सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन परिचय | Ncert Solution For Class 10th Hindi के प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार निबंधकार और नाटककार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म सन् 1927 में उत्तर प्रदेश के बस्ती
जिले में हुआ। उन्होंने उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे अध्यापक, आकाशवाणी में सहायक प्रोड्यूसर,
दिनमान में उपसंपादक और पराग के संपादक रहे। सन् 1983 में उनका आकस्मिक देहावसान हो गया।
सर्वेश्वर जी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार थे। वे कवि कहानी कार, उपन्यास कार, निबंधकार और नाटककार भी थे।
लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता-संग्रह
- काठ की घंटियाँ,
- कुआनो नदी,
- जंगल का दर्द,
- खूटियों पर टंगे लोग पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- बतूता का जूता
- महंगू की टाई
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का उपन्यास
- सोचा हुआ जल,
- पागल कुत्तों का मसीहा
- उड़े हुए रंग
- कच्ची सड़क
- अंधेरे पर अंधेरा
नाटक
- बकरी
- कल भात आएगा तथा हवालात
- भों-भों खों-खों
- लाख की नाक
- रूपमती बाज बहादुर
- लड़ाई
- अब गरीबी हटाओ
काव्य संग्रह
- काला कोयल
- एक सूनी नाव
- जंगल का दर्द
- गर्म हवाएं
- बांस का पुल
- काठ की घंटियां
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। संस्मरण हिंदी साहित्य की एक अत्यंत प्रचलित और महत्वपूर्ण विधा है। किसी महान व्यक्तित्व की स्मृतियाँ ही कलमबद्ध होकर संस्मरण बनती हैं। ‘रामकथा’ के प्रसिद्ध लेखक फादर कामिल बुल्के पर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखित यह संस्मरण अपने-आप में एक स्मृति लेखा है उस महान व्यक्तित्व का जिसने जन्म तो पाया बेल्जियम (यूरोप) के रैम्स चैपल शहर में, लेकिन अपनी कर्मभूमि बनाया भारत को। फादर कामिल बुल्के जिस रैम्स चैपल में पैदा हुए वह पादरियों, धर्मगुरुओं और संतों की भूमि कही जाती है; वे भी संत थे किंतु पारंपरिक न होकर साहित्यिक संत। लेखक का मानना है कि तब तक फादर की कृति ‘रामकथा’ और फादर को याद किया जाएगा, उन्हें हिंदी भाषा और बोलियों से अगाध प्रेम रखने वाले व्यक्ति के अपूर्व उदाहरण के रूप में समझा जाएगा जब तक भारतीय लोकमानस में वास्तविक ‘रामकथा’ जीवित रहेगी। Jac Board