संसाधन और विकास पाठ-1 के लघु उत्तरीय प्रश्न | NCERT Solution For Class 10th भूगोल के अध्याय में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है आज हम बात करेंगे इस पाठ से जुड़ी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न जो पिछले कई परीक्षा में पूछे जा चुके हैं इन्हें पढ़कर आपको भी आने वाले परीक्षाओं में काफी हद तक मदद मिलेगी तो चलिए शुरू करते हैं ।
संसाधन एवं विकास Class 10 के लघु उत्तरीय सवालों के उत्तर
संसाधन और विकास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
संसाधन और विकास लघु उत्तरीय प्रश्न
संसाधन और विकास अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1 पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर-पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नांकित कदम उठाने चाहिए-
(क) वन रोपण या काफी मात्रा में पेड़ों के लगाने से अपरदन की प्रक्रिया को रोकी जा सकती है। पेड़ों का बंजर भूमि तथा पहाड़ी ढालों पर लगाना अधिक लाभदायक सिद्ध होता है। इस ढंग से वायु अपरदन को भी रोका जा सकता है।
(ख) पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर अवनालिका अपरदन को रोका जा सकता है। इससे जल प्रवाह का समुचित प्रयोग किया जा सकता है।
(ग) पर्वतीय ढालों पर बाँध बनाकर जल प्रवाह को समुचित ढंग से खेती के काम में लाया जा सकता है। मिट्टी रोध बाँध अवनालिकाओं (या पानी से बनने वाली गहरी खाइयों) के फैलाव को रोक सकते हैं।
(घ) भूमि संरक्षण के लिए आवश्यक है कि वहाँ हो रहे मिट्टी के अपरदन प्रसार को पहचान कर उसकी रोक के लिए उपयुक्त ढंग अपनाए जाएँ।
(ङ) मृदा के अपरदन को रोकने का एक अन्य साधन भी है पशुओं द्वारा चराई, विशेषकर पहाड़ी भागों में, सीमा से अधिक न हो।
2 भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है ?
उत्तर-भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है क्योंकि मानव की अधिकांश आवश्यकताओं
की पूर्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भूमि से ही पूरी होती है। अतः मानव की समृद्धि भूमि के उचित उपयोग द्वारा ही संभव है। भारत में भूमि-उपयोग का वर्तमान प्रारूप भू-आकृतिक बनावट, जलवायु, मिट्टी तथा मानवीय क्रियाकलापों का परिणाम है। भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि०मी० है जिसका 93% भाग का ही भूमि उपयोग आँकड़े उपलब्ध है। विवरण निम्नांकित है-
(क) भारत के कुल क्षेत्रफल के 51% भाग पर कृषि की जाती है यदि इसमें परती भूमि को भी शामिल कर लिया जाए तो यह बढ़कर लगभग 54% हो जाएगा।
(ख) वनों के अन्तर्गत भूमि का हिस्सा लगभग 22% है जो कि पारिस्थितिकी संतुलन के लिए आवश्यक 33% से काफी कम है।
(ग) हमारे देश में 4% चारागाह भूमि है। यद्यपि भारत में पशुओं की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। अतः पशु संख्या के अनुपात में चारागाह भूमि भी कम है।
(घ) लगभग 6.2% भूमि बंजर भूमि है जो कृषि के लिए अयोग्य है।
(ड) इसके अतिरिक्त शेष भूमि गैर कृषि कार्य जैसे बस्तियाँ, नगर, नदी, तालाब, सड़कें, रेलमार्ग, मंदिर, मस्जिद इत्यादि के अंतर्गत उपयोग में आती है। वर्ष 1960-61 से वनों के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि न होने के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण अतिरिक्त जनसंख्या के भरण पोषण के लिए भूमि का उपयोग किया जा रहा है।
(ख) वनों की अंधाधुंध कटाई हुई है तथा अपेक्षाकृत नए पेड़ कम लगाए गए हैं।
(ग) उद्योगों का विस्तार, खनन, बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के कारण वनों का हास हुआ है।
(घ) नगरों, बस्तियों, सड़कों एवं रेलमार्गों के विस्तार के कारण भी वन क्षेत्र के विस्तार में कभी आई है।
संसाधन और विकास पूर्ण अध्याय कक्षा 10 भूगोल Ncert Solution
3 प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ?
उत्तर-(क) संसाधनों का अधिक उपयोग प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास से संबंधित है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर संभव हुआ तथा आर्थिक विकास के लिए अधिक से अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी।
(ख) संसाधनों की उपलब्धता अपने आप में विकास का कारण नहीं बन सकती, जब तक कि उसे उपयोग में लाने लायक प्रौद्योगिकी अथवा कौशल का विकास नहीं किया जाय। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास होता गया संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर किया जाने लगा।
(ग) जितना अधिक संसाधनों का दोहन हुआ आर्थिक विकास भी उतना आगे बढ़ा।
(घ) औपनिवेशिक काल में संसाधनों का दोहन बड़े पैमाने पर हुआ क्योंकि साम्राज्यवादी देशों ने अपने उच्च प्रौद्योगिकी के माध्यम से संसाधनों का दोहन किया। इससे साम्राज्यवादी देशों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। भले ही इसका लाभ उपनिवेशों को प्राप्त नहीं हुआ।
4 भूमि क्षरण या भूमि निम्नीकरण किसे कहते हैं ? भूमि क्षरण के चार कारणों की व्याख्या करें।
अथवा, भू-क्षरण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-प्राकृतिक तथा मानव निर्मित कारणों से मृदा की उर्वरा शक्ति या उपजाऊपन में लगातार होने वाली कमी को भूमि क्षरण या भूमि निम्नीकरण के नाम से जाना जाता है।
भूमि क्षरण के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भूमि अपरदन- भूमि अपरदन, भूमि क्षरण का प्रमुख कारक है। पवन, जल तथा हिमनद आदि भूमि की ऊपरी परत को नष्ट कर देते हैं जिसे भूमि अपरदन के नाम से जाना जाता है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन कम हो जाता है।
(ख) भूमि प्रदूषण- उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल तथा कूड़ा-करकट के एक ही स्थान पर लम्बे समय तक पड़े रहने के कारण भूमि के आवश्यक तत्व समाप्त हो जाते हैं तथा भूमि उपयोग के लायक नहीं रह जाती है। इसे भूमि प्रदूषण के नाम से जाना जाता है।
(ग) दोषपूर्ण कृषि पद्धति-एक ही भूमि पर अनेक फसलों के उत्पादन से भी मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
(घ) पशुचारण तथा वनों की कटाई- पशुओं द्वारा अति चराई तथा वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण भूमि का क्षरण होता है अर्थात् उसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।
(ङ) उद्योग धंधे- सीमेंट उद्योग के लिए चूना पत्थर की पिसाई, क्रेशर द्वारा चट्टानों की तुड़ाई तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले उद्योगों से भारी मात्रा में धूल उड़कर खेतों में जमा हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा के उपजाऊपन में कमी हो जाती है।
संसाधन और विकास भूगोल के नोट्स| Class 10th पाठ 1
5 मृदा अपरदन या भू-क्षरण को रोकने के कुछ उपाय बताएँ।
उत्तर-मृदा अपरदन या भू-क्षरण को रोकने के उपाय-
(क) पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेती करने से भूमि क्षरण की मात्रा को कम किया जा सकता है।
(ख) मरुस्थलीय भाग के चारों ओर वृक्ष लगाकर भूमि क्षरण को रोका जा सकता है।
(ग) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे-छोटे पौधे तथा घास आदि लगाकर भूमि क्षरण को नियंत्रित किया जा सकता है।
(घ) एक ही भूमि पर बदल-बदल कर विभिन्न फसलों की खेती से भूमि क्षरण पर नियंत्रित पाया जा सकता है।
(ङ) औद्योगिक इकाइयों में स्क्रवर यंत्र का प्रयोग करने से धूल खेतों में जमा नहीं होती तथा भू-क्षरण कम हो जाता है।
(च) उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को बाहर निकालने के लिए पृथककारी छन्ना का प्रयोग कर भू-क्षरण को नियंत्रित किया जा सकता है।
6 मिट्टी के संरक्षण से आप क्या समझते हैं? मिट्टी का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर-मृदा का अपरदन रोककर उसके मूल गुणों को बनाए रखने को मृदा का संरक्षण कहते हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। इसे कृषि-प्रधान बनाने में मृदा का विशेष योगदान है। भारतीय मृदा बहुत ही उपजाऊ, गहरी एवं विविधता लिए है, जिससे भारत में न केवल विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, बल्कि कई फसलों के उत्पादन एवं निर्यात में यह संसार का अग्रणीय निर्यातक देश बन सकता है। यह सब कुछ तब संभव है, जबकि हम अपनी मृदा का संरक्षण बराबर करते रहे।
NCERT Solutions for Class 10th Geography chapter- chapter 1
7 प्राकृतिक सम्पदा अथवा संसाधनों का क्या महत्व है ?
उत्तर-प्राकृतिक सम्पदा अथवा संसाधनों का महत्व-
(क) वे हमारी कृषि सम्बन्धी गतिविधियों के साधन हैं।
(ख) वे हमारे उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं।
(ग) हमारी सभी व्यापारिक गतिविधियाँ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में उन पर निर्भर करती हैं।
(घ) वे प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाए रखते हैं और जैवमण्डल के विभिन्न जीवों के साथ संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
8 संसाधनों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार क्या है?
उत्तर-संसाधनों का वर्गीकरण निम्नांकित आधारों पर किया जा सकता है-
(क) उत्पत्ति के आधार पर – जैव और अजैव
(ख) समाप्यता के आधार पर – नवीकरणीय और अनवीकरणीय
(ग) स्वामित्व के आधार पर – व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय, वैश्विक
(घ) विकास के स्तर के आधार पर।
9 संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता की विवेचना करें।
उत्तर-जनसंख्या की वृद्धि और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का निरंतर उपयोग हुआ है। यदि उपभोग की यही गति रही तो एक दिन आर्थिक विकास रुक जाएगा और मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अतः संसाधनों का संरक्षण अनिवार्य हो गया है।
संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है-
(क) मानव-आवास के कारण बसे प्रदेशों में भूमि दुर्लभ हो गई है। कृषि के लिए उपयोगी भूमि पर मकान बन रहे हैं। अतः यह आवश्यक हो गया है कि उपलबध भूमि का योजनाबद्ध उपयोग किया जाए।
(ख) भूमिगत जल के निरंतर उपयोग से जल-स्तर नीचा हो गया है जिससे कृषि पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए भूमिगत जल का संरक्षण आवश्यक हो गया है।
(ग) वनों का निरंतर कटाई से वातावरण प्रदूषित होता जा रहा हैं यदि वनों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो प्रदूषण इतना अधिक बढ़ जाएगा कि मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
(घ) खनिज संसाधनों तथा शक्ति संसाधनों के बिना कारखाने लगाना और चलाना असंभव हो जाएगा। इसलिए खनिज संसाधनों का उपयोग बड़ी सूझ-बूझ से करना होगा।
10 स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर-स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्नांकित भागों में बाँटा जाता है-
(क) व्यक्तिगत संसाधन- व्यक्तिगत स्वामित्व के अधीन भूमि, मकान, बाग-बगीचे आदि।
(ख) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- गाँव की शामिलात भूमि (चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब आदि), शहर की सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान आदि।
(ग) राष्ट्रीय संसाधन- राष्ट्रीय सीमाओं के अन्दर आने वाली सड़कें, नहरें, रेलवे लाइनें, सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन, सरकारी भूमि एवं सरकारी भवन आदि।
(घ) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अधिकृत 200 कि०मी० की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधन।
NCERT Solutions for Class 10 भूगोल (समकालीन भारत) Chapter 1 संसाधन एवं विकास (Hindi Medium)
11 विकास के स्तर के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर -विकास के सार के आधार पर संसाधन के प्रकार निम्नांकित हैं-
(क) संभाची संसाधन
(ख) विकसित संसाधन ।
सभाची संसाधन वे संसाधन हैं जो किसी भी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परन्तु उनका उपभोग नहीं किया जाता, जैसे- राजस्थान में सौर ऊर्जा और गुजरात में पवन शक्ति के अपार भंडार हैं परन्तु अभी तक ठीक ढंग से उनका विकास नहीं हुआ है। वे संसाधन जिनका मूल्यांकन किया जा चुका है और उनका प्रयोग भी हो रहा है उन्हें विकसित संसाधन कहते हैं।
12 संसाधनों के संरक्षण का क्या अभिप्राय है? संसाधनों के संरक्षण के दो उद्देश्य बताएँ।
उत्तर-प्राकृतिक संसाधनों के न्यायसंगत और योजनाबद्ध उपयोग को ही संसाधनों का
संसाधनों के संरक्षण के दो उद्देश्य-
(क) इसका पहला उद्देश्य यह है कि वर्तमान पीढ़ी को इन संसाधनों का पूरा लाभ प्राप्त कराया जाए।
(ख) इसका दूसरा मुख्य उद्देश्य यह है कि हम अपनी पीढ़ी के हितों को ध्यान में रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का भी पूरा-पूरा ध्यान रखें।
एनसीईआरटी कक्षा 10 भूगोल अध्याय 1 संसाधन और विकास
13 संसाधन नियोजन क्या है? भारत में संसाधन नियोजन के सोपानों का विवरण दें।
अथवा संसाधन नियोजन का क्या अर्थ है ? संसाधन नियोजन के किन्हीं दो स्तरों का उल्लेख करें।
उत्तर-संसाधनों के योजनाबद्ध तथा न्याय संगत उपयोग को संसाधन नियोजन के नाम से जाना जाता है। संसाधनों का नियोजन निम्नांकित दो कारणों से आवश्यक है-
(क) संसाधनों की मात्रा सीमित है,
(ख) संसाधनों का वितरण असमान है।
संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नांकित सोपान है-
(क) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।
(ख) संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रोद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
(ग) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।
14 कब और क्यों रियो डी जेनेरो का पृथ्वी सम्मेलन हुआ ?
उत्तर-रियो डी जेनेरो का पृथ्वी सम्मेलन 1992 ई० में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में हुआ ताकि विश्व भर के देशों के सतत पोषणीय विकास के लिए, 21 वीं शताब्दी को ध्यान में रखते हुए, सोच-विचार किया जा सके। इसमें यह तय हुआ कि समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं तथा सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा कैसे पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटा जाए।
पाठ 1- संसाधन और विकास भूगोल (sansaadhan aur vikas) Bhugol Class 10th
15 लाल मिट्टियों और लैटेराइट मिट्टियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- लाल मिट्टियों और लैटेराइट मिट्टियों में अंतर-
लाल मिट्टियाँ
(a) आग्नेय और कायान्तरित शैलों से बनी मिट्टियाँ लाल मिट्टियाँ कहलाती है।
(b) इन मिट्टियों में लोहा, एल्यूमिनियम और चूना पर्याप्त मात्रा में होता है।
(c) इन मिट्टियों में फॉस्फोरस और वनस्पति का अंश कम होता है।
(d) लाल मिट्टी लैटेराइट मिट्टी से अधिक उपजाऊ है।
लैटेराइट मिट्टियाँ
(a) उष्ण कटिबंधीय भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में निक्षालन प्रक्रिया से बनी मृदा को लैटेराइट मिट्टी कहते है।
(b) इन मिट्टियों में चूना और मैग्नेशियम कम होता है।
(c) इन मिट्टियों में फास्फोरिक अम्ल की मात्रा अधिक होती है।
(d) यह मिट्टी बहुत कम उपजाऊ होती है।
16 प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन में अंतर-
प्राकृतिक संसाधन
(a) प्रकृति-प्रदत्त संसाधन प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।
(b) भूमि, जल, खनिज पदार्थ और वन प्राकृतिक संसाधन हैं।
मानव निर्मित संसाधन
(a) मानव द्वारा विकसित संसाधन मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं।
(b) इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, मशीनें, भवन, सड़कें, रेलमार्ग, चित्रकलाएँ तथा सामाजिक संस्थाएँ, मानव निर्मित संसाधन है।
17 जैविक तथा अजैविक संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-जैविक तथा अजैविक संसाधन में अंतर-
जैविक संसाधन
(a) पर्यावरण के सभी सजीव तत्त्वों तथा उनसे प्राप्त संसाधनों को जैविक संसाधन कहते हैं।
(b) यह संपूर्ति संसाधन होते हैं।
(c) वनस्पति, कोयला, जैविक खाद, खनिज तेल, जीव-जंतु इसके
प्रमुख उदाहरण हैं।
अजैविक संसाधन
(a) पर्यावरण के सभी निर्जीव तत्त्वों को अजैविक संसाधन कहा जाता है।
(b) यह संपूर्ति तथा अनापूर्ति दोनों प्रकार के होते हैं।
(C) भूमि, मृदा, प्रकाश, वायु, जल, लोहा, सोना आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
18 नवीकरणीय संसाधन और अनवीकरणीय संसाधन में अक्सर स्पष्ट करें।
उत्तर-नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन में अंतर-
नवीकरणीय संसाधन
(a) इनका उपयोग बार-बार किया जा सकता है।
(b) नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण-जल, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और पवन ऊर्जा है।
अनवीकरणीय संसाधन
(a) इनका एक बार उपयोग करने के उपरांत दुबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है।
(b) अनीवकरणीय संसाधनों में खनिज आते हैं।