लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics के इस पोस्ट में क्लास 10th के सभी विद्यार्थी का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से आज पाठ से जुड़ी हर महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो कई बार पिछले परीक्षाओं में इस तरह के प्रश्न पूछे गए हैं, उन सभी प्रश्नों को इस पोस्ट पर कवर किया गया है, इसलिए इस पोस्ट को ध्यान से पूरा पढ़ें, ताकि आपको परीक्षा की तैयारी करने में कोई परेशानी ना हो, तो चलिए शुरू करते हैं |
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 लोकतंत्र की सफलता की किन्हीं पाँच आवश्यक शर्तों का वर्णन करें।
उत्तर- लोकतंत्र को शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाने के लिए निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं-
(क) लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद की अभिव्यक्ति का पर्याप्त अवसर एवं विकल्प मिलना चाहिए। ये अवसर तथा विकल्प सभी लोगों के लिए उपलब्ध होने चाहिए।
(ख) सरकार का गठन ऐसा होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों तथा नागरिक अधिकारों को मानते हुए कार्य करें।
(ग) लोकतांत्रिक अधिकार सिर्फ वोट देने, संगठन बनाने तथा चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि नागरिकों को कुछ सामाजिक तथा आर्थिक अधिकार भी मिलने चाहिए।
(घ) अल्पसंख्यक समूहों के हितों को पर्याप्त महत्व देने की आवश्यकता है।
(ङ) सभी स्तरों पर सामाजिक एवं आर्थिक असमानता को कम करने का प्रयास होना चाहिए।
2 एक अच्छे लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएँ लिखें।
उत्तर-लोकतंत्र एक ऐसी शासन पद्धति है जहाँ शक्ति का स्रोत जनता है, सरकार जनता के प्रतिनिधियों द्वारा बनाई जाती है और वह जनता की भलाई के लिए ही कार्य करती है। एक अच्छे लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित हैं-
(क) लोगों द्वारा चुने गए सदस्य ही देश के शासन की बागडोर सम्भालते हैं और सारे प्रमुख फैसले वे स्वयं करते हैं।
(ख) लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से होते हैं और चुनाव द्वारा लोग जब चाहे मौजूदा शासकों को बदल सकते हैं।
(ग) लोकतंत्र की तीसरी विशेषता यह है कि इसमें सभी लोगों को सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के नियमों के अनुसार समान रूप से वोट देने का अधिकार उपलब्ध होता है।
(घ) चुनाव द्वारा चुनी गई सरकार संविधान द्वारा निश्चित बुनियादी कानूनों और नागरिक अधिकारों की सीमा में रहते हुए काम करती है।
3 भारत में लोकतांत्रिक अधिकारों की चर्चा करें।
उत्तर-लोकतांत्रिक अधिकारों का अभिप्राय उन अधिकारों से है जो कि नागरिकों को राज्य की ओर से शासन में भाग लेने के उद्देश्य से प्रदान किए जाते हैं।
लोकतांत्रिक अधिकार से तात्पर्य उन व्यवस्थाओं से है जिनमें नागरिकों को शासन कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है। प्रजातंत्रीय शासन-व्यवस्था में इन अधिकारों का और भी अधिक महत्व है।
इससे नागरिकों को राजनीतिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है। निर्वाचन में भाग लेने से राजनीतिक कार्यों को करने की क्षमता तथा उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है।
प्रमुख लोकतांत्रिक अधिकार-
(क) मतदान का अधिकार,
(ख) निर्वाचित होने एवं राजनीतिक पद पाने का अधिकार,
(ग) प्रार्थना पत्र देने का अधिकार,
(घ) कानून के समक्ष समता का अधिकार,
(ङ) सरकार की आलोचना करने का अधिकार इत्यादि।
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 Ncert Notes
4 लोकतंत्र को मजबूत करने में एक आम आदमी किस प्रकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-विश्व में जहाँ कहीं भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है उसके सामने लोकतंत्र को मजबूत करने की महत्वपूर्ण चुनौती है।
इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्य पद्धति को सुधारना तथा मजबूत करना है ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो। इसके लिए फैसला लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण और प्रभाव को कम करने की जरूरत होती है।
5 “लोकतंत्र सरकार का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते हैं। लोकतंत्र की इस परिभाषा को आप कहाँ तक उचित मानते हैं ?
उत्तर-“लोकतंत्र सरकार का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते है” लोकतंत्र की एक सरल-सी परिभाषा है।
इस कसौटी पर कसते हुए हम यह आसानी से कह सकते हैं कि सऊदी अरब और म्यांमार की सरकारें लोकतांत्रिक नहीं क्योंकि वहाँ के शासक लोगों द्वारा चुने हुए नहीं होते। परन्तु लोकतंत्र की उपरोक्त परिभाषा लोकतंत्र के केवल एक पक्ष को ही प्रतिविम्बित करती है।
इसलिए यह पर्याप्त नहीं है। केवल चुनाव कराने से कोई सरकार लोकतांत्रिक सरकार नहीं बन जाती। चुनाव तो पाकिस्तान, चीन और इराक में भी बराबर करवाए जाते हैं क्या इतने में ही वे सरकारें लोकतंत्र बन गई ? नहीं क्योंकि पाकिस्तान में वास्तविक सत्ता सैनिक अधिकारियों के पास में है. चीन में सत्ता का केन्द्र केवल एक ही राजनीतिक दल और इराक में सत्ता की बागडोर औरों के हाथ में है।
केवल सैनिक अधिकारियों, एक ही राजनीतिक दल या विदेशी शक्ति के हाथ में सत्ता किसी भी हालत में लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकते। इसलिए लोकतंत्र की उपरोक्त परिभाषा पर्याप्त नहीं है।
6 लोकतंत्र को अर्थपूर्ण बनाने के लिए नागरिकों को भली प्रकार अवगत होना और सामाजिक दृष्टि से उत्तरदायी होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-लोकतंत्र को अर्थपूर्ण बनाने के लिए नागरिकों को भली प्रकार अवगत होना और सामाजिक दृष्टि से उत्तरदायी होना बड़ा आवश्यक है।
इसके मुख्य कारण निम्नांकित हैं-
(क) नागरिकों की प्रजातंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका- प्रजातंत्र लोगों द्वारा निर्मित और लोगों के लिए सरकार होती है। इसलिए स्पष्ट है कि लोगों या नागरिकों का प्रजातंत्र में बड़ा महत्त्वपूर्ण भाग होता है क्योंकि प्रजातंत्र में सबसे मुख्य उनकी ही भूमिका होती है इसलिए उनका भली प्रकार से अवगत होना तथा सामाजिक दृष्टि से उत्तरदायी होना बड़ा आवश्यक होता है।
(ख) मौलिक अधिकारों का संरक्षण-जैसे प्रजातंत्र के लिए नागरिकों का महत्व है उसी प्रकार नागरिकों के लिए उनके मौलिक अधिकारों का महत्व है। इन मौलिक अधिकारों के बिना नागरिक दास बन कर रह जाएँगे और कुन्द-बुद्धि नागरिक प्रजातंत्र की कैसे रक्षा कर सकेंगे। केवल भली प्रकार अवगत तथा सामाजिक दृष्टि से उत्तरदायी नागरिक ही प्रजातंत्र को अर्थपूर्ण बना सकते हैं।
(ग) एक स्वच्छ समाज का निर्माण- यदि समाज रोगी होगा तो नागरिक अनेक प्रकार की बुराईयों में उलझे रहेंगे। ऐसे में वे लोकतंत्र को कैसे अर्थपूर्ण बनाएँगे। यदि नागरिक भली प्रकार अवगत होंगे और सामाजिक दृष्टि से उत्तरदायी होंगे तो समाज की विभिन्न बुराइयों जैसे- दहेज प्रथा, जाति प्रथा, स्त्रियों से दुर्व्यवहार आदि को दूर कर सकेंगे। ऐसे स्वस्थ नागरिक ही प्रजातंत्र को अर्थपूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
7 भारतीय लोकतंत्र के कुशल संचालन में महिलाओं की असमानता किस प्रकार बाधा पहुंचाती है ?
उत्तर-निम्नांकित कारणों से महिलाओं की असमानता लोकतंत्र के लिए बाधक सिद्ध होती है-
(क) लोकतंत्र का आधार है समाज में सभी को समानता दिलाना। परन्तु नारियों को पुरुषों के बराबर न समझने से लोकतंत्र विकसित नहीं हो सकता।
(ख) नारियों को पुरुषों के बराबर स्वतंत्रता भी नहीं है। परन्तु स्वतंत्रता के बिना लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं क्योंकि स्वतंत्रता ही तो लोकतंत्र का मूल आधार है।
(ग) पुरुषों के द्वारा नारियों का शोषण व उत्पीड़न होता है जो कि लोकतंत्र के मार्ग में एक महान बाधा है।
लोकतंत्र की चुनौतियाँ पाठ 8 नागरिकशास्त्र Ncert Notes
8 भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता क्यों है ? कारण दें।
उत्तर-(क) कानून बनाकर राजनीति को सुधारने की बात सोचना बहुत लुभावना लग सकता है। नए कानून सारी अवांछित चीजें खत्म कर देंगे. यह सोच भले ही सुखद हो लेकिन इस लालच पर लगाम लगाना ही बेहतर है।
निश्चित रूप से सुधारों के मामले में कानून की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे। पर विधिक-संवैधानिक बदलावों को ला देने भर से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता।
(ख) कानूनी बदलाव करते हुए इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कई बार परिणाम एकदम उल्टे निकलते हैं। जैसे कई राज्यों ने दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है।
इसके चलते अनेक गरीब लोग और महिलाएँ लोकतांत्रिक अवसर से वंचित हुई. जबकि ऐसा करने के पीछे यह मंशा न थी। आमतौर पर किसी चीज की मनाही करने वाले कानून राजनीति में ज्यादा सफल नहीं होते। राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुंचाने वाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है।
(ग) लोकतांत्रिक सुधार तो मुख्यतः राजनीतिक दल ही करते हैं। इसलिए आम नागरिक की राजनीतिक भागीदारी के स्तर और गुणवत्ता में सुधार लाकर लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाना ही राजनीतिक सुधारों का लक्ष्य होना चाहिए।
(घ) राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में अच्छे समाधान की चिंता होने के
साथ-साथ यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन और क्यों लागू करेगा।
9 अल्पसंख्यकों की चुनौती का भारतीय लोकतंत्र में कैसे हल किया गया है ?
उत्तर-भारत एक अनेक धर्मों का देश है जिस कारण कभी-कभी प्रजातंत्र के ठीक प्रकार
से चलने में समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।
प्रजातंत्र में बहुमत की सरकार बनती है इसलिए कई बार अल्पसंख्यकों को यह संदेह हो जाता है कि उनसे पूरा न्याय नहीं हो सकेगा और बहुमत के लोग उनके अधिकारों की अवहेलना कर उनको ही पंगु न बना दे।
ऐसी धारणा को समाप्त करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान ने अल्प-संख्यक लोगों को कुछ अधिकार दे रखे हैं जो ‘अल्प-संख्यकों के अधिकार’ कहलाते हैं। भारतीय संविधान ने अनेक धार्मिक तथा भाषाई अल्पसंख्यकों को यह एक मौलिक अधिकार दे रखा है कि वे अपने विद्या-संस्थानों को स्थापित कर सकते हैं।
अल्पसंख्यक लोगों के इस अधिकार को भारतीय संविधान ने पूर्ण संरक्षण दे रखा है। ऐसे संरक्षण ने अल्पसंख्यकों के संदेह को दूर करके उन्हें राष्ट्रीय-धारा में लाने का पूर्ण प्रयत्न किया है ताकि भारत में प्रजातंत्र ठीक ढंग से चल सके। ncert