खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 भूगोल | NCERT Solution For Class 10th, लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर के ब्लॉक पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से इस पाठ से जुड़ी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न जो पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, उन सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इस ब्लॉग पोस्ट में पढ़ने के लिए मिलेगा |
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 भूगोल | NCERT Solution For Class 10th, लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1 खनिज क्या होते है? इसका आर्थिक महत क्या है?
अथवा. खनिज क्या है ?
उत्तर-खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक हैं। इनमें संघटक और संरचना स्वरूप में समानता पाई जाती है। ये शैलों और अयस्कों के अवयव हैं। इनकी उत्पत्ति भू-गर्भ में हो रही विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा हुई है।
खनिज का आर्थिक महत्व-
(क) खनिजों का अपना विशेष महत्व होता है क्योंकि मानव की प्रगति में इनका बहुत अधिक योगदान रहा है।
(ख) औद्योगिक युग में विभिन्न प्रकार के खनिजों का भारी प्रयोग किया जाना भी उनके आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालता है।
2 आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर-जिन चट्टानों का धरती पर सबसे पहले निर्माण हुआ उन्हें आग्नेय चट्टानें कहते हैं। जबकि इन चट्टानों का जब किसी दबाव या गर्मी के कारण रूप बदल जाता है (जैसे- चूने के पत्थर का संगमरमर में), तो उन चट्टानों को कायांतरित चट्टानें कहते हैं। आग्नेय और कायांतरित चट्टानों की दरारों, जोड़ों, छिद्रों आदि में खनिज मिलते हैं। छोटे जमाव को शिराएँ कहा जाता है जबकि बड़े जमाव परतों के रूप में पाए जाते हैं।
इनका निर्माण भी प्रायः उस समय होता है जब वे तरल या गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर पहुँचकर वे धरती की सतह पर ठण्डे होकर जम जाते हैं। जस्ता, तांबा, जिंक और सीसा मुख्य धात्विक खनिज इस प्रकार छोटे या बड़े जमाओं एवं परतों में पाए जाते हैं।
NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5 – खनिज तथा ऊर्जा संसाधन भूगोल
3 हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
अथवा. खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? खनिजों के संरक्षण की किन्हीं तीन विधियों की व्याख्या करें।
उत्तर-खनिजों को एक बार उपयोग करने के उपरांत उसे दुबारा नहीं पाया जा सकता। खनिजों का दुरुपयोग किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है।
खनिजों के संरक्षण की तीन विधियाँ-
(क) खनिजों का उपयोग सुनियोजित ढंग से करना चाहिए।
(ख) खनिजों को बचाने के लिए उनके स्थान पर अन्य वस्तुओं के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए।
(ग) जहाँ जैसे संभव हो धातुओं के चक्रीय उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। जैसे-
लोहे को गलाकर लोहा बनाना, सोने को गलाकर सोना बनाना आदि।
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 के सवाल जवाब
4 भारत में कोयले के वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-भारत में कोयले का लगभग 21400 करोड़ टन भंडार है। आजकल भारत में प्रतिवर्ष 33 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है। कोयले के अधिकांश क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्वी भाग में पाये जाते हैं।
कुल उत्पादन का दो-तिहाई कोयला झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में निकाला जाता है। शेष एक-तिहाई कोयला आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है।
देश में प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
(क) झारखंड- प्रमुख खनन क्षेत्र बोकारो, झरिया, गिरिडीह, रामगढ़ हैं।
(ख) मध्यप्रदेश-प्रमुख क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर हैं।
(ग) छत्तीसगढ़- प्रमुख कोयला क्षेत्र कोरबा और अम्बिकापुर हैं।
(घ) उड़ीसा- प्रमुख कोयला क्षेत्र सम्भलपुर और सुंदरगढ़ जिलों में हैं।
खनिज और ऊर्जा संसाधन के प्रश्न उत्तर Class 10 Ncert Solution Geography
5 भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर भारत में संसार का लगभग 20 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार हैं। भारत में लौह अयस्क का खनन मुख्यतः छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और कर्नाटक राज्यों में होता है। इन राज्यों में कुल उत्पादन का 95% से भी अधिक भाग प्राप्त किया जाता है। इनके अतिरिक्त और भी कई राज्यों में लोहा पाया जाता है।
देश के प्रमुख लोहा उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
(क) छत्तीसगढ़- इस राज्य में अधिकांश लोहा हेमेटाइट किस्म का है। यहाँ के दुर्ग, बस्तर और दांतेवाड़ा जिलों में लोहा उत्पादन किया जाता हैं। बस्तर जिले में बैलाडिला, रावघाट प्रमुख लोहा क्षेत्र हैं।
(ख) झारखंड- यहाँ के पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम जिले में लौह अयस्क निकाला जाता हैं। यहाँ के प्रमुख क्षेत्र गुआ और नोआमुण्डी हैं।
(ग) उड़ीसा- यहाँ के सुंदरगढ़, क्योंझर और मयूरभंज जिले में लोहा उत्पादन किया जाता है।
(घ) कर्नाटक- इस राज्य के चिकमंगलूर जिले के बाबाबूदन पहाड़ी, कुद्रमुख और कालाहांडी क्षेत्र प्रमुख हैं। बेल्लारी, चित्रदुर्ग, शिमोगा और टुमकुर जिलों से भी लोहा प्राप्त किया जाता है।
(ङ) गोवा- गोवा के उत्तरी भाग में लोहा मिलता है।
पाठ 5 – खनिज तथा ऊर्जा संसाधन भूगोल के नोट्स| Class 10th
6 भारत के किन्हीं चार लौह अयस्क पेटियों की व्याख्या करें।
उत्तर-भारत के चार प्रमुख लौह अयस्क पेटियाँ-
(क) उड़ीसा-झारखण्ड पेटी- उड़ीसा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खादानों से निकाला जाता है। इसी से सन्निद्ध झारखण्ड के सिंहभूम जिले में गुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क का खनन किया जाता है।
(ख) दुर्ग-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी- यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बैलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है जिसमें इस गुणवत्ता के लौह के 14 जमाव मिलते हैं।
इसमें इस्पात बनाने में आवश्यक सर्वश्रेष्ठ भौतिक गुण विद्यमान हैं। इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापत्तनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
(ग) बेलारी-चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर-तुमकुर पेटी- कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की बृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत् प्रतिशत निर्यात इकाई हैं।
कुद्रेमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपों में से एक माने जाते हैं। लौह अयस्क कर्दम (slurry) रूप से पाइपलाइन द्वारा मैंगलोर के निकट एक पत्तन पर भेजा जाता है।
(घ) महाराष्ट्र-गोआ पेटी- यह पेटी गोआ तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मरमागाओ पत्तन से इसका निर्यात किया जाता है।
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ 5 Ncert सलूशन जैक बोर्ड
7 अवसादी शैल या चट्टानें किन्हें कहते हैं और इनकी क्या विशेषताएँ होती है ?
उत्तर-इन शैलों का निर्माण नदियों द्वारा हजारों वर्षों से लाए गए मिट्टी, पत्थर के कणों के जमने से होता है। मिट्टी और पत्थर के कणों की एक तह के ऊपर दूसरी तह जमती जाती है और इस प्रकार अवसादी शैलों का निर्माण होता रहता है।
इन चट्टानों की एक बड़ी विशेषता यह होती है कि इनमें वृक्षों एवं पशुओं के अवशेष भी दबे रहते हैं। इन अवशेषों की सहायता से वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों के निर्माण काल का भी ज्ञान प्राप्त कर लिया है। कोयला और चूना. इन शैलों के कुछ मुख्य उदाहरण हैं।
8 आग्नेय शैल या चट्टानें क्या हैं ? उनकी क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर-उत्पत्ति के आधार पर शैलों को तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है-
(क) आग्नेय शैल या चट्टानें,
(ख) अवसादी शैल या चट्टानें,
(ग) कायांतरित शैल या चट्टानें।
आग्नेय शैल या चट्टानें वे हैं जो सबसे पहले उत्पन्न हुई। पृथ्वी की धरातल पर सबसे पहले उनका निर्माण हुआ। इसलिए उनको कई बार प्रारम्भिक शैल भी कह दिया जाता है। पृथ्वी के अन्दर से निकलने वाले गर्म लावा के ठण्डा हो जाने से इन शैलों का निर्माण हुआ। ऐसी चट्टानों में विभिन्न प्रकार की धातुओं के कण पाए जाते हैं।
9 कायांतरित शैल या चट्टानें क्या होती हैं? इनकी मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर-कायांतरित शैलें या चट्टानें आग्नेय या अवसादी शैलों का बदला हुआ रूप होता है। सदियों के दबाव या गर्मी के प्रभावाधीन आग्नेय या अवसादी शैलें कायांतरित शैलों में बदल जाती है, और नई-नई खनिज का निर्माण हो जाता है।
जैसे- चूना संगमरमर में बदल जाता है और शैल स्लेट में बदल जाता है। कायांतरित शैलें .या चट्टानें दोनों आग्नेय एवं अवसादी शैलों से अधिक मजबूत होती हैं और मजबूत होने के कारण उनका मूल्य भी काफी बढ़ जाता है।
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Class 10th Notes NCERT Solution Bhugol
10 चूना पत्थर क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-चूना पत्थर- चूना पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैगनीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है। यह अधिकांशतः अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल होता है, और लौह-प्रगलन की भट्टियों के लिए अनिवार्य है।
11 लौह-अयस्क के चार प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर-लौह-अयस्क चार प्रकार निम्नांकित हैं-
(क) मैग्नेटाइड
(72 प्रतिशत लौह अंश).
(ख) हैमेटाइड
(60 से 70 प्रतिशत लौह अंश).
(ग) लिमोनाइट (40 से 50 प्रतिशत लौह अंश).
(घ) सिडेराइट
(40 से 50 प्रतिशत लौह अंश)।
12 बायोगैस से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या लाभ हैं ?
उत्तर-बायोगैस अलौकिक प्रकार की ऊर्जा का एक उपयोगी स्रोत है। इसकी उत्पत्ति पशुओं और मुर्गियों के व्यर्थ पदार्थों और मनुष्य के मल-मूत्र आदि से की जाती है।
गोबर गैस के प्लांट ग्रामों में ग्रामीण लोगों की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार की ऊर्जा को प्रत्येक गाँव में, घरों और गलियों में रोशनी करने, खेती करने और सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
इन प्लांटों का निर्माण व्यक्तिगत रूप से या गाँव के समस्त समुदाय द्वारा किया जाता है। बड़े-बड़े शहरों में बायोगैस का उत्पादन मल से किया जाता है।
13 खेतड़ी क्यों प्रसिद्ध है ? उस राज्य का नाम भी बताएँ जिसमें यह स्थित है।
उत्तर-खेतड़ी अपनी तांबा की खानों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। भारत में तांबा की बहुत कमी है इसलिए इसके आयात पर हमें बहुत-सी मुद्रा व्यय करनी पड़ती है। खेतड़ी की तांबा खाने इस प्रकार से भारत के लिए वरदान सिद्ध हुई है। इन्होंने बहुत-सी अमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत की है। खेतड़ी राजस्थान राज्य में स्थित है।
14 लौह और अलौह खनिज में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-धात्विक खनिज दो भागों में बाँटा जाता है-
(क) लौह खनिज– वे सभी धातुएँ जिनमें लोहे का अंश होता है लौह खनिज कहलाते हैं। जैसे- लौह अयस्क, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट आदि।
(ख) अलौह खनिज- वे सभी धातुएँ जिनमें लोहे का कोई अंश नहीं होता अलौह खनिज कहलाती है। जैसे- तांबा, सीसा, जस्ता बाक्साइट आदि।
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन भूगोल (khanij tatha urja sansaadhan) Bhugol Class 10th
15 वाणिज्यिक और अवाणिज्यिक ऊर्जा में अंतर बताएँ।
उत्तर-वाणिज्यिक ऊर्जा और अवाणिज्यिक ऊर्जा में अंतर-
वाणिज्यिक ऊर्जा
(a) कोयला. पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जल विद्युत तथा परमाणु ऊर्जा के.स्रोत हैं।
(b) इसका उपयोग उद्योगों, यातायात तथा अन्य व्यवसायों में किया जाता है।
अवाणिज्यिक ऊर्जा
(a) जलाऊ लकड़ी, लकड़ी का कोयला. गोबर अवाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत हैं।
(b) इसका उपयोग घरेलू कामों में होता है।
16 परम्परागत ऊर्जा तथा गैर परम्परागत ऊर्जा के साधनों में अंतर बताएँ।
उत्तर-परम्परागत ऊर्जा तथा गैर परम्परागत ऊर्जा साधनों में अंतर-
परम्परागत ऊर्जा
(a) यह प्राचीन काल से प्रयोग होने वाले ऊर्जा के साधन हैं जिनकी मात्रा सीमित है।
(b) ये समाप्त होने वाले साधन हैं।
(c) कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ऊर्जा, जलशक्ति परम्परागत ऊर्जा की श्रेणी में आते हैं।
(d) यह ऊर्जा का सुविधाजनक और बहुप्रचलित रूप है।
गैर परम्परागत ऊर्जा
(a) यह भी प्राचीन काल से प्रयोग होने वाले हैं किन्तु इनका आज के संदर्भ में महत्व बढ़ गया है।
(b) ये कभी न समाप्त होने वाले साधन है।
(c) सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, कूड़े, कचरे, गोबर, मलमूत्र से तैयार ऊर्जा इस श्रेणी में आते हैं।
(d) गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन इनका उपयोग व्यापक एवं बड़े पैमाने पर नहीं होता है।
17 एन्थ्रेसाइट और बिटुमिनस कोयले में अंतर बताएँ।
उत्तर-एन्थ्रेसाइट और बिटुमिनस कोयले में अंतर-
एन्थ्रेसाइट कोयला
(a) यह सबसे उत्तम कोटि का कोयला है।
(b) इसमें 80% से ज्यादा कार्बन पाया है।
(c) यह काले रंग का, कठोर और अधिक घनत्व वाला कोयला है।
(d) भारत में यह सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर में पाया जाता है।
बिटुमिनस कोयले
(a) यह मध्यम कोटि का कोयला है।
(b) इसमें 60-80% कार्बन पाया जाता है।
(c) यह भी काले रंग का होता है लेकिन इसका घनत्व एन्थेसाइट से कम होता है।
(d) यह भारत के झारखंड, उड़ीसा, प० बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
8 धात्विक और अधात्विक खनिज में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-धात्विक और अधात्विक खनिज में अंतर-
धात्विक खनिज
(a)धात्विक खनिज विद्युत के सुचालक होते हैं।
(b) धात्विक खनिज चमकदार होते हैं तथा उन पर पॉलिश की जा सकती है। ये ठोस अवस्था में होते हैं।
(c) जिन खनिजों में धातु होती हैं उन्हें धात्विक खनिज कहा जाता है। जैसे- लोहा, ताँबा आदि।
(d) धात्विक खनिज शुद्ध रूप में नहीं पाए जाते हैं।
अधात्विक खनिज
(a) अधात्विक खनिज विद्युत के कुचालक होते हैं।
(b) अधातुएँ चमकदार नहीं होती और न ही उन पर पॉलिश की जा सकती है। ये ठोस, या गैस
अवस्था में हो सकते हैं।
(c) अधात्विक खनिजों में धातु नहीं पाए जाते हैं। जैसे- कोयला, सल्फर, चूना पत्थर आदि।
(d) अधात्विक खनिज शुद्ध रूप में पाए जाते हैं।
19 खनिज और अयस्क में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-खनिज और अयस्क में अन्तर-
खनिज
(a) वे प्राकृतिक पदार्थ जो पृथ्वी-तल के नीचे पाए जाते है, खनिज कहलाते हैं। जैसे- गैलेना, जिप्सम, कैल्सियम।
(b) सभी खनिज अयस्क नहीं होते।
अयस्क
(a) वे खनिज जिनसे धातुओं को आसानी तथा कम खर्च में प्राप्त किया जा सकता है अयस्क कहलाते है। जैसे-ऑक्साइड अयस्क, सल्फाइड अयस्क।
(b) सभी अयस्क खनिज होते हैं।
20 प्राकृतिक गैस और बायो गैस में अंतर स्पस्ट करें ?
उत्तर – प्राकृतिक गैस और बायो गैस में अंतर –
प्राकृतिक गैस
(a) खनिज तेल के साथ तथा बिना खनिज तेल के साथ पाई जाने वाली गैस प्राकृतिक गैस कहलाती है |
(b) इसका उपयोग मुख्यतः प्रदूषण कम करने के लिए परिवहन तथा घरेलू कार्यों में किया जाता है
(c) प्राकृतिक ऊर्जा का समाप्य तथा परंपरागत साधन है घरेलू कार्यों में प्रयोग होने वाली गैस एलपीजी तथा वाहनों में प्रयोग होने वाली गैस सीएनजी कही जाती है।
बायो गैस
(a) जैविक पदार्थों के सड़ने-गलने के बाद उत्पन्न होने वाली गैस बायो गैस कहलाती है।
(b) इसका उपयोग मुख्यतः घरेलू उपयोग में किया जाता है।
(c) ऊर्जा का असमाप्य संसाधन है।
(d) इस गैस का कोई वर्गीकरण नहीं है। jac board