सामाजिक न्याय पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर , ncert solution for class 8th civics के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को जो कक्षा आठ में अध्ययन कर रहे हैं, उनके लिए पाठ से जुड़ी सभी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर इस ब्लॉग पोस्ट पर उपलब्ध कराया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, और पिछले कई परीक्षाओं में भी इस तरह के प्रश्न पूछे जा चुके हैं, इसलिए इस पोस्ट को पूरे ध्यान से अध्ययन करें ताकि परीक्षा की तैयारी करने में आपको भरपूर मदद मिल सके-
सामाजिक न्याय पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर l ncert solution for class 8th civics
सामाजिक न्याय पाठ 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
सामाजिक न्याय पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
सामाजिक न्याय पाठ 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 आदिवासी समाज औरों से किस तरह अलग है? स्पष्ट करें।
उत्तर-आदिवासी समाज औरों से बिल्कुल अलग दिखाई देते है, क्योंकि उनके भीतर ऊँच-नीच का फर्क बहुत कम होता है।
इसी वजह से ये समुदाय जाति-वर्ण पर आधारित समुदायों या राजाओं के शासन में रहने वाले समुदायों से बिल्कुल अलग हैं। आदिवासियों के बहुत सारे जनजातीय धर्म होते हैं। उनके धर्म इस्लाम, हिंदू, ईसाई आदि धर्मों से बिल्कुल अलग हैं।
वे अक्सर अपने पुरखों की, गाँव और प्रकृति की उपासना करते हैं। आदिवासी अपने आसपास के बौद्ध और ईसाई आदि धर्मों व शाक्त, वैष्णव, भक्ति आदि पंथों से भी प्रभावित होते रहे हैं। यह भी सच है कि आदिवासियों के धर्मों का आसपास के प्रचलित प्रभुत्वशाली धर्मों पर भी असर पड़ता रहा है।
उन्नीसवीं सदी में बहुत सारे आदिवासियों ने इसाई धर्म अपनाया। आदिवासियों की अपनी भाषाएँ रही हैं। इन भाषाओं ने बंगला जैसी मुख्यधारा की भारतीय भाषाओं को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। इनमें संथाली बोलने वालों को संख्या सबसे ज्यादा है। उनकी अपनी पत्र-पत्रिकाएँ निकलती है।
2 अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है ?
उत्तर-अल्पसंख्यक शब्द आमतौर पर ऐसे समुदायों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो संख्या की दृष्टि से बाकी आबादी के मुकाबले बहुत कम हैं।
लेकिन यह अवधारणा केवल संख्या के सवाल तक ही सीमित नहीं है। इससे न केवल सत्ता और संसाधनों तक पहुँच जैसे मुद्दे जुड़े हुए है, बल्कि इसके सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम भी है।
भारतीय संविधान इस बात को मानता है कि बहुसंख्यक समुदाय की संस्कृति समाज और सरकार की अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। इससे हो सकता है कि छोटे समुदाय हाशिये पर खिसकते चले जाएँ। ऐसे में अल्पसंख्यक समुदायों को बहुसंख्यक समुदाय के सांस्कृतिक वर्चस्व की आशंका से बचाने के लिए सुरक्षात्मक प्रावधानों की जरूरत पड़ती है।
परिस्थितियों में छोटे समुदाय अपने जीवन, संपत्ति और कुशलक्षेम को लेकर असुरक्षित भी महसूस कर सकते हैं। असुरक्षा की यह भावना तब और बढ़ जाती है जब बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के संबंध तनावपूर्ण होते हैं।
संविधान में इन सुरक्षाओं की व्यवस्था इसलिए की गई है कि हमारा संविधान भारत की सांस्कृतिक विविधता की सुरक्षा तथा समानता और न्याय की स्थापना के प्रति संकल्पबद्ध है।
3 केन्द्र सरकार द्वारा पारित 2006 ई० में अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम को लिखें।
उत्तर-अधिनियम 2006 ई० के नियमानुसार कानून की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह कानून जमीन और संसाधनों पर वन्य समुदायों अधिकारों को मान्यता न देने के कारण उनके साथ ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए पारित किया गया है।
इस कानून में वन्य समुदायों को घर के आस-पास की जमीन, खेती ओर चराई योग्य जमीन और गैर लकड़ी वन उत्पादनों पर उनके अधिकार को मान्यता दी गई है। इस कानून के अनुसार वन एवं जैव विविधता संरक्षण भी वनवासियों के अधिकारों में आता है।
4 सामाजिक रूप से हाशिये पर होने का क्या मतलब होता है ?
उत्तर-हाशियाई का मतलब होता है कि जिसे किनारे या हाशिये पर ढकेल दिया गया हो। समाज में भी ऐसे समूह या समुदाय हो सकते हैं जिन्हें इस तरह की बेदखली का अहसास है।
उनके हाशियाकरण की वजह यह हो सकती है कि वे एक अलग भाषा बोलते हैं। अलग रीति रिवाज अपनाते हों या बहुसंख्यक समुदाय के मुकाबले किसी दूसरे धर्म के हैं।
5 आदिवासी कौन लोग हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-आदिवासी शब्द का मतलब होता है मूल निवासी। भारत में लगभग 8 प्रतिशत आदिवासी हैं। देश के बहुत सारे खनन एवं कि औद्योगिक क्षेत्र आदिवासी इलाको में हैं। भारत 500 से ज्यादा तरह के आदिवासी समूह हैं।
आदिवासियों की संख्या छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर पूर्व अरुणाचल प्रदेश राज्यों में अधिक है। आदिवासियों के बहुत सारे जनजातीय धर्म हैं जो इस्लाम, हिन्दु एवं ईसाई से भिन्न है।
वे गाँव की सीमा के भीतर लता कुंज में पूजा करते हैं जबकि वे अपने पुरखों की पूजा घर में करते हैं। आदिवासी को जनजाति भी कहते हैं। आदिवासी की अपनी भाषाएँ भी अलग रही हैं। इनमें संथाली बोलने वालों की संख्या अधिक है।
झारखण्ड के आदिवासी 1830 के दशक से ही बहुत बड़ी संख्या में भारत और दुनियाँ के अन्य इलाकों जैसे- मारिशस, कैरीबियन और आस्ट्रेलिया में जाते रहे हैं। आज असम में 70 लाख आदिवासी हैं।
आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखण्ड में जितने लोग विस्थापित हुए हैं उनमें से 79 प्रतिशत आदिवासी थे। ग्रामीण इलाकों में 45 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 35 प्रतिशत आदिवासी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं। आदिवासी जीवन के आर्थिक और सामाजिक आयाम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
6 भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था किस प्रकार की गई है?
उत्तर- भारत का संविधान सभी नागरिकों को समानता अधिकार देता है। लेकिन संविधान का अनुच्छेद 15(4) और 18(4) में कहा गया है कि अगर साबित हो जाता है कि किसी समाज या वर्ग का शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो आरक्षण दिया जा सकता है।
आरक्षण का उद्देश्य केंद्र और राज्य में सरकारी नौकरियों, कल्याणकारी योजनाओं, चुनाव और शिक्षा के क्षेत्र में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना था। जिससे समाज के हर वर्ग को आगे आने का मौका मिले।
सवाल उठा कि आरक्षण किसे मिले, इसके लिए पिछड़े वर्गों को तीन कैटेगरी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में बाँटा गया।
7 हाशियाकरण’ शब्द से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-प्रत्येक समुदाय को हाशिये पर रह जाने का अलग-अलग कारण है। हाशियाकरण का सम्बन्ध अभाव, पूर्वाग्रह और शक्तिहीनता के अहसास से जुड़ा हुआ है।
दलित भी इसी तरह के समुदाय हैं। हाशियाकरण से कमजोर सामाजिक हैसियत ही पैदा नहीं होती बल्कि शिक्षा, व अन्य संसाधनों तक पहुँच भी बराबर नहीं मिल पाती।
हाशियाई का तात्पर्य यह होता है कि जिसे किनारे या हाशिये पर ढकेल दिया गया हो। ऐसे में वह व्यक्ति केन्द्र में नहीं रहता।
8 आदिवासी लगातार हाशिये पर क्यों खिसकते जा रहे हैं ? दो कारण बताएँ।
उत्तर-(क) आदिवासी लोग इसलिए सामाजिक-आर्थिक तथा अन्य दृष्टियों से हाशिये पर निरंतर खिसकते जा रहे हैं क्योंकि वे अपनी भूमियाँ (भू-खंडों) एवं वनों (जंगलों) को खोते जा रहे हैं।
इन दोनों चीजों (भूमि तथा वन) के खोने के कारण उनकी रोजी-रोटी तथा भोजन प्राप्ति के
साधन (या संसाधन) उनके हाथों से निकलते जा रहे हैं।
(ख) वर्षों से वे अपने पारंपरिक आवासों को खोते जा रहे हैं। आदिवासियों को अपनी रोजी-रोटी तथा आजीविका ढूँढने एवं प्राप्ति के लिए शहरों तथा कस्बों की ओर पलायन करना पड़ रहा है।
वहाँ उनकी हाशिये या किनारे पर लाने वाली स्थिति का शोषण करने वाले शहरी मालिक या कंपनियाँ उन्हें बहुत निम्न मजदूरी पर काम पर रखते हैं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, उचित दर की दुकानों के राशन आदि की सुविधाएँ नहीं मिलती हैं।
9 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 के मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के मुख्य बिंदु निम्न हैं-
(क) अनुसूचित जाति और जनजाति के किसी सदस्य को कोई व्यक्ति अखाद्य पदार्थ खाने को विवश नहीं कर सकता।
(ख) इनके सदस्यों को अपमानित करना दंडनीय है।
(ग) इस समाज के किसी महिला को अपमानित नहीं किया जा सकता।
(घ) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आवंटित जमीन को जबरदस्ती कब्जा नहीं किया जा सकता।
(ङ) इस समाज के सदस्यों के साथ जाति सूचक शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता। jac Board