NCERT Solution For Class 8th संसदीय शासन व्यवस्था पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर अध्ययन करने के लिए मिलेगा जो परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, और पिछले कई परीक्षाओं में भी पूछे जा चुके हैं-
NCERT Solution For Class 8th संसदीय शासन व्यवस्था पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसदीय शासन व्यवस्था पाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसदीय शासन व्यवस्था पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसदीय शासन व्यवस्था पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1 भारत में संसदीय प्रणाली को क्यों अपनाया गया ?
उत्तर-संविधान निर्माण के समय संविधान सभा द्वारा इस बात पर काफी चर्चा की गई कि भारत में संसदीय प्रणाली रहे या अध्यक्षीय प्रणाली । भारतीय राजनीति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा तत्कालीन दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पूरे देश की जनता ने लंबा संघर्ष किया।
इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी तथा विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतंत्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे।
स्वतंत्रता आंदोलन ने लोगों ने लोगों को ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने तथा अपनी माँगें पेश करने की शक्ति प्रदान की। जैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1885 में ही माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए।
औपनिवेशिक शासन के अनुभव और स्वतंत्रता संघर्ष के आधार पर राष्ट्रवादियों को विश्वास हो गया था कि स्वतंत्र भारत में सभी लोग अपने जीवन को प्रभावित करने वाले फैसलों में हिस्सा लेने की क्षमता रखते हैं।
लगभग दो सौ वर्षों तक ब्रिटिश प्रभाव में रहने के कारण भारतीय समाज ब्रिटेन में प्रचलित संसदीय व्यवस्था से भली-भाँति परिचित हो चुकी थी। स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं था कि सरकार जो चाहे कर सकती थी।
स्वतंत्रता संघर्ष के सपनों और आकांक्षाओं ने स्वतंत्र भारत के संविधान में ठोस रूप ग्रहण किया। इस प्रकार के वर्तमान हालात और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आधार पर संविधान निर्माताओं द्वारा लंबी बहस के बाद भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया।
2 कानून का शासन’ पद से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में लिखें। अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दें।
उत्तर-कानून की नजर में सभी लोग बराबर हैं ऐसा प्रावधान संविधान में है। हमारा कानून धर्म, जाति और लिंग के आधार पर लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता। कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं है। कानून का उल्लंघन करने वाले को एक निश्चित सजा होती है।
एक सरकारी अधिकारी के बेटा को जिला अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है। इस वजह से वह सरकारी अधिकारी अपने बेटे को भाग निकलने में मदद करता है। क्या आपको लगता है सरकारी अधिकारी ने सही काम किया ? क्या उसके बेटे को केवल इसलिए कानून से माफी मिल जानी चाहिए कि उसका बाप आर्थिक और राजनीतिक रूप से ताकतवर है। यही सीधे कानून उल्लंघन का मामला है।
3 राज्य विधानसभा और संसद (लोकसभा) में क्या फर्क है ?
उत्तर-लोकसभा के सदस्य संसद सदस्य या सांसद (MP) कहलाते हैं जबकि राज्य विधानसभा के सदस्य विधायक (MLA) कहलात हैं। संसद में 543 निर्वाचित सदस्य हैं और 2 मनोनीत सदस्य रहते हैं जबकि झारखंड विधानसभा में 81 सदस्य हैं और लोकसभा में 14 सदस्य हैं।
लोकसभा के सदस्य अपने संसद निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि विधायक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। केन्द्र में अर्थात् दिल्ली में संसद है और विधानमंडल राज्य के अंतर्गत है।
संसद सम्पूर्ण देश में एक है जबकि विधान मंडल की संख्या प्रत्येक राज्य में है। संसद में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री कहा जाता है जबकि विधानसभा के बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री कहते हैं। jac board