नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | NCERT Solution For Class 9th history

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | NCERT Solution For Class 9th के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जो पिछले के परीक्षा में पूछे जा चुके हैं, उन सभी प्रश्नों के उत्तर पढ़ने के लिए मिलेगा इसलिए इस पोस्ट को कृपया करके पूरा पढ़ें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करते हैं-

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
नात्सीवाद और हिटलर का उदयपाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं ?
उत्तर-वाइमर गणराज्य के द्वारा जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा था ये निम्नांकित थी-
(क) गणराज्य के सामने सबसे बड़ी समस्या वर्साय की संधि थी इसी संधि के कारण (जब उसने विवश होकर हस्ताक्षर कर दिए थे) ही इसकी जनता (अर्थात् जर्मन लोगों ने उसे अच्छी सरकार नहीं समझा।
इसका कारण यह था कि युद्ध को शुरू करने के लिए केवल विजित शक्तियों ने जर्मनी को ही उत्तरदायी ठहराया तथा जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में हार को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।
(ख) जर्मनी के लोगों ने वर्साय की संधि का विरोध किया क्योंकि इसमें न केवल कठोर एवं हानिकारक शर्ते लादी गई थीं अपितु ये सारे देश में अपमानजनक तरीके से थोपी भी गई थीं। जर्मनी के प्रतिनिधियों पर व्यंग्य कसे गये थे, विशेषकर जर्मनी के पुराने शत्रु फ्राँस द्वारा।
(ग) जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया गया था। जर्मनी ने अपने समुद्र पार सभी उपनिवेश, लगभग 1/10 भाग जनसंख्या. 13 प्रतिशत अपना भू-भाग, 75 प्रतिशत इस्पात-लौह खोया एवं 26 प्रतिशत अपना कोयला भी फ्राँस, पोलैंड, डेनमार्क एवं लिथुआनिआ को दिया।
(घ) मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी को कमजोर करने के लिए इसका असैन्यकरण किया।
(ङ) युद्ध अपराध धारा ने जर्मनी को युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराने के साथ-साथ उस समस्त नुकसान के लिए भी उत्तरदायी ठहराया, जो मित्र राष्ट्रों ने उठाया था। जर्मनी को युद्ध क्षति भुगतान करने के लिए विवश किया। यह रकम लगभग 6 बिलियन (अरब) पौण्ड थी। मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने 1920 के दशक से राइनलैंड के समृद्ध संसाधनों पर भीअधिकार कर लिया।
(च) अनेक जर्मन लोगों ने अपने वाइमर गणराज्य को न केवल जर्मनी की पराजय के लिए अपितु अपमानजनक वर्साय की संधि को स्वीकार करने के लिए भी उत्तरदायी ठहराया।
(छ) दुर्भाग्यवश नाबालिग वाइमर गणतंत्र को पुराने राजतंत्र के द्वारा किए गए गुनाहों के भुगतान के लिए भी विवश किया जा रहा था। गणतंत्रीय सरकार को प्रथम विश्व युद्ध को जारी रखने के पाप के लिए, राष्ट्रीय अपमान एवं युद्ध क्षति की पूर्ति करते हुए आर्थिक रूप से जर्मनी को दिवालिया करने के लिए जिम्मेदार ठहराया।

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर NCERT Solution

2 नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे? वर्णन करें।
उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् जर्मनी से वर्साय की सन्धि द्वारा जो कठोर और अपमानजनक व्यवहार किया गया उसका यह परिणाम हुआ कि जर्मनी में नाजीवादी नाम से एक तानाशाही राज्य स्थापित हो गया। नाजीदल की मुख्य विशेषताएँ या मुख्य विचार या मुख्य सिद्धान्त-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व का आरम्भ हुआ। इस आंदोलन के मुख्य सिद्धान्त निम्नांकित थे-
(क) राज्य सबसे ऊपर है। नाजीवाद के अनुसार, ‘लोग राज्य के लिए हैं न कि राज्य लोगों के लिए।
(ख) नाजीवादी सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में था और एक महान नेता के नेतृत्व की सराहना करता था।
(ग) यह युद्ध को उचित ठहराता था और शक्ति के प्रयोग की सराहना करता था।
(प) यह उदारवाद, समाजवाद और साम्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था।
(ङ) यह जर्मनी में यहूदी लोगों को बिल्कुल मिटा देने के पक्ष में था, क्योंकि वे ही जर्मन के लोगों की आर्थिक मुसीबतों के कारण थे।
(च) यह हर विरोध को समाप्त कर देना चाहता था और हर प्रकार के दल-संगठन के विरुद्ध था
(छ) नाजीवाद जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और उन सभी बस्तियों को वापस लेना चाहता था, जो प्रथम विश्व-युद्ध से पहले जर्मनी के अधीन थीं।
(ज) नाजीवाद जर्मनी की सैनिक शक्ति को बढ़ाना चाहता था और उसे विश्व की महान शक्ति के रूप में देखना चाहता था।
3 नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर-1933 में जर्मनी में शक्ति पकड़ने के पश्चात् शीघ्र ही हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध सर्वत्र घृणा का प्रचार करना शुरू कर दिया और इस उद्देश्य में उसे काफी सफलता भी प्राप्त हुई। उसकी इस सफलता के लिये अनेक कारण उत्तरदायी थे जिनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं-
(क) अपनी सभी कठिनाईयों के लिये, जो जर्मनी को लोगों की प्रथम विश्व युद्ध के बाद सहनी पड़ी, उन्होंने वाइमर गणतंत्र को उत्तरदायी ठहराया क्योंकि, उन्होंने मित्र राष्ट्रों से होने वाली कठोर और अपमानजनक सन्धि पर हस्ताक्षर किये थे।
सारी जर्मन जाति ने ऐसा महसूस करना शुरू कर दिया जैसे कोई उनका जानबूझ कर निरादर कर रहा है। चारों तरफ अशान्ति, निरादर और बेकारी का बोल-बाला था। जब हिटलर ने 1933 ई० में वाइमर गणतंत्र से छुटकारा पाया तो लोगों ने चैन की सांस ली।
लोगों की नजरों में हिटलर का आदर बहुत बढ़ गया और देखते ही देखते वह लोगों का मसीहा बन गया। यदि उसने हाँ कहा तो सारे जर्मन लोग हाँ कहने लगे और यदि उसने न कहा तो सभी न कहने लगे यदि उसने यह कहना शुरू कर दिया कि यहूदी बुरे हैं तो बस सबने यही कहना शुरू कर दिया कि वे बुरे हैं।
इस प्रकार हिटलर के व्यक्तित्व ने ऐसा करिश्मा कर दिया कि उसका यहूदियों के विरुद्ध प्रचार सफल होता चला गया।
(ख) नाजियों, विशेषकर हिटलर ने ईसाइसों की यहूदियों के विरुद्ध परम्परागत घृणा का खूब लाभ उठाया। ईसाई पहले ही यहूदियों को ईसा मसीह की मृत्यु के लिये उत्तरदायी मानते थे. इसलिए यहूदियों के विरुद्ध हिटलर की घृणा की विचारधारा सफल होती चली गई।
(ग) नाजी लोग (या हिटलर) की इस धारणा ने कि जर्मन लोग उच्च आर्य जाति से सम्बन्ध रखते हैं जबकि यहूदी लोग निम्न जाति के हैं, इस आपसी अंतर को और भी बढ़ा दिया। इसलिए जब यहूदियों को हजारों की मात्रा में गैस-चैम्बरों में मारा जाने लगा तो जन-साधारण बिल्कुल चुप रहे।
(घ) नाजी लोगों ने यहूदियों के प्रति घृणा की भावना का प्रचार स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों से ही करना शुरू कर दिया। ऐसे में बड़े होकर वे स्वयं इस घृणित सिद्धान्त के प्रचारक बन गए। स्कूलों में यहूदी अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को भी जबरन निकाल दिया गया। इस शुद्धिकरण की नीति और नई पीढ़ी को यहूदियों के विरुद्ध बचपन से ही तैयार करने की नीति का यह परिणाम निकला कि लोग अपने-आप यहूदियों से घृणा करने लगे।

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 Long Question Answer

4 नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर-नात्सी सरकार ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नांकित तरीके अपनाए-
(क) युवाओं का विचार परिवर्तन- उनकी बाल्यावस्था से ही नात्सी सरकार ने बच्चों के मन-मस्तिष्क पर कब्जा कर लिया। जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्हें वैचारिक प्रशिक्षण द्वारा नात्सीवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।
(ख) स्कूली बच्चों का विचार परिवर्तन- नात्सी सरकार ने अपनी विचारधारा नए पाठ्यक्रम के अनुरूप पुस्तकें तैयार करवाई। कई युवा चित्रकारिता कार्यक्रम बनाये गये। इन सबके द्वारा उन्हें नम्रता तथा कृतज्ञता का पाठ पढ़ाया गया। उनसे कहा जाता था कि वे यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करें।
(ग) खेल गतिविधियाँ- उन सभी खेल गतिविधियों (खासकर बॉक्सिंग) को प्रोत्साहित किया गया जो बच्चों में हिंसा तथा आक्रामकता की भावना पैदा करती थीं।
(घ) लड़कियों का विचार परिवर्तन- लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी कि उन्हें अच्छी मौं बनना था तथा शुद्ध रक्त वाले आर्य बच्चों का लालन-पालन करना था।
(छ) औरतों के बीच भेदभाव- औरतों के बीच उनके बच्चों के आधार पर भेदभाव किया जाता था। एक अवांछित बच्चे की माँ होने पर औरतों को दंडित किया जाता था तथा जेल में कैद कर दिया जाता था। किंतु, बच्चे के शुद्ध आर्य प्रजाति का होने पर औरतों को सम्मानित किया जाता था तथा ईनाम दिया जाता था
(च) आर्यों के आर्थिक हितों की रक्षा-आर्य प्रजाति के लोगों के लिए आर्थिक अवसरों की भरमार थी। उन्हें रोजगार दिया जाता था, उनके व्यापार को सुरक्षा दी जाती थी तथा सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव सहायता दी जाती थी।
(छ) नात्सी प्रचार- जनता पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में नात्सियों द्वारा विशेष पूर्वनियोजित प्रचार का सर्वाधिक योगदान था।
(ज) नात्सियों ने आबादी के विभिन्न हिस्से को अपील करने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने इस आधार पर उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया कि केवल नात्सी ही उनकी हर समस्या का हल ढूँढ सकते थे।
5 सोवियत संघ पर जर्मनी के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दें। इस लड़ाई का अंतर्राष्ट्रीय वातावरण पर क्या उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा?
उत्तर-सोवियत संघ पर जर्मनी का हमला- ब्रिटेन को छोड़ लगभग पूरे यूरोप को जीतने के बाद जर्मनी ने 22 जून 1941 को आक्रमण संधि के बावजूद सोवियत संघ पर हमला कर दिया। जैसा कि कहा जा चुका है, सोवियत संघ के विशाल क्षेत्र और संसाधनों पर हिटलर की निगाहें हमेशा से गड़ी थीं। उसने सोचा कि आठ सप्ताह में सोवियत संघ का वह विनाश कर देगा।
सोवियत संघ के साथ इस युद्ध के आरंभिक दौर में जर्मनी को महत्त्वपूर्ण सफलताएँ मिलीं। जर्मनों ने सोवियत संघ का काफी बड़ा भाग तबाह कर डाला, लेनिनग्राद पर घेरा डाल दिया गया और जर्मन सेनाएँ मास्को की ओर बढ़ने लगी परंतु जर्मनी की आरंभिक सफलताओं के बाद उसके आक्रमण को रोक दिया गया।
सोवियत संघ तब तक पर्याप्त औद्योगिक और सैनिक शक्ति प्राप्त कर चुका था। उसने जर्मन हमले का बहादुरी से सामना किया और जर्मनी की शीघ्र विजय पाने की आशा पर पानी फिर गया। प्रभाव- सोवियत संघ पर जर्मन हमले ने युद्ध के क्षेत्र को काफी विस्तृत बना दिया।
लड़ाई का एक नया मोर्चा खुल गया। इसके बाद एक महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि हमले के मुकाबले के लिए ब्रिटेन, सोवियत संघ और अमरीका एक हो गए। सोवियत संघ पर हमले के फौरन बाद चर्चिल और रूजवेल्ट ने उसे क्रमशः ब्रिटेन और अमरीका के समर्थन की घोषणा की और उसे सहायता देने का वादा भी किया।
इसके बाद सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच तथा सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच समझौते हुए। यही वह एकता थी जिसके कारण जर्मनी, इटली और जापान को आखिरकार हराया जा सका।
6 हिटलर का उत्थान किन नीतियों एवं उपायों के कारण हुआ विवेचना करें।
उत्तर-हिटलर ने 1921 ई० में नाजी पार्टी की स्थापना की। इसका उत्थान निम्नांकित नीतियों एवं उपायों के कारण हुआ-
(क) नाजी पार्टी के कार्यकताओं को लेकर उसने जर्मनी की राजधानी बर्लिन की ओर एक अभियान आयोजित कर सत्ता हथियाने की योजना बनाई। उसे असफलता मिली। जेल के दौरान उसने अपनी पुस्तक ‘मेरा संघर्ष लिखी।
(ख) हिटलर ने खुलेआम बल प्रयोग और बर्बरतापूर्ण व्यवहार तथा महान नेता द्वारा शासन की महिमा का गुणगान किया और अंतर्राष्ट्रीय, शान्ति और लोकतंत्र का माखौल उड़ाया।
(ग) यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया तथा युद्ध का गुणगान किया।
(घ) वार्साय की संधि के कारण लोगों में व्याप्त बदला लेने तथा अपमान की भावना का लाभ उठाया।
(ङ) हिटलर ने 1932 ई० के चुनाव में भाग लिया। उसमें उसे असफलता मिली, तो वह राजनीतिक षड्यंत्र रचने लगा। जर्मनी के राष्ट्रपति ने उसे 30 जनवरी, 1933 को चांसलर नियुक्त किया।
(च) आतंक का राज्य स्थापित किया। नाजी विरोधी नेताओं की हत्या बड़े पैमाने पर कराई गई। चुनाव में विफल रहने पर हिटलर ने तानाशाही अधिकार ग्रहण कर लिया और चांसलर के साथ-साथ राष्ट्रपति भी बन गया।

नात्सीवाद और हिटलर का उदय पाठ 3 Ncert Notes Class 9th

7 जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारणों की चर्चा करें।
उत्तर-जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारण-
(क) वर्साय की अपमानजनक संधि-जर्मनी के कई उपनिवेशों, जहाजी बेड़ों, सैन्य दलों को इस संधि के अधीन लगभग समाप्त कर दिया गया। इस संधि के प्रावधान कठोर एवं अपमानजनक थे। अतः लोगों ने नाजीवाद में अपने भावों की अभिव्यक्ति पाई।
(ख) 1929 का आर्थिक संकट- 1929 ई० में, यूरोप आर्थिक संकट की चपेट में आ गया। जर्मनी भी इससे अछूता नहीं रह पाया। यहाँ असंख्य सैनिक व अमिक बेकार हो गए। भुखमरी की नौबत आ गई।
जर्मन गणतंत्र व वहाँ की सरकार इन समस्याओं को हल करने में असमर्थ रही। अतः मध्य श्रेणी और छोटी श्रेणी के लोग व्यापारी, कारीगर, श्रमिक, किसान आदि सभी नाजीवाद के प्रति आकृष्ट हुए।
(ग) पूँजीपतियों द्वारा प्रोत्साहन- हिटलर साम्यवाद का प्रबल विरोधी था। वह उदारवाद, समाजवाद और साम्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। अतः पूँजीपतियों ने नाजीवाद को प्रोत्साहन दिया क्योंकि वह उनके हितों की सुरक्षा करता था। कई उद्योगपति, भूमि के मालिक और सैनिक अधिकारियों ने नाजीवाद को प्रोत्साहन किया।
(घ) यहूदी जाति के लिए घृणा- हिटलर जर्मनी से यहूदी लोगों का बिल्कुल निष्कासन करने के पक्ष में था, क्योंकि वे ही जर्मनी के ‘आर्थिक कष्टों का कारण समझे जाते थे। संपूर्ण जर्मन लोगों की भावनाएँ हिटलर को अपने अभियान में सफलता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हुई।
(ङ) हिटलर के व्यक्तित्व का प्रभाव- नाजीवाद के उदय में हिटलर का प्रभावशाली एवं शक्तिशाली व्यक्तित्व महत्त्वपूर्ण था। उसके भाषण लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। लोग उनका अंधानुकरण करने लगे थे। इस कारण भी नाजीवाद पनपा और फैला।
(च) एकता का अभाव- समाजवादी और साम्यवादी दल के नेताओं में एकता का अभाव ने भी नाजीवाद को प्रोत्साहन दिया। JAC BOARD RANCHI

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