निबंध टॉपिक परिचय
- भूमिका,
- खेलों के विविध रूप,
- जीवन में खेलकूद का महत्त्व,
- विद्यार्थी जीवन में खेल का महत्व
- उपसंहार।
खेल कूद का महत्त्व भूमिका
खेल कूद का महत्त्व निबंध में स्वामी विवेकानंद के अनुसार, “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। शारीरिक और मानसिक बल में सुंदर और उपयुक्त संतुलन बनाए रखने का एकमात्र साधन है- ‘खेल’। खेल हमारे जीवन के सर्वांगीण विकास के साधन हैं। खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के तो सर्वस्वीकृत तथा सर्वमान्य साधन हैं; साथ ही खेल के मैदान में हम अनुशासन, संगठन, आज्ञा-पालन, साहस, आत्मविश्वास तथा एकाग्रचित्तता जैसे गुणों को भी प्राप्त करते हैं।
जो व्यक्ति अपने में इन गुणों का विकास कर लेता है वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त कर लेता है।अच्छे स्वास्थ्य के अनेक साधन हैं, जैसे- व्यायाम, खेलकूद, जिम्नास्टिक आदि। व्यायाम तथा जिम्नास्टिक से शरीर स्वस्थ तो अवश्य रहता है परंतु इनसे मनोरंजन नहीं होता। ये दोनों साधन नीरस हैं। इसके विपरीत खेलों से व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। यही कारण है कि विद्यार्थियों की रूचि व्यायाम की अपेक्षा खेलकूद में अधिक होती है। वे खेलकूद में भाग लेकर अपना स्वास्थ्य ठीक रखते हैं।
खेलकूद के विविध रूप
खेलकूद और व्यायाम का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा इसके अनेकानेक रूप है। रस्साकशी, कबड्डी, खो-खो, ऊँची कूद, लम्बी कूद, तैराकी, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिन्टन, टेनिस, स्कैटिंग आदि खेलकूद के विविध रूप हैं। इनसे शरीर में रक्त का तीव्र संचार होता है और अधिक लिन के कारण प्राण-शक्ति बढ़ती है, इसलिए ये शरीर को पुष्ट बनाने कछ नियमित व्यायाम करते हैं; जैसे- प्रातःकाल खुली वायु में घूमना रस्सी कूदना, दण्ड और बैठकें लगाना, मुगदर घुमाना अथवा योगासनों द्वारा शरीर-साधना करना।
खेलकूद महत्त्व
मानसिक विकास की दृष्टि से खेलकूद बहुत महत्त्वपूर्ण नकद से पृष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद सारे मन को प्रफुल्लित और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम-पालन स्वभाव विकसित होता है और मन एकाग्र होता है। शिक्षा-प्राप्ति में ये सभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कद चारित्रिक विकास में भी योग देते हैं। खेलकूद में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना पनपती है। इन चारित्रिक गुणों से एक मनुष्य ही सही अर्थों में शिक्षित और श्रेष्ठ नागरिक बनता है। शिक्षा-प्राप्ति के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को भी हम खेल में आने वाले अवरोधों की भाँति हँसते-हँसते पार कर लेते हैं और सफलता की मंजिल तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार जीवन की अनेक घटनाओं को हम खिलाड़ी की भावना से ग्रहण करने के अभ्यस्त हो जाते हैं।
विद्यार्थी जीवन में खेल का महत्व
विद्यार्थी जीवन में खेल का महत्व बहुत ही जरुरी है, एक विद्यार्थी को अपनी पढ़ाई के साथ साथ विभिन खेलों को भी बराबर का महत्व बहुत जरुरी हैं, विद्यार्थी प्राय: कुशाग्र बुद्धि के होते हुए भी खेल में हिस्सा लेना चाहिए हैं । खेल प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन का एक हिस्सा है और यह उतना ही जरूरी है जितना शरीर के लिए भोजन। जिस प्रकार शरीर को नई ऊर्जा देने के लिए भोजन की जरूरत होता है उतना ही ऊर्जा और ताजगी खेल हमारे शरीर को देते हैं।
उपसंहार
आज देश-विदेश में अनेक स्तरों पर खेलों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय, एशियाई और ओलंपिक खेलों का नियमित आयोजन होता है। आज भारत के युवाओं को अपनी रूचि के खेलों में भाग लेना चाहिए। इनसे वे स्वास्थ्य प्राप्ति के साथ-साथ अपने देश का नाम भी उज्ज्वल कर सकते हैं। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सतपाल तथा पी०टी० उषा आदि को बहुत ही मान-सम्मान हुआ। ओलंपिक में लिएंडर पेस, कर्णम मल्लेश्वरी तथा राज्यवर्द्धन राठौर द्वारा पदक जीतने पर भी देश में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में किसी न किसी खेलकूद में श्रेष्ठता लाने का प्रयास करे।