संख्या पर आधारित सभी तरह का प्रश्न Number Series Question Trick in Hindi :- इस पोस्ट के माध्यम से संख्याओं पर आधारित प्रश्न (Problems on Number Series ) के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है आप सभी जानकारी को ध्यान से पढ़े और गणित के सभी सवालो को Number System Trick के माध्यम से हल कर सकते है |
हमे उम्मीद है, की आप संख्या पद्धति (Number System in HIndi) के सभी सवालो को बहुत ही आसानी से हल कर पाएंगे | संख्या पद्धति के सूत्र इस पोस्ट (Number System Ganit Formula ) में दिए गए है जो सवालो को हल करने में आपकी मदद करते है |
संख्या पर आधारित प्रश्न ( Question Based on Number)
संख्या से सबंधित प्रश्न में आप जानकारी हासिल करेंगे
- प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers)
- परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers)
- अपरिमेय संख्याएँ (Inrational Numbers)
- सम संख्याएँ (Even Numbers)
- विषम संख्याएँ (Odd Numbers)
- भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers)
- अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers)
- पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers)
- पूर्णांक संख्याएँ (Integer Numbers)
- चर संख्याएँ(Variable numbers )
- अचर संख्याएँ (Constant numbers )
- भिन्न (Fraction)
प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers)- जिन संख्याओं से किसी वस्तुओं की गणना की जाती है ,उन्हें प्राकृत संख्याएँ कहते है |
जैसे – 1, 2, 3, 4, 5……………∞
(शून्य को प्राकृतिक संख्या नहीं माना जाता है |)
परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) – जिन संख्याओं को p /q के रूप में दर्शया जाता है और जहाँ p और q कोई पूर्णांक संख्या हो ( जबकि q ≠ 0 ) तो वह संख्या परिमेय संख्याएँ कहलाती है ,
जैसे – 5/4, 6/1, 7/2, 4, 5, -1 आदि |
अपरिमेय संख्याएँ (Inrational Numbers)- जिन संख्याओं को p /q के रूप में नहीं दर्शया जाता है , और जहाँ p और q कोई पूर्णांक संख्या हो ( जबकि q ≠ 0) हो तो वह संख्या अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है ,
जैसे -√2 ,√3 , √5 ,π आदि |
सम संख्याएँ (Even Numbers)- वे प्राकृत संख्याएँ , जो 2 से विभाजित होती है ,सम संख्याएँ कहलाती है ,
जैसे – 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14………….. इत्यादि|
विषम संख्याएँ (Odd Numbers) – वे प्राकृत संख्या में जो 2 से विभाजित नहीं होती है, जिसमें केवल उसी संख्या या किसी अन्य विषम संख्या से भी पूरी पूरी भाग लगे विषम संख्या कहलाती है,
जैसे- 1, 3, 5, 7, 9, 11…….. इत्यादि|
भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers)- 1 से बड़ी वे सभी संख्याएं जिसमें अपने और 1 के अतिरिक्त कम से कम एक और संख्या से भाग लग सके भाज्य संख्या कहलाती है,
जैसे 4, 6, 9, 15, 18 इत्यादि|
अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers)- 1 से बड़ी हुए सभी संख्याएं जिनमें स्वयं उसी संख्या और 1 के अलावा और किसी संख्या से भाग नहीं लगता है, अभाज्य संख्याएं कहलाती है,
जैसे- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17 इत्यादि|
पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers)- प्राकृत संख्याओं के समुच्चय में “0 ” को सम्मिलित करने से संख्याओं का जो समुच्चय बनता है, उसे पूर्ण संख्याओं का समुच्चय कहते हैं,
जैसे 0, 1,2,3,4,5,6 इत्यादि|
पूर्णांक संख्याएँ (Integer Numbers)- जब पूर्ण संख्याओं को धनात्मक और ऋणात्मक चिन्हों के साथ दर्शाया जाता है, तो इससे बनी समुच्चय को पूर्णांक संख्याओं का समुच्चय कहा जाता है,
जैसे – 5, – 4, – 3, – 2, – 1, 0, 1, 2, 3, 4 इत्यादि|
चर संख्याएँ(Variable numbers )– वैसी संख्याएँ , जिनका मान स्थिर नहीं रहता है ,बदलते रहता है इसे सांकेतिक संख्या भी कहते है,
जैसे -x ,y ,a ,b आदि |
अचर संख्याएँ (Constant numbers )- वैसी संख्याएँ , जिनका मान को बदला नहीं जा सकता है जैसे -1,2,3,4,5,6 आदि |
भिन्न (Fraction) – यदि किसी संख्या को p /q के रूप में लिखा जाता है, जहां पर p औरq पूर्णांक है तथा q ≠ 0 लिखा जाए तो ऐसी संख्या को भिन्न कहते हैं, इसे साधारण भिन्न भी कहा जाता है|
ऊपर की संख्या में p को अंश (numerator ) तथा q को हर (denominator ) कहते हैं |
जैसे -4/5, 7/8, 12/13………आदि |
संख्या पर आधारित प्रश्न में भिन्न के विभिन रूप ( Kinds of Fraction)
- संछिप्त भिन्न ( Simple form of fraction)
- उचित भिन्न ( Proper fraction)
- अनुचित भिन्न (Improper fraction)
- मिश्र भिन्न (Mixed fraction)
- मिश्रित भिन्न ( Complex fraction)
- व्युत्क्रम भिन्न (Reciprocal fraction)
- दशमलव भिन्न ( Dismal fraction)
अंश:- अंश भिन्न का वह भाग होता है जो ऊपर लिखा जाता है। जैसे : 2 /9 में 2 अंश है क्योंकि यह ऊपर लिखा जा रहा है।
हर :- हर भिन्न का वह भाग होता है जो अंश के निचे लिखा जाता है। जैसे : 2 /9 में 9 हर है क्योंकि यह अंश के नीचे लिखा जा रहा है।
संछिप्त भिन्न ( Simple form of fraction) – यदि दिए गए भिन्न का अंश और हर 1 के अलावा किसी अन्य संख्या से विभाजित न हो तो वैसे भिन्न को संक्षिप्त भिन्न कहते हैं ,
जैसे 5/7 , 3/8…………. आदि |
उचित भिन्न ( Proper fraction)– यदि भिन्न का अंश उसके हर से कम हो तो ऐसे भिन्न को उचित भिन्न कहते हैं,
जैसे – 5/7 , 3/8…………. आदि |
अनुचित भिन्न (Improper fraction)- यदि भिन्न का अंश उसके हर के बराबर या बड़ी हो तो इस प्रकार के भिन्न को अनुचित भी कहा जाता है,
जैसे- 8/5 ,8/8 …………..आदि|
मिश्र भिन्न (Mixed fraction)- वह भिन्न जो एक पूर्णांक तथा भिन्न से मिलकर बनी होती है, उसे मिश्र भिन्न कहते है
जैसे- 6¾
मिश्रित भिन्न ( Complex fraction) –जिस भिन्न के अंश तथा हर दोनों अलग (भिन्न ) हो उसे मिश्रित भिन्न कहते हैं,
व्युत्क्रम भिन्न (Reciprocal fraction)- किसी भिन्न के अंश तथा हर को आपस में बदल देने पर जो नई भिन्न प्राप्त होता है मूल भिन्न का व्युत्क्रम भिन्न कहते हैं जैसे- 3/4 का व्युत्क्रम 4/3 हैं |
दशमलव भिन्न ( Dismal fraction)- जिस भिन्न का हर 10 या 10 का घात हो तथा उसे दशमलव पद्धति में लिखा जाए तो वह भिन्न दशमलव भिन्न कहलाती है , जैसे -4/10 = .4 तथा 7/1000 = .007
वर्ग संख्या (Square Number)- किसी संख्या को उसी संख्या से गुणा करने पर प्राप्त संख्या को उस संख्या का वर्ग कहते हैं ,उदाहरण-
2 ×2 =22 =4
5 ×5 =52 =25
वर्गमूल (Square root )- किसी संख्या का वर्गमूल वह संख्या है जिसका वर्ग करने से मूल संख्या प्राप्त हो जाती है इसका चिन्ह √— या √ है,
उदहारण 16 का वर्गमूल =√16 =4 या 4 2 = 16 मूल संख्या है |
घन संख्या (cube number)- किसी संख्या को 3 बार परस्पर गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल को उस संख्या का घन संख्या कहते हैं जैसे- 2 ×2 ×2 =22 =8
घनमूल (Cube root) किसी वास्तविक संख्या का घनमूल वह संख्या है, जिसका घन करने से मूल संख्या प्राप्त हो जाती है, घनमूल का चिन्ह ∛ है जैसे -∛8 =2 या 22 =8 मूल संख्या
महत्तम समापवर्तक(H.C.F.)-वह छोटी-से-छोटी संख्या जो प्रत्येक दी गई संख्या से पूर्णतया विभाजित हो जाए, दी गई संख्याओं का लघुतम समापवर्त्य कहलाती है|
लघुत्तम समापवर्त्य (L.C.M.)- दो या दो से अधिक संख्याओं का महत्तम समापवर्तक वह बड़ी-से-बड़ी संख्या है जो उनमें से प्रत्येक को पूरा-पूरा विभाजित करती है |
अनुपात (Ratio)- एक ही प्रकार एवं प्रकृति की दो या दो से अधिक राशियों के बीच के संबंध को अनुपात कहते हैं इसके लिए चिन्ह का प्रयोग करते हैं|
समानुपात(Proportion)- यदि 2 अनुपात समान हो तो उन्हें समानुपात कहते है तथा इसके लिए चिन्ह का प्रयोग करते हैं समानुपात में मध्य पदों का गुणनफल और बाह्य पदों का गुणनफल सदैव समान होता है|
साझा (Shared)- जब साझीदार समान समय के लिए अपनी पूंजी लगाएं तो लाभ हानि सदैव उनके द्वारा लगाई गई पूंजी की अनुपात में बांटी जाती है| परंतु यदि पूंजी अलग-अलग समय के लिए लगाए तो लाभ तथा हानि को पूंजी समय के अनुपात में बांटा जाता है| यदि व्यापार में सक्रिय साझेदार है ,तो कुल लाभ में से सक्रीय साझेदारी का लाभ घटाकर शेष लाभ को पूंजी के अनुपात में बांटते है इसे ही साझा कहते हैं|
औसत (Average)- एक ही प्रकार के राशियों के योगफल को उन राशियों की संख्या से भाग करने पर प्राप्त भागफल को उन राशियों का औसत कहा जाता है |
औसत =राशियों का योग /राशियों की संख्या
प्रतिशत (P ercentage )- प्रतिशत एक भिन्न है, जिसका हर 100 तथा अंश दिया गया अंक होता है जैसे – 8 %= 8/100, 12% = 12/100
प्रतिशत का अभिप्राय है प्रति 100 के लिए तथा प्रतिशत के लिए % चिन्ह का प्रयोग करते हैं ,दर प्रतिशत का साधारण भिन्न में प्रकट करने के लिए दर को 100 से भाग करते हैं अर्थात x% = x/100 तथा 20% = 20/100
संख्या पर आधारित प्रश्न लाभ और हानि (Profit and loss )
- क्रय मूल्य (Purchase price)- वह मूल्य जिस पर वस्तु खरीदी जाती है, वस्तु का क्रय मूल्य कहलाता है
- विक्रय मूल्य (selling price)- वह मूल्य जिस पर वस्तु बेचीं जाती है, वस्तु का विक्रय मूल्य कहलाता है
- लाभ (Profit)- विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य
- हानि (loss)- क्रय मूल्य- विक्रय मूल्य