Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन)

Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन)Class 10th Objective :- कक्षा 10वीं सामाजिक विज्ञान आपदा प्रबंधन का प्रश्नावली जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है जो JAC बोर्ड मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | jeevan rakshak aakasmik prabandhan class 10th | Ncert solution

Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन)

1. बस्ती/मकान में आग लगने की स्थिति में क्या करना चाहिए?
(a) अग्निशामक यंत्र को बुलाना
(b) दरवाजे-खिड़कियाँ लगाना
(c) आग बुझने तक इंतजार करना
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer.- (a) अग्निशामक यंत्र को बुलाना

2. बाढ़ के समय निम्नलिखित में से किस स्थान पर जाना चाहिए?
(a) गाँव के बाहर
(b) ऊँची भूमि वाले स्थान पर
(c) जहाँ हैं उसी स्थान पर लान
(d) खेतों में
Answer.-(b) ऊँची भूमि वाले स्थान पर

3. मलबे के नीचे दबे हुए लोगों का पता लगाने के लिए किस यंत्र की मदद ली जाती है?
(a) दूरबीन
(b) इंफ्रारेड कैमरा
(c) हेलीकॉप्टर
(d) टेलीस्कोप
Answer.- (b) इंफ्रारेड कैमरा

4. आग से जलने की स्थिति में जले हुए स्थान पर क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए?
(a) ठंडा पानी डालना
(b) गर्म पानी डालना
(c) अस्पताल पहुँचाना
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer.- (a) ठंडा पानी डालना

5. आपदा के समय कौन से उपाय करना चाहिए?
(a) आग में फँसे हुए लोगों को बाहर निकालना।
(b) घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार, जैसे
(c) सबसे पहले उसके शरीर पर ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना तथा बरनोल जैसी प्राथमिक औषधि का उपयोग करना।
(d) उपर्युक सभी
Answer.- उपर्युक सभी

Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन) Notes

6. संचार का सबसे लोकप्रिय साधन है-
(a) सार्वजनिक टेलीफोन
(b) मोबाईल
(c) वाकी-टॉकी
(d) रेडियो
Answer (a) सार्वजनिक टेलीफोन

7. वैकल्पिक संचार-साधन इनमें से कौन नहीं है?
(a) रेडियो संचार
(b) हैम रेडियो
(c) उपग्रह संचार
(d) अंतरिक्ष
Answer (d) अंतरिक्ष

8. सुदूर संवेदी उपग्रह (रिमोट सेंसिंग उपग्रह) का प्रयोग किसलिए होता है?
(a) दूर संचार के लिए
(b) संसाधनों की खोज के लिए
(c) मौसम विज्ञान के लिए
(d) सभी के लिए
Answer (d) सभी के लिए

9. निम्न में से कौन मानव जनित आपदा है ?
(a) साम्प्रदायिक दंगे
(b) आतंकवाद
(c) महामारी
(d) इनमें से सभी
Answer (d) इनमें से सभी

10. बाढ़ से सबसे अधिक हानि होती है |
(a) फसल को
(b) पशुओं को
(c)भवनों को
(d) उपरोक्त सभी को
Answer (d) उपरोक्त सभी को

Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन) प्रश्नोत्तर

भूकम्प के बारे सम्पूर्ण जानकारी

23 दिसम्बर, 1972 को लगातार एक-के-बाद-एक आए भूकम्पों ने मध्य अमरीकी देश निकारागुआ को झकझोर कर रख दिया। सबसे बड़े भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.2 मापी गई। इस भूकम्प का केन्द्र ठीक राजधनी शहर मानागुआ पाया गया।

इस भूकंप से घनी आबादी वाला मध्य क्षेत्रा तबाह हुआ और कुल 27 वर्ग किलोमीटर ;10 वर्ग मीलद्ध का क्षेत्रा क्षतिग्रस्त हुआ। बाद में पूरे शहर में आग लग गयी जिससे नुकसान और अधिक बढ़ गया।

इस आपदा के पफलस्वरूप निकारागुआ की कुल 4,30,000 की आबादी में 8,000 लोगों की मौत हुई, 20,000 लोग जख्मी हुए तथा 2,60,000 लोग शहर छोड़कर भाग गए। रोज़गार कर रहे 50 प्रतिशत लोग बेकार हो गए और 70
प्रतिशत अस्थायी रूप से बेघर हो गए।

देश की कम-से-कम 10 प्रतिशत औद्योगिक क्षमता, 50 प्रतिशत कारोबारी सम्पत्ति तथा 70 प्रतिशत सरकारी सुविधएं ठप्प हो गयीं। कुछ मिलाकर, 845 मिलियन यूएस डालर की क्षति होने का अनुमान लगाया गया।

जमीन में हलचल

भूकंप के कारण जमीन में हलचल होने से कई क्षतिकारक प्रभाव हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव नीचे बताए गए हैं :-

1. जमीन का हिलना, अर्थात् जमीन के अन्दर से गुजर रही कम्पायमान तरंगों से जमीन का आगे-पीछे डुलना।

2. मिट्टी का क्षय, अर्थात् जमीन के कांपने से मिट्टी का तरल होना और भूस्खलन होना।

3. सतह में दरारें आना जैसे किसी क्षेत्रा का दरकना, खिसकना और बैठ जाना।

4. ज्वारीय तरंग ;सूनामीद्ध अर्थात् पानी की सतह पर विशाल लहरें उठना जिनसे तटवती्र क्षेत्रों में कापफी नुकसान हो सकता है।

इमारतों पर प्रभाव

जैसे ही जमीन के नीचे कंपन होने लगता है और लहरें उठने लगती हैं तभी जमीन की सतह पर बनी इमारतें हिलने लगती हैं। इस हलचल के कारण हर इमारत पर उसकी बनावट के अनुसार प्रभाव पड़ता है।

जैसे ही लहरें उठती हैं, उसी के अनुसार जमीन हिलने-डुलने लगती है। जमीन के स्तर से लगा इमारत का निचला भाग जमीन के साथ-साथ हिलने लगता है। लेकिन आरंभ में इमारत का ऊपरी भाग स्थिर रहता है,

इस प्रकार इमारत में खिंचाव आने से उसका आकार बिगड़ जाता है। धीरे-धीरे ऊपर का भाग नीचे के भाग के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करता है।

लेकिन, जैसे ही ऐसा हो रहा होता है, जमीन दूसरी दिशा में खिसक जाती है जिसके कारण इमारत की नींव पर जोरदार प्रहार होता है।

कंपन के कारण स्वयं वह इमारत या उसके साथ वाली दूसरी इमारत गिर सकती है जो इस बात पर निर्भर करेगा कि इनमें कौन सी निर्माण सामग्री प्रयुक्त की गई है।

नीची इमारतों की अपेक्षा ऊंची इमारतें ज्यादा कंपायमान होती हैं जिसके कारण उनमें अध्कि क्षति होने की आशंका होती है।

Top 10+ Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan Mcq Question (जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन) प्रश्नोत्तर

संरक्षण संबंधी उपाय

भूकंप-रोध्ी डिज़ायन का प्रमुख उद्देश्य है-भूकंप के दौरान इमारत को ढहने से रोकना। इस प्रकार से ऐसी इमारतों में या उनके आसपास रह रहे लोगों की जान जाने अथवा उन्हें चोट पहुंचने के खतरों को कम किया जा सकता है।

इमारतों का ढांचा संबंध्ी डिजाइन और वास्तुकला की योजना तैयार करते समय यदि इन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए तो भूकम्प के दौरान इमारतों के टिके रहने की स्थिति में कापफी सुधर हो सकता है। कुछ विशेष बातें नीचे बताई गई हैं :-

इमारत की आकृति

1. इमारत का नक्शा साधरण तथा आयताकार होना चाहिए।
2. लंबी दीवारों को सहारा देने के लिए ईंट-पत्थर या कंक्रीट के कालम होने चाहिए।
3. जहां तक हो सके ज्ए स्ए न् और ग् आकार के नक्शों वाली बड़ी इमारतों को उपयुक्त स्थानों पर अलग-अलग खंडों में बांट कर आयताकार खण्ड बना लेने चाहिए।

4.अलग खण्ड के साथ लगी हुई इमारत या उसी इमारत के भाग के बीच में खास अंतर से चौड़ी जगह छोड़ी जाती है ताकि भूकंप के समय इमारत हिल-डुल सके और नुकसान को रोका जा सके।

नींव ;आधरद्ध

भूकंप की दृष्टि से मजबूत ढांचे की इमारतें भी कभी-कभी नींव के कमजोर डिजाइन के कारण टिक नहीं पातीं। बढ़े हुए दाब के कारण मिट्टी के तरल हो जाने से ;ठोस अवस्था से तरल अवस्था में परिवर्तित होनाद्ध मजबूत संरचना झुक सकती है, उसमें दरार पड़ सकती है। मिट्टी की दशा देखकर ही नींव की गहराई निर्धरित की जाती है।

ठंडे देशों में मिट्टी में आधर की गहराई जमाव-बिन्दु क्षेत्रा के कापफी नीचे तक होनी चाहिए जबकि चिकनी-मिट्टी में यह गहराई दरार के सिकुड़ने के स्तर से नीचे तक होनी चाहिए।

भूकम्पीय दृष्टि से आधर का चयन करते समय मिट्टी पक्की तथा नरम होनी चाहिए और नरम मिट्टी का तब तक चयन नहीं किया जाना चाहिए जब तक मिट्टी को मजबूत तथा ठोस अवस्था में न ला दिया जाए।

ठोस मिट्टी वाली परिस्थितियों में किसी भी प्रकार के आधर का इस्तेमाल किया जा सकता है। चूने या सीमेंट के कंक्रीट से बना इसका ठोस आधर होना चाहिए और अपेक्षित चौड़ाई वाली नींव पर ही आधर का निर्माण किया जाना चाहिए।

नरम मिट्टी में सभी दीवारों में ‘प्लिन्थ बैंड’ का इस्तेमाल करना और जहां कहीं आवश्यक हो अलग-अलग स्तम्भों के आधर को ‘प्लिन्थ बीमों’ से जोड़ना वांछनीय होगा। कंक्रीट से बने मजबूत आधर भूकंप झेलने में सर्वाध्कि प्रभावकारी समझे जाते हैं।

दीवारों में खुले स्थानों पर नियंत्राण

दीवारों में दरवाजों और खिड़कियों के लिए बने खुले स्थान छोटे तथा बीचों-बीच स्थित होने चाहिए। बहुत ज्यादा तथा बड़े-बड़े खुले स्थान होने से भूकंप के दौरान दीवार के गिरने की संभावना होती है। खुले स्थान दीवार के किनारों के ज्यादा नजदीक नहीं होने चाहिए।

ईंट-पत्थर की बनी इमारतों में कंक्रीट से बने मजबूत बैंड किसी अहाते की दीवारों को एक मजबूत बक्से की तरह एक साथ जोड़ने के लिए कंक्रीट के मजबूत बैंड बनाए जाते हैं जो स्थिर विभाजक दीवारों सहित सभी बाह्य तथा आंतरिक दीवारों पर लगातार काम करते रहते हैं। किसी इमारत में निम्नलिखित में किसी एक या अध्कि बैंडों की जरूरत होती है। इन बैंडों में प्लिन्थ बैंड, लिन्टल बैंड, रूपफ बैंड तथा गेबल बैंड शामिल हैं और इमारत के जिस हिस्से में इन बैंडों का प्रयोग किया जाता है उसी के आधर पर इनका नाम रखा गया है।

वर्टिकल रीइन्पफोर्समेंट

दीवार के कोनों और जोड़ों में वर्टिकल रीइन्पफोर्समेंट लगाया जाना चाहिए। सभी मंजिलों में इसे लिन्टल बैंड और पफर्श पर पट्टियों अथवा पफर्श वाली बैंड से होकर गुजरना चाहिए।

भूकम्पीय क्षेत्रों में खिड़कियों तथा दरवाजों की चौखट में भी वर्टिकल रीइन्पफोर्समेंट की व्यवस्था की जानी चाहिए।

भूकम्प से लोग नहीं मरते। लोग खराब डिजाइन वाली इमारतों के कारण मरते हैं। इसलिए, भूकंप के खतरे को आपदा बनने से रोकने के लिए हमारी इमारतों के डिजाइन ठीक से तैयार किए जाने चाहिए और इनमें भूकंप-रोधी डिजाइन की विशेषताएं भी शामिल होनी चाहिए Money releted knowladge