प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी पाठ 5 | Ncert Solution For Class 9th Geography

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी पाठ 5 लघु उतरीय प्रश्न, Ncert Solution For Class 9th Geography,के इस ब्लॉग पोस्ट पर आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थी जो कक्षा 9 में पढ़ाई कर रहे हैं, उन सभी के लिए इस पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी लघु उत्तरीय प्रश्नों को कवर किया गया है, जिसे पढ़कर आप सभी विद्यार्थी अच्छी तरह से परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं, इसलिए इस पोस्ट को कृपया पूरा पढ़ें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करते हैं-

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी पाठ 5 लघु उतरीय प्रश्न के उतर, Ncert Solutions

1 भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। उदाहरण सहित कारण दें।
उत्तर-मनुष्यों द्वारा पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के अत्यधिक शोषण के कारण अनेक प्रजातियाँ संकटापन्न स्थिति में हैं।

पेड़-पौधे-

(क) घरेलू जरूरतों को पूरा करने और कागज बनाने के लिए अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के कारण अनेक पेड़-पौधे संकटापन्न प्रजातियाँ बन गए हैं।

(ख) नगरीय विकास, सड़क और बाँध निर्माण तथा अधिक कृषि क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए जंगलों की कटाई।

(ग) जलाऊ लकड़ी के लिए स्थानीय लोगों द्वारा पेड़ों की कटाई

जीव-जंतु

ये नम्न कारणों से संकटापन्न प्रजातियाँ बने हैं-

(क) वनोन्मूलन के कारण प्राकृतिक आश्रय का छिनना।

(ख) शिकार और अतिक्रमण।

(ग) फर, खाल, चिकित्सा उद्देश्य, अलंकार का सामान बनाने (हाथी दाँत, सींग, मृगशृंग) और ऊनी वस्त्रों (चिरु से शहतूश का शाल प्राप्त होता है जो जानवरों के केशों से बनाया जाता है) आदि के लिए जंतुओं का वध किया जाता है।

(घ) रासायनिक और औद्योगिक अपशिष्टों ने जलीय जीवन को अव्यवस्थित कर दिया है।

2 भारत में काँटेदार वनस्पति किस क्षेत्र में पाई जाती है? उन क्षेत्रों में इनके उगने के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर-कैंटीले वन 75 सेमी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए हैं। ये मालवा पठार, दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड पठार, सौराष्ट्र, थार मरूभूमि, पंजाब और हरियाणा के मैदानी भू-भागों में फैले हुए हैं।

भारत के पश्चिमोत्तर भाग में अवस्थित इन क्षेत्रों में वर्षा कम मात्रा में होती है। ये वन दक्कन के पठार के भीतरी क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण की ओर फैली एक संकरी पट्टी में भी पाए जाते हैं। इन वन क्षेत्रों में पाए जाने वाले वृक्षों की कुछ जातियाँ हैं-कीकर, बबूल, खैर, खजूर. बेर आदि।

ये वृक्ष काफी दूर-दूर उगते हैं और इनकी अधिक उँचाई नहीं होती। जलाभाव के कारण इनकी जड़ें धरती में सीधी और लंबी समाई होती हैं तथा इनकी ऊँचाई भी सीमित होती है।

प्रकृति ने इन्हें वरदान के रूप में बहुत छोटी-छोटी पत्तियाँ दी है जिससे इन वृक्षों पर काफी कम मात्रा में धूप पड़ती है और कठोर छाल से घिरे वृक्ष के भीतर जल संरक्षित रहता है।

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी पाठ 5 NCERT Solutions for Class 10th

3 उष्णकटिबंधीय वर्षा वन से क्या समझते है ?
उत्तर-(क) ये वन ऊँचे तापमान तथा अत्यधिक वर्षा (250 सेमी० से अधिक) वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

(ख) वृक्षों के पत्ते गिरने या पर्णपात का कोई निश्चित या नियत समय नहीं होता है, इसलिए ये वन पूरे वर्ष हरे-भरे रहते हैं।

(ग) इन वनों के वृक्ष लम्बे, मोटे और घने उगे रहते हैं। इनमें कुछ वृक्ष 60 मीटर ऊँचे होते हैं। कठोर लकड़ी वाले इन वृक्षों की किस्में साफ-साफ उगती हैं। इन सभी की जड़ें बहुत गहरी होती हैं। इन वृक्षों के नीचे झाड़-झंखाड़ भी बहुत उगते हैं।

4 भारत के प्रमुख पुष्पित पौधों वाले क्षेत्रों का नाम लिखें।
उत्तर-(क) पश्चिमी हिमालय का क्षेत्र, (ख) पूर्वी हिमालय का क्षेत्र,

(ग) असम क्षेत्र,

(घ) सिन्धु का मैदान क्षेत्र,

(ङ) गंगा का मैदान क्षेत्र,

(च) दक्कन क्षेत्र,

(छ) मालाबार क्षेत्र और

(ज) अण्डमान क्षेत्र।

5 जीव आरक्षण क्षेत्रों को स्थापित करने के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर-जीव आरक्षण क्षेत्रों को स्थापित करने के उद्देश्य-

(क) प्राकृतिक पर्यावरण, वनस्पति तथा जीवों को उनके प्राकृतिक रूप में बनाए रखना तथा उनका संरक्षण करना।

(ख) पारिस्थितिक तंत्र तथा पर्यावरण संरक्षण के अन्य पहलुओं पर शोध कार्य करना तथा उसे बढ़ावा देना।

(ग) शिक्षा, जागरूकता तथा प्रशिक्षण के लिए सुविधाएँ मुहैया कराना।

NCERT Solutions for Geography Class 9th Chapter 5

6 जैव-विविधता का संरक्षण से क्या समझते है ?
उत्तर-पारिस्थितिक तंत्र में आ रहे परिवर्तनों के कारण विभिन्न पादप एवं जन्तु प्रजातियों के अस्तित्त्व पर संकट उत्पन्न हो गया है।

प्रजातियों के इस वैविध्य को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने हेतु, वनों के पुनर्जीवन एवं जीवों के प्राकृतिक वासस्थानों की पुनर्स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। इसे ही जैव विविधता का संरक्षण कहा जाता है।

इस हेतु देश के अलग-अलग हिस्सों में वन्य-जीव अभ्यारण्य, पक्षी अभ्यारण्य तथा राष्ट्रीय उद्यान आदि बनाए जा रहे हैं। नीलगिरि, नंदा देवी, मानस. सुंदरवन, पंचमढ़ी, समिलीपाल आदि में स्थापित किए गए जैव आरक्षित क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के लिए बनाए गए हैं।

7 पक्षियों का देशांतरण या प्रवास क्या है ?
उत्तर-पक्षियों के प्रवसन या देशांतरण की परिभाषा वास स्थान में और वास स्थान की दिशा में भी आवधिक रूप से किए जाने वाले परिवर्तन के रूप में दी जाती है जिससे पक्षी को हर समय अनुकूलतम जलवायु दशाएँ प्राप्त हों।

शीत काल में पक्षियों द्वारा उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों को छोड़ कर भारत जैसे देशों के प्रवास पर आना निम्नांकित दृष्टि से लाभकारी है-

(क) अत्यधिक ठंड और सर्द तूफानों की चपेट में आने से बचाव,

(ख) भोजन की तलाश के लिए उपलब्ध छोटे दिनों वाले स्थान को छोड़कर लंबे दिन वाले स्थानों में जाना

(ग) उन परिस्थितियों से बचना जिनमें भोजन सामग्री की कमी या स्थिति से जूझना पड़ता हो। प्रवासी पक्षियों में अत्यधिक लंबी दूरियों को तय करने की अतिविशिष्ट क्षमता होती है और वे अपने शरीर में विशाल मात्रा में वसा संग्रह कर सकते हैं।

8 पादप जगत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-पौधे, जन्तु और मानव एक साथ मिलकर पृथ्वी पर जीवन के स्वरूपों को बनाते हैं। ये जीवित चीजें एक जीवमंडल का निर्माण करती हैं।

जीवों का वन वाला स्वरूप पादप जगत कहलाता है। यह जंतु जगत के भोजन का आधार बनाता है। पादप जगत की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें सूर्य के प्रकाश को संग्रहित करके उसको आहार ऊर्जा में बदलने की सामर्थ्य है।

पादप जगत प्रकृति की सुन्दरता में निखार लाता है। एक देश के प्राकृतिक संसाधनों की रीढ़ की हड्डी अथवा मुख्य आधार पादप जगत ही है।

9 आई और शुष्क पर्णपाती वन में अंतर लिखें।
उत्तर-आर्द्र पर्णपाती वन और शुष्क पर्णपाती वन में अंतर-

आर्द्र पर्णपाती वन

(a) आई पर्णपाती वन भारत के ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा 100 से 200 सेमी० के बीच होती है।

(b) आई पर्णपाती वनों में जहाँ सागौन, बाँस, साल, शीशम और खैर आदि के वृक्ष पाए जाते हैं।

शुष्क पर्णपाती वन

(a) शुष्क पर्णपाती वन भारत के ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा 70 सेमी० से 100 सेमी० के बीच होती है।

(b) शुष्क पर्णपाती वनों में अकासिया, खजूर, यूफोरबिया तथा नागफनी आदि की प्रजातियों पाई जाती हैं

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी पाठ 5 (कक्षा नवीं) NCERT Solutions

10 वनस्पति जगत और प्राणी जगत में अंतर लिखें।
उत्तर-वनस्पति जगत और प्राणी जगत में अंतर-

वनस्पति जगत

(a) एक क्षेत्र विशेष में उगने वाली प्राकृतिक वनस्पति है।

(b) यह पृथ्वी पर सबसे पहले आने वाली जीव प्रजाति है।

(c) यह सौर ऊर्जा को आहार (खाद्य) ऊर्जा में बदलने में समर्थ है।

प्राणी जगत

(a) एक क्षेत्र विशेष में रहने वाले वन्य जीव हैं।

(b) परपोषी होने के कारण ये पृथ्वी में वनस्पतियों के उगने के बाद जन्मे हैं।

(c) इनको अपने जीवित रहने के लिए वनस्पति पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

11 सदाबहार वन (उष्णकटिबंधीय वर्षा वन) तथा पर्णपाती वन में अंतर लिखें।
उत्तर-सदाबहार वन तथा पर्णपाती वन में अंतर-

सदाबहार वन

(a) सदाबहार वन भारत के पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों तथा लक्षद्वीप एवं अण्डमान और निकोबार द्वीप समूहों में पाए जाते हैं।

(b) सदाबहार वनों में आबसून महोगनी तथा रोजबुड आदि के वृक्ष पाए जाते हैं

(c) सदाबहार वनों के वृक्षों में पतझड़ होने का कोई निश्चित समय नहीं होता। इसलिए वे
सारे वर्ष हरे-भरे नजर हाते हैं।

पर्णपाती वन

(a) पर्णपाती वन देश के पूर्वी भागों, हिमालय के गिरीपाद प्रदेशों, झारखण्ड, पश्चिमी उड़ीसा,
छत्तीसगढ़ और पश्चिमी घाटों की ढालों पर पाए जाते हैं।

(b) पर्णपाती वनों में सागौन, बॉस, साल, शीशम और खैर आदि वृक्ष मिलते हैं

(c) पर्णपाती वनों के वृक्ष गर्मियों में छ: से आठ सप्ताह के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। gyanmanchrb