लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics के इस ब्लॉग पोस्ट पर क्लास दसवीं में पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के अंतर्गत आज इस पाठ से संबंधित जितने भी परीक्षा उपयोगी लघु उत्तरीय प्रश्न जो कई बार परीक्षा में पूछे जा चुके हैं, उन सभी प्रश्नों को कवर किया गया है, जिसे पढ़कर आप सभी को आने वाली परीक्षाओं में के लिए तैयारी करने में काफी मदद मिलेगी, तो चलिए शुरू करते हैं l
लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर | Ncert Solution For Class 10th Civics
लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 दीर्घ उत्तरीय पश्न के उत्तर
लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 लघु उत्तरीय पश्न के उत्तर
लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 अति लघु उत्तरीय पश्न के उत्तर
1 लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर-लोकतंत्र निम्नांकित कारणों से लोगों के प्रति उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है-
(क) यह लोकतंत्र ही है जो एक उत्तरदायी सरकार की स्थापना को सम्भव बनाता है। ऐसी सरकार कायदे-कानूनों को मानती है और लोगों के प्रति जवाबदेह होती है। जिस दिन ऐसी सरकार का विधानमण्डल में बहुमत समाप्त हो जाता है उसी दिन उसे त्यागपत्र देना पड़ता है।
(ख) यह लोकतंत्र ही है जिसमें सरकार जिम्मेदारी से काम करती है और लोगों के हितों का ध्यान रखती है। लोकतंत्र ही यह सम्भव बनाता है कि लोग सूचना के अधिकार के अन्तर्गत सरकार तथा उसके काम-काज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। लोकतंत्र में ही विरोधी राजनीतिक दल स्वतंत्रता से सरकार की नीतियों की आलोचना करके उसे अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बना सकते हैं।
(ग) लोकतंत्र ही सरकार की वैधता को सम्भव बनाता है। जब कोई भी सरकार अल्पमत में आ जाती है तो उसे त्याग-पत्र देना पड़ता है क्योंकि उसकी वैधता समाप्त हो जाती है।
(घ) अगली सरकार तब ही अस्तित्व में आती है जब वह अगले चुनावों में अपना बहुमत प्राप्त कर लेती है। बिना लोगों का विश्वास प्राप्त किए कोई भी नई सरकार नहीं बन सकती। यही चुनाव प्रक्रिया सरकार की वैधता पर मोहर लगाती है जो केवल लोकतंत्र में ही सम्भव है।
NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 7 – लोकतंत्र के परिणाम
2 लोकतांत्रिक सरकार की मुख्य विशेषताएँ लिखें।
उत्तर-लोकतांत्रिक सरकार की मुख्य विशेषताएँ- एक लोकतांत्रिक सरकार की कुछ अपनी विशेषताएँ होती है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नांकित हैं-
(क) लोगों द्वारा चुने गए सदस्य ही देश के शासन की बागडोर सम्भालते हैं और सारे प्रमुख फैसले वे स्वंय करते हैं।
(ख) लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से होते हैं और चुनाव द्वारा लोग जब चाहे मौजूदा शासकों को बदल सकते हैं।
(ग) लोकतंत्र की तीसरी विशेषता यह है कि इसमें सभी लोगों को सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के नियमों के अनुसार समान रूप से वोट देने का अधिकार उपलब्ध होता है।
(घ) चुनाव द्वारा चुनी गई सरकार संविधान द्वारा निश्चित बुनियादी कानूनों और नागरिक अधिकारों की सीमा में रहते हुए काम करती है।
3 लोकतंत्र को सबसे अच्छा शासन व्यवस्था क्यों कहा गया है ?
अथवा, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है। इस कथन के पक्ष में तर्क दें। अथवा, लोकतंत्र के चार प्रमुख गुणों का उल्लेख करें।
उत्तर-निम्नांकित गुणों के आधार पर लोकतंत्र को एक बेहतर शासन व्यवस्था माना जाता है-
(क) जनमत पर आधारित शासन- यह शासन जनता की सामान्य इच्छा के अनुसार चलाया जाता है और प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा को ध्यान में रखा जाता है।
(ख) समानता और स्वतंत्रता का पोषक- लोकतंत्र के अंतर्गत, जाति, वंश, रंग, धर्म, लिंग आदि का भेदभाव नहीं किया जाता है। कानून के सामने सभी नागरिक समान माने जाते हैं। सभी नागरिकों को अपने विचार, भाषण, सभा आदि करने की छूट दी जाती है।
(ग) व्यक्ति की गरिमा में वृद्धि- इसमें सभी नागरिकों को समान माना जाता है। सभी व्यक्ति गरिमा के साथ जीता है। उसे हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता, चाहे वह किसी जाति, धर्म, रंग, भाषा, पेशा आदि का हो।
(घ) यह टकरावों को टालने-सँभालने का तरीका देता है और इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है। लोकतंत्र में काफी विचार-विमर्श के बाद ही निर्णय लिए जाते हैं जिसमें गलतियों को सुधारने का अवसर प्राप्त होता है। इससे टकराव भी टल जाता है।
पाठ 7 – लोकतंत्र के परिणाम लोकतांत्रिक राजनीति के नोट्स
4 ‘लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच आय की असमानता को कम नहीं कर सकता।” उपर्युक्त कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर-यह ठीक है कि लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की आर्थिक समानता को कम नहीं कर सकता। लोकतंत्र में यद्यपि सभी नागरिकों को समान अधिकार तथा विकास के समान अवसर उपलब्ध होते हैं, परंतु व्यवहार में वहाँ पर अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित लोगों में भारी अंतर पाया जाता है।
भारत में एक ओर टाटा, बिरला, अंबानी बंधु तथा एल० एन० मित्तल जैसे पूँजीपति हैं और दूसरी ओर करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त का रोटी भी नसीब नहीं होती। इसीप्रकार अमेरिका जैसे देश में ऊपर के 20% लोग राष्ट्रीय आय का 50% भाग है जबकि नीचे के 20% लोगों के पास राष्ट्रीय आय का केवल 4% भाग है।
लगभग यही स्थिति दक्षिणी अफ्रीका, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन, डेनमार्क, हंगरी आदि देशों में पाई जाती है। इस प्रकार, हम यह कह सकते हैं कि लोकतंत्र आर्थिक असमानताओं को दूर करने में असफल रहा है।
5 ‘औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए। उपर्युक्त कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर- बहुत से लोगों के अनुसार ऐसा कहना ठीक नहीं है कि औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं, गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाह चाहिए।
उनका कहना है कि हो सकता है कि तानाशाही देशों में आर्थिक दर लोकतांत्रिक
देशों से कुछ अच्छी हो परन्तु वहाँ मूल्यों का अभाव होता है इसलिए तानाशाही का पक्ष नहीं लिया जा सकता। निरादर के अच्छे जीवन से आदर का साधारण जीवन कहीं अच्छा है।
ऐसा नहीं कि तानाशाही देश नहीं होते तो फिर लोकतंत्र में एक गरीब देश बनकर रहना कहीं अच्छा है।
आदमी चैन से रह सकता है और आराम की नींद सो सकता है। आर्थिक विकास केवल लोकतंत्र और तानाशाही से ही नहीं जुड़ा हुआ है आर्थिक विकास के लिए अनेक अन्य कारक भी जिम्मेदार होते हैं, जैसे- देश की जनसंख्या का आकार, भौगोलिक और वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताएँ आदि।
6 ‘गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए। उपर्युक्त कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर-लोकतंत्र में कुछ भी कहने की स्वतंत्रता है इसलिए कुछ लोग ऐसा भी कह देते हैं कि गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
परन्तु ऐसा कहना बिल्कुल ठीक नहीं। गरीब देशों की सरकार को दोनों प्राकृतिक
और मानव संसाधनों के विकास पर ध्यान देना चाहिए। जहाँ उन्हें अपना ध्यान उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे की ओर देना चाहिए।
उतना ही उसे मानव संसाधनों के विकास की ओर देना चाहिए। अर्थात् इसे अपने संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर भी खर्च करना चाहिए। यदि लोग शिक्षित होंगे तो वह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे के विकास में भी लाभकारी सिद्ध होंगे।
7 ‘लोकतंत्र में सभी नागरिकों को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।” उपर्युक्त कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर-इस कथन में काफी सच्चाई है क्योंकि लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है इसलिए लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता। चुनाव लड़ने वालों को यदि अमीरों के बोट चाहिए तो उन्हें गरीबों के वोट भी चाहिए।
इस प्रकार राजनीतिक दल दोनों वर्गों में सामंजस्य बनाए रखते हैं। फिर भी यदि कोई मतभेद उठ जाते हैं तो उनका सबसे अच्छा हल लोकतंत्र में ही संभव है जहाँ हर एक की भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है।
8 ‘नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है। उपर्युक्त कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर-नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता अमीर और गरीब दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है। लोकतांत्रिक व्यवस्था राजनीतिक समानता पर निर्भर करती है। वास्तविक जीवन में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में अधिक सफल नहीं हो पाई है।
परिणामस्वरूप जहाँ अमेरिका जैसे अमीर देश के ऊपर 20% लोगों के पास राष्ट्रीय में प्रतिशत हिस्सा 50% है वहाँ नीचे के 20% लोगों में यह हिस्सा केवल 4% है। आय में यह विषमता ब्राजील जैसे विकासशील देश में भी पाई जाती है। वहाँ ऊपर के 20% लोगों के पास जब राष्ट्रीय आय का 63% हिस्सा है, वहाँ नीचे के 20% लोगों के पास यह हिस्सा केवल 2.6% है।
इसका यह अर्थ है कि अमीर और गरीब दोनों देशों के नागरिकों में आर्थिक असमानता पाई जाती है। इस मामले में लोकतंत्र इतने सफल सिद्ध नहीं हुए हैं, परन्तु निरन्तर प्रयत्न करने से स्थिति सुधारी जा सकती है। और वह भी केवल लोकतांत्रिक देशों में न कि तानाशाही प्रधान देशों में।
लोकतंत्र के परिणाम पाठ 7 नोट्स नागरिक Class 10th
9 भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। व्याख्या करें।
उत्तर-भारत के विभिन्न राज्यों में जो किसान एक बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं। वास्तव में यह एक बड़ी चिन्ता का विषय है और लोकतंत्र को यह बड़ी चुनौती है परन्तु चुनौतियों का सामना करना ही तो लोकतंत्र की सबसे बड़ी सफलता है। हमें उन कारणों को जानना होगा जिससे विवश होकर किसान लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
हमें ऐसे लोगों के लिए सस्ती दर पर पूँजी की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाना होगा, उन्हें साहूकारों के चंगुल से बचाना होगा और प्राकृतिक कारणों से यदि फसल नष्ट हो जाए तो भूमि कर माफ कर देना होगा। यदि उन्हें बिजली भी सस्ते दामों पर उपलब्ध करा दी जाए तो सोने पर सुहागे वाली बात होगी।
10 भारत को हम एक अप्रत्यक्ष लोकतंत्र क्यों कह सकते हैं ?
उत्तर-प्रत्यक्ष लोकतंत्र वहीं चल सकता है, जहाँ थोड़ा क्षेत्रफल और कम जनसंख्या हो। भारत एक विशाल देश है जिसमें बहुत बड़ी जनसंख्या है।
पूरे देश के लोग किसी एक स्थान पर बैठकर कानून नहीं बना सकते या फैसले नहीं ले सकते हैं। इन दिनों वोटरों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। लोगों की आवश्यकताएँ और समस्याएँ भी बढ़ गई हैं। साथ ही सरकारी मशीनरी भी जटिल हो गई है।
ऐसी स्थिति में भारत को अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाना ही हितकर होगा। लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो कानून बनाते और फैसले लेते हैं। इसीलिए भारत को अप्रत्यक्ष लोकतंत्रात्मक देश कहा जाता है।
11 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-प्रत्यक्ष लोकतंत्र- प्रत्यक्ष लोकतंत्र में सभी प्रौढ़ नागरिक एक स्थान पर इकट्ठे होकर अपने शासकों का चयन प्रत्यक्ष रूप में करते हैं। टैक्सों के लगाने, कानून बनाने तथा प्रशासकीय कार्यों की रूपरेखा पर सीधे वोट डाले जाते हैं। इस तरह से लोगों द्वारा सीधे तौर पर राज्य के कार्यों पर मोहर लगा दी जाती है।
इसमें चुने हुए प्रतिनिधियों का काम नहीं होता है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र- अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बड़े क्षेत्रफल वाला देश तथा अत्यधिक लोग होते हैं। अब लोग अपने प्रतिनिधियों द्वारा कानून बनाने और फैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। प्रत्येक पाँच वर्ष बाद प्रौढ़ नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके उन्हें विधानपालिका में भेजते हैं। अगर कोई प्रतिनिधि ठीक काम नहीं करता, तो अगली बार उसे न चुनकर किसी अन्य को मौका दिया जाता है। इस तरह से जनता का सरकार पर सीधा नियंत्रण होता है।
12 भारत में गरीबी के मुख्य कारण क्या हैं ? किन्हीं चार को लिखें।
उत्तर-भारत में गरीबी के निम्नांकित कारण हैं-
(क) राष्ट्रीय उत्पाद का निम्न स्तर- भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पाद जनसंख्या की तुलना में काफी कम है। इस कारण भी भारत में प्रति व्यक्ति आय कम रही
(ख) जनसंख्या में वृद्धि- जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण लोगों की संपत्ति में तेजी से बँटवारा हो रहा है। किसानों के पास प्रति व्यक्ति भूमि काफी कम होती जा रही है।
(ग) पूँजी की अपर्याप्तता- भारत में पूँजी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। पूँजी के अभाव में भारतीय कृषि, उद्योग, यातायात के साधनों एवं अन्य साधनों का समुचित विकास नहीं हो पाया है। इसलिए इन क्षेत्रों से भारतीय लोगों को उचित आय की प्राप्ति नहीं होती है।
(घ) बेरोजगारी- जनसंख्या के निरंतर बढ़ने से यहाँ, चिरकालीन बेरोजगारी व अर्द्धबेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत में शिक्षित बेरोजगारी से भी बढ़कर कृषि में अदृश्य बेरोजगारी की समस्या है। बेरोजगारी की समस्या गरीबी का मुख्य कारण है।
(ङ) उचित औद्योगिकीकरण का अभाव- औद्योगिक दृष्टिकोण से भारत अभी बहुत पिछड़ा हुआ है। इसलिए बड़े स्तर के उद्योगों में भारत की कुल कार्यशील जनसंख्या का केवल 3 प्रतिशत भाग ही लगा हुआ है।
13 लोकतंत्र किस प्रकार नागरिकों की गरिमा और आजादी सुरक्षित रखता है ? चर्चा करें।
उत्तर-(क) प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ के लोगों से सम्मान पाना चाहता है।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों को भाषण देने और अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
(ग) लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी राजनीतिक दलों को चुनावों में, चुनावों से पहले और चुनावों के बाद स्वतंत्र रूप से कार्य करने की आज्ञा होती है।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी वर्गों और धर्मों का सम्मान किया जाता है।
14 आर्थिक असमानताओं को कम करने में लोकतांत्रिक व्यवस्था अधिक सफल नहीं हो पाई है, क्यों ?
उत्तर-(क) लोकतांत्रिक व्यवस्था बहुमत पर आधारित होती है। किसी भी देश में गरीबों की संख्या अधिक होती है, जिन्हें अपने पक्ष में प्रभावित करना आसान होता है। अतः दलों द्वारा गरीबों को वोट-बैंक के रूप में देखा जाता है। फलस्वरूप राजनीतिक दल गरीबों अथवा आर्थिक असमानता को कम अथवा दूर करने के प्रति इच्छापूर्वक उदासीन होते हैं।
(ख) जनसंख्या का तीव्र गति से विकास भी आर्थिक असमानताओं को दूर करने में बाधक है। सिद्धांत रूप से, संसाधनों का विकास उतनी तेज से नहीं होता है, जितनी तेजी जनसंख्या में वृद्धि होती है। सरकारें जनसंख्या में वृद्धि को रोकने में अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं कर पाई हैं, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक असमानता को दूर नहीं किया जा सका है।ncert