भारत में खाद्य सुरक्षा पाठ 4 लघु उत्तरीय प्रश्न। Ncert Solution For Class 9th Economics, के इस blog post में आप सभी students का स्वागत है इस post के माध्यम से पाठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी long Question के उत्तर जो कि पिछले कई exams में पूछे जा चुके हैं और यह exame की दृष्टि से काफी importante है इसलिए यदि आप इस पोस्ट पर विजिट कर रहे हैं तो कृपया करके इस post को जरूर पूरा अध्ययन करें –
भारत में खाद्य सुरक्षा पाठ 4 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर, Ncert Solution For Class 9th Economics
भारत में खाद्य सुरक्षा पाठ 4 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
भारत में खाद्य सुरक्षा पाठ 4 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
भारत में खाद्य सुरक्षा पाठ 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
1 भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है ? व्याख्या करें। अथवा, खाद्य सुरक्षा क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-खाद्य सुरक्षा समाज के गरीब वर्गों के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि यह गरीबी रेखा के ऊपर रह रहे लोगों के लिए भी आवश्यक होता है।
वे भी खाद्य असुरक्षित हो जाते हैं जब देश भूकम्प, बाढ़, सूखा, सुनामी, फसलों की ऊपज में व्यापक गिरावट के कारण पैदा हुए अकाल जैसी आपदाओं का सामना करता है। भारत में होने वाला सर्वाधिक विनाशकारी अकाल 1943 में बंगाल का अकाल था जिससे तत्कालीन बंगाल प्रान्त में लगभग 30,00,000 लोगों की जानें गईं।
यद्यपि ऐसा विनाशकारी अकाल पुनः नहीं हुआ है। परन्तु आज भी भारत में उड़ीसा का कालाहांडी एवं काशीपुर, राजस्थान का बारन जिला, झारखंड का पलामू जिला एवं कई अन्य ऐसे सुदूर क्षेत्र हैं जहाँ कई वर्षों से अकाल जैसी स्थितियाँ विद्यमान हैं।
जनसंख्या का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। इन स्थानों में कुछ भुखमरी की घटनाएँ भी हुई हैं। इसलिए सभी लोगों एवं समयों में खाद्य सुनिश्चित करने के लिए देश में खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता है।
2 जब कोई आपदा आती है तो खाद्य की आपूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-निस्संदेह भूकम्प, बाढ़, सूखा, सुनामी, फसलों की व्यापक बर्बादी के कारण हुए अकाल जैसी आपदा के दौरान खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है।
यदि कोई आपदा, जैसे- बाढ़ आती है, तो खाद्यान्नों का कुल उत्पादन एवं आपूर्ति कम हो जाती है। इससे प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य की कमी उत्पन्न हो जाती है। खाद्य की कमी से खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ जाती है। कुछ लोग ऊँची कीमतों पर खाद्य नहीं खरीद पाते हैं।
स्थिति तब और गंभीर हो जाती है तब ऐसी आपदा अति व्यापक क्षेत्र एवं लंबी अवधि के लिए आती है। इससे भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यदि यह भुखमरी व्यापक स्तर पर होती है तो यह अकाल का रूप ले लेती है।
अकाल के दौरान भुखमरी से बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती हैं। प्रभावित क्षेत्रों में दूषित जल एवं सड़े हुए खाद्य के प्रयोग तथा खाद्य के अभाव में होने वाली कमजोरी के कारण शारीरिक प्रतिरोधी क्षमता में कमी होने से विनाशकारी महामारी फैल जाती है।
3 मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद करें।
उत्तर- भुखमरी खाद्य असुरक्षा को व्यक्त करती है। इस प्रकार, खाद्य असुरक्षा की प्राप्ति का अर्थ है- वर्तमान भुखमरी की समाप्ति और भविष्य में भुखमरी के खतरे में कमी। भुखमरी मौसमी या दीर्घकालिक दो प्रकार की हो सकती है जो निम्नांकित है-
(क) मौसमी भुखमरी- मौसमी भुखमरी फसल उपजाने और काटने के चक्र से संबद्ध हैं। इस प्रकार की भुखमरी ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से कृषि कार्यों की मौसमी प्रकृति के कारण उत्पन्न होती है। यह नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे, बरसात के मौसम में अनियमित निर्माण श्रमिक को कम काम मिलता है। इस तरह की भुखमरी तब होती जब कोई व्यक्ति पूरे वर्ष काम पाने में अक्षम रहता है।
(ख) दीर्घकालिक भुखमरी- दीर्घकालिक भुखमरी निरन्तर अपर्याप्त, असुरक्षित
एवं अपौष्टिक आहारों के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यंत निम्न
एवं अनियमित आय के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से पीड़ित होते हैं। वे
जीवित रहने के लिए भी खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षम होते हैं।
4 सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?
उत्तर-बफर स्टॉक खाद्यानों का भंडार होता है। उदाहरण के लिए, गेहूँ और चावल का उत्पादन भारतीय खाद्य निगम (एफ० सी० आई०) के माध्यम से सरकार द्वारा भंडारित होता है। एफ० सी० आई० उन राज्यों के किसानों से गेहूँ और चावल खरीदती है जहाँ अधिशेष उत्पादन होता है।
वह कीमत जिस पर सरकार यह अधिशेष खरीदती है, उसे न्यूनतम समर्थित कीमत (एम० आर० पी०) कहते हैं। फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थित कीमत की घोषणा करती है।
खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं। वास्तव में, बफर स्टॉक कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं। बफर स्टॉक खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।
5 उचित दर की दुकान पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-उचित दर वाली दुकानें- भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अर्थात् संचित अनाज को सरकार द्वारा विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित की जाती है।
इन राशन की दुकानों को उचित दर वाली दुकानें भी कहा जाता है। कोई भी परिवार अपने राशन कार्ड से अनाज, मिट्टी का तेल, चीनी आदि की एक निश्चित मात्रा प्रतिमाह उचित दर वाली दुकानों से खरीद सकता है।
6 भारत में सार्वजनिक खाद्यान्नों के बड़े-बड़े भंडारों के पीछे दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-भारत में सार्वजनिक खाद्यान्नों के बड़े-बड़े भंडारों के मुख्य कारण निम्नांकित हैं-
(क) निम्नतम समर्थन मूल्य में वृद्धि होना।
(ख) खाद्यान्न के बड़े-बड़े भंडारों का दूसरा कारण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत बिक्री की मात्रा में कमी आना है। बिक्री की मात्रा में कमी आने का मुख्य कारण यह है कि निर्धनता रेखा से ऊपर रहने वाले परिवारों को राशन की दुकानों से खाद्यान्न खरीदने में कोई विशेष लाभ नहीं होता। वे प्रायः खुले बाजार में खाद्यान्न खरीदना अधिक पसन्द करते हैं।
7 सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कुछ व्यापारियों द्वारा अपनाएँ गये भ्रष्ट तरीके लिखें।
उत्तर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कुछ व्यापारी निम्नांकित भ्रष्ट तरीकों का सहारा लेते
(क) राशन की दुकान के अनाजों को अधिक लाभ कमाने के लिये खुले बाजार में बेचना।
(ख) राशन की दुकान पर घटिया अनाज बेचना।
(ग) दुकान को नियमित रूप से न खोलना।
(घ) राशन की दुकान में कई फर्जी प्रविष्टियाँ करना।
8 सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ?
उत्तर-भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार द्वारा विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित की जाती है, जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। इन राशन दुकानों में चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है। ये सब बाजार कीमत से कम कीमत पर लोगों को बेचे जाते हैं। राशन कार्ड रखने वाला कोई भी परिवार प्रतिमाह इनकी एक निश्चित मात्रा निकटवर्ती राशन की दुकान से
खरीद सकता है।
9 खाद्यान्न के भण्डार को कम करने के लिए सरकार के द्वारा अपनाये गये उपाय लिखें।
उत्तर-खाद्यान्न के भण्डार को कम करने के लिए सरकार ने निम्नांकित कदम उठाये
(क) निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिये अनाज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति मास प्रति परिवार से बढ़ा कर 25 किलोग्राम प्रति मास परिवार कर दी गई है।
(ख) अन्नपूर्णा योजना के अन्तर्गत दरिद्र वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क10 किलोग्राम अनाज देने की व्यवस्था की गई है