परिचय
पुस्तक का हमारे दैनिक जीवन में काफी महत्व रखता है पुस्तक को कई तरीके से उपयोग करते हैं पुस्तक में कॉमेडी पढ़कर मनोरंजन करते हैं या कुछ कहानियां पढ़कर इंप्रेशन लेते हैं और दैनिक जीवन में पुस्तक का और भी काफी महत्व है पुस्तक हमारे जीवन का एक आधार है जिन्हें पढ़कर बहुत ऐसे लोगों के चरित्र निखरे हैं इसके महत्व के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें नीचे बताई गई है आप नहीं जरूर पढ़ें और अपने जीवन में अमल करें
- विद्वानों के विचार,
- विचार लाभ,
- प्रभाव,
- पुस्तके किसी देश की अमर निधि होती है
- पस्तके अस्त्र है
- मनुष्य की मित्र।
पुस्तक का महत्व के बारे में विद्वानों के विचार-
लोकमान्य तिलक का कथन –
लोकमान्य तिलक पुस्तक का महत्व को समझते हुए कहते है कि मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहाँ आप ही न जाएगा। कार्लाइल का कहना है- मानव-जाति ने जो कुछ किया सोचा और पाया है, वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों में सुरक्षित है।
पुस्तक से लाभ-
पस्तक का महत्त्व तथा मूल्य रत्नों स से भी अधिक है, क्योंकि रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं, जबकि पुस्तकें हृदय को उज्ज्वल करती हैं। अच्छी पुस्तकें मनुष्य को पशु से देवता बनाती है, उसकी सात्विक वृत्तियों को जाग्रत कर उसे पथ भ्रष्ट होने से बचाती है। श्रेष्ठ पुस्तके मनुष्य, समाज तथा राष्ट्र का मार्गदर्शन करती है। पुस्तकों का हमारे मन-मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव पड़ता है।
पुस्तक का प्रभाव –
जो व्यक्ति पुस्तक का महत्व को समझ गया है उन्हें पुस्तक से काफी मदद मिलती है इसलिए संसार के इतिहास पर नजर डालने पर यह पता चलता है कि जितनी भी महान विभूतियाँ हुई हैं, उन पर किसी-न-किसी अंश में अच्छी पुस्तकों का भाव था। महात्मा गांधी गीता, टालस्टाय तथा अमेरिका के संत थोरो के साहित्य से अत्यधिक प्रभावित थे। लेनिन में क्रांति की भावना मार्क्स के साहित्य को पढ़कर जगी थी।
पस्तकें किसी देश की अमर निधि होती है-
किसी जाति के उत्कर्ष अथवा अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है। प्राचीन ग्रीक संस्कृति कितनी उच्च और महान थी, इसका पता हमें उसके साहित्य से चलता है। गुप्तकाल भारत का स्वर्णिम युग कहा जाता है क्योंकि उस काल में सर्वोत्कृष्ट पुस्तकों की रचना हुई। कालिदास इस युग के महान साहित्यकार थे। उनकी पुस्तकों में भारत की आत्मा अपने सुंदरतम रुप में प्रकट हुई है।
पुस्तकें अस्त्र है-
विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं। पुस्तकों में लिखे विचार संपूर्ण समाज की काया पलट देते हैं। आज का संसार विचारों का ही संसार है। समाज में जब कोई परिवर्तन आता है अथवा क्रांति उपस्थित होती है. उसके मूल में कोई विचार-धारा ही होती है। पुस्तकें जहाँ सांप्रदायिकता के विष को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं, भाई-भाई के बीच ईर्ष्या और विद्वेष की अग्नि को भडकाती है, समाज की सुख-शांति को भंग करती हैं, वहाँ श्रेष्ठ पुस्तके समाज में नवचेतना का संचार करती हैं तथा समाज में जन-जागृति लाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
पुस्तक मनुष्य का मित्र-
एक अंग्रेज विद्वान की उक्ति है- “सच्चे मित्रों के चुनाव के पश्चात सर्वप्रथम एवं प्रधान आवश्यकता है- उत्कृष्ट पुस्तकों का चुनावा जो पुस्तकें हमें अधिक विचारने को बाध्य करती हैं, वे ही हमारी सबसे बड़ी सहायक है। पुस्तकें मनुष्य के व्यक्तित्व में नवीन निखार उत्पन्न करती है।
मनुष्य को सच्चा सुख और शांति प्रदान करती है। थामस ए. केपिस ने एक बार कहा था- ‘मैंने प्रत्येक स्थान पर विश्राम खोजा, किंतु वह एकांत कोने में बैठकर पुस्तके पढ़ने के अतिरक्त कहीं प्राप्त न हो सका। पुस्तक-प्रेमी सबसे अधिक सुखी होती है। वह अपने जीवन में कभी शून्यता अनुभव नहीं करता। पुस्तकें मनुष्य की सच्ची संगी-साथी हैं। उन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। पुस्तकें ऐसी मार्गदर्शक हैं, जो दंड नहीं देती, नाराज नहीं होती, हमसे कुछ बदले में नहीं लेती, अपितु अपना अमृत तत्त्व देकर संतोष कर जाती है।
निष्कर्ष
कहा जाए तो पुस्तक हर इंसान के दैनिक जीवन में कुछ ना कुछ परिवर्तन लाने के लिए काफी है। अगर कोई व्यक्ति का सही तरीका से उपयोग करें तो उन्हें विभिन्न प्रकार के पुस्तक पढ़कर बहुत अच्छी चीजों की जानकारी हो सकती है। जैसे पुस्तक में बहुत ऐसे व्यक्तियों की जीवनी लिखी रहती है। जो अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल की है। उनका फार्मूला बताया है ।यदि कोई व्यक्ति उन्ही के अनुसार अनुसरण अपने जीवन में करते हुए आगे बढ़े तो निश्चित उसी व्यक्ति की तरह अपने जीवन को भी रोशन कर पाएंगे ।
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