NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति में कला के माध्यम से ही संस्कृति हमारे दैनिक जीवन में अभिव्यक्ति हो हो पाती है। कला अपने सांस्कृतिक सरोकारों के साथ आगे बढ़ती है। इसकी अभिव्यक्ति कला के विविध रूपों पाए गए है ।महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर का अध्ययन करने के लिए लिंक पर क्लीक करे ।
(संगीत, नृत्य, नाटक ,चित्रकला ,स्थापत्य कला, सिनेमा ,फोटोग्राफी, साहित्य आदि ) वह भी जीवंत होती है।कोई संस्कृति युग-युगान्तर में निर्मित होती है। इस पाठ से जुड़ी जितने भी परीक्षा उपयोगी सवाल है। उन सभी सवालों का विस्तार पूर्वक इस ब्लॉग पर सरल भाषा का प्रयोग करते हुए समझाया गया है।
NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति
1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता और संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है ?
उत्तर-पाठ 17 संस्कृति अभ्यास प्रश्नोत्तर के इस ब्लॉग में लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है, क्योंकि प्रायः दोनों को एक ही समझ लिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि संस्कृति व्यक्ति से मानव के लिए मंगलकारी आविष्कार कराती है, तथा सर्वस्व त्याग कराती है। और इस संस्कृति का परिणाम सभ्यता में देखा जाता है। हम दोनों के मूलभूत अन्तर को अभी तक चिन्हित नहीं कर पाए हैं।
2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर-आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है, क्योंकि इससे मनुष्य के पेट की ज्वाला शांत होती थी। आग की खोज से पहले मानव समाज का अग्नि देवता से साक्षात नहीं हुआ था।
(पाठ 17 संस्कृति अभ्यास प्रश्नोत्तर ) की खोज के पीछे प्रेरणा का मुख्य स्रोत मनुष्य की भूख रही होगी। आग के द्वारा उसने भोजन को पकाना सीखा। इस खोज के पीछे भौतिक कारणों का प्रभाव तो रहा ही है, पर इसका कुछ हिस्सा हमें मनीषियों से भी मिला है।
3. वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है ?
उत्तर-वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है, जो किसी नई चीज की खोज करता है। किसी चीज का आविष्कर्ता ही संस्कृत व्यक्ति होता है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी नए तथ्य का दर्शन किया, वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है। जिसे कोई वस्तु पूर्वज से अनायास ही प्राप्त हो जाती है, वह व्यक्ति संस्कृत नहीं कहला सकता।
4.न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं ? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों ?
उत्तर-न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे ये तर्क दिए गए हैं, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आवष्किार किया अतः वह संस्कृत मानव था। उसने अपनी बुद्धि एवं विवेक से एक नए तथ्य का दर्शन कर उसका आविष्कार किया। नई चीज का आविष्कार करने वाला व्यक्ति ही संस्कृत मानव कहलाता है।
दूसरे लोग न्यूटन के सिद्धांत की बारीकियों को भले ही ज्यादा जानते हों पर वे सभ्य तो कहे जा सकते हैं, संस्कृत मानव नहीं कहला सकते। उन्हें न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते।
5. आशय स्पष्ट करें- मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति ?
उत्तर-लेखक प्रश्न करता है, मानव की जो योग्यता, भावना, प्रेरणा और प्रवृत्ति उससे विनाशकारी हथियारों का निर्माण करवाती है, उसे हम संस्कृति कैसे कहें । वह तो आत्म-विनाश कराती है। लेखक कहता है- ऐसी भावना और योग्यता को असंस्कृति कहना चाहिए।
उत्तर-(क) जब मानव-संस्कृति को धर्म-संप्रदाय के आधार पर बाँटने की चेष्टाएँ की गईं अर्थात् हिन्दू-संस्कृति और मुस्लिम-संस्कृति कहकर उनसे एक-दूसरे को खतरा बताया गया। ताजिए निकालने के लिए यदि पीपल का तना कट गया हो तो हिन्दू संस्कृति खतरे में पड़ जाती है, और मस्जिद के सामने बाजा बजने पर मुस्लिम संस्कृति खतरे में पड़ गई बताई गई। इन बातों से मानव-संस्कृति विभाजित होती है। (पाठ 17 संस्कृति अभ्यास प्रश्नोत्तर )
उत्तर-(ख) मानव-संस्कृति एक अविभाजय वस्तु है। इसे बाँटा नहीं जा सकता क्योंकि इसमें मानव-कल्याण का भाव निहित होता है।
उदाहरण-(i) कार्ल मार्क्स ने संसार के सभी मजदूरों को सुखी देखने के लिए अपना सारा जीवन दुःखों एवं अभावों में बिता दिया।(ii) सिद्धार्थ (महात्मा बुद्ध) ने अपना घर इसलिए त्याग दिया कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती-कटती मानवता सुख से रह सके।
7. किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर-अपने तन को ढंकने के लिए, स्वयं को गर्मी, सर्दी और नंगेपन से बचाने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। सुई-धागे की खोज से पहले मनुष्य नंगा रहता था। वह जैसे-तैसे वृक्ष की खाल या पत्तों से तन को ढंकता था।
किन्तु उससे शरीर की ठीक से रक्षा नहीं हो पाती थी। अतः जब उसने सुई-धागे की खोज कर ली तो उसके हाथ बहुत बड़ी तकनीक लग गई। यह तकनीक इतनी कारगर थी कि आज भी हम लोग इसका भरपूर उपयोग करते हैं।
उत्तर-लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की परिभाषा दी है , संस्कृति मानव से किसी नई वस्तु का आविष्कार कराती है तथा मानव में सर्वस्व त्याग का भाव उत्पन्न कराती है। सभ्यता इसी संस्कृति का परिणाम है।
हम सभ्यता और संस्कृति के बारे में यह सोचते हैं, कि संस्कृति मन के भावों का परिष्कृत रूप है। (पाठ 17 संस्कृति अभ्यास प्रश्नोत्तर ) परोपकार, सहिष्णुता तथा धैर्य का समावेश होता है। सभ्यता के द्वारा हमारे रहन-सहन, खान-पान एवं वेशभूषा का परिचय मिलता है। संस्कृति आंतरिक वस्तु है, जबकि सभ्यता बाहरी।
9. ‘मानव संस्कृति अविभाज्य है’ स्पष्ट करें।
उत्तर-संसार के सभी मानव एक समान हैं। उनकी संस्कृति को मानव-संस्कृति कहा जाता है। यह मानव-संस्कृति अविभाज्य है। इसे बाँटा नहीं जा सकता। धर्म के नाम पर संस्कृति का बँटवारा करना अनुचित है। हिंदू संस्कृति या मुस्लिम संस्कृति जैसे विभाजन कृत्रिम हैं। फिर एक संस्कृति में कई अन्य आधारों पर विभाजन देखने को मिलते हैं।
‘प्राचीन संस्कृति’ और ‘नवीन संस्कृति’ का बँटवारा भी मौजूद है। वर्णव्यवस्था के नाम पर समाज के एक बड़े कर्मठ हिस्से को पददलित रखना उचित नहीं है। ऐसे लोग संस्कृति का वास्तविक स्वरूप समझते ही नहीं हैं। उनके द्वारा प्रतिपादित संस्कृति के नाम से जिस कूड़े-करकट के ढेर का बोध होता है, वह संस्कृति है ही नहीं। संस्कृति एक ही मानव संस्कृति और यह अविभाज्य है।
10. संस्कृति पाठ का प्रतिपाद्य क्या है ?
उत्तर-संस्कृति निबंध हमें सभ्यता और संस्कृति से जुड़े अनेक जटिल प्रश्नों से टकराने की प्रेरणा देता है। इस निबंध में भदंत आनंद कौसल्यायन जी ने अनेक उदाहरण देकर यह व्याख्यायित करने का प्रयास किया है कि सभ्यता और संस्कृति किसे कहते हैं, दोनों एक ही वस्तु है अथवा अलग-अलग।
वे सभ्यता को संस्कृति का परिणाम मानते हुए कहते हैं कि मानव संस्कृति अविभाज्य वस्तु है। उन्हें संस्कृति का बँटवारा करने वाले लोगों पर आश्चर्य होता है , और दुख भी। उनकी दृष्टि में जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी नहीं है, वह न सभ्यता है, और न संस्कृति।
उत्तर-लेखक ने हिंदू-संस्कृति को कूड़े करकट का ढेर कहा है। वह हिंदुओं की वर्ण-व्यवस्था का विरोधी है जिसमें परिश्रमी लोगों को पददलित किया जाता था।
12. लेखक ने ‘हिंदू-संस्कृति’ और ‘मुसलिम-संस्कृति को बला क्यों कहा है ?
उत्तर-लेखक के अनुसार, मानव-संस्कृति अखंड है। हिंदू-संस्कृति’ और ‘मुसलिम-संस्कृति की अलग-से कोई पहचान नहीं होती। इन्हें अलग कहना एक बला है, मुसीबत है। इससे हिंदुओं और मुसलमानों में अलगाव पैदा होता है।
दोनों अपने-अपने अवदानों पर गर्व करते हैं, दंभ भरते हैं, एक-दूसरे को नीचा दिखाते हैं और द्वेष को जन्म देते हैं। इनसे सांप्रदायिक झगड़े पैदा होते हैं।
13. विनाश की संस्कृति के बारे में लेखक की क्या राय है ?
उत्तर-लेखक विनाश की संस्कृति को संस्कृति नहीं, असंस्कृति कहता है। उसके अनुसार, जिस खोज की प्रेरणा में कल्याण की भावना नहीं होती, वह असंस्कृति है।jac board
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