संसाधन के रूप में लोग पाठ 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th Economics,के इस पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से पाठ से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय सवालों के उत्तर इस पोस्ट पर का कवर किया गया है, जो परीक्षा के उद्देश्य से काफी महत्वपूर्ण है, तथा सभी प्रश्न कभी ना कभी पिछले परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, इसलिए यदि आप इस पेज पर हैं, तो जरूर पूरा पढ़ें-
संसाधन के रूप में लोग पाठ 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th
संसाधन के रूप में लोग पाठ 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसाधन के रूप में लोग पाठ 2 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसाधन के रूप में लोग पाठ 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1 शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या क्यों है ?
उत्तर-शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या बनी हुई है। बहुत-से मैट्रिक पास, स्नातक और उनसे भी अधिक पढ़े-लिखे एम० ए० पास लोग बेकार घूमते नजर आते हैं। ऐसे युवक कोई भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं। ऐसी परिस्थिति के लिये कोई-न-कोई कारण तो उत्तरदायी होगा। इनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं-
(क) शिक्षा पद्धति में दोष- हमारी शिक्षा पद्धति भी निःसन्देह दोषपूर्ण है, नहीं तो इतने वर्ष स्कूल व कालेजों में पढ़कर हमारे युवक बेकार क्यों घूमें। हमें शिक्षा पद्धति में सुधार करके इसे व्यवसायी ओर दस्तकारी युक्त बनाना चाहिए ताकि हर एक विद्यार्थी पढ़ने के उपरान्त स्वयं छोटा-मोटा कार्य कर सके।
(ख) हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की प्रगति सन्तोषजनक नहीं- इसमें सन्देह नहीं कि हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में कुछ प्रगति हुई हैं परन्तु यह प्रगति इतनी उत्साहजनक नहीं इसलिए इन दोनों क्षेत्रों ने रोजगार के इतने साधन पैदा नहीं किए।
(ग) अव्यवस्थित तकनीकी विकास- अब जो उद्योगों के क्षेत्रों में नई तकनीक का विकास हो रहा है उसके कारण कारीगरों को बहुत थोड़े रोजगार के अवसर मिले हैं। इतना अवश्य हुआ कि नई-नई मशीनों के आने से बहुत से मजदूरों की छंटनी अवश्य हो गई। परिणामस्वरूप बेरोजगारी की समस्या और विकट होती गई।
(घ) विदेशों में नौकरी पाने की कोई विशेष सुविधा न होना- हमारे बहुत से पढ़े-लिखे युवक नौकरी पाने के लिये विदेशों में जाने के लिये भी तैयार हैं परन्तु उन्हें विदेश जाने की इतनी सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं। बहुत से इंग्लैंड, फ्राँस, जर्मनी, यू०एस०ए० आदि विकसित देशों ने विसा देने में कई रुकावटें डाल रखी हैं। जिनके कारण भी शिक्षित बेकारी की समस्या और गहराती जा रही है।
2 भारत किस क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित कर सकता है ? वर्णन करें।
उत्तर-आर्थिक क्रियाकलापों को तीन प्रमुख क्षेत्रकों में बाँटा जा सकता है-जो क्रमशः प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक हैं।
प्रथम क्षेत्रक में, जिनमें कृषि, वानिकी पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन और खनिज आदि क्रियाएँ शामिल हैं, पहले ही भारत की दो-तिहाई जनसंख्या को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है।
द्वितीयक क्षेत्रक, जिसमें उत्खनन और विनिर्माण की क्रियाएँ शामिल है देश की कोई 10% कार्यरत जनसंख्या को रोजगार अवसर प्राप्त करा रहा है तृतीयक क्षेत्रक, जिसमें परिवहन, संचार, व्यापार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा, पर्यटन की क्रियाएँ शामिल है देश की कोई 20% कार्यरत जनसंख्या को अपने में समाए हुए है।
कृषि के क्षेत्र में पहले ही भारत की एक बड़ी जनसंख्या का भाग है इसलिए इसमें और लोगों के समाने की सम्भावना नहीं। वहाँ पर गुप्त बेरोजगारी के समाचार अकसर पढ़ने को मिलते है। ऐसे में अब द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में रोजगार के अधिक अवसर सृजित किये जा सकते हैं। द्वितीयक क्षेत्रक में आम भारत की जनसंख्या का केवल अभी 10% भाग ही काम कर रहा है।
अधिक से अधिक कारखाने खोलकर अनेक लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। ऐसे में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ भारत के व्यापार में भी काफी वृद्धि हो सकती है। तृतीयक क्षेत्रक में भी कुछ लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।
वहाँ व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि सुविधाओं का और विस्तार करके अनेक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।
3 शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए क्या उपाय सुझाएँ जा सकते हैं ?
उत्तर-भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली के
संदर्भ में निम्न उपाय सुझाए जा सकते हैं-
(क) भारतीय शिक्षा प्रणाली को रोजगार-उन्मुख बनाया जाना चाहिए।
(ख) व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। प्रारंभ से ही छात्रों की व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए ताकि वे स्व-रोजगार कर सकें।
(ग) एक ऐसी शिक्षा योजना तैयार की जानी चाहिए जिससे शिक्षित युवकों को बेरोजगारी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ें।
(घ) छात्रों को स्व-रोजगार के विषय में जागरूक बनाया जाना चाहिए।
(ङ) शिक्षित व्यक्तियों में शिक्षकों, डॉक्टरों आदि के रूप में गाँवों में सेवा करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(च) रोजगार सूचना और मार्गदर्शन प्रदान करनेवाले संस्थानों का विस्तार किया जाना चाहिए।
(छ) मँहगी व्यावसायिक शिक्षा एवं अपनी व्यावसायिक इकाई स्थापित करने के लिए छात्रों को वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।
4 क्या आप कुछ ऐसे गाँव की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, परन्तु बाद में बहुतायत में हो गया।
उत्तर-हमारे बहुत से गाँवों में लोग अपने कपड़े स्वयं धोते हैं, कपड़े स्वयं सीते हैं और घर की लेपा पोती भी स्वयं कर लेते हैं।
यदि उन्हें अपने बच्चों को थोड़ा-बहुत पढ़ाना होता है तो वे यह काम स्वयं या गाँव वाले किसी आम पढ़े-लिखे सदस्य की सहायता से पूरा कर लेते हैं। कुछ लोग पढ़ाई के लिए अपने बच्चों को आस-पास कस्बे में भेज देते हैं।
यदि कोई सिलाई का बड़ा काम करवाना हो तो वे आस के बड़े गाँवों या नगरों में जाकर पूरा करवा लेते हैं। यदि अपने परिवार की आवश्यकताओं से अधिक अनाज पैदा हो जाए तो वे अपना फालतू अनाज आस-पास की मण्डियों में बेच आते हैं।
ऐसे में इन गाँवों में रोजगार के अवसर प्रायः न के बराबर होते हैं। परन्तु यदि वे थोड़ा-सा प्रयत्न करें तो उसी गाँव में जहाँ पहले रोजगार के कोई अवसर नहीं थे, वहाँ रोजगार के अनेक अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
(क) यदि वे अपने गाँव में कोई भी स्कूल खोल ले तो गाँव के अनेक पढ़े-लिखे लोगों को अपने ही गाँव में अध्यापक के पद पर काम करने वालों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो गए।
(ख) इसी प्रकार गाँव की कोई लड़की या लड़का दर्जी के कार्य का शहर से प्रशिक्षण लेकर अपने गाँव में ही दर्जी की दुकान खोल लेता है तो उस गाँव में दर्जी का काम करने वालों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे।
(ग) इसी प्रकार यदि कोई किसान अपने ही गाँव में गन्ने से रस निचोड़ने की मशीन लगाकर वहाँ गुड़ आदि बनाना शुरू कर देता है तो ऐसे में गाँव के अनेक बेकार लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे।
(घ) इसी प्रकार यदि गाँव का कोई साहसी युवक एक टैक्सी या तीन-पहिया स्कूटर खरीदकर गाँव के लोगों और उनके माल को आस-पास के गाँव तक लाना ले जाना शुरू कर देता है तो उस गाँव में एक-दो ड्राइवरों को नए रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो जाएँगे।
5 भारत में साक्षरता-दर बढ़ाने हेतु सरकार ने कौन-कौन से उपाय किए हैं ?
उत्तर-सरकार द्वारा साक्षरता दर बढ़ाने हेतु किए गए प्रयास निम्नांकित हैं-
(क) शिक्षा पर योजना परिव्यय पहली पंचवर्षीय योजना के ₹ 151 करोड़ से बढ़कर दसवीं पंचवर्षीय योजना में ₹ 43,825 करोड़ हो गया है।
(ख) प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों की स्थापना की गई है।
(ग) प्राथमिक स्कूल प्रणाली भारत के 5,00,000 से भी अधिक गाँवों में फैली है।
(घ) सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सर्वशिक्षा अभियान एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
(ङ) कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने, बच्चों के ध्यान और उनकी पोषण स्थिति में सुधार के लिए दोपहर के भोजन की योजना कार्यान्वित की जा रही है।
(च) दसवीं योजना की रणनीति पहुँच में वृद्धि, गुणवत्ता, राज्यों के लिए विशेष पाठ्यक्रम में परिवर्तन को स्वीकार करना, व्यवसायीकरण तथा सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का जाल बिछाने पर केन्द्रित है। यह योजना दूरस्थ शिक्षा, औपचारिक, अनौपचारिक, दूरस्थ तथा संचार प्रौद्योगिकी की शिक्षा देनेवाले शिक्षण संस्थानों के अभिसरण पर भी केन्द्रित है।jac ranchi