शिल्प और उद्योग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर |Ncert Solution For Class 8th history

शिल्प और उद्योग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर Ncert Solution For Class 8th history के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर के उत्तर इस ब्लॉग पोस्ट में पढ़ने के लिए मिलेगा, जोकि काफी महत्वपूर्ण है, और इस तरह के प्रश्न पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, इसलिए आप इस पोस्ट को जरूर पूरा करें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी करने में आपके लिए मददगार साबित हो सके-

शिल्प और उद्योग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर |Ncert Solution For Class 8th history

शिल्प और उद्योग पाठ 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
शिल्प और उद्योग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
शिल्प और उद्योग पाठ 5 दीर्घ लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1 बुनकरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था?
उत्तर-बुनकरों को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था- इंग्लैंड में बने सूती कपड़ों ने 19 वीं सदी की शुरुआत तक भारतीय कपड़ों को अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के परंपरागत
बाजारों से बाहर कर दिया था।

इसकी वजह से भारत के हजारों बुनकर बेरोजगार हो गए। सबसे बड़ी मार बंगाल के बुनकरों पर पड़ी। ब्रिटिश और यूरोपीय कंपनियों ने भारतीय माल खरीदना बंद कर दिए। इन एजेंटों ने तयशुदा आपूर्ति के लिए बुनकरों को पेशगी देना बंद कर दिया था।

2 वुट्ज स्टील बेहतर क्यों माना जाता था ?
उत्तर-टीपू सुल्तान की तलवार की धार इतनी सख्त और पैनी थी कि दुश्मन के लौह कवच को भी आसानी से चीर सकती थी। इस तलवार में यह विशेषता कार्बन की अधिक मात्रा वाली
वुट्ज नामक स्टील के कारण पैदा हुई थी।

जो पूरे दक्षिण भारत में बनाया जाता था। इसकी यह बनावट लोहे में गड़े कार्बन के बेहद सूक्ष्म कणों से पैदा होती थी। इन्हीं विशेषताओं के कारण वुट्ज स्टील बेहतर माना जाता था।

3 औद्योगिक क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव किन क्षेत्रों पर पड़ा?
उत्तर-औद्योगिक क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव निम्न क्षेत्रों पर पड़ा- औद्योगिक क्रांति ने घरेलू उद्योग-धंधों के स्थान पर फैक्ट्री सिस्टम को जन्म दिया।

कारखानों में कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से होने लगा और छोटे कारीगरों के स्थान पर पूँजीपति श्रेणी ने ले लिया। इस क्रांति से कुटीर उद्योगों का विनाश हो गया। जिससे बहुत सारे मजदूर बेरोजगार हो गए।

इस क्रांति से विभिन्न वर्गों के उदय से सामाजिक असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई। पूँजीपति वर्ग आर्थिक क्षेत्र में नहीं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी प्रभावी हो गया। श्रमिक वर्ग अब कारखानों में काम करने लगे। उसे कम वेतन पर प्रायः 12-15 घंटे काम करना पड़ता था। फलतः उनका शोषण बढ़ा।

4 टिस्को की स्थापना क्यों की गयी थी?
उत्तर-19 वीं सदी में भारत आमतौर पर ब्रिटेन में बने स्टील का आयात कर रहा था। यहाँ लौह-अयस्क व कोयले के विशाल भण्डार थे, लेकिन इसे निर्यात किया जाता था। भारत में रेलवे के विस्तार से इस्पात की माँग काफी बढ़ गयी थी।

इस माँग की पूर्ति और व्यापारिक लाभ को देखते हुए टिस्को की स्थापना की गयी। प्रथम विश्वयुद्ध के बढ़ती माँग ने इसके विकास को बल दिया। इसके 90 प्रतिशत स्टील ब्रिटिश सरकार ही खरीद लेती थी।

शिल्प और उद्योग पाठ 5 Ncert Solution For Class 8th history

5 एच० ई० सी० (भारी अभियंत्रण संयंत्र) पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-बीसवीं शताब्दी के लगभग मध्य में राँची के हटिया नामक स्थान में भारी अभियंत्रण संयंत्र की स्थापना की गई। वर्तमान में यह झारखण्ड में स्थित है। इसकी स्थापना 1958 में हुई। यह भारत का एक सबसे बड़ा समन्वित अभियंत्रण कारखाना था।

यह बड़े-बड़े एवं भारी पूँजीगत मशीनों का निर्माण करती है, जिसकी आपूर्ति देश एवं विदेशों तक की जाती है। देश में उद्योगों के विकास के लिए आवश्यक विशाल एवं पूँजीगत उपकरण उपलब्ध कराने में इस संयंत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

6 पहले महायुद्ध के दौरान अपना स्टील उत्पादन बढ़ाने में टिस्को को किस बात से मदद मिली ?
उत्तर-प्रथम महायुद्ध के दौरान ब्रिटेन में निर्मित इस्पात को युद्ध संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति में लगा दिया। जिससे भारत आने वाले ब्रिटिश स्टील की मात्रा में कमी आयी। भारतीय बाजार की माँग को पूरा करने हेतु यथा भारतीय रेल की पटरियों के लिए रेलवे टिस्को पर आश्रित हो गया।

युद्ध के अन्य सामान. रेल के पहिये एवं अन्य लोहे के सामान टिस्को द्वारा उत्पादन किया जाने लगा। माँगों के कारण टिस्को को कारखाना विस्तारित करने में मदद मिली और पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में स्टील उत्पादन में सबसे बड़ा कारखाना बन गया।

7 ‘वुट्ज स्टील’ का निर्माण कैसे होता था ?
उत्तर-‘वुट्ज स्टील’ मैसूर की प्रगलन भट्ठियों में तैयार होता था। इन भट्टियों में लोहे को काठ-कोयला के साथ मिलाकर मिट्टी की छोटी-छोटी हांडियों में रखकर तापमान को नियंत्रित करते हुए प्रगालक इस्पात की सिल्ली तैयार करते थे। इस विधि से तैयार स्टील को ‘वुट्ज स्टील’ की संज्ञा दी गयी। jac board