फसल नागार्जुन महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के इस ब्लॉग में आप सभी विद्यार्थी जो क्लास 10th में पढ़ाई कर रहे है ,उन सभी विद्यार्थियों का इस ब्लॉग पोस्ट में तहे दिल दे स्वागत है , क्योकि आज हम बात करने वाले है ,इस पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी सवालों का हल विस्तार पूर्वक एक एक करके देखेंगें , तो आप इस ब्लॉग में बने रहिये आपको आज पाठ से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी मिलने वाली है , तो चलिए शुरू करते है
फसल नागार्जुन महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
(1 ) कवि और कविता का नाम लिखें।
उत्तर-कवि का नाम- नागार्जुन’,
कविता का नाम- फसल।
(2 ) नदियों के पानी के जादू से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-नदियों के पानी के जादू से यह तात्पर्य है कि नदियों के पानी में जीवनदायी अमृत तत्त्व मिला होता है और उसे पाकर फसलें फल-फूल कर बड़ी होती हैं। फसलों के उगने में बहुत सारी नदियों का जल अपना योगदान देती है। इन्हीं के जल से खेतों की सिंचाई होती है। यह सब जादू के समान होता है।
(3 ) ‘लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों से स्पर्श की गरिमा का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-इसका आशय यह है कि फसल के उगाने में लाखों-करोड़ों किसान श्रम करते हैं।
ये मेहनतकश किसान खेतों को तैयार कर बुआई, सिंचाई करते हैं, नन्हें-नन्हें पौधों को खाद रूपी भोजन परोसते हैं। जब यह फसल हरी-भरी होकर पूरी तरह अस्तित्व में आ जाती है तब यह संसार का पोषण करके महिमा प्राप्त करती है। इस तरह इसे गौरव प्रदान करने में लाखों-करोड़ों हाथों का योगदान होता है।
(4 ) ‘हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म, में किस गुण-धर्म की बात कही गई है?
उत्तर-हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म हैं- मिट्टी में रचे-बसे खनिज तत्व । हर मिट्टी के गुण-धर्म अलग-अलग होते हैं। किसान मिट्टी को हल से जोतकर उसमें बीज डालता है। मिट्टी उसमें अपना रस मिलाकर अंकुरित करती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति और सृजनात्मकता उसके गुण धर्म हैं।
(6 ) ‘एक के नहीं, दो के नहीं’ की बार-बार आवृत्ति करके क्या विशेषता उत्पन्न की गई है?
उत्तर-फसल नागार्जुन महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के इस कविता में इन शब्दों की बार-बार आवृत्ति की गई है। इसके माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट किया है कि फसल का उत्पादन किसी एक या दो के प्रयास से संभव नहीं है। इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। फसल के उगाने में सैकड़ों नदियों के जल, लाखों-करोड़ों लोगों के श्रम तथा हजारों प्रकार की मिट्टी का योगदान होता है।
(7 ) ‘मिट्टी का गुण धर्म’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-मिट्टी का गुण धर्म’ का आशय है- मिट्टी में रचे-बसे हुए खनिज तत्त्व । हर मिट्टी के गुण अलग होते हैं। इस कारण उसका स्वाद, स्वभाव और प्रभाव अलग हो जाता है।
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर क्लास 10th हिंदी
(8 ) फसल को किसका जादू बताया गया है और क्यों ?
उत्तर-फसल को नदियों के पानी का जादू बताया गया है। इसका कारण यह है कि मिट्टी के अंदर बोया बीज भीतर ही दबा रहता है। पर जब नदियों के पानी से खेती की सिंचाई की जाती है तब वह अंकुरित होकर जादू की भाँति पृथ्वी के ऊपर पौधे की शक्ल ले लेता है।
(9 ) ‘हाथों के स्पर्श की महिमा’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-हाथों के स्पर्श की महिमा का आशय यह है कि ये फसलें किसानों के हाथों का स्पर्श पाकर इतनी बड़ी हुई है। किसानों के श्रम की महिमा फसलों की वृद्धि के रूप में प्रकट हुई है। यहाँ कवि किसान के श्रम की महिमा को रेखांकित करता है। यह फसल ही मानव जाति की भूख को मिटाती है।
(10 ) “सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का’ का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-फसलों के उगाने में हवा की थिरकन का भी पूरा योगदान होता है। ऐसा लगता है मानों हवा की थिरकन संकुचित होकर इन फसलों में सिमट गई हो, वह इन फूल-पत्तों की नसों में समा गई हो। इस प्रकार हवा का संकोच फसल के रूप में प्रकट होता है।
(11 ) सूरज की किरणों का रूपांतर का क्या आशय है ?
उत्तर-फसलों को उगाने में सूरज की किरणों का पूरा योगदान होता है। वास्तव में सूरज की किरणें ही अपना रूप बदलकर इस तरह फसलों के रूप में उग आती हैं
फसल नागार्जुन महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्नोत्तर
1. कवि के अनुसार फसल क्या है ?
उत्तर-कवि के अनुसार फसल पानी, मिट्टी, धूप, हवा एवं मानव-श्रम का मिला-जुला रूप है। इसमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू, मनुष्य के हाथों के स्पर्श की महिमा, भूरी-काली मिट्टी का गुण-धर्म, सूरज की किरणों का रूपांतरण तथा हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच है। इस प्रकार फसल प्रकृति और मनुष्य के परस्पर सहयोग की सृजनात्मक परिणति है।
2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-कविता में वर्णित आवश्यक तत्त्व हैं- नदियों का पानी, मानव-श्रम, खेतों की विभिन्न प्रकार की मिट्टी, सूरज की किरणें, हवा।
3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर-कवि ने फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहा है। ऐसा कहकर कवि यह भाव व्यक्त करना चाहता है कि फसल के उपजाने में मनुष्य के परिश्रम का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मनुष्य अपने हाथों से श्रम करके खेत जोतता है, बीज बोता है और सिंचाई करता है। फसल का फलना-फूलना किसान के श्रम की गरिमा और महिमा का ही परिणाम है। फसल को जो गरिमा और महिमा प्राप्त होती है वह मनुष्य के हाथों किए गए श्रम के कारण ही संभव हो पाती है।
4. ‘फसल’ शीर्षक कविता का संदेश स्पष्ट करें।
उत्तर-‘फसल’ शीर्षक कविता में कवि ने यह संदेश देना चाहा है कि फसल के उत्पादन में प्राकृतिक तत्वों के साथ-साथ मानव के श्रम का भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। फसल उपजाने में किसी एक व्यक्ति, एक नदी या एक खेत की मिट्टी को श्रेय नहीं दिया जा सकता। अनेक नदियों का जल, अनेक प्रकार की मिट्टियाँ, करोड़ों किसानों का श्रम और सूरज की किरणें तथा हवा का योगदान फसलें उगाता है। इसलिए फसलों पर सभी का प्राकृतिक अधिकार है। इस कविता में कवि यह रेखांकित करना चाहता है कि हमारे प्रकृति और मनुष्यों के सहयोग से ही सृजन या उत्पादन संभव है।
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रचना और अभिव्यक्ति
5. कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना
की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर- (क) अनेक खेतों में विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ होती हैं। ये मिट्टियाँ अपनी उर्वरा शक्ति के
आधार पर फसलों को उत्पन्न करती है।
(ख) वर्तमान युग में अधिक फसल प्राप्त करने के लिए अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग
किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप मिट्टी के गुण-धर्म में लगातार गिरावट आती जा रही
है।
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ दिए जाने पर किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं
की जा सकती है। क्योंकि पृथ्वी पर जब कुछ उत्पन्न ही नहीं होगा तो पृथ्वी पर रहने वाले
प्राणी, जीव-जन्तु अपना भरण-पोषण किस प्रकार कर पाएंगे? अतः मिट्टी का अपना
गुण-धर्म बना रहना आवश्यक है।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को बनाये रखने में हम अनेक तरह से सहायक हो सकते हैं।
फसल-चक्र के माध्यम से मिट्टी के गुण-धर्म की रक्षा की जा सकती है। उर्वरकों का उचित
मात्रा में प्रयोग करके और भरपूर पेड़-पौधे लगाकर मिट्टी के गुण-धर्म का पोषण कर
सकते हैं।
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर- नागार्जुन ने ‘फसल’ कविता में फसल को अनेक तत्वों का समन्वित रूप बताया है। इनमें सूर्य और वायु का मुख्य स्थान है। सूर्य की ऊर्जा ही फसलों में संचित होती हैं। हवा भी फसलों को जीवन प्रदान करती है। हवा का अदृश्य रूप लहलहाती फसलों से अभिव्यक्त होता है।jac board