ष में आय ₹25,100 है जबकि केरल में ₹22,8001
चयनित राज्यों की प्रति व्यक्ति आय
राज्य | 2002-03 के लिए प्रति व्यक्ति आय (र में) |
पंजाब केरल बिहार |
26000 22800 5700 |
केरल, पंजाब और बिहार के कुछ तुलनात्मक आँकड़े
राज्य | शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 व्यक्ति (2003) | साक्षरता दर (%) (2001) | कक्षा 1 से 5 का उपस्थिति अनुपात (1995-1996) |
पंजाब केरल बिहार |
49 11 60 |
70 91 47 |
81 91 41 |
परन्तु यदि हम दूसरी तालिका को देखें तो पता चलता है कि चाहे आय में केरल पीछे है परन्तु अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में जैसे शिशु मृत्यु दर प्रति हजार, साक्षरता दर तथा कक्षा 1 से 5 के निवल हाजिरी दर में पंजाब केरल से कहीं पीछे है।
पंजाब में 1000 व्यक्तियों के पीछे शिशु मृत्यु दर 49 है तो केरल में यह बहुत कम अर्थात केवल 11 है। इसी तरह यदि पंजाब में साक्षरता दर 70 है तो केरल में यह 91 प्रतिशत है।
ऊपर के विवरण से पता चलता है कि प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड
बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
2 भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है ? ज्ञात करें 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती है?
उत्तर-भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के निम्नांकित स्रोतों का प्रयोग किया जाता है- शक्ति के विभिन्न सोत अथवा साधन निम्नांकित है-
(क) कोयला तथा पेट्रोलियम शक्ति के खनिज स्रोत है जिनकी आपूर्ति नहीं की जा सकती। यही शक्ति के पारम्परिक स्रोत भी है जिनका इस्तेमाल सारी दुनिया में विस्तृत रूप से हो रहा है।
(ख) जल की चालक शक्ति से सस्ती विद्युत-शक्ति पैदा की जाती है। इसी उद्देश्यके लिए नदियों पर बाँध बनाए जाते हैं।
(ग) परमाणु ऊर्जा, यूरेनियम के परमाणु का भंजन करके परमाणु के नाभिक से प्राप्त की जाती है।
(घ) सूर्य वैसे तो पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है किन्तु आजकल सौर-सेलों द्वारा सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत शक्ति में बदला जा सकता है।
(ड) पवन चक्कियों द्वारा पवन की चालक शक्ति का इस्तेमाल कर उन प्रदेशों में किया जाता है जहाँ लगभग सारा साल पवन लगातार चलती रहती है।
(च) तटीय क्षेत्रों में ज्वार-भाटों के कारण समुद्र के पानी के उतार-चढ़ाव से पैदा होने वाली शक्ति से ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
(छ) ज्वालामुखी क्षेत्रों में भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। निकलने वाली गर्म भाप को नियन्त्रित करके ऊर्जा के स्थायी स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा का लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली और कई अन्य देशों में उठाया जा रहा है।
आज से 50 वर्ष बाद तेल और कोयले के समाप्त हो जाने की सम्भावनाएँ हो सकती है। इस परिस्थिति का एक मात्र उपाय यही है कि ऊर्जा का कोई वैकल्पिक स्रोत ढूँढ़ा जाए, जैसे- आण्विक ऊर्जा या सौर ऊर्जा आदि।
विकास पाठ 2 के प्रश्न उत्तर कक्षा 10
3 धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
अथवा, धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा करें।
उत्तर-धारणीयता का यह अर्थ है कि प्रकृति के विभिन्न साधनों का प्रयोग कैसे किया जाए कि उनका अस्तित्व समाप्त न होने पाए।
यदि हम प्रकृति के संसाधनों का बड़ी समझदारी और सूझ-बूझ से प्रयोग करेंगे तो हमें भी उनका लाभ रहेगा और हमारे आगे आने वाली पीढ़ियों को भी उनका लाभ होता रहेगा।
प्रकृति के पास हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सब कुछ है परन्तु यदि कोई व्यक्ति अपने लालच से उनका शोषण करेगा तो यह साधन जल्दी समाप्त हो जाएँगे या बर्बाद हो जाएँगे और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ नहीं बचेगा।
ऐसी स्थिति कभी भी लाने का प्रयल नहीं करना चाहिए। लालच को त्याग कर हमें अपने संसाधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए ताकि हम भी भूखे न रहे और आगे आने वाली पुश्तें भी उनसे वंचित न रह जाए।
हमें अपनी वन्य और खनिज साधनों को मानव शोषण से बचाना चाहिए। नहीं तो धीरे-धीरे पशुओं और पौधों की बहुत सी नस्ले समाप्त हो जाएँगी और आगे आने वाले लोगों को उनकी सुन्दरता और लाभ से वंचित रहना पड़ेगा।
यदि ऐसा होता हैं तो यह हमारे लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होगा और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा हानिकारक ।
इसलिए हमें अपने साधनों का प्रयोग एक उचित मात्रा में करना चाहिए। साधनों का अन्धाधुन्ध प्रयोग सिवाय विनाश के और कुछ नहीं ला सकता। सीमा में रहकर संसाधनों का प्रयोग उचित है सीमा के बाहर अनुचित और विनाशकारी।jac board