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जैव प्रक्रम पोषण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर (Chapter 6 Jaiv Prakram Poshan)Notes
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पाठ 6 जैव प्रक्रम चित्र से सबंधित प्रश्न
⇒ पोषण
⇒ श्वसन, वहन
⇒ उत्सर्जन
1. जैव प्रक्रम क्या है?
उत्तर-जीवित शरीर में होने वाले वे सभी प्रक्रम जो जीवन के लिए अनिवार्य होते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं। पोषण, श्वसन, उत्सर्जन तथा वहन जैव प्रक्रम के उदाहरण हैं।
अथवा, वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।
2. जनन एक जैव प्रक्रम नहीं है, क्यों ?
उत्तर-जनन भी सजीवों से संबंधित है परंतु ये प्रक्रम शरीर या जीवन के अनुरक्षण से सीधा संबंध नहीं रखते हैं। अतः इन्हें जैव प्रक्रम नहीं कहा जाता है।
3. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर-बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आसपास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकती। अतः साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है।
4 .कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर-सजीवों की अपनी संरचनाओं की मरम्मत तथा अनुरक्षण करना आवश्यक है। क्योंकि ये सभी संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी है। अतः उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए। अतः अदृश्य अणुगति जीव के जीवित होने का प्रमाण है।
5. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-(i) भोजन- ऊर्जा एवं पदार्थों के रूप में।
(ii) ऑक्सीजन- भोज्य पदार्थों का विखण्डन करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
(iii) जल- भोजन के सही पाचन के लिए तथा शरीर के अन्दर अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए।
6. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर-जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रक्रम निम्नांकित हैं-
(i) पोषण,
(ii) श्वसन,
(iii) शरीर के अंदर पदार्थों का संवहन, (iv) अपशिष्ट उत्पादों का उत्सर्जन ।
7 पोषण की परिभाषा दें।
उत्तर-पोषण एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है जिसमें जीवधारी पोषकों को अंतर्ग्रहण करके उससे ऊर्जा और नया जीवद्रव्य प्राप्त करते हैं।
8 स्वयंपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर-जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं, स्वयंपोषी कहलाते हैं।
9 विषमपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर-जब कोई जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, विषमपोषी
कहलाते हैं।
10 स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है ?
उत्तर- स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में अंतर-
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पाठ-6 जैव प्रक्रम पोषण के महत्वपूर्ण प्रश्न
11 स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर- स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक शर्ते है-
(i) जैव कोशिकाओं में क्लोरोफिल की उपस्थिति।
(ii) पादप कोशिकाओं या हरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति का प्रबन्ध या तो जड़ों द्वारा या आसपास के वातावरण के द्वारा।
(ii) पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध हों, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा आवश्यक है।
(iv) पर्याप्त CO2 जो प्रकाश संश्लेषण के दौरान शर्करा के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण अवयव है।
स्वपोषी पोषण के उपोत्पाद- स्टार्च (शर्करा), जल तथा O2
जैव प्रक्रम पोषण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर (Chapter 6 Jaiv Prakram Poshan) Ncert Notes
12 प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर-प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री को पौधा अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त करता है।
जैसे- (i) पर्णहरित- पत्ती के हरित लवक से ।
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड- वायुमंडल से।
(iii) जल इत्यादि- मृदा से।
13 प्रकाश संश्लेषण के दौरान कौन-कौन सी घटनाएँ होती हैं ?
उत्तर-प्रकाश संश्लेषण के दौरान निम्नांकित घटनाएँ होती हैं-
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण।
(ii) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन तथा जल अणु का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में टूटना।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का शर्करा में अपघटन।
14 हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर-(i) अमाशय में पाए जाने वाले इंजाइम भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम में करते हैं। अमाशय में अम्ल भोजन को अम्लीय बनाता है ताकि जठर रस में पाए जाने वाले इंजाइम उसे पचा सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
15 पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है ?
उत्तर-पाचक एंजाइम उत्प्रेरक क्रिया द्वारा भोजन के जटिल अवयवों को सरल भागों में खण्डित कर देते हैं जिससे वे घुलनशील हो जाते हैं और शरीर में उनका अवशोषण हो जाता है।
16 पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?
उत्तर-क्षुद्रांत्र की आन्तरिक भित्ति पर असंख्य रसांकुर पाए जाते हैं। इनमें रक्त वाहिकाओं एवं लिम्फ वाहिनी का जाल बिछा होता है। विसरण क्रिया द्वारा भोजन का प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज, विटामिन इत्यादि रक्त में सोख लिए जाते हैं। वसीय अम्लों एवं ग्लिसरॉल का अवशोषण लिम्फ वाहिनी में होता है। उपर्युक्त के अतिरिक्त क्षुद्रांत्र की संकुचन और अनुशिथिलन की गति भी भोजन के अवशोषण में एक सीमा तक अवश्य सहायक होती है।
17 हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर-मनुष्य के पाचन तंत्र में वसा का पाचन-
(i) पक्वाशय में पित्त से मिलने पर वसा का पायसीकरण (इमल्सीकरण) होता है।
(ii) अग्नाशयिक रस में पाया जाने वाला लाइपेज नामक पाचक रस पायसीकृत
वसा को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में बदल देता है।
पायसीकृतवसा + लाइपेज → वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल
(iii) वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल छोटी औंत में पाए जाने वाले दीर्घ रोमों के अंदर लिम्फ वाहिनियों में सोख लिए जाते हैं जहाँ से वे रुधिर में पहुँच जाते हैं। यह प्रक्रम क्षुद्रांत के अग्रभाग या पक्वाशय में होता है।
18 वसा के पायसीकरण का क्या महत्व है ?
उत्तर-वसा के कणों का सरलीकरण हो पायसीकरण कहलाता है। इसके उपरांत अग्नाशयिक रस भोजन से मिलता है। इसमें एमाइलेज, दिप्सिन और लाइपेज नामक इन्जाइम पाये जाते हैं। लाइपेज, पायसीकृत वसा को वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है।
19 भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर-मानव के मुख में तीन जोड़ी लाला ग्रन्धियों होती हैं। इनमें उत्पन्न होने वाला रस लार कहलाता है। इस रस में पाया जाने वाला एन्जाइम टायलिन कहलाता है। यह एन्जाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में परिवर्तित करता है जो सरलता से आहार नाल के अन्य भागों में पाचित होता है
पाठ-6 जैव प्रक्रम पोषण से सबंधित प्रश्न के उत्तर
20 मानव की क्षुद्रांत्र में होने वाली पाचन प्रक्रियाओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-(i) अधूरे पाचित शर्करा, प्रोटीन तथा वसा क्षुदांत्र में पहुँचते हैं।
(ii) क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रन्थि होती है जो आंत्र रस सावित करती है। यह पाचन क्रिया को पूर्णता प्रदान करते हैं, जो निम्नांकित हैं-
(a) समस्त प्रोटीन एमिनो अम्ल में पाचित हो जाते हैं।
(b) समस्त शर्करा अन्ततः ग्लूकोज में पाचित हो जाते हैं।
(c) वसा कण वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में पाचित हो जाते हैं।
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21 क्षुद्रांत्र में पाचित भोजन के अवशोषण में प्रवर्धा (दीर्घरोम) के योगदान का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-पाचित भोजन को आंत्र की भित्ति अवशोषित कर लेती है। क्षुदांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्घरोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुंचाते हैं। यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, नए ऊत्तकों के निर्माण और पुराने ऊत्तकों की मरम्मत में होता है।
22 शाकाहारी जानवरों को अपेक्षाकृत छोटी छोटी-औत की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-शाकाहारी जंतुओं के भोजन में सेलुलोज होता है क्योंकि वे अधिकतर घास खाते हैं। सेलुलोज के पाचन के लिए लंबी पाचन नली की आवश्यकता होती है। माँस का पाचन सेलुलोज की अपेक्षा शीघ्र होता है। यह कारण है कि मांसाहारी जानवरों (जैसे- शेर, चीता आदि) की छोटी-आँत शाकाहारियों की छोटी-आँत से छोटी होती है।
23 बृहदांत्र का क्या कार्य है ?
उत्तर-बिना पचा भोजन बृहदांत्र में भेज दिया जाता है जहाँ अधिसंख्य दीर्घरोम इस पदार्थ में से जल का अवशोषण कर लेते हैं। अन्य पदार्थ गुदा द्वारा शरीर के बाहर कर दिये जाते हैं। इस वद्य पदार्थ का बहिःक्षेपण गुदा अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
24 ओसोफैगस क्या है ?
उत्तर-यह एक भोजन की नली है, जो गले से आमाशय तक जाती है।
25 दीर्घरोम (विलाई) के दो कार्य लिखें।
उत्तर-दीर्घरोम के दो कार्य-
(i) क्षुद्रांत में अवशोषण के सतही क्षेत्रफल को बढ़ाना,
(ii) पाचक रसों का स्राव करना।
26 यकृत और अग्नाशय के कार्य लिखें।
उत्तर-यकृत के कार्य-
(i) यकृत की कोशिकायें पित्त का स्राव करती हैं।
(ii) अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लाइकोजन के रूप में परिवर्तित करके यकृत में संग्रह किया जाता है।
अग्नाशय के कार्य-
(i) यह अग्नाशयिक रस का संश्लेषण संग्रह करता है जिसमें महत्वपूर्ण प्रोटीन वसा एवं कार्बोहाइड्रेट पाचक इंजाइम होते हैं।
(ii) यह इंसुलीन और ग्लूकागान जैसे महत्वपूर्ण हॉर्मोनों का स्राव करता है।
27 पितरस के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर-(i) अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को क्षारीय बनाता है।
(ii) यह आँत की दीवारों को क्रमाकुंचन के लिए उत्तेजित करता है।
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है– कार्बनडाइऑक्साइड और जल , क्लोरोफिल , सूर्य का प्रकाश आदि।
सजीव किसे कहते हैं?
पृथ्वी पर पाए जाने वाले वे समस्त जीव जिसमे जीवन पाया जाता है , सजीव कहलाता है।
अमीबा में अधिकांश पोषण कैसा होता है?
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