निर्धनता एक चुनौती पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th Economics,के इस पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से पाठ से जुड़े महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर पोस्ट कर का भर किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, तथा सभी प्रश्न कभी ना कभी पिछले परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, इसलिए यदि आप इस पेज पर हैं, तो जरूर पूरा पढ़ें-
निर्धनता एक चुनौती पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।Ncert Solution For Class 9th
निर्धनता एक चुनौती पाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
निर्धनता एक चुनौती पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
निर्धनता एक चुनौती पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1 वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर-वैश्विक निर्धनता पर आँकड़ें निम्न प्रवृत्तियों को दर्शा रहे हैं-
(क) विकासशील देशों में निर्धन लोगों का अनुपात काफी अधिक है।
(ख) अंतर्राष्ट्रीय निर्धनता रेखा के अनुसार 1 डॉलर प्रतिदिन से कम आय पर रह रहे लोगों की संख्या 1990 में 28% से कम होकर 2001 में 21% हो गई है।
(ग) वैश्विक निर्धनता में महत्त्वपूर्ण कमी के बावजूद वृहत् क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं।
(घ) चीन और दक्षिण एशियाई देशों में तीव्र आर्थिक विकास और मानव संसाधन विकास में पर्याप्त निवेशों के परिणामस्वरूप निर्धनता में महत्त्वपूर्ण गिरावट आई है। चीन में निर्धन लोगों की संख्या 1981 में 606 मिलियन से कम होकर 2001 में 212 मिलियन रह गई है।
(ङ) भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बाँग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों में यह गिरावट उतनी अधिक नहीं हो पाई है।
(च) सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता 1981 में 41% से बढ़कर 2001 में 46% हो गई।
(छ) रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई है।
2 निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर-निर्धनता की उन्मूलन की सरकार की वर्तमान रणनीति- निर्धनता का उन्मूलन करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं। उनमें से कुछ
का वर्णन निम्नांकित है-
(क) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005- यह अधिनियम सितंबर, 2005 को पारित किया गया। इसे 2 फरवरी, 2006 जिलों में लागू किया गया। इसमें 200 गाँवों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के रोजगार की व्यवस्था की गई है। इस अधिनियम के अन्तर्गत यदि किसी परिवार को पंद्रह दिन के अंदर नौकरी नहीं दी जाती तो वह बेरोजगारी भत्ता प्राप्त
करने का अधिकारी होगा।
(ख) राष्ट्रीय काम के बदले भोजन कार्यक्रम- यह कार्यक्रम देश के सबसे अधिक पिछड़े 150 गाँवों में 2004 में लागू किया गया था। यह योजना ग्रामीण क्षेत्र के उन सभी लोगों के लिए थी जो शारीरिक कार्य मजदूरी पर करना चाहते हैं। जब राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना कार्यक्रम पूर्ण रूप से लागू हो जाएगा तब उसमें इस कार्यक्रम का समावेश कर दिया जाएगा।
(ग) प्रधानमंत्री रोजगार योजना- यह योजना 1993 में आरंभ की गई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों के शिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। यह कार्यक्रम शिक्षित युवकों को छोटे व्यवसाय तथा उद्योगों को स्थापित करने में सहायता करेगा।
(घ) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम- यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार की सुविधाओं का सृजन करना है।
(ङ) स्वर्णजयंती ग्रामीण स्वरोजगार योजना- यह योजना 1 अप्रैल, 1990 को लागू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य सहायता प्राप्त परिवारों को निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
(च) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना- यह योजना 2001 में आरंभ की गई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए
पाँच महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों-
(i) स्वास्थ्य
(ii) प्रारंभिक शिक्षा
(iii) पेयजल
(iv) आवास तथा
(v) सड़कों का विकास करना है।
(छ) अंत्योदय अन्न योजना- इस योजना का आरंभ 2000 में किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में सबसे अधिक 100 करोड़ निर्धनों को पहचाना गया और प्रत्येक परिवार को 25 किलोग्राम अनाज (₹ 2 प्रति किलोग्राम गेहूँ तथा ₹ 3 प्रति किलोग्राम चावल) उपलब्ध कराया गया। अप्रैल 2000 से 25 किलोग्राम अनाज से 35 किलोग्राम प्रति परिवार कर दिया गया।
3 भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-निर्धनता रेखा का अनुमान लगाने की दो विधियाँ हैं-
(क) आय विधि तथा (ख) उपभोग विधि । भारत में निर्धनता रेखा का अनुमान उपभोग व्यय की विधि से किया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत पहले यह निश्चित किया जाता है कि एक व्यक्ति को कम से कम आवश्यकता कितने खाद्य पदार्थों की है।
फिर यह अनुमान लगाया जाता है कि उन खाद्य पदार्थों के लिए कितने पैसों की आवश्यकता है। तीसरे यह अनुमान लगाया जाता है कि उतने पैसे कितने व्यक्तियों के पास नहीं हैं। ऐसे सभी व्यक्ति निर्धनता रेखा के अन्तर्गत आते हैं जिनके पास उपयोग की आवश्यक वस्तुओं को जुटाने के लिए साधन नहीं हैं।
भारत में निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्धन है या वह व्यक्ति जिसके पास इतनी राशि उपलब्ध नहीं है जिससे वह उतनी वस्तुएँ खरीद सके जिसके उपभोग करने पर उसको निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा उपलब्ध हो निर्धन कहलाता है अर्थात् निर्धन रेखा के नीचे आता है।
भारत में निर्धन रेखा के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी प्रतिदिन और शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रतिदिन की मात्रा निर्धारित की है।jac board