लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 दीर्घ उतरीय प्रश्न। Ncert Solution For Class 9th Civics के इस blog पोस्ट में आप सभी students का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जो की Exam के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इस पोस्ट पर कवर किया गया है इसलिए इस पोस्ट को कृपया करके ध्यान से पढ़ें ताकि आपकी Exam की तैयारी और भी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करते हैं-
लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 दीर्घ उतरीय प्रश्न के उत्तर, Ncert Solution For Class 9th
लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 दीर्घ उतरीय प्रश्न के उत्तर
लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 अति लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
1 भारत के संविधान में दिये गए मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर-मौलिक या मूल अधिकार उन अधिकारों को कहते हैं जो नागरिक के विकास, खुशी एवं भलाई के लिए बड़े आवश्यक होते हैं, इसलिए मौलिक अधिकार बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। भारतीय संविधान ने निम्नांकित अधिकार नागरिकों को दे रखे हैं-
(क) समता या समानता का अधिकार- यह अधिकार बड़ा महत्त्वपूर्ण है। भारत में जाति, लिंग, जन्म-स्थान तथा वर्ग आदि का भेदभाव किए बिना सबको समानता का अधिकार दिया गया है। हमारे जैसे विषमताओं, वाले देश में इस अधिकार का बड़ा महत्व है।
(ख) स्वतंत्रता का अधिकार- यह अधिकार भी अपना विशेष महत्त्व रखता है। भारत में नागरिकों को भाषण देने की, समुदाय बनाने की, आवागमन की, निवास करने आदि की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
(ग) शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार- भारत में प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा एवं संस्कृति का विकास करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
(घ) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है अतः हर नागरिक को किसी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है।
(ङ) शोषण के विरुद्ध अधिकार- भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे का शोषण नहीं कर सकता। यहाँ बेगार लेने, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखाने में रखने, स्त्रियों और बच्चों को खरीदने-बेचने आदि की मनाही है
(च) संवैधानिक उपचारों का अधिकार- भारत में कोई भी नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी न्यायालय की शरण ले सकता है।
2 “संवैधानिक का अधिकार छ: स्वतंत्रताओं का समूह है। इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर-स्वतंत्रता का अधिकार कुछ अधिकारों या मूल स्वतंत्रताओं का एक गुच्छा है। ये स्वतंत्रताएँ भारतीय नागरिको के लिए अनुच्छेद 19 से 22 तक संरक्षित हैं। ये सभी अधिकार स्वतंत्रता से कुछ करने के लिए है।
छ: महत्त्वपूर्ण अधिकार जो नागरिकों के लिए संरक्षित हैं, निम्नांकित हैं-
(क) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता- नागरिकों को विभिन्न मुद्दों पर वक्तव्य देने या प्रेस द्वारा अपने विचार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
(ख) बिना शस्त्र लिए हुए शांतिपूर्वक सभा करने की स्वतंत्रता- यह अधिकार विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान और लोकमत के निर्माण के लिए जरूरी है।
(ग) समुदाय या संघ बनाने की स्वतंत्रता- नागरिकों को अपनी जरूरतों व आकांक्षाओं के अनुरूप समुदाय बनाने की स्वतंत्रता दी गई है।
(घ) भारत राज्य के किसी क्षेत्र में स्वेच्छा से कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता- यह अधिकार नागरिकों को संपूर्ण देश में निर्बाध रूप से घूमने-फिरने की स्वतंत्रता देता है।
(ङ) भारत के राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग में निवास करने तथा बस जाने की स्वतंत्रता- नागरिकों को देश के किसी भी भाग में स्थायी रूप से बसने या काम करने की स्वतंत्रता प्राप्त है।
(च) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार तथा कारोबार करने की स्वतंत्रता- सभी नागरिको को अपनी जीविका के लिए अपनी पसंद के अनुरूप कोई भी पेशा या व्यवसाय करने या चुनने की पूरी स्वतंत्रता है।
लोकतांत्रिक अधिकार पाठ 6 Ncert Notes For Class 9th
3 भारत के नागरिकों के समता या समानता के अधिकार का वर्णन करें। इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-समता या समानता का अधिकार बड़ा महत्त्वपूर्ण है। यह लोकतंत्र की आधारशिला है। इसका वर्णन संविधान के 14वें से 18वें अनुच्छेद में किया गया है। समानता के इस अधिकार के अन्तर्गत निम्नांकित अधिकार दिए गए हैं-
(क) कानून के सम्मुख समानता- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14वें में यह कहा गया है कि “भारतीय राज्य-क्षेत्र में राज्य किसी व्यक्ति को कानून के सम्मुख समानता अथवा कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। दूसरे शब्दों में, कानून के सामने हर व्यक्ति समान समझा जायेगा।
(ख) सामाजिक समानता- संविधान के अनुच्छेद 15वें में यह घोषित किया गया है कि “राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध दल, धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान अथवा इनमें से किसी एक के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। इन आधारों पर किसी भी नागरिक को दुकानों, सार्वजनिक होटलों, मनोरंजन के स्थानों, तालाबों, कुओं का प्रयोग करने से वंचित नहीं किया जायेगा।
(ग) आर्थिक समानता- संविधान के अनुच्छेद 16वें के अनुसार “सभी नागरिकों के लिए नौकरियाँ या पदों पर नियुक्ति के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।” अर्थात् धर्म, जाति, वंश, रंग अथवा लिंग आदि के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ सरकारी नौकरी के मामले में कोई भेद-भाव नहीं किया जाएगा।
(घ) अस्पृश्यता का अंत- संविधान के अनुच्छेद 17वें में यह स्पष्ट कहा गया है कि अस्पृश्यता का अंत कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका आचरण निषित किया जाता है। 1955 ई० के अस्पृश्यता अपराध के अधिनियम के अनुसार छुआछूत बरतने वालों के लिए कैद और जुर्माने की व्यवस्था को और भी कठोर बना दिया गया है।
(ङ) उपाधियों की समाप्ति- संविधान के अनुच्छेद 18वें के अनुसार, “सेना अथवा विद्या सम्बन्धी उपलब्धियों को छोड़कर राज्य नागरिकों को कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा तथा भारतीय नागरिक भी किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेंगे” सम्भवतः इसी विचार से ब्रिटिश काल में दी जाने वाली ‘सर’, ‘राय साहब’, ‘राय बहादुर’, ‘खाँ बहादुर’, आदि उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।
4 राज्य-नीति के उन निदेशक सिद्धांतों का उल्लेख करें जो नागरिकों आर्थिक अधिकारों से संबंधित हैं।
उत्तर-आर्थिक व्यवस्था संबंधी सात निदेशक तत्व हैं-
(क) राज्य के सभी नागरिकों, (पुरुषों अथवा स्त्रियों) को जीविका का साधन प्राप्त हो।
(ख) समाज में भौतिक सम्पति का वितरण इस प्रकार हो जिनसे समस्त समाज का कल्याण हो सके। देश की सम्पत्ति कुछ लोगों के हाथ में केन्द्रित नहीं हो।
(ग) पुरुषों और स्त्रियों के स्वास्थ्य और शक्ति का तथा बच्चों की सुकुमारावस्था का दुरुपयोग नहीं हो।
(घ) पुरुषों और स्त्रियों में समान कार्य के लिए समान बेतन मिले।
(ङ) बालकों और नवयुवकों का शोषण और अनैतिकता से बचाव हो।
(च) अच्छे स्वास्थ्य के लिए राज्य द्वारा पुष्टिकर भोजन की व्यवस्था हो । बेकारी, बुढ़ापा और बीमारी की अवस्था में सरकारी सहायता प्राप्त हो।
(छ) ग्रामों में गृह तथा कुटीर उद्योग-धन्धों को प्रोत्साहित किया जाए तथा कृषि एवं पशुपालन के लिए आधुनिक वैज्ञानिक ढंग को प्रोत्साहित किया जाए। Jac Board