जैव प्रक्रम श्वसन वहन (Jaiv Prakram Shvasan Vahan) लघु उत्तरीय प्रश्न class 10th Science

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जैव प्रक्रम श्वसन वहन (Jaiv Prakram Shvasan Vahan) लघु उत्तरीय प्रश्न

जैव प्रक्रम श्वसन वहन  लघु उत्तरीय प्रश्न पाठ-6 Class 10th में आप सभी को स्वागत है इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम चर्चा करने वाले हैं, जैव प्रक्रम श्वसन से संबंधित जितने भी लघु उत्तरीय प्रश्न है, उन सभी प्रश्नों का हल इस ब्लॉग पोस्ट में आपको देखने के लिए मिलेगा इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें ताकि आने वाले वार्षिक परीक्षाओं में आपका अच्छा नंबर आ सके, तो चलिए शुरू करते हैं ।

पाठ 6 जैव प्रक्रम ( पोषण, श्वसन, वहन, उत्सर्जन ) अभ्यास प्रश्न के देखें
पाठ 6 जैव प्रक्रम ( पोषण, श्वसन, वहन, उत्सर्जन ) अति लघु उत्तरीय प्रश्न के देखें
पाठ 6 जैव प्रक्रम लघु उत्तरीय प्रश्न के देखें –
पोषण
श्वसन, वहन
उत्सर्जन

1 श्वसन को परिभाषित करें।
उत्तर-वह जटिल जैविक रासायनिक प्रक्रम जिसमें कार्बनिक पदार्थों के चरणबद्ध ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं, श्वसन कहलाती है। इसे एक रासायनिक समीकरण द्वारा इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं-
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा

2 श्वसन लेना क्या है ?
उत्तर-वह क्रिया जिसमें जीव वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकालते हैं, श्वसन लेना कहलाती है।

3 श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?
उत्तर-(i) स्थलीय जीव वातावरण से ऑक्सीजन लेते हैं तथा वातावरण में ऑक्सीजन की बहुलता रहती है। इसके विपरीत जलीय जीव जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं जिसकी मात्रा बहुत कम होती है।
(ii) स्थलीय जीवों में ऑक्सीजन का अवशोषण भिन्न-भिन्न अंगों द्वारा किया जाता है। इन सभी अंगों में सतही क्षेत्रफल को बढ़ाने की क्षमता होती है जो ऑक्सीजन के संपर्क में रहता है। अतः इन जीवों को धीमी गति से साँस लेना पड़ता है जबकि जलीय जीवों को तेजी से साँस लेना पड़ता है। वायवीय श्वसन और अवायवीय श्वसन के लिए एक रासायनिक समीकरण लिखें।
उत्तर- वायवीय – C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा ( 674 kcal)

अवायवीय –  C6H12O6 → 2C2H5OH + 2CO2 + ऊर्जा  (25kcal)

5 ऑक्सी (वायवीय) और अनॉक्सी (अवायवीय) श्वसन में कोई दो अंतर लिखें।
उत्तर-ऑक्सी और अनॉक्सी श्वसन में अंतर-

ऑक्सी (वायवीय) श्वसन अनॉक्सी (अवायवीय) श्वसन
आक्सीजन की उपस्तिथि में होने वाले श्वसन को आक्सी श्वसन कहते है आक्सीजन की अनुपस्तिथि में होने वाले श्वसन को अनाक्सी श्वसन कहते है |
इस श्वसन में भोज्य पदार्थो का पूर्ण आक्सी करण होता है इस श्वसन में ग्लूकोज का अपूर्ण आक्सीकरण होता है |
आक्सी श्वसन के फलस्वरूप CO2 तथा H2O बनता है अनाक्सी श्वसन के फलस्वरूप CO2 तथा एथिल एल्कोहल बनता है
समीकरण – C6H12O6 + 6O2  6CO2 + 6H2O + ऊर्जा C6H12O6 → 2C2H5OH +2CO2 + ऊर्जा

जैव प्रक्रम श्वसन वहन के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर क्लास 10th 

6 ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ
उत्तर-ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के दो पथ हो क्या हैं? सकते हैं-
(i) 6 कार्बन वाले ग्लूकोज अणु कोशिका द्रव्य में 3 कार्बन वाले पाइरुवेट अणु तथा ऊर्जा में टूटते हैं एवं ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पाइवेट इथेनॉल, कार्बन डाइऑक्साइड और ऊर्जा में टूटता है। यीस्ट कोशिका में यह क्रिया जाइमेज नामक एन्जाइम की उपस्थिति में होती है जिसे किण्वन कहते हैं।

(ii) कोशिकाद्रव्य में 6 C ग्लूकोज अणु 3 C पाइरुवेट अणु में टूटता है और ऊर्जा मुक्त होती है। पुन: 3C पाइरुवेट लैक्टिक अम्ल और ऊर्जा में परिवर्तित होता है। ऐसा हमारी पेशियों में उस समय होता है जब हम अधिक कार्य करते हैं और पेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे पेशियों में क्रैम्प होता है और हम शीघ्र थक जाते हैं।

7 मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर-मनुष्य एक जटिल शारीरिक रचना वाला विकसित प्राणी है। अतः साधारणतः विसरण क्रिया द्वारा इसके फेफड़ों के बीच गैसीय विनिमय संभव नहीं है। कुपिका भित्तियों में पाए जाने वाले रक्त का श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ऑक्सी हीमोग्लोबिन बन जाता है। यह ऑक्सीजन को स्थल तक छोड़कर पुनः हीमोग्लोबिन बन जाता है। यह रक्त में घुलित कार्बन डाइऑक्साइड को भी लाकर कुपिकाओं में छोड़ता है। फेफड़ों के पिचकने पर कार्बन डाइऑक्साइड स्वतः बाहर निकल जाती है। यदि हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं होता तो फेफड़े से पैर तक ऑक्सीजन लगभग 3 वर्षों में पहुँच पाती।

8. गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है ?
उत्तर-मानव फुफ्फुस में अनगिनत कुपिकाएँ होती हैं। यदि इनके सम्मिलित क्षेत्रफल का आकलन करें तो वह लगभग 80 वर्गमीटर के बराबर होगा। अतः इन कुपिकाओं की ही अभिकल्पना है कि हमारे फुफ्फुस (फेफड़ों) का क्षेत्रफल अधिकतम हो जाता है ।

9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर-(i) कूपिका की भित्ती पतली होती है तथा रुधिर वाहिकाओं के जाल से ढकी हुई होती है, जिससे गैसों का आदान-प्रदान, रुधिर तथा कूपिका के अंदर भरी हवा के बीच अधिकाधिक हो सके।
(ii) कूपिका की संरचना गुब्बारे के समान है, जो गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ा देती है।

10 जलीय जंतुओं में स्थलीय जंतुओं की अपेक्षा श्वसन दर अधिक तेज क्यों होती है?
उत्तर-वायु में ऑक्सीजन की मात्रा जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा से अधिक होती है। अतः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए जलीय जंतुओं को तेज दर से साँस लेना पड़ता है। वायु में पर्याप्त ऑक्सीजन होने के कारण स्थलीय जंतुओं को तेजी से साँस लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
जैव प्रक्रम श्वसन वहन लघु उत्तरीय प्रश्न केउत्तर

11 हीमोग्लोबीन क्या है ?
उत्तर-हीमोग्लोबिन लाल रंग का रंजक है जो रुधिर में उपस्थित होता है। इसकी कमी से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन प्रभावित हो सकता है।
या, वह पदार्थ जिससे रूधिर की कणिकाओं का रंग लाल होता है, हीमोग्लोबीन कहलाता है।

12 हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर-हीमोग्लोबिन लाल रंग का रंजक है जो रुधिर में उपस्थित होता है।इसकी कमी से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन प्रभावित हो सकता है। हीमोग्लोबिन फेफड़े से ऑक्सीजन प्राप्त कर उसे सारे शरीर में पहुँचाता है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाएगी तो शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा नहीं पहुँच सकेगी। इसके परिणामस्वरूप भोजन का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो सकेगा तथा ऊर्जा का उत्पादन कम होगा। इससे शारीरिक कमजोरी बढ़ेगी। हीमोग्लोबिन की कमी की स्थिति को रक्त-अल्पता के नाम से जाना जाता है।

13 मानव के श्वसन में हीमोग्लोबिन की क्या भूमिका है ?
उत्तर-हीमोग्लोबिन एक प्रकार का परिवहन प्रोटीन है। यह रक्त से ऊतकों तक ऑक्सीजन के परिवहन का कार्य करता है। जब हीमोग्लोबिन आक्सीजन से संयुक्त होता है तब वह ऑक्सीहीमोग्लोबिन बन जाता है। परन्तु जब ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है तब ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में टूटकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देता है।

14 फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों तक कैसे पहुँचती है ?
उत्तर-लाल रक्त कणिकाएँ श्वसन क्रिया में शरीर के अंदर ऑक्सीजन का संवहन करती है। इनके अंदर हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन पाया जाता है। यह फेफड़ों के वायु से ऑक्सीजन को अवशोषित कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है। यह ऑक्सीहीमोग्लोबिन रूधिर के माध्यम से भ्रमण करते हुए ऊतकों में जाता है और ऑक्सीजन मुक्त करता है।
जैव प्रक्रम श्वसन वहन से सबंधित लघु उत्तरीय प्रश्न केउत्तर

15 ए० टी० पी० (ATP) क्या है ?
उत्तर-ATP अधिकांश कोशकीय क्रियाओं के लिए ऊर्जा का स्रोत है। श्वसन की क्रिया
में मुक्त हुई ऊर्जा का प्रयोग ADP तथा फॉस्फेट से ATP बनाने में होता है।

16 कूपिका किसे कहते हैं ?
उत्तर-फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जो
अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, जिसे कूपिका कहते हैं।

17. श्वसन किस प्रकार श्वाँस  लेने से भिन्न है ?
उत्तर- श्वसन किस प्रकार श्वाँस  लेने में अंतर-

श्वसन श्वास लेना
(1) यह क्रिया कोशिकाओं के भीतर होती है।
(2) इस क्रिया में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
(3) यह जैव रासायनिक क्रिया है।
(4) इसमें श्वास अंगों की आवश्यकता नहीं होती है।
(5) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का ऑक्सीकरण होता है।
(6) इसमें एंजाइमों की आवश्यकता होती है।
(7) इसमें कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऊर्जा उत्पन्न होते ।
(1) यह क्रिया कोशिकाओं के बाहर होती है।
(2) इस क्रिया में ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती है।
(3) यह एक भौतिक क्रिया है।
(4) इसमें श्वास अंगों की आवश्यकता होती है।
(5) इस क्रिया में ऑक्सीजन गैस का अंतर्ग्रहण होता है।
(6) इसमें एंजाइमों की आवश्यकता नहीं होती।
(7) इसमें कार्बन डाइऑक्साइड का वृधि क्षेपण होता है।

 

18. श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अंतर लिखें?
उत्तर- श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अंतर –

क्रम स० श्वसन (respiration) प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
1 श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन ली जाती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाली जाती है प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण की जाती है तथा ऑक्सीजन निकलती है
2 श्वसन की क्रिया दिन रात होती रहती है । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया केवल प्रकाश में विशेषकर सूर्य के प्रकाश में होती है ।
3 कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण से इनमें संचित ऊर्जा गतिज ऊर्जा के रूप में मुक्त हो जाती है । सूर्य के प्रकाश की सौर ऊर्जा को एकत्र करके कार्बोहाइड्रेट संचित किया जाता है ।
4 श्वसन की क्रिया में भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है यह क्रिया है । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भोज्य पदार्थों का संश्लेषण होता है या उपचार क्रिया है।
5 जीवन के भार में कमी होती है । पौधे के भार में वृद्धि होती है ।
6 सभी जीव जंतुओं की जीवित कोशिकाओं में होती है । पौधे के हरे भागों में ही होती है ।

जैव प्रक्रम श्वसन वहन (Jaiv Prakram Shvasan Vahan) लघु उत्तरीय प्रश्न (Ncert Solution for class 10th Science)

1. वहन किसे कहते हैं ?
उत्तर-पौधे के एक भाग से दूसरे भागों तक जल और खनिज लवणों का परिवहन, वहन कहलाता है।
2. रुधिर (रक्त) क्या है ? इसके दो कार्य लिखें।
उत्तर-रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है। रक्त के कार्य- (i) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन,
(ii) पोषक तत्त्वों का शरीर में परिवहन ।

3 रक्तदाब किसे कहते हैं ? इसे किस यंत्र द्वारा मापा जाता है ?
उत्तर-रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरूद्ध जो दाब लगाता है उसे रक्तदाब कहते हैं। रक्तदाब को स्फाईग्मो मैनोमीटर नामक यंत्र से नापा जाता है।

4 वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर-पादप के वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में जल की हानि वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।

5 पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन का दो महत्व लिखें।
उत्तर-पौधों के लिए वापोत्सर्जन का महत्व-
(i)जल के अवशोषण एवं जड से पत्तियों तक जल पहुँचाने में सहायक है।
(ii) खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है।

6 पौधों में परिवहन के सन्दर्भ में स्थानान्तरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-भोजन का परिवहन तनु विलयन के रूप में पौधे में होता है। पत्तियों से पौधों के अन्य भागों में भोजन के परिवहन को स्थानान्तरण कहते हैं।

जैव प्रक्रम श्वसन वहन के प्रश्नोत्तर

7 किन परिस्थितियों में पौधों में समुचित परिवहन तंत्र की उपस्थिति आवश्यक हो जाती है?
उत्तर-पौधों के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ मिट्टी में पाए जाते हैं परंतु भोजन का संश्लेषण पत्तियों में होता है, जो जड़ से दूर होती हैं। अतः जड़ों द्वारा अवशोषित होने के बाद ये पोषक पदार्थ विसरण द्वारा पत्तियों तक नहीं पहुँच सकते हैं। इसी प्रकार किसी वृक्ष में भोजन भी आसानी से विभिन्न भागों तक नहीं पहुंच सकता है। यही कारण है कि बड़े पौधों और वृक्षों में समुचित परिवहन तंत्र का होना अनिवार्य है।

8 पदार्थों में स्थानांतरण की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-पौधों में पदार्थों का परिवहन बहुत आवश्यक होता है। पौधे जड़ों और पत्तों के द्वारा भोजन तैयार करते हैं। पत्तों के द्वारा तैयार किया भोजन जड़ों की ओर तथा जड़ों के द्वारा तैयार भोजन पत्ते की ओर जाना आवश्यक है। परिवहन के द्वारा भोजन पौधे के सभी भागों के पास पहुँच जाता है।

9 मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-मानव में वहन तंत्र के घटक और उनके कार्य निम्नांकित हैं-
(1) हृदय-रुधिर को एक पम्प की तरह शरीर के विभिन्न भागों में भेजना, अशुद्ध रक्त को शुद्ध होने के लिए फेफड़ों और गुदों में भेजना तथा शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में भेजना।
(i) धमनियाँ- शुद्ध या ऑक्सीजनित रुधिर को हृदय से दूर शरीर के अंगों में भेजना।
(ii) शिराएँ- अशुद्ध या विओक्सीजनित रक्त को हृदय तक लाना।
(iv) कोशिकाएँ- रक्त को शरीर के संकीर्ण भागों एवं त्वचा में भेजना।
(v) बिम्बाणु या प्लेटलेट्स-रुधिर का थक्का बनने में सहायता करना एवं अनुरक्षण।

10 शरीर में रक्त को पहुंचाने के लिए हमारे शरीर को हृदय जैसे पंप की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर-रक्त या रुधिर में तरल माध्यम होता है जिसे प्लाज्मा कहते हैं। इसी में रक्त कोशिकाएँ डूबी हुई रहती है। प्लाज्मा घुलित अवस्था में पोषक पदार्थों, कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन करती है। लाल रक्त कोशिकाएँ ऑक्सीजन का परिवहन करती है। रक्त बहुत से अन्य पदार्थों जैसे लवणों का भी परिवहन करता है। यही कारण है कि रक्त को पूरे शरीर में भेजने के लिए हृदय जैसे पंप की आवश्यकता होती है।

जैव प्रक्रम श्वसन वहन (Jaiv Prakram Shvasan Vahan) notes

11 रुधिर और लसीका में अंतर बताएँ।
उत्तर-रुधिर और लसीका में अंतर-

क्रम स० रुधिर लसीका
1 रुधिर रंगहीन नही होता है। इसका रंग लाल होता है। लसीका रंगहीन होता है। इसका कोई रंग नही होता है।
2 रुधिर में लाल रुधिर कणिकाएँ की संख्या अधिक मात्रा में होती है। लसीका में लाल रुधिर कणिकाएँ की संख्या की मात्रा कम होती है।
3 रुधिर में श्वेत रुधिर कणिकाएँ की संख्या की मात्रा कम होती है। लसीका में श्वेत रुधिर कणिकाएँ अधिक संख्या में पाई जाती हैं।
4 रुधिर में फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक पाई जाती है जिससे यह बहुत ही आसानी के साथ थक्का बन जाता है । लसीका में फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम उपस्थित होती है फिर भी थक्का जमने की शक्ति इसमें विद्यमान होती है।
5 रुधिर में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है लसीका में प्रोटीन की मात्रा कम होती हैं।

12. ऑक्सीजनित रुधिर विऑक्सीजनित रुधिर में अन्तर बताएं?
उत्तर- ऑक्सीजनित रुधिर विऑक्सीजनित रुधिर में अन्तर-

ऑक्सीजनित रुधिर विऑक्सीजनित रुधिर
इसमें ऑक्सीजन की मात्रा अधिक तथा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत कम होती है इसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक तथा ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है
यह हृदय से शरीर के समस्त भागों में जाता है यह शरीर के समस्त भागों से हिर्दय की ओर जाता है

13 धमनी और शिरा में अंतर लिखें।
उत्तर-धमनी और शिरा में अंतर-

धमनी शिरा
धमनी की दीवार मोटी होती है शिरा की दीवार पतली होती है
धमनी हृदय से रक्त लेकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाते हैं यह शरीर के विभिन्न अंगों से रक्त लेकर हिरदे में पहुंचाते हैं
इसमें बाल्व नहीं होता है इसमें बालों बाल्व होता है

14. जाइलम और फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है।
उत्तर-जाइलम और फ्लोएम में पदार्थों के वहन में  अन्तर –

जाइलम फ्लोएम
जाइलम जड़ से पतियों तथा अन्य भागों में जल तथा घुले हुए लवण को प्रवाहित करते हैं फ्लोएम भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्सों तक परिवहित करता है
जाइलम में पदार्थों का परिवहन वाहिकाओं तथा वाहिनिकाओं द्वारा होता है जो मृत उत्तक है फ्लोएम में पदार्थों का परिवहन चालनी ट्यूबों द्वारा सहचर कोशिकाओं की मदद से होता है जो जैव कोशिकाएं हैं
वाष्प उत्सर्जन पूल के कारण ऊपर की ओर जल तथा घूले लवणों का चढ़ना संभव हो पाता है यह पत्ति की कोशिकाओं से जल अणुओं के वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है स्थानांतरण में पदार्थ फ्लोएम उत्तक में एटीपी ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए होता है यह परासरण दाब बढ़ा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को उत्तकों की ओर भेजता है जिसमें दाब कम होता है
जल का परिवहन सरल भौतिक गति के अंतर्गत होता है ऊर्जा खर्च नहीं होती है अतः एटीपी की आवश्यकता नहीं होती है l फ्लोएम में स्थानांतरण एक सक्रिय किया है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है यह ऊर्जा एटीपी से प्राप्त होती है

जैव प्रक्रम श्वसन वहन के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

15 स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-ऑक्सीजनित एवं विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करने से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति होती है। स्तनधारियों एवं पक्षियों में शरीर के ताप को समान बनाए रखने के लिए लगातार ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः इन प्राणियों में दोनों प्रकार के रुधिर को अलग करना आवश्यक होता है।

16 उच्च संघटित पादपों में वहन तंत्र के क्या घटक हैं ?
उत्तर-उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के दो प्रधान घटक हैं-
(i) जाइलम जो खनिजों के जलीय घोल का वहन जड़ों से पूरे पादप में करती है ।
(ii) फ्लोएम जो पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन को पूरे पादप में फैलाती है।

17 पादपों में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर-पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम वाहिनियों द्वारा होता है।
परासरण के नियमानुसार मृदा के कणों के बीच उपस्थित खनिजों का जलीय घोल जड़ों के मूलरोमों में प्रवेश करता है और इसी प्रकार उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर बढ़ता हुआ जाइलम वाहिनियों में पहुँच जाता है। वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न खिंचाव, परासरण दाब एवं कोशिका दाब के प्रभाव में जलीय घोल पौधे के शीर्ष भाग तक पहुँच जाता है। इसे रसारोहन भी कहते हैं।

18 लसीका (लिम्फ) क्या है ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर-ऊतकों के अन्तर्कोशिकीय अवकाशों में पाया जाने वाला प्लाज्मा प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं से बना रंगहीन तरल पदार्थ लसिका कहलाता है। यह कोशिका झिल्ली के छिद्रों से होकर बाहर निकले हुए प्लाज्मा, प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं के मिलने से बनता है। लसीका शरीर की संक्रमण से सुरक्षा करता है, प्रोटीन एवं वसा की दीर्घाणुओं का परिवहन करता है, रक्त ऊतकों के अतिरिक्त जल को रक्त में सम्मिलित कराता है |

19 पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है ?
उत्तर-पादपों में भोजन का वहन पत्तियों से प्रारम्भ होकर फ्लोएम वाहिनियों द्वारा पूरे पादप शरीर में होता है। फ्लोएम वाहिनियों की चालनी नलिका में चालनी पट्ट से होकर भोजन का प्रवाह उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर होता है।

जैव प्रक्रम श्वसन वहन (Jaiv Prakram Shvasan Vahan) प्रश्नोतर

20 मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या करें।
उत्तर-मनुष्य में रक्त को हृदय से होकर दो बार गुजरना पड़ता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते है। शिराओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त हृदय में लाया जाता है। हृदय उसे शुद्ध होने के लिए अलग मार्ग से फुफ्फुस में भेज देता है जहाँ कार्बन डाइऑक्साइड बाहर विसरित हो जाती है और ऑक्सीजन रक्त में आ जाती है। इस प्रकार ऑक्सीजनयुक्त रक्त पुनः हृदय में आता है जिसे शरीर के अंगों में पहुँचाने के लिए पम्प कर दिया जाता है।

21 हृदय के निलय की दीवार अधिक मांसल और मोटी होती है, परंतु अलिन्दों की नहीं। क्यों ?
उत्तर-निलय द्वारा शरीर के सुदूर भागों में ऑक्सीजन युक्त रक्त भेजना पड़ता है और पुनः अशुद्ध रक्त जमा करना होता है। इस कारण से निलय की माँसपेशियों को अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है। अतः उनकी दीवार अधिक मांसल और मोटी होती है। जबकि अलिन्दों में फेफड़े से रक्त आता है, जो हृदय के निकट ही स्थित होता है। फिर वह रक्त वाल्व से होकर निलय में चला जाता है। अतः उसकी मांसपेशियों को अधिक शक्ति की आवश्यकता नहीं होती।

22 हृदय में चार चैम्बरों के होने से क्या लाभ है ?
उत्तर-ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड दोनों का एक ही रक्त के माध्यम से परिवहन होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि ऑक्सीजन से समृद्ध रक्त को कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त में मिलने से रोका जाए। कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त को फेफड़ों की भित्तियों में जाना आवश्यक होता है ताकि उसकी काच जाहीरसाइज को अलग किया जा सके। इसके साथ ही ऑक्सीजन गुणा कापच जाइऑक्साइड विहीन रक्त को इदय में रखना होता है ताकि उसको शरीर के अन्य अगो में भेजा जा सके। इसलिए मानव हृदय में चार चैम्बर होते हैं।