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niyantran samanvay abhyaas prashnottar नियंत्रण एवं समन्वय अभ्यास प्रश्नोत्तर
नियंत्रण एवं समन्वय अभ्यास प्रश्नोत्तर पाठ 7 क्लास 10 विज्ञान के इस में आप तमाम विद्यार्थियों का स्वागत है। आज हम बात करने वाले हैं । नियंत्रण एवं समन्वय पाठ से जुड़े हर तरह के महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर के बारे में यदि आप इस ब्लॉग पर इस वक्त है, तो आप पूरा ब्लॉक जरूर पढ़ें क्योंकि इस ब्लॉग पर मैं क्लास 10 विज्ञान पाठ 7 नियंत्रण एवं समन्वय से जुड़ी हर तरह के प्रश्नों का उल्लेख इस ब्लॉग पर किया गया है तो चलिए शुरू करते हैं।
प्रश्न-1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर – पर्यावरण में किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप अचानक हुई क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। जैसे किसी नुकीली वस्तु के अचानक चुभ जाने पर उससे बचने के लिए हटना। प्रतिवर्ती क्रियाओं पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं होता। जबकि टहलना, वातावरण को बदलने के लिए सजीव प्राणियों द्वारा की गई एक क्रिया है। यह एक ऐच्छिक क्रिया है जिसमें प्राणी सोचकर ही अनुक्रिया करता है। यह क्रिया मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है।
प्रश्न-2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर – शरीर के किसी भाग से सूचना तंत्रिका कोशिका द्वारा ग्रहण की जाती है और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक
विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तथा तंत्रिकाक्ष से होता हुआ अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है। ये रसायन रिक्त स्थान को आगे पार करके अगली तंत्रिका कोशिका में प्रवेश करता हैं। इस प्रकार अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) ऐसे आवेगों को एक तंत्रिका कोशिका से अन्य दूसरे कोशिकाओं तक आसानी ले जाता है।
प्रश्न-3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर – अनुमस्तिष्क शरीर की स्थिति व संतुलन का अनुरक्षण करता है।
प्रश्न-4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर – वातावरण में फैली अगरबत्ती की गंध को ज्ञानेन्द्री नाक द्वारा ग्रहण किया जाता है। नाक में उपस्थित तंत्रिका कोशिका द्वारा विद्युत आवेग के रूप में सूचना दूसरी तंत्रिका कोशिका तक तथा इसी प्रकार मस्तिष्क तक पहुँचा दी जाती हैं जहाँ अग्रमस्तिष्क में इन सूचनाओं का
अर्थ पता लगाया जाता है। इसी प्रकार हम अगरबत्ती की गंध का पता लगाते हैं।
प्रश्न-5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर – मस्तिष्क शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र है। मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। ये शरीर के सभी भागों से सूचनाएँ प्राप्त करते हैं तथा इनका आंकलन करते हैं। सामान्य प्रतिवर्ती क्रियाएँ जैसे- पुतली के आकार में परिवर्तन आदि पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। ये अधिकतर क्रियाएँ मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क से नियंत्रित होती हैं।
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प्रश्न-1. पादप हॉर्मोन क्या हैं?
उत्तर – पौधों के अंदर उद्दीपन ग्रहण करने वाली कोशिकाओं द्वारा स्रावित वे रासायनिक पदार्थ जो पौधों में नियंत्रण एवम् समन्वय का कार्य करते हैं, पादप हॉर्मोन कहलाते हैं। जैसे- ऑक्सिन एवम् जिब्बेरेलिन।
प्रश्न-2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – छुई-मुई के पौधे की पत्तियों की गति, वृद्धि से संबंधित नहीं है। जब हम पौधे को स्पर्श करते हैं तो स्पर्श होने की सूचना को संचारित करने के लिए कुछ कोशिकाएँ अपनी आकृति बदल लेती हैं। पादप कोशिकाओं में विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होते, पर वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती हैं।
परिणामस्वरूप फूलने या सिकुड़ने से उनका आकार बदलता नजर आता है। छुई-मुई के पौधे में यह गति स्पर्श के कारण होती है। इस प्रकार की गति अनुकुंचन गति का उदाहरण है, जबकि प्रकाश की ओर प्ररोह की गति तीव्र नहीं होती, साथ ही साथ यह गति निश्चित दिशा में होती है। प्ररोह में यह गति प्रकाश के कारण होती है।
प्रश्न-3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर – वृद्धि को बढ़ाने वाला पादप हॉर्मोन जिब्बेरेलिन है।
प्रश्न-4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर – ऑक्सिन प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है तथा कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा हो तो ऑक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोह के प्रकाश से दूर वाले भाग में ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं को वृद्धि के लिए उद्दीप्त करता है। मटर के पौधे की तरह कुछ पादप प्रतान की सहायता से ऊपर चढ़ते हैं। ये प्रतान स्पर्श के लिए संवेदनशील हैं। जब ये किसी आधार के संपर्क में आते हैं तो प्रतानं का वह भाग जो वस्तु के सम्पर्क में है, उतनी तीव्रता से वृद्धि नहीं करता जितनी कि प्रतान का वह भाग जो वस्तु से दूर है। इस प्रकार प्रतान मुड़ जाता है और वस्तु को चारों ओर से जकड़ लेता है niyantran samanvay abhyaas prashnottar
प्रश्न-5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर – पौधों की जड़ें जल प्राप्त करने के लिए भूमि में नीचे की ओर गति करती हैं इस गति को जलानुवर्तन कहते हैं। जलानुवर्तन दर्शाने के लिए प्रयोगः आवश्यक सामग्रीः- एक चौड़ी पैट्रीडिश, मिट्टी, जल, अंकुरित बीज एक संरन्ध्र कार्ड बोर्ड।
प्रयोगः पैट्रीडिश में संरंध्र कार्ड बोर्ड के टुकड़े को सीधा खड़ा कर दें। इसके एक भाग में मिट्टी भर दें व दूसरे में जल भरें। मिट्टी वाले भाग में मिट्टी पर कुछ अंकुरित बीज उगने के लिए रख दें। अब सारे उपकरण को खुले स्थान पर रखें ताकि प्रकाश भी पर्याप्त मात्रा में मिल सके। तीन चार दिन के पश्चात देखने पर विदित होगा कि
(i) जड़ें जल की ओर मुड़ने लग गई हैं।
(ii) प्ररोह जल के विपरीत वृद्धि करता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि जड़ों में धनात्मक जलानुवर्तन होता है और प्ररोह में ऋणात्मक जलानुवर्तन होता है।
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नियंत्रण एवं समन्वय अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
“उत्तर – जंतुओं में विभिन्न रसायन या हॉर्मोन सूचनाओं के संचरण का कार्य करते हैं। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन मुख्यतः नियंत्रण और समन्वय का कार्य करता है। यह सीधे रूधिर में स्त्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। हृदय
सहित यह विशिष्ट ऊतकों पर कार्य करता है। परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। ये अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं। ये जंतु हॉर्मोन अंतः स्त्रावी ग्रंथियों का भाग हैं जो हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का दूसरा मार्ग है।
प्रश्न-2. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह, क्यों दी जाती है?
उत्तर – क्योंकि आयोडीन थॉयरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आवश्यक है। थॉयरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का हमारे शरीर में नियंत्रण करता है ताकि वृद्धि के लिए उत्कृष्ट संतुलन उपलब्ध कराया जा सके। थॉयरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन अनिवार्य है। यदि हमारे शरीर में आयोडीन की कमी होगी तो हम गॉयटर रोग से भी ग्रसित हो सकते हैं।
प्रश्न-3. जब एड्रीनलीन रुधिर में सावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर – जब एड्रीनलीन रूधिर में स्त्रावित होती है तो यह हृदय सहित विशिष्ट ऊतकों तथा अंगों पर कार्य करता है। परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। इससे पाचन तंत्र तथा त्वचा में रूधिर की आपूर्ति कम हो जाती है। यह रूधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देती है। डायाफ्रॉम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।niyantran samanvay abhyaas prashnottar
प्रश्न-4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इन्सुलिन का इन्जेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर – इन्सुलिन एक हॉर्मोन है जिसका उत्पादन अग्न्याशय में होता है और जो रूधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता तो रूधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जिसके कई हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए मधुमेह के रोगियों जिनमें इन्सुलिन की कमी हो जाती है, में इन्सुलिन की आपूर्ति इन्जेक्शन देकर की जाती है।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर कक्षा 10 विज्ञान नियंत्रण एवं समन्वय
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प्रश्न-1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है?
(क) इन्सुलिन
(ख) थायरॉक्सिन
(ग) एस्ट्रोजन (घ)साइटोकाइनिन
उत्तर – (घ) साइटोकाइनिन
प्रश्न-2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं
(क) द्रुमिका
(ख) सिनेप्स
(ग) एक्सॉन
(घ) आवेग
उत्तर – (ख) सिनेप्स
प्रश्न-3. मस्तिष्क उत्तरदायी है
(क) सोचने के लिए
(ख) हृदय स्पंदन के लिए
(ग) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न-4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं
कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर – हमारे पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों द्वारा लगाया जाता है, जिन्हें ग्राही कहते हैं। ये ग्राही प्रायः हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित होते हैं, जैसे- आन्तरिक कर्ण, जिह्वा आदि। ग्राही विभिन्न सूचनाओं को वातावरण से ग्रहण कर मस्तिष्क तक पहुँचाते हैं।
जब तक ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं करते तब तक हम कोई भी कार्य उचित प्रकार से नहीं कर पाते हैं। क्योंकि ग्राही कोई भी संदेश मस्तिष्क तक नहीं पहुंचा पाएंगे और मस्तिष्क भी कोई निर्णय नहीं ले पाएगा। ठंडा, गर्म, तीखा, दर्द आदि
का अनुभव हमें नहीं हो पाएगा और हमारा शरीर एक तरह से संवेदनाहीन हो जाएगा।
प्रश्न-5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – प्रत्येक तन्त्रिका कोशिका के तीन भाग होते हैं
1. कोशिकाकाय 2. दुमिका अथवा डैन्ड्राइट
2. तन्त्रिकाक्ष अथवा एक्सॉन
प्रत्येक तंत्रिका कोशिकाकाय में कोशिका द्रव्य से घिरा केन्द्रक होता है जिनमें से बहुत-सी कोशिका द्रव्यी संरचनाएँ (शाखाएँ) निकलती हैं, जिन्हें द्रुमिका या डैन्ड्राइट कहते हैं। इनमें से एक कोशिका द्रव्यी संरचना अधिक लम्बी होती है और एक्सॉन (तन्त्रिकाक्षं) कहलाती है। एक्सॉन के सिरे पर बहुत-सी शाखाएँ निकलती हैं।
कार्यः- (1) यह शरीर के सभी अंगों पर नियंत्रण रखती है।(2) यह ग्राही से सूचना लेकर मस्तिष्क तक पहुँचाती है।
प्रश्न-6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर – एक पौधे को ऐसे अंधेरे कमरे में रखिए जिसमें सिर्फ एक ही ओर से प्रकाश आ रहा है। आप देखेंगे कि प्ररोह प्रकाश की ओर झुक जाता है तथा जड़ प्रकाश से दूर चली जाती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि तना प्रकाश की दिशा में
आगे बढ़ता है। इसे धनात्मक प्रकाशानुवर्तन कहते हैं तथा जड़ें प्रकाश से दूर चली जाती हैं। अतः ये ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन कहलाता है।
प्रश्न-7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों को आने में व्यवधान होगा?
उत्तर – सम्पूर्ण शरीर की तंत्रिकाएँ मस्तिष्क तक जाने से पूर्व मेरूरज्जु में मिलती हैं। प्रतिवर्ती चाप इसी मेरूरज्जु में बनती हैं तथा आगत सूचनाएँ भी मेरुरज्जु से ही मस्तिष्क तक जाती हैं। यदि मेरूरज्जु पर आघात होता है तो कोई भी सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँच पाएगी और विभिन्न अंगों से मस्तिष्क का सम्पर्क टूट जाएगा तथा शरीर को चलाने के लिए जिस नियंत्रण एवम् समन्वय की आवश्यकता होती है, वह नहीं बन पाएगा।
प्रश्न-8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर – पौधों में केवल रासायनिक नियंत्रण तथा समन्वय होता है। इनमें कोई तन्त्रिका तंत्र नहीं होता। पौधे कुछ रसायन उत्पन्न करते हैं जो वृद्धि को उत्प्रेरित तथा नियंत्रित करते हैं जबकि कुछ अन्य वृद्धि को कम कर देते हैं। ये रसायन पादप हॉर्मोन या पादप वृद्धि नियमक कहलाते हैं। ये पौधों की विभिन्न क्रियाओं के नियंत्रण में सहायक होती है। उदाहरण के लिए ऑक्सिन हॉर्मोन, प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है तथा कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक है। जबकि साइटोकाइनिन हॉर्मोन कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है तथा एसिसिक अम्ल वृद्धि का संदमन करने वाला हॉर्मोन है।
प्रश्न-9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्चय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर – किसी भी जीव में नियंत्रण एवम् समन्वय की अत्यधिक आवश्यकता होती है। प्रत्येक जीव जीवित रहने के लिए कई परिस्थितियों का सामना करता है तथा उसी के अनुरूप प्रतिक्रिया करता है। इसके साथ ही विभिन्न जैविक क्रियाएँ प्रतिक्षण हमारे शरीर में घटित होती रहती हैं, जिनको नियंत्रित करने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए प्रत्येक जीव में नियंत्रण एवम् समन्वय के लिए हॉर्मोन तंत्र अर्थात् तंत्रिका तंत्र की आवश्यकता होती है।
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