संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 लघु उतरीय प्रश्न। Ncert Solution For Class 9th Civics के इस ब्लॉग पोस्ट पर कक्षा नवमी के सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ से जुड़ी महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न और उनके ऊपर उत्तर अध्ययन करने को मिलेगा जो प्रश्न पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, उन सभी प्रश्नों को इस पोस्ट पर कवर किया गया है, इसलिए आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है, इस पोस्ट को कृपया करके जरूर पूरा अध्ययन करें जिसे आप की परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके-
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर, Ncert Solution For Class 9th
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 अति लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 दीर्घ उतरीय प्रश्न के उत्तर
1 देश की मुख्य नीति संबंधी निर्णय किसके द्वारा लिए जाते हैं ?
उत्तर-निम्नांकित व्यक्ति प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से मुख्य नीति संबंधी निर्णयों में शामिल होते हैं-
(क) राष्ट्रपति देश का मुखिया होता है अतः, सभी निर्णय उसके नाम पर ही लिए जाते हैं।
(ख) प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है अतः, सभी नीतियों का निर्धारण अपने मंत्रीमंडलीय सहयोगियों की सहायता से करता है।
(ग) जब भी कभी कोई मुख्य नीति संबंधी निर्णय लेना होता है तब प्रधानमंत्री को लोकसभा का समर्थन चाहिए होता है।
2 द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग क्या था ?
उत्तर-द्वितीय पिछडा वर्ग आयोग-
(क) इस आयोग की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा वर्ष 1979 में श्री बी० पी० मंडल की अध्यक्षता में की गई थी। अतः, इस आयोग को मंडल आयोग कहा गया।
(ख) इस आयोग को भारत में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को चिह्नित करने हेतु मानदंड निर्धारित करने का कार्य सौंपा गया था।
(ग) इसे इन वर्गों के विकास हेतु उपाय सुझाने का कार्य दिया गया था।
(घ) आयोग ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1980 में सरकार को सौंप दी और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों हेतु सरकारी प्रशासनिक रिक्तियों में 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की।
3 आरक्षण विवाद क्या था इसे किसने निपटाया ?
उत्तर-सरकार के आरक्षण संबंधी एक आदेश के विरुद्ध कुछ व्यक्ति व संगठनों ने न्यायालय से अपील की कि ऐसे आदेश को विधि-विरुद्ध ठहरा कर इसके कार्यान्वयन को रोकें। भारत के उच्चतम न्यायालय ने ऐसी सभी याचिकाओं को एक समूह में ग्रंथित किया।
यह मामला इन्दिरा साहनी एवं अन्य बनाम भारत संघ का था। उच्चतम न्यायालय के ग्यारह न्यायाधीशों वाली खंड पीठ ने इस मामले की सुनवाई की तथा दोनों ओर से प्रस्तुत तर्कों को सुना गया।
1992 में अभिसंख्यक न्यायाधीशों ने यह घोषणा की भारत सरकार का उक्त मामले पर दिया गया आदेश विधिमान्य नहीं है। इसी समय उच्चतम न्यायालय ने सरकार को अपने आदेश में संशोधन करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि पिछड़े वर्ग के संभ्रांत लोगों को आरक्षण की सुविधा पाने से अलग रखा जाए। इसके अनुपालन में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के 8 सितम्बर, 1993 को एक अन्य कार्यालय-ज्ञापन दिया। इस प्रकार विवाद समाप्त हुआ और इस नीति का फैसले की तारीख से लगातार अनुसरण किया गया।
4 हमें संसद की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-(क) प्रत्येक देश के कानूनों का निर्माण करने वाला अंतिम प्राधिकरण संसद है। कानून निर्माण का यह कार्य इतना निर्णायक है कि इन सभाओं को व्यवस्थापिका कहा जाता है। समूचे विश्व के देशों में संसद ही कानून बनाती है, विद्यमान कानूनों में संशोधन करती है अथवा उनका निरीक्षण करती है एवं उनके स्थान पर नए कानून बनाती है।
(ख) समूचे विश्व की संसदें सरकार चलाने वालों/कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती हैं। भारत जैसे देशों में यह सीधा और अंतिम नियंत्रण रखती है। संसद का समर्थन रहने तक ही सरकार चलाने वाले/कार्यपालिका निर्णयों को ले सकते हैं।
(ग) सरकारी कोष पर संसद का ही नियंत्रण रहता है। सभी देशों में संसद की स्वीकृति मिलने के बाद ही सरकार-कोष से किसी धन को किसी सार्वजनिक कार्य में खर्च किया जा सकता है।
(घ) संसद ही प्रत्येक देश के सरकारी मामलात और राष्ट्रीय नीति पर बहस और वार्ता करने वाला सर्वोच्च मंच है। संसद किसी भी मामले पर जानकारी माँग सकती है।
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 Ncert Solution For Class 9th Civics
5 मंत्री को अपने मंत्रालय के मामलात में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार क्यों रहना चाहिए?
उत्तर-लोकतंत्र में जनादेश सर्वोपरि है। मंत्री को जनता ही चुनती है और वह जनमत के पक्ष में जनता की इच्छा की इच्छानुसार कार्य करने के लिए अधिकृत |
वह अपने निर्णय के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी है। यही कारण है कि अंतिम निर्णय मंत्री द्वारा ही लिए जाते हैं। मंत्री की नीतिगत उद्देश्यों और उसके संपूर्ण ढाँचे पर विचार करता है। मंत्री से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि उसको अपने मंत्रालय के सभी मामलात में दक्षता प्राप्त हो।
वह सभी प्राविधिक मामलों के विशेषज्ञों की सलाह लेता है। बहुधा ये विशेषज्ञ भिन्न-भिन्न विचार प्रकट करते हैं या उसके सामने एकाधिक विचारों को रखते हैं। ऐसी दशा में उद्देश्य का सर्वोपरि स्वरूप क्या है, इसको मंत्री ही तय करता है।
वस्तुतः, प्रत्येक बड़े संगठन में ऐसा होता है। समूचे परिवेश की जानकारी रखने वाला ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण निर्णयों को लेता है, केवल एक मामला विशेष की विशिष्ट जानकारी रखने वाला ऐसा नहीं कर सकता है।
6 लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और शक्तिशाली न्यायपालिका का रहना आवश्यक क्यों समझा जाता है ?
उत्तर-देश के विभिन्न राज्यों, जिलों एवं केन्द्र में विद्यमान न्यायालय संयुक्त रूप से न्यायपालिका कहे जाते हैं। भारत के न्यायालय और स्थानीय स्तर की छोटी अदालतें सम्मिलित रहती हैं। भारत की एक अखंड न्यायपालिका है।
इसका अर्थ यह है कि उच्चतम न्यायालय देश की कानूनी व्यवस्था को सँभालता है। इसके फैसले देश के सभी अन्य न्यायालयों पर बाध्यकारी होते हैं। यह निम्नांकित सभी तरह के विवादों की सुनवाई करने में समर्थ है।
(क) देश के नागरिकों के बीच, (ख) नागरिक और सरकार के बीच, (ग) दो या दो से अधिक सरकारों के बीच, (घ) संघ और राज्य स्तर की सरकारों के बीच। उच्चतम न्यायालय सिविल और फौजदारी के मामलों का सर्वोच्च न्यायालय है। यह उच्च न्यायालयों के फैसले के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करने में भी समर्थ है।
7 न्यायपालिका की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-न्यायपालिका की स्वतंत्रता का यह अर्थ है कि वह विधायिका या कार्यपालिका के अधीन नहीं हैं। न्यायाधीश सरकार के निर्देश या सत्ताधारी दल की इच्छाओं के अनुसार कार्य नहीं करते हैं।
यही कारण है कि सभी आधुनिक लोकतंत्रों के न्यायालय हैं जो कि विधायिका और कार्यपालिका के नियंत्रण से सर्वथामुक्त है। भारत ने इस स्थिति को प्राप्त कर लिया है। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री तथा उच्चतम
न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेकर की जाती है।
व्यवहार में इसका यह अर्थ है कि उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश इसके नए न्यायाधीशों का चयन करते हैं और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश का चयन भी यही करते हैं। इसमें राजनैतिक कार्यपालिका का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं रहता है।
उच्चतम न्यायालय का सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायलय का न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है और उसको अपने पद से नहीं निकाला जा सकता है।
उसको पदच्युत करने की उतनी ही कठिन कार्यविधि है जितनी देश के राष्ट्रपति का पदच्युत करने की रहती है। संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित महाभियोग से ही न्यायाधीश को पदच्युत किया जा सकता है। ऐसा भारतीय लोकतंत्र में आज तक कभी भी नहीं हुआ।
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 Ncert Notes For Class 9th Civics
8 भारत के राष्ट्रपति से संबंधित प्रधानमंत्री के किन्ही चार कार्यों का विवेचन करें।
उत्तर-भारत का प्रधानमंत्री सम्पूर्ण शासन की धुरी है। प्रधानमंत्री के राष्ट्रपति से संबंधित तीन कार्य निम्नांकित हैं-
(क) राष्ट्रपति को सम्पूर्ण शासन प्रक्रिया की गतिविधियों की जानकारी देना।
(ख) राष्ट्रपति व संसद को जोड़ना क्योंकि प्रधानमंत्री ही वह कड़ी है जो राष्ट्रपति को संसद व संसद को राष्ट्रपति से जोड़ता है।
(ग) राष्ट्रपति को संकटकालीन घोषणा करने के लिए सलाह देना, क्योंकि संविधान में प्रधानमंत्री को ही राष्ट्रपति का सलाहकार घोषित किया गया है।
(घ) वह सांसदों की भावना की कद्र करता है। संसद सत्रों को बुलाने एवं स्थगन करने के बारे में निर्णय लेता है। वह संसद से विधेयक पास कराता है। वह संसद के सामने अपनी नीति रखता है।
9 संसद द्वारा धन-विधेयक पारित करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-संविधान में धन विधेयक को विशेष रूप से परिभाषित किया गया है। उसके लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है।
राष्ट्रपति की सहमति के बिना कोई भी धन विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। यह विधेयक पहले लोक सभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं, इसका निर्णय लोक सभा का अध्यक्ष करता है।
जब धन विधेयक लोक सभा से पारित हो जाता है तो राज्य सभा के पास भेजा जाता है। अपनी सिफारिशों के साथ राज्य सभा को विधेयक 14 दिन के अंदर लौटा देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करती तो विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाएगा और राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाएगा।
10 लोकसभा का गठन कैसे किया जाता है ? लोकसभा का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं ?
उत्तर-लोकसभा जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधियों से बनती है। इसमें 550 से अधिक निर्वाचित सदस्य नहीं हो सकते। इनमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों तथा 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा चुने जाते हैं।
प्रत्येक राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश को अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है और प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है। चुने हुए सदस्यों के अतिरिक्त लोकसभा में मनोनीत सदस्य भी होते हैं। यदि लोकसभा में ऐंग्लो-इंडियन समुदाय को प्रतिनिधित्व न मिला हो तो राष्ट्रपति इस समुदाय के दो सदस्यों को मनोनीत करता है।
अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए भी कुछ सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गई है। सभी भारतीय नागरिकों को, जिनकी आयु 18 वर्ष अथवा उससे अधिक है, मत देने का अधिकार है। यही नागरिक लोकसभा के सदस्यों को चुनते हैं। लोकसभा का सदस्य बनने के लिए निम्नांकित योग्यताएँ होनी चाहिए-
(क) भारत का नागरिक हो,
(ख) कम से कम 25 वर्ष की आयु का हो, तथा
(ग) वह सभी योग्यताएँ रखता हो जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अन्तर्गत निर्धारित की जाएँ।
11 राष्ट्रपति को उसके पद से कैसे हटाया जाता है ? अथवा, राष्ट्रपति पर महाभियोग कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर-राष्ट्रपति को उसके पद से हटाये जाने की विशेष प्रक्रिया है। उस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर उस पर महाभियोग चलाया जाता है।
महाभियोग की प्रक्रिया किसी भी सदन में, एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षरों के पश्चात् शुरू की जा सकती है। पहले राष्ट्रपति को इस विषय में नोटिस भेजा जाता है और इसके 14 दिन पश्चात् उसी सदन में महाभियोग के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाता है।
इस प्रस्ताव को पास करने के लिये उस सदन के कुल सदस्यों को दो-तिहाई मतों की आवश्यकता होती है। तत्पश्चात् दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जाँच करता है। इस सदन में राष्ट्रपति अपना बचाव स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि द्वारा कर सकता है।
यदि दूसरा सदन भी अपने दो-तिहाई मत से इस प्रस्ताव को पास कर देता है तो राष्ट्रपति को अपने पद से हटना पड़ता है। याद रहे, अभी तक भारत के किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा नहीं हटाया गया है।
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर Political Science
12 भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए व्यक्ति में क्या योग्यताएँ अपेक्षित हैं ?
उत्तर-राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए निम्नांकित योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं-
(क) वह भारत का नागरिक हो।
(ख) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(ग) वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
(घ) वह संघ सरकार या राज्य सरकार में किसी लाभप्रद पद पर नहीं हो।
(ङ) वह संसद या विधानमंडल का सदस्य नहीं हो।
13 वे तीन परिस्थितियाँ कौन-सी हैं जिनमें राष्ट्रपति अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग कर सकता है ?
उत्तर-संविधान द्वारा राष्ट्रपति को कुछ संकटकालीन शक्तियाँ सौपी गई है। इन संकटकालीन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकटों का सामना करने के लिए करता है। संविधान में तीन प्रकार की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन किया गया है-
(क) युद्ध तथा बाह्य आक्रमण के समय राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
(ख) राज्यों में संविधानिक तंत्र के असफल होने पर संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
(ग) भारत में वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर वह संकटकाल की घोषणा कर सकता है। इन शक्तियों के प्रयोग से भारतीय संविधान का स्वरूप ही बदल जाता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
14 संघ की मंत्रि-परिषद् के गठन का वर्णन करें।
उत्तर-गठन- सर्वप्रथम, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करना है। उसके बाद अन्य मंत्री प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। भारत में मंत्री तीन स्तरों के होते हैं-
(क) मंत्रिमंडलीय मंत्री- ये उच्च श्रेणी के मंत्री होते हैं और शासन के महत्त्वपूर्ण विभागों के अध्यक्ष होते हैं। ये मंत्री ही देश की नीति का निर्माण करते हैं तथा शासन संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेते हैं ।
(ख) राज्य मंत्री- मंत्रिपरिषद् के दूसरे स्तर के मंत्रियों को राज्य मंत्री कहा जाता है। इन मंत्रियों के पास प्रायः स्वतंत्र विभाग होते हैं, परन्तु कई बार उन्हें मंत्रि-मंडलीय मंत्री की सहायता के लिए भी नियुक्त किया जाता है। साधारणतः वे मंत्रिमंडल की बैठकों में भाग नहीं लेते। यदि मंत्रिमंडल की किसी बैठक में उनके विभाग से संबंधित किसी विषय पर विचार होना होता है तो उस विषय से संबंधित विभाग के राज्य-मंत्री को उस बैठक में बुला लिया जाता है।
(ग) उप-मंत्री- मंत्रिपरिषद् में तीसरी श्रेणी के मंत्री उप-मंत्री होते हैं। ये किसी विभाग के स्वतंत्र रूप से अध्यक्ष नहीं होते। ये मंत्रिमंडलीय मंत्रियों तथा राज्य-मंत्रियों के सहायकों के रूप में नियुक्त किए जाते हैं। मंत्रिपरिषद् एक बड़ी संस्था है जिसमें तीनों प्रकार के मंत्री- मंत्रिमंडलीय मंत्री, राज्य मंत्री तथा उप-मंत्री शामिल होते हैं। इसके विपरीत मंत्रिमंडल एक छोटी संस्था है जिसमें केवल प्रथम श्रेणी के अर्थात् मंत्रिमंडलीय मंत्री ही शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में मंत्रिमंडल मंत्रिपरिषद् का एक भाग है।
15 भारत के राष्ट्रपति की साधारण विधेयक को मंजूरी देने सम्बन्धी शक्तियों का उल्लेख करें।
उत्तर-भारत के राष्ट्रपति के पास साधारण विधेयक की मंजूरी के लिए निम्नांकित तीन शक्तियाँ होती हैं-
(क) वह इसे मंजूरी दे सकता है।
(ख) वह इसे सुझाव के लिए वापस भेज सकता है।
(ग) इसे स्वीकृति न देकर पुनर्विचार के लिए कह सकता है। राष्ट्रपति साधरण विधेयक को केवल एक बार ही वापस भेज सकता है। संसद दोबारा, परिवर्तन के बिना या परिवर्तन के साथ, वापस भेजने पर राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी पड़ती है।
16 वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति की क्या शक्तियाँ हैं ?
उत्तर-वित्त विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही संसद के निचले सदन में रखा जा सकता है। संसद द्वारा विधेयक पास होकर राष्ट्रपति के पास आता है
और राष्ट्रपति इसे अपनी स्वीकृति दे देता है। चूंकि यह उसकी पूर्वानुमति से ही लोकसभा में रखा जाता है, अतः उसको वापिस भेजने का अधिकार राष्ट्रपति के पास नहीं होता है।
17 राज्यसभा की रचना का वर्णन करें।
उत्तर-राज्यसभा संसद का उच्च सदन हैं। इसे संसद का द्वितीय सदन भी कहा जाता है। इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है। इनमें 238 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।
राज्यों की विधानसभा के सदस्य गुप्त मतदान तथा एकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा उनका चुनाव करते | 2 सदस्य द्वारा मनोनीत किये जाते हैं जो कला, साहित्य,
विज्ञान अथवा समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त होते है
संस्थाओं का कामकाज पाठ 5 के प्रश्न उत्तर Class 9 Ncert Solution
18 भारतीय संघ को केन्द्रीकृत क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-भारत को राज्यों का संघ अर्थात भारतीय संघ कहा जाता है जिसमें 28 राज्य तथा 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं। लेकिन भारतीय संघ केन्द्रीयकृत हैं क्योंकि भारतीय संविधान ने केन्द्र को बहुत अधिक शक्तिशाली बनाया है।
आपातकाल में राज्यों की समस्त शक्तियाँ केन्द्र के हाथों में आ जाती है। संघ सूची व ।समवर्ती सूची दोनों पर केन्द्र सरकार का अधिकार है और राज्यसूची पर भी वह कानून बनाती रहती है। इसीलिए भारत केन्द्रीयकृत है।
19 लोकसभा, राज्यसभा से किस प्रकार अधिक शक्तिशाली हैं ? तीन कारण बताएँ।
उत्तर-लोकसभा राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली है। यह निम्नांकित विवेचना से स्पष्ट हो जाता है-
(क) वैधानिक मामलों में लोकसभा राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली हैं।
(ख) वित्तीय मामालों में लोकसभा राज्यसभा से शक्तिशाली है।
(ग) लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पास करके मंत्रियों को हटा सकती है। राज्यसभा को कोई अधिकार प्राप्त नहीं हैं।