स्वयं प्रकाश जीवनी | Ncert Solution For Class 10th Hindi के इस पोस्ट में कवि स्वयं प्रकाश मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के उपरांत एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी 1947 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। उनके बचपन और नौकरी को बड़ा हिस्सा राजस्थान में व्यतीत हुआ। फिलहाल उन्होंने नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है, और अब वे भोपाल में रहते हैं। वे वसुधा पत्रिका के संपादन में संबद्ध है।
स्वयं प्रकाश जीवनी | Ncert Solution For Class 10th Hindi
स्वयं प्रकाश का कथाकार जीवन आठवें दशक से प्रारंभ हुआ। वे आज की कहानी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। उनके कुल 13 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें –
‘आएँगे अच्छे दिन भी’
अगली किताब,
आदमी जात का आदमी,
‘सूरज कब निकलेगा’,
अगले जनम,
‘आदमी जात का आदमी’
आसमाँ कैसे-कैसे,
‘संधान’ और
मात्रा और भार, प्रमुख हैं।
स्वयं प्रकाश के चर्चित उपन्यास
‘बीच में विनय’
उत्तर जीवन कथा,
‘ईधन’
जलते जहाज पर और
ज्योति रथ के सारथी हैं।
उपलब्धियाँ
Swayam Prakash Biography
स्वयं प्रकाश को मिलने वाला सम्मान है-
पहल सम्मान,
बनमाली पुरस्कार,
राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
स्वयं प्रकाश की कहानियों में मध्यवर्ग की चिंता है। वर्ग शोषण के विरुद्ध चेतना है तो हमारे सामाजिक जीवन में जातिगत संप्रदाय गत और लिंगीय आधार पर हो रहे भेदभाव के तिरस्कार का स्वर भी है। किस्सागोई की शैली में लिखी गई उनकी कहानियाँ हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध करती हैं।
पाठ 10 नेताजी का चश्मा
प्रसिद्ध साहित्यकार वासुदेव शरण अग्रवाल ने अपने एक निबंध में राष्ट्र की परिभाषा देते हुएलिखा है ‘भूमि, जन और जन की संस्कृति इन तीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता हैस्वयं प्रकाश को यह कहानीभी बहुत हद तक इसी तथ्य को बताती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने देश, देशभक्ति और देश के निवासियों की चर्चा की है। उसके अनुसार देश सीमाओं से न बनकर उसमें रहने वाले नागरिकों, प्राकृतियों उपादानों (नदी, पहाड़ फूल पौधे और वनस्पतियाँ) तथा पशु-पक्षियों से बनता है। लेखक की मान्यता यह है कि उपर्युक्त सभी से प्रेम करना, इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करना ही देश भक्ति है। इसी भावना को रेखांकित करती हुई कहानी है ‘नेताजी का चश्मा’। जिसके सभी पात्र देश के निर्माण में अपनी-अपनी भूमिका, अपने-अपने तरीके से निभाते हैं। इस काम में बच्चे भी समान रूप से सहभागी हैं। झारखण्ड बोर्ड