NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- जल संसाधन भूगोल के ब्लॉक पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ 3 जल संसाधन से संबंधित सभी परीक्षा उपयोगी दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का उत्तर इसमें पढ़ने को मिलेगा इसलिए आप सभी विद्यार्थी इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा पढ़ें जिसे आप की परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके।
NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- जल संसाधन भूगोल
जल संसाधन पाठ-3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
जल संसाधन पाठ-3 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
जल संसाधन पाठ-3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 बहुउद्देशीय परियोजना का क्या अर्थ है ? इन परियोजनाओं को आधुनिक भारत का मंदिर क्यों कहा गया है? स्पष्ट करें।
उत्तर-भारत के कृषि तथा उद्योगों के विकास के लिए केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों ने बाढ नियंत्रण, सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार तथा जल-विद्युत के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई। प्रवाहित जल की क्षमता का आकलन कर उसके सहयोग से एक ही साथ अनेक उद्देश्यों की पूर्ति की विस्तृत योजनाओं का प्रारूप तैयार किया गया।
जिन नदी घाटी परियोजनाओं से एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है. उन्हें बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बहुउद्देशीय परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर तथा तीर्थ स्थल कहा है, क्योंकि इनसे एक साथ अनेक उदेश्यों की पूर्ति होती है, जिनमें से मुख्य निम्नांकित हैं-
(क) बाढ़ नियंत्रण और मृदा संरक्षण– नदी घाटी परियोजनाओं से पहले वर्षा काल में बादों का आना एक सामान्य बात थी जिससे अपार जन-धन की हानि होती थी। अनमोल मिट्टी बह जाती थी। मिट्टी पर ही कृषि विकास निर्भर करता है। इस ज्वलत समस्या के निदान के लिए नदियों पर बाँध बनाकर प्रवाह की तीयता को नियंत्रण कर नदी घाटियों ने मृदा संरक्षण करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
(ख) सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार– सदियों पर पौधों के पीछे बड़ी-बडी झीलों का निर्माण किया गया है। इनमें वर्षा का पानी एकत्र हो जाता है। शुष्क ऋतु में जब पानी की आवश्यकता होती है तब इस पानी का सदुपयोग नहरों द्वारा सिंचाई के लिए किया जाता है। सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से कृषि का विस्तार हुआ है और कृषि उत्पादकता कई गुना बढ़ गई है। एक खेत से वर्षा में दो-तीन फसले ली जाने लगी है।
(ग) जल-विद्युत का निर्माण- दोधों के बन जाने से प्रवाहित जल को ऊँचाई से गिराया जाता है जिसकी मदद से जल विद्युत का निर्माण होता है। यह ऊर्जा का स्वच्छ साफ-सुथरा और प्रदूषण मुक्त रूप है।
(घ) औद्योगिक विकास– उद्योगों का विकास नियमित और सस्ती शक्ति पर निर्भर करता है। उद्योगों की इन योजनाओं से शक्ति की सुलभता के साथ पानी पर्याप्त मात्रा में सुलभ होता है।
(ङ) जल परिवहन सुविधा-बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के अंतर्गत मुख्य नादियों और नहरों में अंत स्थलीय जल परिवहन सुविधा मिल जाती है। भारी परिवहन के लिए यह सबसे सस्ता साधन है।
(च) सूखे और अकाल से मुक्ति- वर्षा की अनियमितता और अनिश्चितता बराबर बनी रहती है। अल्प दृष्टि से सूखा और अति दृष्टि से फसलों का जलमग्न होना सामान्य बाते है। दोनों ही स्थितियों में अकाल पड़ता है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों को जल भेजकर तथा बाळासत क्षेत्र से अतिरिक्त जल के निकास की व्यवस्था कर अकाल से बचाया जा सकता है।
जल संसाधन पाठ-3 Ncert Solution For Class 10th के प्रश्न और उत्तर
2 बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले किन्हीं पाँच लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर-बहुज्देशीय परियोजनाजों से होने वाले लाभ निम्नाकित है-
(क) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से सिंचाई की सुविधाएं बढ़ी है और जो भूमि पहले ऊपर पड़ी थी नहरों द्वारा उन्हें पानी पहुंचाने से अब उनकी सिंचाई होने लगी है और लाखों क्विंटल अनाज पैदा होने लगा है।
(ख) इन बड़े बाँधों ने बालों के वेग को रोकने और लोगों की बर्बादी से बचाने में विशेष योगदान दिया है।
(ग) इन बौधों ने भूख और अकाल से लोगों को बचाया है। जो पहले अनगिनत लोग भूख और अकाल से मर जाते थे अब उन्हें इन्ही बडे बोधों के कारण जीवन दान दिया गया है।
(घ) इन बाँधों में हमारे कारखाने चलाने एवं हमारी सुविधा के लिए बिजली पैदा करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बिजली के बिना न हमें आवश्यक चीजें ही उपलब्ध होती है और न ही हमारा जीवन इतना सम्पन्न और सुखी हो पाता।
(ङ) इन बाँधों के कारण मछली पालन में भी सुविधा हुई है।
(च) अधिक उपज होने और कारखानों से अधिक माल तैयार होने से वाणिज्य और व्यापार में भी बड़ी वृद्धि हुई है। तभी तो पंडित नेहरू ने इन बड़े बाँधों को ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ कह कर पुकारा था।
पाठ 3 – जल संसाधन भूगोल के नोट्स| Class 10th
3 बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाली किन्हीं पाँच हानियों का उल्लेख करें।
उत्तर-बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाली हानियाँ निम्नांकित हैं-
(क) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बहुत-सा आस-पास का इलाका अपने जलाशयों
और विभिन्न निर्माण कार्यों द्वारा घेर लेते हैं और उन्हें सदा के लिए बेकार बना देते हैं।
(ख) जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे होते हैं उन्हें बेघर होना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति अपने जन्म-स्थान और निवास स्थान को छोड़ना नहीं चाहता है।
(ग) बाँधों में हजारों एकड़ भूमि की हानि हो जाती है और हरे-भरे वृक्षों से हाथ धोना पड़ता हैं।
(घ) विशेषकर वर्षा के दिनों में जब इन बाँधों के जलाशय पानी से लबालब भर जाते हैं तो बाढ़ों का भी खतरा रहता है।
(ङ) जब कभी इन बड़े बाँधों का पानी किसी ओर से रिसने लग जाता है तो आस-पास के निवासियों के लिए काफी परेशानी पैदा कर देता है।
(च) कुछ लोग तो यहाँ तक कह देते हैं कि भूकंप आदि आने, विदेशी आक्रमण या किसी आतंकवादी की शरारत से कभी ये बाँध टूट जाए तो सर्वनाश हो जाएगा।
4 परंपरागत वर्षा जल-संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है?
उत्तर-परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों में कुएँ, झील, तालाब, बावलियाँ आदि प्रमुख हैं। गाँवों में इन पद्धतियों को अपनाकर जल संरक्षण एवं भंडारण किया जा रहा है।
पश्चिमी राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा जल संग्रहण की पारंपरिक विधि अत्यंत सफल है। शहरों में आज जब जल स्तर तेजी से घटता जा रहा है, छत वर्षा जल संग्रहण अत्यावश्यक हो गया है।
वर्षा का जल छतों से बह कर नालों नदियों से होता हुआ समुद्र में चला जाता है। छतों पर पड़ने वाले वर्षा जल को अगर अपनी भूमि में संग्रहित कर लिया जाए तो जल स्तर के गिरने की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
वर्षा के जल को छतों से निम्नांकित प्रकार से संग्रहित किया जा सकता है-
(क) वर्षा जल को एकत्र करने के लिए पी० वी० सी० पाइपों का इस्तेमाल किया जाता है।
(ख) एकत्रित जल को, भूमिगत पाइपों के द्वारा टैंकों, हौजों या गलों तक ले जाया जाता है। अतिरिक्त जल जमा होने पर उसे कुँओं में संग्रहीत किया जाता है। शिलांग एवं तमिलनाडु में छत वर्षा जल संग्रहण विधि सफलतापूर्वक काम कर रही है।
5 जल संसाधनों का संरक्षण एवं प्रबंधन क्यों आवश्यक है ? इसके लिए क्या करना होगा?
उत्तर-जल जीवन का आधार है। पृथ्वी पर जल की उपलब्धता सीमित है। अतः जल का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है।
जल का संरक्षण और प्रबंधन इसलिए भी आवश्यक है कि जल की जो सीमित मात्रा उपलब्ध है विभिन्न कारणों से प्रदूषित हो रही है। वर्तमान में जल संकट एक गंभीर समस्या बन गयी है जिसका समाधान जल स्रोतों के उचित संरक्षण और प्रबंधन के माध्यम से किया जा सकता है।
इसके लिए निम्नांकित कदम उठाये जाने चाहिए-
(क) अधिक जल संग्रह के लिए अधिक जलाशयों का निर्माण,
(ख) भूमिगत जल में वृद्धि करना
(ग) नदी जल ग्रिड बनाना,
(घ) वर्षा जल का संग्रहण करना,
(ङ) जल संभरण तकनीक को अपनाना।
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