सत्ता की साझेदारी पाठ 1 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics के इस ब्लॉग पोस्ट पर क्लास 10 में पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों को इस ब्लॉग पोस्ट पर स्वागत है इस ब्लॉग पोस्ट में इस पाठ से संबंधित जितने भी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय परीक्षा उपयोगी प्रश्न हैं उन सभी प्रश्नों का उत्तर को कवर किया गया है जो हर एक विद्यार्थी के लिए बहुत ही उपयोगी है इसलिए कृपया करके इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा अध्ययन करें |
सत्ता की साझेदारी पाठ 1 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics
सत्ता की साझेदारी पाठ 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
सत्ता की साझेदारी पाठ लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
सत्ता की साझेदारी पाठ अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
अथवा, लोकतंत्र की साझेदारी के पक्ष में कौन-से तर्क दिए जाते हैं?
अथवा, सत्ता की साझेदारी के पक्ष में कौन-से तर्क दिए जाते हैं ?
उत्तर-सत्ता की साझेदारी के पक्ष में दिए जाने वाले तर्क- बहुत से राजनीतिज्ञों ने सत्ता की साझेदारी के पक्ष में अनेक तर्क दिए हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-
(क) युक्तिपरक कारण- युक्तिपरक कारण वे हैं जो बड़ी गहरी सोच पर आधारित होते हैं और जिन्हें लाभ-हानि को सामने रखकर अपनाया जाता है।
(1) सत्ता की साझेदार विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(i) यह पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(iii) विभिन्न विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(iv) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(ख) नैतिक कारण- कुछ लोगों ने नैतिक कारणों से भी सत्ता की साझेदारी का जोरदार समर्थन किया है।
(i) सांझी सरकारों में सत्ता का विभाजन से सभी सरकार में हिस्सा लेने वाले राजनीतिक दलों से पूर्ण न्याय हो जाता है।
(ii) अल्पसंख्यक लोगों की भी अवलेहना नहीं होती इसलिए उनके मन में कोई आक्रोश की भावना नही पनपती।
(ii) शक्ति के विकेन्द्रीकरण से किसी भी सरकारी अंग- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका से कोई अन्याय नहीं हो पाता और इस प्रकार केन्द्र और राज्यों में भी शांति का वातावरण बना रहता है।
(iv) सबकी राय से किए हुए निर्णय सबको मान्य होते हैं क्योंकि वे सर्वसम्मत्ति से लिए हुए होते हैं।
2 बेल्जियम के समाज की जातीय बनावट की व्याख्या करें।
उत्तर-बेल्जियम के समाज की जातीय बनावट- बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है जिसकी आबादी हरियाणा से भी आधी है। परन्तु इसके समाज की जातीय बनावट बड़ी जटिल है। इसमें रहने वाले 59% लोग डच भाषा बोलते हैं,40% लोग फ्रेंच बोलते हैं और बाकी 1% लोग जर्मन बोलते हैं। ऐसी भाषाई विविधता कई बार सांस्कृतिक और राजनीतिक झगड़े का कारण बन जाती है।
परन्तु बेल्जियम के लोगों ने एक नवीन प्रकार की शासन पद्धति अपना कर इन सांस्कृतिक विविधताओं एवं क्षेत्रीय अंतरों से होने वाले आपसी मतभेदों को दूर कर लिया। उन्होंने बार-बार संविधान में संशोधन इस विचार से किया कि किसी भी व्यक्ति को बेगानेपन का एहसास न हो और सभी मिल-जुल कर रह सकें। सारा विश्व बेल्जियम की इस समझदारी की दाद देते हैं।
3 श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट की व्याख्या करें।
उत्तर-श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसकी आबादी कोई दो करोड़ के लगभग है अर्थात् हरियाणा के बराबर। बेल्जियम की ही भाँति यहाँ भी कई जातीय समूहों के लोग रहते हैं। देश की आबादी का कोई 74% भाग सिंहलियों का है जबकि कोई 18% लोग तमिल हैं।
बाकी भाग अन्य छोटे-छोटे जातीय समूहों जैसे- ईसाईयों और मुसलमानों का है। देश के उत्तर-पूर्वी भागों में तमिल लोग अधिक हैं जबकि देश के बाकी हिस्सों में सिंहली लोग बहुसंख्या में हैं। यदि श्रीलंका के लोग चाहते तो वे भी बेल्जियम की भाँति अपने जातीय मसले का कोई उचित हल निकाल सकते थे, परन्तु वहाँ
बहुसंख्यक समुदाय अर्थात् सिंलियों ने अपने बहुसंख्यकवाद को दूसरों पर थोपने का प्रयत्न किया जिससे वहाँ गृह-युद्ध शुरू हो गया जो आज तक थमने का नाम नहीं ले रहा।
सत्ता की साझेदारी पाठ 1NCERT Solutions
4 सत्ता की साझेदारी क्या है और इसके क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर-जब कोई देश प्रशासनिक व्यवस्था में सभी लोगों की भागीदारी बनाता है तो उसे सत्ता की साझेदारी की संज्ञा दी जाती है। ऐसी व्यवस्था के निःसंदेह अनेक लाभ हैं।
(क) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूलमंत्र है। जिसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
(ख) जब देश के सभी लोगों को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदार बनाया जाता है तो देश और मजबूत होता है।
(ग) जब बिना भेद-भाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी संघर्ष की सम्भावना नहीं रहती है और देश निरन्तर बिना किसी रुकावट के प्रगति के पथ पर चलता रहता है। बेल्जियम ने सत्ता की साझेदारी की नीति को अपना कर न केवल एक ओर आपसी संघर्षों को दूर कर लिया है वरन् हर क्षेत्र में निरन्तर प्रगति करनी शुरू कर दी है।
5 सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-सत्ता की साझेदारी जरूरी है इसके पक्ष में दो तर्क दिये जा सकते हैं-
(क) सत्ता का बँटवारा होने से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।
(ख) सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाय और ये लोग ढर्रे से रहें। इसलिए वैध सरकार वही है जिसमें अपनी-अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
6 श्रीलंका में सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यक का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
उत्तर-(क) 1948 ई० में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। 1956 ई० में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(ख) विश्वविद्यालयों एवं सरकारी नौकरियों ने सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी अपनाई गई।
(ग) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
(घ) श्रीलंकाई तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
7 बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
उत्तर-बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से बहुसंख्यक डच-भाषी लोगों से अधिक समृद्ध तथा शक्तिशाली थे। स्वाभाविक रूप से डच-भाषी समुदाय इस स्थिति से नाराज था।
डच-भाषी लोग संख्या में अधिक थे परन्तु धन-समृद्धि के मामले में कमजोर थे। दोनों समुदायों के बीच तनाव का यही मूल कारण था। परन्तु बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता।
क्योंकि-
(क) बेल्जियम में विभिन्न समूहों को सत्ता में भागीदार बनाते हुए राष्ट्रीय एकता का प्रयास किया गया। भाषाई विवाद को हल करने के लिए केन्द्रीय सरकार में सभी समूहों को समान प्रतिनिधित्व दिया गया।
(ख) कुछ विशेष कानून तभी पारित हो सकते थे जब विभिन्न भाषा समूहों में उस विषय पर सहमति हो।
किसी एक भाषा विशेष को राजकीय भाषा नहीं घोषित किया गया। अलग-अलग भाषा समूहों को अपनी सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया गया।
(ग) इस सरकार को सामुदायिक सरकार कहा गया जो केन्द्र तथा राज्य के बाद तीसरे स्तर पर कार्य करती थी। इसे संस्कृति तथा भाषा संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के अधिकार प्रदान किए गए। इन सभी प्रयासों के माध्यम से बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों के भाषाई विवाद को हल करने का प्रयास किया गया जो पूर्णतया सफल रहा। jac board