हमारा देश भारत प्यारा निबंध 2023

परिचय, प्रस्तावना

हमारा देश भारत प्यारा नामक निबंध में आज हम जानेंगे की हमारा देश भारत है। हम इसकी संतान हैं। इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग-अलग मान्यताएँ हैं। ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण-पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मन द्वारा पालित-पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया। यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा ।आगे हम निम्न टॉपिक पर बात करेंगे –

  • भारत देश का चाहौदी
  • भारत देश के राज्यों के संख्या एवं उनके नाम
  • भारत देश के केंद्र शासित राज्यों की संख्या और उनके नाम
  • भारत देश के प्रमुख दार्शनिक स्थल
  • प्राकृतिक बनावट व सम्पदा, 
  • गौरवपूर्ण अतीत, 
  • धार्मिक सहिष्णुत और 
  • सौहार्द, उपसंहार। 

भारत देश का चाहौदी

हमारा देश भारत की चौहदीअगर देखा जाए तो

भारत के पश्चिम में पाकिस्तान

उत्तर-पूर्व में चीन नेपाल और भूटान

पूर्व में बांग्लादेश मयंमार स्थित है

हिंद महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीप

दक्षिण में श्रीलंका और

दक्षिण पूर्व में इंडोनेशिया से भारत के समुद्री सीमा लगती है

उत्तर में इनकी सीमा हिमालय पर्वत से और

दक्षिण में हिंद महासागर से लगी हुई है

पूरब में बंगाल की खाड़ी है तथा

पश्चिम में अरब सागर है

हमारा देश भारत के राज्यों के संख्या एवं उनके नाम

क्रमांक राज्य का नाम राजधानी  
1 गोवा पंजी  
2 अरुणाचल प्रदेश ईटानगर  
3 छत्तीसगढ़ रायपुर  
4 बिहार पटना  
5 असम दिसपुर  
6 आंध्र प्रदेश हैदराबाद (प्रस्तावित राजधानी अमरावती)  
7 हरियाणा चंडीगढ़  
8 गुजरात गांधीनगर  
9 हिमाचल प्रदेश शिमला  
10 झारखण्ड रांची  
11 कर्नाटक बेंगलुरु (पहले बैंगलोर)  
12 केरल तिरुवनंतपुरम  
13 नागालैंड कोहिमा  
14 महाराष्ट्र मुंबई  
15 मणिपुर इम्फाल  
16 मेघालय शिलांग  
17 मिजोरम अइज़ोल  
18 मध्य प्रदेश भोपाल  
19 राजस्थान जयपुर  
20 पंजाब चंडीगढ़  
21 ओडिशा भुवनेश्वर  
22 सिक्किम गंगटोक  
23 तमिल नाडू चेन्नई  
24 तेलंगाना हैदराबाद  
25 उत्तराखंड देहरादून (शीतकालीन)
गैरसैंण (ग्रीष्मकालीन)
 
26 उत्तर प्रदेश लखनऊ  
27 त्रिपुरा अगरतला  
28 पश्चिम बंगाल कोलकाता  
भारत के राज्यों के नाम का विवरण

हमारा देश भारत के केंद्र शासित राज्यों की संख्या और उनके नाम

केंद्र शासित प्रदेश राजधानी  
दिल्ली नई दिल्ली  
चंडीगढ़ चंडीगढ़  
लक्षद्वीप कवरत्ती  
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह पोर्ट ब्लेयर  
दादरा और नगर हवेली, दमन  
पुडुचेरी पांडिचेरी  
लद्दाख लेह  
जम्मू कश्मीर श्रीनगर (ग्रीष्मकालीन)
जम्मू (शीतकालीन)
 
भारत देश के केंद्र शासित राज्य

हमारा देश भारत के प्रमुख दार्शनिक स्थल

वैसे तो हमारे देश में बहुत सारे दार्शनिक स्थल उन्ही में से कुछ प्रमुख स्थलों के नाम नीचे दिए गए है-

  • वाराणसी
  • जयपुर 
  • कश्मीर 
  • दिल्ली 
  • लेह/लद्दाख
  • आगरा
  • अजंता एवं एलोरा की गुफा
  • दार्जिलिंग
  • गोवा
  • कन्याकुमारी 

बनावट व सम्पदा

 हमारा देश भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है। उत्तर में बर्फ से हिमालय की पर्वत-श्रेणियाँ हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई हैं। दक्षिण महासागर हिलोरे लेता है। ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों रहा है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ- गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती हैं और देश की धरती को श्यामल बनाती हैं। 

गंगा, यमुना और सतलुज के उपजाऊ मैदान दुनिया  में कहीं नहीं नहीं हैं। विभिन्न ऋतुएँ इसकी प्राकृतिक छटा को निखारती रहती  हैं ऐसा लगता है कि भारत देवी देवताओं से हमेशा अपना परिधान बदलती है और नित्य को सगन्धित आवरण से अपनी सज्जा करती रहती है। यह हमारा सौभाग्य है कि प्रकृति की इस क्रीड़ास्थली में हमारा जन्म हुआ है। 


गौरवपूर्ण अतीत

 हमारा देश भारत का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है। इस देश में बडे-बडे ज्ञानी-ध्यानी, ऋषि-मुनि और महात्मा हुए हैं जिन्होंने दुनिया को ज्ञान-सूर्य का दर्शन कराया। संसार में सभ्यता और संस्कृति का प्रवर्तन हमारे यहाँ से आता है ।           
हमारे देश में महावीर, गौतम बुद्ध, मर्यादा पुरुषोत्तम राम, गीतायोगी कष्ण जैसे महापुरूष हुए। यह बड़े-बड़े कवियों तुलसी, सूरदास, कबीर, रहीम, रसखान, बिहारी, भूषण, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, निराला और पंतकी जन्मभूमि रहा है। हमारे देश के प्रचुर धन-धान्य से देश-विदेश सभी लाभान्वित होते रहे हैं। 

धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द

हमारा देश भारत में कई जातियाँ आई और इसकी धरती पर हिलमिल गई। हमारे देश में विभिन्न जाति, वर्ण व संप्रदाय के लोग मिलकर रहते हैं। कहीं मन्दिरों के घण्टे-घड़ियाल बज रहे हैं, तो कहीं मस्जिदों में अजान दी जा रही है। यह विविध धर्मों का देश है। धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द का जैसा संगम यहाँ देखने की मिलता है, वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। संसार के इतिहास में कई सभ्यताएँ पनपी और अस्त हो गई, लेकिन भारत की सभ्यता अभी तक मुखर है। 

उपसंहार

 ऐसे गौरवपूर्ण देश के वासी होने के नाते हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी उन्नति के लिए सतत सजग रहें। आपसी फूट और वैमनस्य की जड़ें उखाड़ कर फेंक दें। भाषा और संस्कृति के झगड़े इस देश की विरासत नहा है। विदेशियों ने अपनी कूटनीति के कारण देश को खंड-खंड करना चाहा है. हम एकता का बिगल बजाकर भारत को संसार का शिरोमणि बनाना है।