ऊर्जा के स्रोत, अध्याय 14, विज्ञान, क्लास X सभी महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

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ऊर्जा के स्रोत, अध्याय 14, विज्ञान, क्लास X सभी महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न-1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?

उत्तर – ऊर्जा का वह स्रोत जिसमें निम्नलिखित गुण विद्यमान हों ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत है।
(i) ऊर्जा के उत्तम स्त्रोत की विशेषता है कि यह पर्याप्त लाभदायक ऊर्जा प्रदान कर सके।
(ii) इसको आसानी से भण्डारित किया जा सके।
(iii) इसका उपयोग करना सुविधाजनक हो।
(iv) इसका एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन सुविधाजनक हो।
(v) इसके अतिरिक्त ऊर्जा का स्त्रोत लम्बी अवधि तक, स्थिर दर पर इच्छित परिमाण की ऊर्जा दे सकता हो।

प्रश्न-2. उत्तम ईधन किसे कहते हैं?

उत्तर – एक उत्तम ईंधन वह है जो
(क) प्रति एकांक आयतन अथवा द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
(ख) सरलता से सुलभ हो सके।
(ग) भण्डारण तथा परिवहन करने में आसान हो।
(घ) कदाचित यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि वह सस्ता हो।
(ङ) ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक हो।

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प्रश्न-3. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?

उत्तर- हम भोजन गरम करने के लिए L.P.G. गैस का इस्तेमाल करेंगे, क्योंकि यह एक धुआँ रहित ईंधन है जिसका इस्तेमाल पर्यावरण प्रदूषण नहीं करता। इसका ज्वलनांक भी कम है। अतः इसे जलाने के लिए अधिक ऊर्जा नहीं देनी पड़ती। इसका भण्डारण तथा परिवहन भी आसान है तथा यह इतना अधिक महंगा भी नहीं है।

प्रश्न-4 . जीवाश्म ईधन की क्या हानियां हैं?

उत्तर – जीवाश्मी ईंधन को जलाने की अनेक हानियाँ हैं। जीवाश्मी ईधन के जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर केऑक्साइड, अम्लीय ऑक्साइड होते हैं। इनसे अम्लीय वर्षा होती है जो हमारे जल तथा मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती है। वायु प्रदूषण की समस्या के अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का ग्रीन हाउस (पौधघर) प्रभाव जीवाश्मी ईधन के कारण उत्पन्न होता है।

ऊर्जा के मुख्य स्रोत ncert solutions for class 10th science प्रश्नोत्तर

प्रश्न-5 . हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?

उत्तर – वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत ढूंढने का मुख्य कारण यह है कि जीवाश्म ईंधन अनवीकरणीय हैं। ये लाखों वर्षों पहले स्वतः बने थे और इनके सीमित भंडार हैं। अगर हम इतनी ही तेजी से इनका इस्तेमाल करते रहे तो जल्दी ही हम ऊर्जा-विहीन हो जाएंगे। अतः हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की खोज करनी चाहिए ताकि इस विकासशील और उन्नत जीवन-यापन के लिए दिनों-दिन ऊर्जा की बढ़ती मांग की आपूर्ति कर सकें।

प्रश्न-6 . हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं?

उत्तर – बहते पानी की गतिज ऊर्जा अथवा ऊँचाई से गिरते पानी की स्थितिज ऊर्जा पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत थे। अब संसार भर में नदियों पर बांध बनाकर उनके समीप जल विद्युत संयंत्र स्थापित किए गए हैं ताकि पानी की स्थितिज और गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला
जा सके।

वायु की गतिज ऊर्जा को कार्य सम्पन्न करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्राचीन समय में पवन चक्की से ऊर्जा प्राप्त करके यांत्रिक कार्य किया जाता था। आज पवन-ऊर्जा का प्रयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है। एक बड़े क्षेत्र में पवन-ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न करने के लिए बड़ी संख्या में पवन चक्कियां लगाई गई हैं।

प्रश्न-7 . सौर कुकर के लिए कौन सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल-सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?

उत्तर – साधारण सौर कुकर में समतल दर्पण उपयुक्त होता है ताकि सूर्य की किरणें पूरे तल से परावर्तन होकर सारे बॉक्स में फैल सके तथा बॉक्स में रखे सभी पात्रों पर सूर्य की परावर्तित किरणें पड़ सकें।

ऊर्जा के स्रोत NCERT

प्रश्न-8 . महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएं है ?

उत्तर – महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की निम्नलिखित सीमाएँ हैं
(1) महासागरों में उठने वाले ज्वार-भाटे से उत्पन्न ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध का निर्माण करके किया जाता है। लेकिन ऐसी अवस्थितियाँ जहाँ इस प्रकार के बांध निर्मित किए जा सकते हैं सीमित हैं।
(2) तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल उन्हीं स्थानों पर हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यन्त प्रबल हों।

(3) महासागरों से मिलने वाली सागरीय तापीय ऊर्जा का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपान्तरण विद्युत संयंत्र (OTEC) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। लेकिन OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचलित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल के ताप तथा 2km तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। अतः महासागरों की ऊर्जा की क्षमता (ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा तथा सागरीय तापीय ऊर्जा) अति विशाल है परंतु इसके दक्षता पूर्ण व्यापारिक दोहन में अनेक कठिनाइयाँ हैं।

प्रश्न-9 . भू-तापीय ऊर्जा क्या होती है?

उत्तर – भूतापीय ऊर्जाः- पृथ्वी की सतह के नीचे गर्म जल स्त्रोतों से उत्पन्न आंतरिक ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं। यह ऊर्जा का एक प्रदूषण-रहित स्त्रोत है।

प्रश्न-10 , नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है?

उत्तर – (1) नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जा सकता है
(2) सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ ही हैं। यह पृथ्वी पर उपलब्ध अत्यधिक ऊर्जा स्त्रोतों में से एक स्त्रोत है।
(3) नाभिकीय ऊर्जा का इस्तेमाल नाभिकीय रिसर्च तथा खोजों में किया जाता है।
(4) रेडियोधर्मी समस्थानिकों के उत्पादन में भी नाभिकीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है

ऊर्जा के मुख्य स्रोत पाठ से सबंधित प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न-11 . क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

उत्तर – नहीं, कोई ऊर्जा स्त्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। जैसा कि हम जानते हैं कि जीवाश्म ईधनों के जलने पर बहुत अधिक वायु प्रदूषण होता है। साथ-साथ इनके अवशेषों से भूमि प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसके अतिरिक्त CNG, और सौर ऊर्जा प्रदूषण रहित ईधन माने जाते हैं। यह कहा जा सकता है कि ये ईंधन जलने पर प्रदूषण नहीं करते या बहुत कम प्रदूषण करते हैं।

लेकिन इन ईंधनों को भी पूर्णतः प्रदूषण रहित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि चाहे ये ईधन जलने पर या ऊर्जा देते समय प्रदूषण नहीं फैलाते हों, लेकिन इन ईंधनों को जुटाते समय कहीं न कहीं पर्यावरणीय क्षति अवश्य होती होगी। अतः कोई भी ईंधन प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता।

प्रश्न-12. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?

उत्तर – रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। यह CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईधन है क्योंकि CNG जब वायु की उपस्थिति में जलती है तो इसके दहन से CO2  तथा H2, उत्पन्न होती हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि जब CO2 की मात्रा अधिक होती है तो यह प्रदूषण फैलाती है। इसके अलावा हाइड्रोजन के दहन से ऐसे कोई उत्पाद नहीं बनते जो प्रदूषण फैलाते हों। अतः हम कह सकते हैं कि हाइड्रोजन, CNG की अपेक्षा अधिक स्वच्छ ईंधन है।

प्रश्न-13 . ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।

उत्तर – सौर ऊर्जा, सागरीय तरंगे व बहते पानी की ऊर्जा, हम इन ऊर्जा स्त्रोतों का नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के रूप में चुनाव इसलिए करते हैं क्योंकि ये स्त्रोत (सूर्य तथा सागरीय जल) चिरकाल तक बिना समाप्त हुए बार-बार हमें ऊर्जा देते रहेंगे। अतः हम इन ऊर्जा खोतों का नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के रूप में चुनाव कर सकते हैं।

प्रश्न-14. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समापनयोग्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।

उत्तर – कोयला, पैट्रोलियम ये दोनों ऊर्जा स्त्रोत प्रकृति में बहुत अधिक लम्बी अवधि के बाद
बने हैं। इन ईंधनों का एक बार प्रयोग करने के बाद इन्हें प्राकृतिक रूप से पुनः उत्पन्न नहीं किया जा सकता या बहुत अधिक लम्बी अवधि के बाद शायद पैदा किया जा सकता है। इसी कारण ये धीरे-धीरे नष्ट होते जा रहे हैं।

जैसा कि हम जानते हैं कि कोयला तथा पैट्रोलियम, लाखों वर्षों पहले कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण जैव पदार्थों तथा वनस्पति के पृथ्वी के अन्दर धंस जाने के बाद उनके उच्च ताप व दाब पर ईंधन के रूप में परिवर्तित होने पर बने हैं। इसी कारण, ये ईधन आज की परिस्थितियों में पुनरुत्पन्न नहीं किए जा सकते और धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। इसीलिए इन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के रूप में चुना जाता है।

ऊर्जा के मुख्य स्रोत बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) वायु (पवनों) वाले दिन

उत्तर – (b) बादलों वाले दिन

प्रश्न-2. निम्न में से कौन जैव-मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा

उत्तर – (c) नाभिकीय ऊर्जा

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से ज्यादातर सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है-
(a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) जीवाश्म ईंधन
(d) जैव मात्रा

उत्तर – (a) भूतापीय ऊर्जा

प्रश्न-4. जीवाश्म ईंधनों तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर – जीवाश्म ईंधन

1. जीवाश्म ईंधन अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत हैं, जो एक बार प्रयोग करने के बाद दोबारा उत्पन्न नहीं किए जा सकते और धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं।
2. जीवाश्म ईंधनों के जलने पर CO2, तथा H2 बनते हैं। अतः ये प्रदूषण युक्त ईंधन हैं।

3. जीवाश्म ईधन से प्राप्त ऊष्मा हमारी संपूर्ण ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।
4. जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कभी भी, कहीं भी आसानी से कर सकते हैं।
5. जीवाश्म ईंधनों के दहन पर स्थान, समय तथा सूर्य की स्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
6. जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल ज्यादा महंगा नहीं पड़ता।

सौर ऊर्जा:-

1. सूर्य ऊर्जा का नवीकरणीय स्त्रोत है जो चिरकाल तक बिना समाप्त हुए ऊर्जा प्रदान करता रहेगा और समाप्त भी नहीं होगा।
2. सौर ऊर्जा के प्रयोग के समय ऐसे कोई उत्पाद नहीं बनते जो प्रदूषण फैलाएँ। अतः यह जीवाश्म ईंधनों की अपेक्षा अधिक स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत है।
3. सूर्य ऊर्जा पृथ्वी तल पर अत्यन्त विसरित रूप में प्राप्त होती है और प्रतिवर्ग मीटर क्षेत्र पर यह बहुत कम मात्रा में ऊर्जा देती है। अतः इस पर आधारित युक्तियों का बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया जा सकता।
4. सौर ऊर्जा रात के समय और वर्षा या बादलों वाले दिन उपलब्ध नहीं होती।
5. सौर ऊर्जा सब स्थानों पर एक समान नहीं रहती और दिन के अलग-अलग समय में बदली हुई सूर्य की अवस्था सौर ऊर्जा दोहन में बाधा बनती है।
6. सौर ऊर्जा के दोहन के लिए बनी युक्तियों पर बहुत अधिक लागत आती है इसलिए यह महंगी पड़ती है।

कक्षा 10 ऊर्जा के स्रोत


प्रश्न-5. जैव-मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर – जैव मात्रा के रूप में

1. यह जीवों, पौधों तथा जन्तुओं के अपशिष्टों से बनती है।
2.यह प्रदूषण-युक्त ईंधन का स्त्रोत है।
3. यह कम उपयोगी ईंधन स्त्रोत है।
4.इस ईंधन के स्त्रोतों के दोहन के समय किसी विशेष प्रबंधन आवश्यकता नहीं होती है।
5. यह कम लागत वाला ईंधन है
6. इन्हें ऊर्जा देने के लिए वायु (O2) की आवश्यकता है।

जल विद्युत के रूप में

1. यह जल द्वारा उत्पन की गई विद्युत है।
2. यह प्रदूषण रहित ईंधन स्रोत है
3. यह अधिक उपयोगी है।
4.जल विद्युत के निर्माण के लिए बाँध बनाकर ऊंचाई से पानी टरबाइनों की ब्लेडों पर गिराया जाता है जिसके लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता है।
5. यह अधिक लागत वाला ईंधन स्रोत हैं ।
6.जल विद्युत से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए वायु O2 की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है ।

प्रश्न-6. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएं लिखिए:
(क) पवनें
(ख) तरंगें
(ग) ज्वार-भाटा

उत्तर – (क) पवनें :-

1. पवन ऊर्जा फार्म केवल उन क्षेत्रों में स्थापित किए जा सकते हैं जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवनें चलती हों।
2. पवन चक्की के उपयोग के लिए पवनों की चाल 15 km/h से अधिक होनी चाहिए।
3. पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए एक विशाल भूखण्ड की आवश्यकता होती है।
4. पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने की आरंभिक लागत अत्यधिक है।
5. पवन चक्कियों के लिए उच्च स्तर के रखरखाव की आवश्यकता होती है।

(ख) तरंगें :-

तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यंत प्रबल हों।

(ग) ज्वार भाटा (ज्वारीय ऊर्जा) :-

ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध का निर्माण करके किया जाता है। अतः ऐसी अवस्थितियाँ जहाँ इस प्रकार के बांध निर्मित किए जा सकते हैं, सीमित हैं।

ऊर्जा के मुख्य स्रोत कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 14 एनसीईआरटी समाधान

प्रश्न-7. किस आधार पर ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में करेंगे
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा असमाप्य
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?

उत्तर – (a) नवीकरणीय स्त्रोत ऊर्जा के वे स्त्रोत हैं जिनको पुनः-

उत्पन्न किया जा सकता है। जैसे लकड़ी, यदि वृक्षों की संख्या उचित मात्रा में रही तो हमें लकड़ी लगातार मिलती रहेगी और हम इसे एक बार प्रयोग करने के बाद दोबारा पैदा कर सकते हैं। अतः इनकी मात्रा सीमित नहीं है और समाप्त नहीं होंगे।

इसके विपरीत अनवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोत वे स्त्रोत हैं जिनको एक बार इस्तेमाल के बाद दोबारा उत्पन्न न किया जा सके अथवा उत्पन्न करने की अवस्थितियाँ वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं और इनके उत्पादन बहुत अधिक लम्बी अवधि लगती है। जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम।

(b) समाप्य :-

वे ऊर्जा स्त्रोत जो ज्यादा समय तक नहीं चल सकते, जिनकी मात्रा सीमित है तथा जो जल्द ही समाप्त हो जाएंगे, उन्हें समाप्य तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत भी कहते हैं।

अक्षय (असमाप्य) :-

वे ऊर्जा स्त्रोत जो सीमित मात्रा में न होकर असीमित मात्रा में उपस्थित हैं और जिनका उपयोग करने के बाद वे समाप्त नहीं होंगे, बल्कि दोबारा उत्पन्न हो जाएंगे, असमाप्य ऊर्जा
स्त्रोत कहलाते हैं। हाँ, (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं।

प्रश्न-8. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?

उत्तर – आदर्श स्त्रोत में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:-
1. प्रति एकांक आयतन अथवा द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
2.सरलता से सुलभ हो सके ।

3.भण्डारण तथा परिवहन करने में आसान हो।
4. कदाचित यह सबसे महत्वपूर्ण है कि वह सस्ता हो।
5. इसका उपयोग सुविधाजनक हो।
6. ऊर्जा का स्त्रोत लम्बी अवधि तक स्थिर दर पर इच्छित परिमाण की ऊर्जा दे सकता हो।

प्रश्न-9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है।

उत्तर – सौर कुकर के उपयोग के लाभ :-

यह खाना पकाने का सबसे उत्तम साधन है क्योंकि इसमें सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है जो पूर्णतः प्रदूषण रहित है। अतः यह प्रदूषण समस्या उत्पन्न नहीं करता। इसमें ऊष्मा अधिक नहीं होती। अतः इसमें बनने वाला भोजन अन्य की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है। इस युक्ति का प्रयोग करके हम जीवाश्म इंधनों की बचत कर सकते है।

हानियाँ:-

इसे बनाने में आरंभिक लागत अधिक आती है। अतः इसे निर्धन परिवार इस्तेमाल में नहीं ला सकते। इसमें ऊर्जा बहुत कम होती है, अतः भोजन देर से बनता है। इनका उपयोग वर्षा वाले दिन, बादलों वाले दिन तथा रात के समय नहीं किया जा सकता। यह इस युक्ति की सबसे बड़ी कमी है। ऐसे क्षेत्र जहाँ सर्दी रहती वर्षा अधिक आती है, वहाँ इनका उपयोग सीमित है, क्योंकि यह केवल धूप वाले दिन में ही अपना कार्य कर सकता है।

प्रश्न-10. ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।

उत्तर – ऊर्जा के किसी भी स्त्रोत का दोहन पर्यावरण को किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, जीवाश्म ईंधनों का दहन वायु प्रदूषण फैलाता है। इनके दहन के पश्चात् बचे अवशिष्ट जैसे राख आदि भूमि प्रदूषण फैलाते हैं। वर्तमान में उपलब्ध किसी भी ऊर्जा स्त्रोत को हम प्रदूषण रहित नहीं कह सकते क्योंकि यदि ईंधन के दहन से प्रदूषण नहीं हो रहा है तो इसके दोहन के लिए बनी युक्ति के निर्माण में कहीं-न-कहीं प्रदूषण अथवा पर्यावरण को क्षति अवश्य हुई होगी।

इसलिए हम किसी भी ईंधन को दूसरे ईंधन की तुलना में अधिक स्वच्छ तो कह सकते हैं, लेकिन उसे पूर्णतः प्रदूषण रहित नहीं कह सकते क्योंकि प्रत्येक ईंधन सापेक्ष या परोक्ष रूप में अवश्य ही पर्यावरण को क्षति पहुंचाता है। ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं

(क) हम पैट्रोल तथा डीजल से चलने वाले वाहनों की अपेक्षा CNG से चलने वाले वाहनों का प्रयोग कर सकते हैं।
(ख) जीवाश्म ईंधनों की अपेक्षा हमें जल ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोगैस, CNG आदि ईंधनों का प्रयोग करना चाहिए जिससे हम ऊर्जा की खपत को कुछ हद तक कम कर सकें।
(ग) अनावश्यक ही ऊर्जा स्त्रोतों का इस्तेमाल न करके भी हम ऊर्जा बचा सकते हैं।


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