स्ट्रेस लेने के नुकशान | Disadvantages of taking stress l शरीर में ये खतरनाक बदलाव

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स्ट्रेस लेने के नुकशान | Disadvantages of taking stress l शरीर में ये खतरनाक बदलाव

‘स्ट्रेस मत लो!’ ये तीन शब्द कहना जितना आसान है, इन पर अमल कर पाना उतना ही मुश्किल. इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मनुष्य होगा जो स्ट्रेस में नहीं है. सबका अपना-अपना स्ट्रेस है. इस स्ट्रेस का लेवल भी मनुष्य और हालात पर निर्भर करता है.

कोई मैनेज कर लेता है, कोई नहीं कर पाता. कुल मिलाकर बहुत ही आम समस्या है . हमारे सेहत पर ऐसे बहुत मेल्स आते हैं जिनमें लोग अपने स्ट्रेस और उससे पड़ने वाले असर का ज़िक्र करते हैं. स्ट्रेस के वजह से किसी का पेट खराब रहता है, किसी का वज़न ही गिर जाता है, किसी को भयानक सर में दर्द रहता है वगैरह, वगैरह.

स्ट्रेस जिस भी प्रकार का हो, उसका असर आपके शरीर पर पड़ता है. स्ट्रेस है तो बहुत आम शब्द पर इससे जुड़ी कुछ बहुत ज़रूरी बातें लोगों को पता नहीं होती हैं. जैसे स्ट्रेस के भी अलग-अलग तरिके होते हैं, स्ट्रेस आपकी इम्युनिटी को कैसे कमज़ोर करता है? इसका आपकी हेल्थ और दिमाग पर क्या असर पड़ सकता है।

स्ट्रेस लेने के नुकशान | Disadvantages of taking stress अवश्य जानें 

स्ट्रेस के प्रकार:-
ये हमें बताया डॉक्टर सोनल आनंद ने.
स्ट्रेस दो प्रकार के होते है:-

एक्यूट स्ट्रेस और क्रोनिक स्ट्रेस.

एक्यूट स्ट्रेस थोड़ी – थोड़ी देर के लिए होती है, सिचुएशन बहुत सीरियस नहीं होती.
जैसे कोई प्रेजेंटेशन देने से पहले स्ट्रेस हो सकती है.एग्ज़ाम से पहले स्ट्रेस का हो जाना .

स्ट्रेस का दूसरा प्रकार है क्रोनिक स्ट्रेस.

1. क्रोनिक स्ट्रेस लंबे समय तक चलता रहता है.
2. ये उन मुश्किल हालातों में एहसास होता है, जिनसे निकलना मुश्किल होती है.
3. स्ट्रेस इम्यून सिस्टम को कैसे नुकसान पहुंचाता है?
4. स्ट्रेस का असर हमारे इम्युनिटी पर पड़ता है.
5. स्ट्रेस के कारण टी-सेल सप्रेशन होती है.
6. मतलब शरीर में मौजूद व्हाइट सेल्स जो किसी इन्फेक्शन से लड़ते हैं, उनपर असर पड़ता है.
7. स्ट्रेस के कारण हमारे शरीर में एक हॉर्मोन रिलीज़ होती है.
8. जिसको कोर्टिसोल कहते है.
9. ऐसे हॉर्मोन के कारण शरीर के अंदर सूजन बढ़ती है.
10. जब हम क्रोनिक स्ट्रेस से गुज़रते हैं तब कोर्टिसोल का लेवल खून में बढ़ती है.
11.उसकी वजह से शरीर में अंदरूनी सूजन होती है.
12. जिसके कारण इम्युनिटी कमज़ोर होती है.

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स्ट्रेस से हेल्थ, शरीर को किस तरह का नुकसान होती है?

  • स्ट्रेस का शरीर और दिमाग दोनों पर असर पड़ताी है.
  • स्ट्रेस के कारण क्रोनिक एंग्ज़ायटी हो सकता है.
  • स्ट्रेस के कारण डिप्रेशन हो जाती है.
    डिप्रेशन में उदासी महसूस होता है.
  • रोज़ – रोज के काम करने की इक्छा नहीं होती.
  • किसी चीज़ को करने में मज़ा नहीं आता.
  • नींद की साइकिल पूरी तरह बिगड़ सकती है.
  • हमारे भूख कम या ज़्यादा लग सकती है.
  • कुछ सीरियस केसों में सुसाइड करने के ख्याल भी आते हैं.
  • जो लोग ऑफिस में काम करते हैं, स्ट्रेस के कारण उनमें बर्नआउट सिंड्रोम हो जाता है.
  • क्रोनिक स्ट्रेस के कारण सोच पाने की क्षमता कम हो जाती है.
  • स्ट्रेस के कारण पेट से लेकर दिल तक असर पड़ती है.
  • पेट में अल्सर हो जाता हैं.
  • इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम हो सकता है.
  • हाज़मा कम हो जाती है.
  • बीपी और दिल की बीमारियां स्ट्रेस के कारण बढ़ जाती हैं.
  • क्रोनिक स्ट्रेस में दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है.
  • हमारा दिल जल्दी-जल्दी खून पंप करता है, जिसकी वजह से दिल भी स्ट्रेस में रहता है.
  • इससे कार्डियक प्रॉब्लम्स बढ़ जाती हैं.
  • स्ट्रेस की वजह से खाने-पीने में बदलाव आ सकता हैं.
  • वज़न कम हो जाती है.
  • कुछ लोग स्ट्रेस में ज़्यादा खाते हैं, जिससे उनका वज़न काफ़ी बढ़ भी जाता है.
  • इस कारण ओबेसिटी भी बढ़ती है.
  • ओबेसिटी के कारण कई बीमारियां हो जाती हैं.
  • दिमाग पर भी स्ट्रेस का काफ़ी असर पड़ता है.
  • आपका ध्यान बिगड़ जाता है.
  • काम करने की क्षमता घट जाती है.

स्ट्रेस को कैसे कंट्रोल करें?

  • स्ट्रेस को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल नहीं होती है.
  • अगर कोई सिचुएशन ऐसी है, जो बहुत स्ट्रेसफ़ुल है.
  • उससे निकलना मुश्किल लग सकती है.
  • उसके बारे में अलग -अलग तरह से सोचें.
  • कई बार सोच बदलने से बहुत फ़ायदा होती है.
  • कुछ बहुत आसान चीज़ें कर सकते हैं.
  • रोज़ सुबह 15 से 20 मिनट के लिए एक्सरसाइज कर सकते हैं.
  • योगा भी कर सकते हैं.
  • टाइम मैनेजमेंट सीखना ज़रूरी होती है.
  • हमें नींद पूरी लें.
  • अगर स्ट्रेस बहुत ज़्यादा होती है तो प्रोफेशनल मदद लेना ज़रूरी होती है.लाइफ में कोई स्ट्रेस न हो, ऐसा हम सब चाहते तो हैं पर जब तक सांसें चल रही हैं, ये मुमकिन भी नहीं है. इसलिए ये उम्मीद तो छोड़ ही देना चाहिए. उससे बेहतर है, स्ट्रेस को कैसे हैंडल करना चाहिए , इस बात पर फोकस किया जाए. बहुत बार स्ट्रेस इतना ज़्यादा हावी हो जाती है कि एंग्जायटी, डिप्रेशन या फिर बीमारी का रूप ले लेती है. इसलिए अगर आपको लगता है कि आप बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहते हैं, तो अपना मन उससे हटा नहीं पाते तो प्रोफेशनल मदद लें. क्योंकि स्ट्रेस का आपकी सेहत पर किस तरह का असर होता है, ये तो आपने सुन ही लिया।

स्ट्रेस लेने के नुकशान | Disadvantages of taking stress को अध्ययन करके आपको काफी कुछ जानकारी मिली होगी आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरूर अच्छा लगा होगा।