पालमपुर गाँव की कहानी पाठ 1 दीर्घ प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th Economics

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पालमपुर गाँव की कहानी पाठ 1दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th

पालमपुर गाँव की कहानी पाठ 1 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
पालमपुर गाँव की कहानी पाठ 1 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
पालमपुर गाँव की कहानी पाठ 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1 खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, वर्णन करें।
उत्तर-आधुनिक कृषि ढंग- जैसे उर्वरकों का प्रयोग, बीज की उत्तम नसलें नलकूप द्वारा सिंचाई, कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग और खेती के नए उपकरण जैसे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेशर आदि बहुत कुछ उद्योगों पर आधारित हैं।

यदि उद्योग कृषि के इन नए साधनों का निर्माण न करता तो हमारा कृषि उत्पादन इतना नहीं बढ़ सकता था हम निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट भर सकते। कृषि और उद्योगों में इतना गहरा सम्बन्ध है कि दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।

कृषि, उद्योगों के विकास के लिये अनेक प्रकार के कच्चे माल का उत्पादन करती है और औद्योगिक उन्नति के लिए एक ठोस आधार का निर्माण करती है। दूसरी ओर उद्योगों के कारण ही कृषि में उत्पादन में वृद्धि सम्भव हो पाई है। उद्योगों की विविधता तथा इनके विकास के फलस्वरूप ही कृषि का आधुनिकीकरण सम्भव हो सका है।

उर्वरकों, कीटनाशक दवाइयों, प्लास्टिक, बिजली, डीजल आदि का कृषि में प्रयोग उद्योगों पर निर्भर करता है। कृषि की अनेक शाखाएँ अपने आपको उद्योग मानने लगी हैं जैसी डेरी उद्योग, वृक्षारोपण उद्योग आदि। नये-नये उपकरणों, विभिन्न प्रकार के उर्वरकों और मशीनों का प्रयोग करके आधुनिक कृषि के अधीन बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सका है।

विविध प्रकार के उद्योगों जैसे लोहा-इस्पात उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग तथा रासायनिक उद्योग आदि के विकास से कृषि का आधुनिकीकरण सम्भव हो सका है। निःसन्देह संसार की बड़ी-बड़ी घास भूमियों को बड़े-बड़े फार्मों में बदलकर विशाल धान्यागारों का रूप देना मशीनों के कारण ही सम्भव हो सका है।

2 एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग कौन-से तरीके हैं ? समझाने के लिए उदाहरणों का प्रयोग करें। अथवा, बहुविधि फसल प्रणाली और खेती की आधुनिक विधियों में क्या अंतर है?
उत्तर-एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न विधियाँ- एक ही भूमि पर उत्पादन को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नांकित हैं-
(क) बहुविध फसल प्रणाली- इस विधि के अन्तर्गत भूमि के एक टुकड़े पर एक वर्ष में दो से अधिक फसलें उत्पन्न की जाती हैं। दी हुई भूमि पर उत्पादन बढ़ाने की यह सामान्य विधि है। बहुविध फसल प्रणाली तभी संभव है जब सिंचाई करने की विधि अच्छी तरह से विकसित होगी।

(ख) खेती की आधुनिक विधि- एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने की विधि को खेती की आधुनिक विधि कहते हैं। इस विधि के अन्तर्गत-

(i) परंपरागत बीजों के स्थान पर उन्नत बीजों का प्रयोग किया जाता है।
(ii) गोबर तथा अन्य खादों के स्थान पर रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जाता है।
(iii) सिंचाई नलकूपों से की जाती है।
(iv) कृषि में ट्रैक्टरों तथा धैशर का प्रयोग किया जाता है।
(v) कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है।

3 आपके क्षेत्र में कौन-से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं इनकी एक संक्षिप्त सूची बनाएँ।
उत्तर-हमारे क्षेत्र में कई गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं। हमारे क्षेत्र में कार्यशील जनसंख्या का लगभग 25% भाग कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों में लगा है। उन लोगों की मुख्य क्रियाएँ निम्न हैं-
(क) डेयरी- यह हमारे क्षेत्र के कुछ परिवारों में एक प्रचलित क्रिया है। लोग अपनी गायों एवं भैंसों को कई तरह की घास और बरसात के मौसम में उगने वाली ज्वार और बाजरा खिलाते हैं। दूध को निकट के शहरों में बेचा जाता है जहाँ दूध संग्रहण एवं शीतलन केंद्र भी हैं।

(ख) लघु स्तरीय विनिर्माण- वर्तमान में मेरे गाँव में लगभग 40 परिवार लघु स्तरीय विनिर्माण में लगे हैं। वे विनिर्माण में बहुत सरल उत्पादन विधियों का प्रयोग करते हैं। विनिर्माण कार्य पारिवारिक श्रम की सहायता से अधिकतर घरों या खेतों में किया जाता है। इनमें गुड़ उद्योग, मिट्टी के बर्तन बनाने का काम, हस्तशिल्प का काम शामिल हैं।

(ग) दुकानदारी- हमारे क्षेत्र के कुछ लोग दुकानदारी का काम भी करते हैं। वे शहरों के थोक बाजारों से कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदते हैं और उन्हें गाँव में लाकर बेचते हैं।

(घ) परिवहन- हमारे क्षेत्र में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो परिवहन सेवाओं में लगे हैं। इनमें रिक्शेवाले, ताँगेवाले, जीप, ट्रैक्टर, ट्रक ड्राइवर तथा परंपरागत बैलगाड़ी और दूसरी गाड़ियाँ चलानेवाले लोग शामिल हैं।

4 गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर- गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए निम्नांकित प्रयास किए जा सकते हैं-
(क) जानकारी- गाँव वालों को गैर-कृषि उत्पादन कार्यों की विशेषताओं एवं महत्त्व के विषय में जानकारी दी जानी चाहिए। यदि वे यह जान जाएँगेकि वे कैसे इन क्रियाओं से अधिक पैसे कमा सकते हैं तो वे लोग निश्चय ही ऐसी क्रियाएँ प्रारंभ कर देंगे और उनका विस्तार करेंगे।

(ख) ऋण सुविधाएँ- सरकार कम ब्याज दर पर गाँव वालों को ऋण उपलब्ध कराए ताकि वे इन क्रियाओं को प्रारंभ कर सके। पूँजी का अभाव उनकी सबसे बड़ी समस्या होती है।

(ग) परिवहन की सुविधाएँ- आसानी से उपलब्ध और सस्ती परिवहन सेवाएँ निश्चित रूप से गैर-कृषि उत्पादन क्रियाओं को प्रोत्साहित करती है। लोग आसानी से अपनी वस्तुएँ नजदीकी बाजार में ले जा सकते हैं।

(घ) विपणन सहायता- सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीणों को विपणन की सुविधाएँ उपलब्ध कराए क्योंकि उनकी वस्तुएँ प्रायः गैर-मानकीकृत होती है।

(ङ) तकनीकी सहायता- गाँवों में लघुस्तरीय उद्यमों का विकास तकनीकी जानकारी का निम्न स्तर तथा प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्तियों के अभाव के कारण भी प्रभावित होता है। इसलिए सरकार को ऐसी क्रियाओं को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।jac.jharkhand