महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर, Ncert Solution For Class 8th history

महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर | Ncert Solution For Class 8th history के इस पोस्ट में सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से कक्षा आठ में पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों के लिए पाठ से जुड़े हर महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर जो परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं, उन सभी प्रश्नों को इस पोस्ट पर प्रभाव किया गया है, जो पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, इसलिए इस पोस्ट में दिए गए जितने भी प्रश्न है, उन सभी प्रश्नों की आंसर को ध्यान से पढ़ें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके-

महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर, Ncert Solution For Class 8th history

महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 लघु उत्तरीय प्रश्न
महिलाओं की स्थिति में सुधार पाठ 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए राजा राममोहन राय ने क्या प्रयास किये ?
उत्तर-राजा राममोहन राय महिलाओं के लिए ज्यादा स्वतंत्र व समानता के पक्षधर थे। राजा राममोहन राय इस बात से दुखी थे कि विधवा औरतों को अपनी जिंदगी में भारी कष्टों का सामना करना पड़ता था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अमानवीय सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया।

उन्होंने शास्त्रों का सहारा लेकर यह बताने की कोशिश की कि धर्मशास्त्रों में भी सती प्रथा का विरोध किया गया था। उन्होंने स्त्रियों के प्रति मानवता और दया की भावना उभारने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर कई प्रयास किये। उन्होंने विलियम बेंटिंक को प्रेरित किया कि वह इस प्रथा को दूर करने के लिए अपना पूर्ण समर्थन दें।

राजा राममोहन राय एक धर्म सुधारक की अपेक्षा एक समाज सुधारक के रूप में अधिक विख्यात हैं। विलियम बेंटिंक ने 1829 ई० में एक कानून बना कर विधवाओं को जिंदा जलाना एक अपराध घोषित कर दिया। सर्वप्रथम यह कानून बंगाल प्रेसीडेंसी में लागू हुआ। उसके बाद में यह बंबई और मद्रास में भी लागू किया गया। इस कानून के लागू होने से स्त्रियों की स्थिति में व्यापक सुधार हुआ।

2 ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा विवाह का समर्थन क्यों किया ? उन्होंने स्वयं क्या आदर्श प्रस्तुत किये ?
अथवा, ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा विवाह के लिए क्या किया ?
उत्तर-कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के आचार्य ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह के लिए उल्लेखनीय कार्य किये। उन्होंने विधवा विवाह के पक्ष में प्राचीन ग्रथों का हवाला देकर समर्थन
किया। उन्होंने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि वेदों में विधवा विवाह को मान्यता दी गई है।

उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में हजारों लोगों के हस्ताक्षरयुक्त प्रार्थना पत्र गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को दिया। जिसके फलस्वरूप 1856 ई० में हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम को मान्यता दे दी गई। देश में कुछ कुंठित मानसिकता के लोगों ने विद्यासागर का विरोध किया एवं उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

लेकिन विद्यासागर इन विरोधों से विचलित कभी नहीं हुए। उन्होंने अपने पुत्र की शादी भी एक विधवा से कर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत किया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप बंगाल में उस समय काफी विधवा विवाह हुए। विधवा विवाह के पक्ष में चलाया जा रहा आंदोलन भारत के कई भागों में फैल गया और बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन भी मिलने लगा। jac Board