वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 2 लघु उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solution For Class 10th के इस अध्याय में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस अध्याय में पाठ से जुड़ी हर महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्नों के बारे में विस्तार से समझाया गया है, जो पिछले कई परीक्षा में पूछे जा चुके हैं, उम्मीद है इस टाइप का प्रश्न आने वाले परीक्षा में भी पूछे जा सकते हैं, इसलिए इस पोस्ट में दिए गए जितने भी प्रश्न है उन सभी प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़ें जिससे आपकी परीक्षा की तैयारी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करें |
NCERT Solutions for Class 10th: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 4 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 4 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 “वैश्वीकरण’ से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में स्पष्ट करें।
उत्तर-वैश्वीकरण का अर्थ होता है कि घरेलू बाजार को विश्व बाजार के साथ व्यापार, पूँजी, तकनीक, श्रम एवं सेवाओं के मुक्त प्रवाह के साथ जोड़ना या समन्वय करना। इसका घनिष्ठ संबंध उदारीकरण तथा निजीकरण की नीतियों के साथ है। वैश्वीकरण की अवधारणा निम्नांकित तथ्यों पर निर्भर करती हैं-
(i) विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का मुक्त प्रवाह,
(ii) विदेशी निवेश अथवा पूँजी का मुक्त प्रवाह,
(ii) टेक्नोलॉजी का मुक्त प्रवाह,
(iv) विश्व के विभिन्न देशों के बीच श्रम का मुक्त प्रवाह।
1991 ई० की नयी आर्थिक नीति के बनने के बाद भारत में वैश्वीकरण को प्रोत्साहन मिला है।
2 भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
उत्तर-विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर भारतीय सरकार द्वारा अवरोधक लगाए जाने के कारण निम्नांकित हैं-
(क) ऐसा इसलिए किया गया ताकि विदेशी स्पर्धा से देश के उत्पादकों को संरक्षण प्रदान किया जाए।
(ख) प्रतिस्पर्धा से भारत के नव-उदित उद्योग ठप पड़ सकते थे।
(ग) ऐसे में यही उचित समझा गया कि केवल उन्हीं वस्तुओं का आयात किया जाए जिनके बिना काम चलना कठिन है और जो बिल्कुल अनिवार्य हैं। जैसे- मशीनरी, उर्वरक, पेट्रोलियम आदि।
भारतीय सरकार द्वारा अवरोधकों को हटाने के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भारतीय सरकार ने सोचा कि वह समय आ गया जब भारतीय उद्योगपति प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में सक्षम हो चुके हैं।
(ख) इस प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय उत्पादक अपने माल में सुधार करने का प्रयत्न करेंगे ताकि उनका माल विदेशों में बड़ी मात्रा में बिक सके।
(ग) एक स्वच्छ प्रतिस्पर्धा चीजों की गुणवत्ता बढ़ाने में बड़ी सहायक सिद्ध होगी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार ने 1991 से धीरे-धीरे आयात पर लगे हुए बहुत से प्रतिबन्धों को हटाना शुरू कर दिया। इससे यह लाभ हुआ कि भारत में अनेक अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने अपना निवेश करना शुरू कर दिया और भारतीय खरीदार को भी विभिन्न प्रकार का सामान आसानी और सस्ते दामों में मिलने लगा।
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 4 Notes
3 श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की कैसे मदद करेगा?
उत्तर-श्रम कानूनों में लचीलापन अनेक प्रकार से कंपनियों की मदद करेगा, इसी आशा से भारतीय सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को श्रम कानूनों में कई रियायतें दी हैं-
(क) संगठित क्षेत्र की कंपनियों को श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अनेक नियमों का पालन करना पड़ता है परन्तु हाल के वर्षों में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अनेक नियमों में छूट की अनुमति दे दी है।
(ख) दूसरे, श्रम लागत को कम करने के उद्देश्य से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को नियुक्त करने की भी अनुमति दे दी है। काम के दबाव कम होते ही ये कंपनियाँ ऐसे अस्थायी सदस्यों की छंटनी भी कर सकती हैं। श्रम कानूनों में आए लचीलेपन के कारण बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार शुरू कर दिया है और बहुत सी ऐसा करने जा रही हैं।
4 ‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है। इस कथन को अपने शब्दों में व्याख्या करें।
उत्तर-उपभोक्ताओं, उत्पादों एवं श्रमिकों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान नहीं है। इसके कुछ प्रभाव धनात्मक हैं तथा कुछ ऋणात्मक हैं।
धनात्मक प्रभाव-
(क) शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर इसका प्रभाव लाभप्रद होता है।
(ख) कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों पर भी इसका प्रभाव धनात्मक होता है।
(ग) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कच्चे माल की आपूर्ति करने से स्थानीय कंपनियों समृद्ध हुई है।
(घ) सूचना प्रोद्योगिकी, डाटा एन्ट्री, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य और इंजीनियरिंग सेवाएँ इससे लाभान्वित हुई हैं।
ऋणात्मक प्रभाव-
(क) छोटे विनिर्माताओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(ख) कई छोटी इकाइयाँ बंद हो गई है जिससे वहाँ काम करने वाले बहुत से श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।
(ग) छोटे एवं कुटीर उद्योग धन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
5 वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है?
उत्तर-(क) व्यापार,
(ख) विभिन्न राष्ट्रों के मध्य पूंजी की गतिशीलता,
(ग) विभिन्न प्रकार की सेवाओं का विस्तार,
(घ) अन्य देशों से पूँजी और पूँजी निवेश का प्रत्येक राष्ट्र द्वारा स्वागत करना। प्रत्येक राष्ट्र द्वारा नवीनतम प्रौद्योगिकी का लेन-देन,
(ङ) वस्तुओं, सेवाओं, निवेशों और प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने का एक अन्य माध्यम हो सकता है। यह माध्यम है विभिन्न देशों के बीच लोगों का आवागमन। प्रायः लोग बेहतर आय, बेहतर रोजगार एवं शिक्षा की तलाश में एक देश से दूसरे देश में आवागमन करते हैं, किन्तु विगत कुछ दशकों में अनेक प्रतिबन्धों के कारण विभिन्न देशों के बीच लोगों के आवागमन में अधिक वृद्धि नहीं हुई है।
6 वस्तु उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रभावित किया है ?
उत्तर-वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों तथा विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा ने निम्न प्रकार से प्रभावित किया है- अमिक वस्त्र उद्योग के अकुशल श्रमिकों को रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं जिससे कुशल श्रमिकों के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा होती है। अकुशल श्रमिकों को स्थाई रोजगार नहीं मिलता है। भारतीय निर्यातकों की वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता उत्तम नहीं होती है जिससे विदेशी बाजारों में कम मूल्यों पर उन्हें बेचना पड़ता है। इससे भारतीय निर्यातकों को आर्थिक नुकसान होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच उत्पादन-लागत कम करने के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा होती है। यदि लागत में वृद्धि हो गई तो अधिकतम लाभ अर्जित करने की संभावना समाप्त हो जाती है।
7 वैश्वीकरण प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-(क) बहुराष्ट्रीय कंपनियों प्रायः विश्व में ऐसे स्थानों की तलाश में रहती है जहाँ उनके उत्पादन की लागत कम हो ताकि अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके।
(ख) विभिन्न देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही विभिन्न देशों के बीच विदेश व्यापार में भी वृद्धि हुई है।
(ग) विदेश व्यापार का एक बड़ा भाग बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियंत्रित एवं संचालित होता है।
(घ) इस प्रकार, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विभिन्न देशों के बीच संबंधों को तेजी से बढ़ा रही है। साथ ही, विभिन्न देशों के बाजारों एवं उत्पादनों का भी तेजी से एकीकरण हो रहा है। अतः कहा जा सकता है कि, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 2 Ncert Solution class 10
8 विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार मदद करता है। अपने शब्दों में व्याख्या करें। अथवा. विदेशी व्यापार का क्या लाभ होता है ?
उत्तर-इस बात में कोई भी शक नहीं कि विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में बड़ी मदद करता है। यह निम्नांकित ढंग से होता है-
(क) विदेशी व्यापार के कारण एक देश का उत्पादक वर्ग अपना माल दूर-दूर के देशों में बिक्री के लिए भेज सकता है।
(ख) यदि उनका माल अच्छा और सस्ता हो तो विश्व के बाजार में उनके माल की माँग कई गुणा बढ़ सकती है और उनके नाम में भी चार चाँद लग जाते हैं।
(ग) विदेशी व्यापार के परिणामस्वरूप ब्लैक-मार्केट या काला बाजार का डर नहीं रहता क्योंकि विश्व के बाजार में चीजें खुले आम मिलने लगती है।
(घ) ग्राहकों को विदेशी व्यापार के कारण सबसे अधिक लाभ होता है। अब उन्हें विभिन्न प्रकार की चीजें उनके अपने देश में ही उपलब्ध होने लगती हैं तो उन्हें माल अच्छा और सस्ता मिलने लगता है।
9 सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से कैसे जुड़ी हुई है ? क्या सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना वैश्वीकरण संभव होता?
उत्तर-सूचना और संचार प्रोद्योगिकी अर्थात् दूरसंचार, कम्प्यूटर, इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास ने विश्व-भर में एक-दूसरे से संपर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद को आसान बना दिया है। इनसे कम लागतों पर दूरवर्ती क्षेत्रों में तीव्रतर सेवाएँ प्रदान करना संभव हुआ है। इस प्रकार, सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से जुड़ी हुई है। नहीं, वैश्वीकरण सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना संभव नहीं होता।
10 उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीति अपनाने के फलस्वरूप भारत में आए परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर-उदारीकरण और वैश्वीकरण के कारण होने वाले परिवर्तन-
(क) वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात में वृद्धि-उदारीकरण और वैश्वीकरण को अपनाने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के योगदान में वृद्धि पाई गई। उदारीकरण अपनाने से भारत के निर्यात में वृद्धि हो गई।
(ख) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश जो 1991 ई० में 174 करोड़ रुपए था। सन् 2000 में 9338 करोड़ रुपए हो गया।
(ग) विदेश विनिमय में वृद्धि- हमारा विदेशी विनिमय जो 1991 ई० में 4822 करोड रुपए था। सन् 2000 में 1,52,924 करोड़ रुपए हो गया।
(घ) कीमतों में कमी-1990-91 ई० में भारत में 12% की दर से कीमतों में वृद्धि पाई गई जो बाद में केवल 5% रह गई।
(ङ) रोजगार अवसरों में वृद्धि करने में विफलता- नई आर्थिक नीति रोजगार के नए अवसर प्रदान करने में विफल रही।
(च) औद्योगिक उन्नति में सीमांत वृद्धि-उदारीकरण और वैश्वीकरण के अपनाने के उपरांत औद्योगिक उन्नति में सीमांत वृद्धि पाई गई।
11 प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को कैसे लाभ हुआ है? अथवा, ‘वैश्वीकरण और उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इस कथन के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर-वैश्वीकरण और अधिक प्रतिस्पर्धा ने भारत में लोगों को निम्न प्रकार से लाभान्वित किया है-
(क) उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में रह रहे धनी वर्ग के उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। वे अब अनेक वस्तुओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामतः ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का उपभोग कर रहे हैं।
(ख) इन उद्योगों को कच्चे माल आदि की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियों का विकास हुआ है।
(ग) कुछ बड़ी भारतीय कंपनियाँ अपने काम-काज को विश्व-भर में फैलाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरी है। उदाहरण के लिए, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, रैनबैक्सी आदि।
(घ) वैश्वीकरण एवं प्रतिस्पर्धा से सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नए अवसरों का सृजन हुआ है।
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 2 Notes
12 सरकारें अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास क्यों करती हैं?
उत्तर-सरकारें निम्नांकित कारणों से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास करती हैं-
(क) विदेशी निवेश से देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
(ख) इससे उत्पादन में न केवल वित्त बल्कि प्रबंधकीय एवं तकनीकी विशेषज्ञ तथा नई प्रौद्योगिकी भी प्राप्त होती है।
(ग) यह स्थानीय कंपनियों को परिवहन एवं प्रशिक्षण एजेंटों जैसी सहायक सेवाओं में अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही, यह विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग को भी प्रेरित करती हैं।
(घ) विदेशी निवेश से प्राप्त लाभों का एक भाग सामान्यतः संबंधित उद्योगों के विस्तार एवं आधुनिकीकरण में निवेश किया जाता है।
(ङ) विदेशी निवेश से प्राप्त सामाजिक प्रतिफल उनसे प्राप्त निजी प्रतिफलों की अपेक्षा अधिक होते हैं।
(च) सरकारें विदेशी फर्मों के लाभ पर कर लागाकर एवं रियायत समझौतों से रॉयल्टी द्वारा राजस्व प्राप्त करती हैं।
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ 4
13 विदेश व्यापार तथा विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा परिसंपत्तियों, जैसे- भूमि, भवन, मशीन तथा अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को विदेशी निवेश कहा जाता है। इसके विपरीत विदेशी व्यापार वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत उत्पादित माल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विक्रय के लिए पहुँचाया जाता है।
14 बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, अन्य कंपनियों से किस प्रकार अलग है ?
उत्तर-बहुराष्ट्रीय कंपनी किसी अन्य कंपनी से निम्न प्रकार से भिन्न होती हैं-
बहुराष्ट्रीय कंपनी
(a) यह एक से अधिक देशों में उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है।
(b) यह उन देशों में उत्पादन हेतु कारखाने या कार्यालय स्थापित करती है जहाँ इसे श्रम एवं अन्य संसाधन सस्ते मिलते हैं।
(c) चूँकि बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए उत्पादन की लागत कम होती है, इसीलिए यह अधिक लाभ कमाती है।
अन्य कंपनी
(a) यह एक देश के भीतर ही उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है।jac
(b) इसके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है।
(c) इसके पास अधिक लाभ कमाने के लिए ऐसी कोई संभावना नहीं होती है।