मुद्रा और साख पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solutions For Class 10th Economics

मुद्रा और साख पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solutions For Class 10th Economics, के इस ब्लॉग पोस्ट पर आप सभी विद्याथियों का स्वागत है , इस ब्लॉग पोस्ट में आज को इस पाठ से सबंधित महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर के बारे विस्तार जानने को मिलेगा जो पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके है , उम्मीद है इस तरह के प्रश्न आगामी परीक्षा में भी पूछे जा सकते है , इस लिए यदि इस पेज पर आप गलती से भी आ गए है तो सभी प्रश्न और उनके उत्तर को जरूर पढ़े , आपको काफी मदद मिलेगी |

मुद्रा और साख पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर l Ncert Notes Class 10th Economics

मुद्रा और साख पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
मुद्रा और साख पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
मुद्रा और साख पाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर

1 मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है ? उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर- वस्तु विनिमय व्यवस्था में चीजों का आदान-प्रदान चीजों से होता है और उसमें मुद्रा के प्रयोग की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। परन्तु ऐसा करना कितना कठिन है यह एक उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा।

एक जूता बेचने वाला गेहूँ खरीदना चाहता है। पहले तो उसे जूता खरीदने वाला व्यक्ति खोजना पड़ेगा और फिर उसे देखना पड़ेगा कि ऐसा व्यक्ति कहाँ है, जो एक तरफ तो जूता खरीदना चाहता है और दूसरी तरफ गेहूँ बेचना चाहता है।

इस प्रकार इस लेन-देन में संयोगों की आवश्यकता पड़ती है। पहले तो जूता खरीदने वाला व्यक्ति खोजा जाए और दूसरे वह गेहूँ बेचने के लिए तैयार हो।

परन्तु मुद्रा के प्रयोग से जूता बनाने वाला किसी को भी अपना जूता बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता है और इस मुद्रा से वह जहाँ से चाहे गेहूँ खरीद सकता है। ऐसे में मुद्रा द्वारा दोहरे संयोग की समस्या पैदा नहीं होती और वह अपने-आप हल हो जाती है।

2 देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की क्या भूमिका रहती है ?
उत्तर- बैंक देश की अर्थव्यवस्था में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-

(क) बैंक लोगों के खून-पसीने की कमाई को अपने पास जमा करके उसे सुरक्षित रखते हैं।

(ख) बैंक केवल जमाकर्ता के धन को सुरक्षित ही नहीं रखते वरन् वे उस पर उसे उचित ब्याज भी देते हैं। बहुत से परिवार बैंक के इस व्याज पर ही निर्भर करते हैं।

(ग) बैंक जिनके पास फालतू धन है और जिन्हें धन की आवश्यकता है इन दोनों के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।

(घ) बैंक किसानों को कर्ज देकर देश की पैदावार को बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस धन से किसान अपनी सिंचाई की सुविधाओं आदि को बढ़ाकर जहाँ पहले वर्ष भर में एक बार खेती करते थे, वहाँ दो और तीन बार भी खेती कर सकते हैं।

(ङ) बैंक उद्योग के विकास में भी बड़ा सहायक सिद्ध होते हैं। लघु उद्योगों में लगे लोग बैंकों से सस्ते दामों पर कर्ज लेकर अपने पुराने उद्योगों को उन्नत कर सकते हैं और कई नए उद्योग भी लगा सकते हैं।

(च) बैंक से कर्ज लेकर बहुत से व्यापारी अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं और पहले से कहीं अधिक वस्तुओं का व्यापार कर सकते हैं।

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3. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर-  कोई भी बैंक किसी व्यक्ति की ऋण अदायगी की क्षमता के आधार पर ही ऋण देता है। बैंक किसी भी जोखिम वाले काम के लिये ऋण नहीं देते हैं।

जब कर्जदार किसी ऐसे व्यक्ति को उपलब्ध कराने में असमर्थ रहता है जो उसके कर्ज न चुकाने पर उसका कर्ज चुका सके इस स्थिति में भी बैंक उसे कर्ज नहीं देते हैं। इसलिये बैंक कुछ चुनिंदा लोगों को ही ऋण देते हैं।कुछ मुख्य बिंदु:-

1 .कर्जदार बैंकों को अपनी आय का प्रमाण देने में असमर्थ हो।
2. सिक्योरिटी के रूप में कुछ उपलब्ध नहीं करवा सके।
3. कोई गारंटी लेने वाला नहीं हो।

4: हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत क्यों है?
अथवा
साख के स्त्रोत के दो वर्ग कौन- से हैं?
उत्तर- औपचारिक ऋण वे हैं जो बैंकों या सहकारी समितियों से प्राप्त होते हैं जबकि अनौपचारिक ऋण वे हैं जो साहूकारों, व्यापारियों, मित्रों एवं रिश्तेदारों आदि से प्राप्त होते हैं।
भारत में लगभग 48% ऋण अनौपचारिक सेक्टर से आता है। कई लोग ऐसे हैं जिनकी पहुँच ऋण के औपचारिक सेक्टर तक नहीं है। ऐसे लोग अक्सर सूदखोरों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो गरीबों को दबाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं।

ऐसे लोगों को गरीबी के कुचक्र से निकालने के लिए उन तक ऋण के औपचारिक स्रोतों को पहुँचाना जरूरी हो जाता है। इससे गाँवों और दूर दराज के इलाकों में सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।

5. अतिरिक्त धन वाले और धन के जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस प्रकार मध्यस्थता प्रदान करते हैं?
अथवा
“बैंक विनिमय के सशक्त साधन है।” तर्क देकर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- लोग बैंको के साथ अनेक प्रकार से जुड़े होते हैं। बैंक विभिन्न लोगों के पैसे अपने यहाँ जमा रखता है। जिन लोगों के पास अतिरिक्त मुद्रा होती है, वे बैंक में अपनी धनराशि जमा करके रखते हैं।

जिन्हें ऋण की आवश्यकता होती है वैसे लोग बैंक जाते हैं और बैंकों से उचित दर में ऋण लेते है। और बैंक अपने पास जमा राशि से ऐसे लोगों को ऋण मुहैया कराता है।

इस प्रकार कर्ज के रूप में प्राप्त धन से कर्जदार अपना काम कर पाता है। अतः इस तरह से बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता का काम करता है।

6. जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण करजदार के लिए और समस्याएं खड़ी कर सकता है स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-  इस कथन में कोई भी अतिशयोक्ति नहीं की अधिक जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है।

उदाहरस्वरूप, एक छोटा किसान जमीन के एक छोटे टुकड़े पर खेती करता है जिससे उसके परिवार का जीवन निर्वाह भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। खेती के खर्चों को पूरा करने के लिए वह किसी साहूकार से कर्ज लेता है।

इस आशा में की खेती की फसल को बेचकर वह साहूकार का कर्ज वापस कर देगा लेकिन किसी भी कारण वर्ष वर्षा के अधिक होने या ना होने के कारण फसल अच्छी नहीं हो पाती है तो इस परिस्थिति में उसका कर्ज बढ़ती हुई एक रकम बन जाएगा जिसे चुका ना उसके लिए और भी मुश्किल हो जाएगा।

NCERT Solutions for Class 10th: मुद्रा और साख अर्थशास्त्र

7. 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर-  10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, ” केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।” इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है।

यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार ने यह नोट छापने का अधिकार दिया है और रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है। केंद्रीय सरकार की यह अनुमति ही इस नोट को अधिकृत करैंसी का रूप प्रदान करती है।

8. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठन के पीछे का मूल विचार क्या है ? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर- स्वयं सहायता समूहों का गठन वैसे गरीबों के लिये किया जाता है जिनकी पहुँच ऋण के औपचारिक स्रोतों तक नहीं है यह समूह विशेषकर महिलाओं के लिए बहुत हितकारी होते हैं।
कई ऐसे कारण हैं जिनसे ऐसे लोगों को बैंक या सहकारी समिति से ऋण नहीं मिल पाता है।

अशिक्षा और जागरूकता के अभाव से उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है। एक स्वयं सहायक समूह में 15 से 20 सदस्य होते हैं जो हर महीने अपनी बचत राशि का या उसके कुछ राशि को आत्मनिर्भर गुट बनाकर जमा करते रहते हैं।

धीरे-धीरे यह राशि काफी बड़ी रकम बन जाती है। स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों को छोटा ऋण देती है ताकि उनकी आजीविका चलती रहे। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों में ऋण अदायगी की आदत भी डालती।

मुद्रा और साख पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर अर्थशास्त्र

9. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर – किसी भी देश के विकास में ऋण की अहम भूमिका होती है। क्योंकि ज्यादातर व्यवसायों को आगे बढ़ाने के लिये कभी न कभी ऋण की आवश्यकता पड़ती है।

ऋण के बिना किसी छोटी कंपनी को एक बड़ी कंपनी में नहीं बदलना एक चुनौतपूर्ण कार्य है। ऋण के अभाव में किसान खेती को बड़े पैमाने पर नहीं कर सकते हैं।

ज्यादातर लोग ऋण के बिना घर या कार नहीं खरीद सकते हैं। जिनका की देश के विकास पर बड़ा असर पड़ता है। अगर ऋण की दर कम है तो वह जनसाधारण के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। ncert