चुनावी राजनीति पाठ 4 दीर्घ उतरीय प्रश्न। Ncert Solution For Class 9th Civics के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जो की परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इस पोस्ट पर कवर किया गया है इसलिए इस पोस्ट को कृपया करके ध्यान से पढ़ें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करते हैं-
चुनावी राजनीति पाठ 4 दीर्घ उतरीय प्रश्न के उत्तर। Ncert Solution For Class 9th
चुनावी राजनीति पाठ 4 दीर्घ उतरीय प्रश्न के उत्तर
चुनावी राजनीति पाठ 4 लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
चुनावी राजनीति पाठ 4 अति लघु उतरीय प्रश्न के उत्तर
1 चुनाव प्रचार, मतदान के दिन तथा मतगणना के दिन चुनाव के इन चरणों में किसी चुनाव अधिकारी को किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तर-चुनाव प्रचार के समय ध्यान देनेवाली बातें-
(क) चुनावी सभाएँ अपने निश्चित समय और स्थान पर हों।
(ख) राजनीतिक पार्टियों द्वारा जुलूस निकालते समय कोई गड़बड़ी न हो।
(ग) पोस्टर द्वारा नागरिकों की दीवारों को खराब न किया जाए।
(घ) भाषण देते समय कोई व्यक्ति गलत न बोले और दूसरों पर कीचड़ नहीं उछाले आदि।
मतदान के दिन ध्यान देनेवाली बातें- मतदान के दिन चुनाव-अधिकारी को निम्नांकित बातों पर अपना विशेष ध्यान देना होगा-
(क) मतदान शान्तिमय ढंग से हो।
(ख) कोई भी गलत वोट न डाल सके।
(ग) हर मतदान केंद्र पर पुलिस की व्यवस्था होनी चाहिए।
(घ) कोई भी असामाजिक तत्व किसी केंद्र में घुसने नहीं पाए।
(ङ) कोई भी व्यक्ति या दल मतदान केंद्र पर कब्जा न कर पाए।
(च) चुनाव के पश्चात मत पेटियाँ या इलेक्ट्रॉनिक मशीनें गिनती केंद्र पर ठीक-ठाक पहुँच जाए।
मतगणना के दिन ध्यान देने योग्य बातें- मतगणना वाले दिन चुनाव-अधिकारी को और सतर्क रहने की आवश्यकता है। उसे निम्नांकित बातों पर ध्यान देना होगा-
(क) मतगणना केंद्रों पर विभिन्न उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के बैठने की उचित व्यवस्था हो।
(ख) मतगणना केंद्रों पर पुलिस का उचित प्रबन्ध हो ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो सके।
(ग) कोई भी असामाजिक तत्व किसी मतगणना केंद्र में घुसने न पाए।
(घ) वोटों की गिनती का काम सभी प्रतिनिधियों के सामने हो और किसी को भी कोई आपत्ति न हो।
(ङ) परिणाम घोषित होने के पश्चात् विभिन्न पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों में कोई झगड़ा न होने पाए और न कोई भड़काने वाली कोई भाषणबाजी न हो पाए।
2 भारतीय चुनाव प्रणाली की कोई तीन विशेषताएँ लिखें।
उत्तर- भारतीय चुनाव प्रणाली की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित हैं-
(क) वयस्क मताधिकार- भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं, इसका अर्थ यह है कि यहाँ पर बिना जाति, धर्म, वर्ग अथवा लिंग का भेद किए सभी उन नागरिकों को जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है मतदान का अधिकार दिया गया है। इंग्लैंड, भारत और रुस जैसे कुछ देशों में मताधिकार की आयु 18 वर्ष है।
(ख) भारत में चुनाव पृथक् निर्वाचन के आधार पर नहीं होते बल्कि संयुक्त निर्वाचन के आधार पर होते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक चुनाव क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता चाहे वे किसी भी जाति, धर्म व सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हों अपना एक प्रतिनिधि चुनते हैं। यह प्रतिनिधि चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता हो। भारत में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित किए गए हैं परन्तु उनके प्रतिनिधि केवल उन्हीं की जाति के लोगों द्वारा नहीं बल्कि सभी मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं।
(ग) एक व्यक्ति एक वोट का सिद्धांत- भारत में निर्वाचन प्रक्रिया में एक व्यक्ति एक वोट देने का अधिकार रखता है।
चुनावी राजनीति पाठ 4 Ncert Notes Class 9th Civics
3 आरक्षित निर्वाचक क्षेत्रों से आप क्या समझते हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने प्रतिनिधि चुनने और प्रतिनिधि चुने जाने का हक होता है।
संविधान निर्माताओं को यह चिन्ता थी कि खुली मत प्रतियोगिता के कतिपय कमजोर वर्ग शासक लोकसभा तथा राज्य में विधानसभाओं के लिए चुने जाने का अवसर न पाएँ। उनके पास दूसरों के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा करने और चुनाव जीतने के लिए अपेक्षित संसाधन, शिक्षा और संपर्क नहीं भी हो सकते हैं।
प्रभावशाली और धनवान लोग उनको चुनाव जीतने से रोक भी सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो हमारी संसद और विधानसभाएँ इस वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं कर पाएँगी। इससे हमारा लोकतंत्र न्यून प्रतिनिधित्व वाला और न्यून लोकतांत्रिक बन जाएगा।
इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित जनजातियों के लिए आरक्षित है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में केवल अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही उम्मीदवार बनेगा।
इसी तरह अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति ही अपने लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ पाएगा। समाज के अन्य वर्गों ने उम्मीदवार इन क्षेत्रों से चुनाव के लिए खड़े नहीं हो पाएँगे।
4 उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यताएँ क्या होनी चाहिए ?
उत्तर-(क) सभी किस्म के कार्यों हेतु शैक्षिक योग्यताएँ सुसंगत नहीं हैं। जैसे- क्रिकेट की टीम में चयन की सुसंगत योग्यता, शैक्षिक उपाधियाँ नहीं बल्कि क्रिकेट खेलने की योग्यता है। इसी तरह संसद सदस्य या विधान सभा सदस्य बनने की योग्यता जनता की समस्याओं को समझने, उसके साथ वास्तविक हमदर्दी और उनके हितों को प्रस्तुत करने की होती है। वे ऐसा कर सकते हैं या नहीं इसकी परीक्षा लाखों मतदाता करते हैं और इसके परिणाम की घोषणा उनके द्वारा पाँच वर्ष के बाद कर दी जाती है।
(ख) यदि शिक्षा को सुसंगत माना जाए तो इसका निश्चय लेना भी मतदाताओं के ऊपर छोड़ दिया जाता है।
(ग) हमारे देश में एक अन्य कारण से शैक्षिक योग्यता को मानदंड बनाना लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है। इसका मतलब देश के अधिसंख्यक नागरिकों को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित करना है। जैसे- यदि बी० ए०, बी० काम० तथा बी० एस० सी० (कला स्नातक, वाणिज्य स्नातक तथा विज्ञान स्नातक) उपाधियों को उम्मीदवारों के लिए आवश्यक बनाया गया तो 90 प्रतिशत से भी अधिक नागरिक चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो जाएँगे।
5 लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का क्या महत्व है ? भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर-यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो। चुनाव निष्पक्ष होने के लिए दो कारण हैं। एक, चुनाव लोकतंत्र का दर्पण है। जब तक चुनाव स्वतंत्र नहीं होंगे, तब तक हम यह नहीं जान पाएँगे कि लोग क्या चाहते हैं। दूसरे, लोकतंत्र को “जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा सरकार* माना जाता है। मतदाताओं के सच्चे समर्थन के बिना किसी सरकार की सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संविधान में अनेक प्रावधान दिए गए हैं-
(क) चुनावों का प्रबंध चुनाव आयोग का काम है। उसकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए यही प्रक्रिया अपनानी होगी जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए अपनाई जाती है।
(ख) चुनाव आयोग ने कहा कि- मंत्री अपने सरकारी दौरों को चुनावी कार्य के साथ नहीं जोड़ेंगे और सत्ताधारी दल के लाभ के लिए सरकारी वाहनों तथा कर्मचारियों का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
(ग) आयोग संवेदनशील चुनाव क्षेत्रों में केंद्रीय प्रेक्षक भेजता है। यदि किसी मतदान केन्द्र में बूथों पर कब्जा कर लिया गया हो तो आयोग वहाँ पुनः मतदान के आदेश दे देगा।
(घ) चुनाव याचिकाओं पर सुनवाई उच्च न्यायालयों द्वारा की जाती है। यदि किसी निर्वाचित उम्मीदवार द्वारा या उसके चुनाव एजेंट द्वारा कोई भ्रष्ट व्यवहार किया गया हो तो न्यायालय उस चुनाव को अवैध घोषित कर देगा।
(ङ) राज्य सरकारें मतदाताओं को पहचान पत्र जारी करने के लिए सिद्धांत रूप में सहमत हो गई है।
चुनावी राजनीति पाठ 4 अभ्यास प्रश्न के उत्तर Ncert Solution Class 9th Civics
6 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है ? इसकी कार्य प्रणाली बताएँ।
उत्तर-आजकल मतदान के लिए इलैक्ट्रॉनिक मशीनों का उपयोग किया जाने लगा है। इस मशीन में उम्मीदवारों के नाम और राजनैतिक दलों को चुनाव-चिह्न दिखाई देते हैं। स्वतंत्र प्रत्याशियों को भी चुनाव अधिकारियों द्वारा उनके अपने चुनाव-चिह्न आवंटित किए जाते है।
मतदाता को केवल उम्मीदवार के नाम के सामने लगे बटन को दबाना होता है और उसका मत इंगित उम्मीदवार के नाम अभिलेख में चला जाता है। चुनाव समाप्त होते ही इन सभी मशीनों को सील करके एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है।
कुछ दिन पश्चात् एक नियम तिथि को एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीनों को खोला जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त मतों की गिनती कर ली जाती है। सभी उम्मीदवारों के बिचौलिए या एजेन्ट मत-गणना के समय एकत्रित होते हैं- यह देखने के लिए मतगणना सही ढंग से की जा रही है या नहीं।
एक निर्वाचन क्षेत्र से सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। आम-चुनाव में मतगणना एक ही समय और एक ही दिन की जाती है।
7 चुनाव अभियान या प्रचार क्या है ?
उत्तर-(क) हमारे देश में उम्मीदवारों के नामों की अंतिम सूची घोषित होने और चुनाव की तारीख के बीच पन्द्रह दिन की अवधि में चुनाव प्रचार होता है। इस अवधि में उम्मीदवार अपने मतदाताओं के साथ संपर्क बनाते हैं। राजनैतिक दल के नेता चुनाव की सभाओं में भाषण देते हैं और अपने समर्थकों से अपने दल को मतदान करने की अपील करते हैं।
(ख) इस अवधि में समाचार-पत्र और दूरदर्शन दोनों चुनावों से संबंधित तथ्यों, आँकड़ों और बहसों को जनता के सामने उजागर करते हैं। हालाँकि चुनाव प्रचार केवल इन पन्द्रह दिनों तक सीमित नहीं रहता है। राजनैतिक दल चुनाव तारीख से कई माह पहले से ही चुनाव की तैयारियाँ करना शुरू कर देते हैं।
(ग) चुनाव प्रचार में राजनैतिक दल कुछ बड़े मुद्दों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। स्थान-स्थान पर सभाएँ आयोजित की जाती है। और जनता से अपील की जाती हैं कि उसके उम्मीदवार को ही मत दिए जाएँ। बहुत से चुनावों में हमने देखा है कि राजनैतिक दल कई तरह के नारे भी लगाते हैं।
8 लोकतंत्र में निर्वाचन के महत्व की विवेचना करें। मतदाताओं की सरकार पर प्रभाव डालने में क्या भूमिका होती है ?
उत्तर-लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व या चुनाव का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि-
(क) आधुनिक लोकतंत्र में सभी नागरिक शासन नहीं कर सकते वरन् उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन कार्य करते हैं। यह सब कुछ चुनाव से ही सम्भव है।
(ख) आकार की समस्या के कारण भी आज के युग में सभी नागरिक शासन नहीं कर सकते। यह कार्य उनके द्वारा चुने हुए कुछ निर्वाचित सदस्यों द्वारा ही किया जा सकता है। परन्तु ऐसा भी चुनाव के बिना सम्भव नहीं।
(ग) चुनाव द्वारा ही नागरिक अप्रिय और दुष्ट लोगों की सरकार को बदल सकते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार नई सरकार का गठन कर सकते हैं।
(घ) चुनाव द्वारा ही कार्यपालिका की शक्ति पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
(ङ) चुनाव के बिना गणतंत्रीय एवं प्रजातंत्रीय सरकार का गठन करना सम्भव ही नहीं है।
चुनावी राजनीति पाठ 4 Class 9 Ncert Questions and Answers
9 मतदाता किस प्रकार सरकार पर प्रभाव डाल सकते हैं ?
उत्तर- मतदाताओं की सरकार पर प्रभाव डालने में भूमिका- इस बात में कोई भी सन्देह नहीं कि सरकार पर प्रभाव डालने में मतदाताओं की एक बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। मतदाता निम्नांकित ढंग से सरकार पर प्रभाव डाल सकते हैं-
(क) अच्छे व्यक्तियों को चुनकर- यह मतदाताओं की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के व्यक्तियों को चुनाव करें जो बाद में सरकार का निर्माण करें। अच्छे लोगों का चुनाव करने से ही अच्छी सरकार बन सकती है।
(ख) सरकार की आलोचना करके- सरकार निर्माण के पश्चात् भी यदि जनता सरकार की आलोचना करने के अपने अधिकार का उचित प्रयोग करे तो कोई भी सरकार उसकी अवहेलना नहीं कर सकती।
(ग) अपने अधिकारों की रक्षा करके- लोगों ने अपने एक-एक अधिकार के लिए शताब्दियों तक शासक वर्ग से संघर्ष किया है और बलिदानों के पश्चात् उन्हें सफलता मिली है। अब जब लोगों को विभिन्न अधिकार प्राप्त हो चुके हैं, उन्हें उनकी रक्षा के लिए निरन्त प्रयत्नशील रहना चाहिए। इस दिशा में उन्हें न्यायालय का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त करना चाहिए।
(घ) जलसे-जुलूस निकालकर- लोग प्रदर्शनों एवं जलसे-जुलूसों द्वारा भी सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं और उसे बदनाम कर सकते है। बदनामी का डर भी सरकार को ठीक रखने के लिए बड़ा कारगर सिद्ध होता है।
10 निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण- निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण निम्नांकित होते हैं-
(क) चुनाव की घोषणा करना- चुनाव की प्रक्रिया चुनाव की घोषणा और उसके लिये तिथियाँ निर्धारित करने से शुरू हो जाती है। चुनाव और उसकी तिथियाँ की घोषणा निर्वाचन आयोग द्वारा होती हैं।
(ख) प्रत्याशियों का चयन- चुनाव में सफलता का ध्यान रख कर विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों का चयन करते है। राजनीतिकदलों द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों के चुने जाने के अवसर अधिक होतेहैं इसलिए प्रत्याशी स्वतंत्र खड़े होने का प्रयत्न नहीं करते।
(ग) नामांकन पत्र भरना, उनकी जाँच, प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेना तथा मतदान पत्रों का छापना- एक निर्वाचन तिथि तक विभिन्न प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र भरते है। तब निर्वाचन आयोग द्वारा उनकी जाँच होती है। फिर प्रत्याशियों को अपना नाम वापस लेने का समय दिया जाता है और तब जाकर निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान-पत्र छापे जाते हैं।
(घ) चुनाव चिह्नों का बाँटना- प्रमुख राजनीतिक दलों के अतिरिक्त चुनाव में खड़े होने वाले छोटे-छोटे मोटे दलों एवं स्वतंत्र खड़े होने वाले प्रत्याशियोंको चुनाव चिह्न बाँटे जाते है ताकि उन्हें पहचानने में वोटरों को सुविधा रहे।
(ङ) राजनीतिक दलों द्वारा घोषणा-पत्रों का जारी करना- तब विभिन्न प्रमुख राजनीतिक दल अपना-अपना घोषणा पत्र जारी करते हैं ताकि वोटर उनकी नीतियों को समझ सकें और उचित मूल्यांकन के पश्चात् अपना वोट दे सकें।
(च) चुनाव अभियान- तब विभिन्न पार्टियों एवं प्रत्याशियों द्वारा चुनाव अभियान का काम शुरू होता है जो चुनाव के समय से 48 घण्टे पहले तक जारी रहता है।
(छ) मतदान, मतों की गणना तथा परिणामों की घोषणा- तब निश्चित तिथि, निश्चित स्थान और निश्चित समय पर मतदान होता है और वोटर अपनी इच्छानुसार वोट डालते हैं। मतदान के पश्चात् मतों की पेटियाँ एक निश्चित स्थान पर पहुँच जाती है और वोटों की गिनती के पश्चात् परिणामों की घोषणा कर दी जाती है।
(ज) चुनाव-याचिका का भरना- यदि कोई प्रत्याशी अपने चुनाव के परिणाम से सन्तुष्ट नहीं होता है तो वह न्यायालय में याचिका दर्ज करवा सकता है। ऐसे में वह न्याय प्राप्त कर सकता है। Jac Board