नेताजी का चश्मा पाठ 10, NCERT SolutionsFor Class 10th, हिंदी के इस पाठ में पाठ से जुड़ी हर महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्न के बारे में इस पोस्ट पर विस्तार से जिक्र किया गया है, जो विद्यार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस तरह के प्रश्न पिछले कई परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं, इसलिए यदि आप इस पेज को पढ़ रहे हैं, तो कृपया करके पूरा पढ़ें, ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके ।
नेताजी का चश्मा पाठ 10 के प्रश्न उत्तर,NCERT Solution For Class X
बालगोविंद भगत महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर
बालगोविंद भगत अभ्यास प्रश्न के उत्तर
कवि परिचय
1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर-सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि वह एक देष भक्त था, और उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। उसको नेता जी का चेहरा बिना चश्मा अच्छा नहीं लगता था अतः वह उस पर चश्मा लगा देता था क्योकि वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का सम्मान करता था वह सेनानी नहीं था पर भी लोग उन्हें कैप्टन कहते थे लोग ऐसा मजाक उड़ाने की दृश्टि से कहते थे ।
2. हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी – सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर-(क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि वह मन ही मन सोच रहे थे कि कस्बे के चौराहे पर नेता सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तो अवश्य होगी, परंतु उनकी आँखों पर चश्मा लगा नहीं होगा। क्योकि नेता सुभाषचंद्र बोस को चश्मा पहनाने वाला देशभक्त कैप्टेन इस दुनिया में नहीं रहे यानि वह अब मर चुका है और वहाँ अब किसी में वैसी देशप्रेम की भावना नहीं है।
(ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी भी लोग स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का सम्मान कर कर रहे हैं ,लोगों के अंदर आज भी देशभक्ति की भावना मरी नहीं है । आने वाले भावी पीढ़ी इस प्रकार की भावना को कर रखे ताकी इसे देखकर बच्चों के अंदर भी देशप्रेम का जज्बा या भावना जाग सके ।
(ग) जब हालदार साहब नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आँखों पर चश्मा लगा देखा तो हालदार साहब भावुक हो उठे क्योंकि हालदार साहब यह कभी नहीं सोचा था कि नेता जी के आँखों में चश्मा लगा होगा । नेता जी के आँखों चश्मा देख उनके मन की निराशा आशा के किरण के रूप में परिवर्तित हो गयी और उनके हृदय खुषी से भर गया और उनके आँखों से आँसू बहने लगा उन्हें यह विश्वास हो गया कि आज भी हमारे देषवासियों के अन्दर देशभक्ति की भावना है।
नेताजी का चश्मा पाठ 10 का सार, प्रश्नोत्तर,अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-10
3. आशय स्पष्ट कीजिए –
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है ।
उत्तर-इस कथन का आषय यह है कि जो कौम अपने बलिदानियों का सम्मान करना नहीं जानती उसका भविश्य उज्जवल नहीं हो सकता, हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते अपने देष के लिए हैं ,आज कुछ लोग देष की सेवा करने वालों पर मजाक उड़ाते या सम्मान नहीं करते हैं,लोग आज अपनी अपनी स्वार्थ पूरी करने में लगे हुए हैं, अपनी स्वार्थ और लालच के लिए तो कुछ लोग बिकने का मौका भी तलाषने लगे हैं,इस तरह का भावना को मिटाकर हमें सभी का सम्मान करना चाहिए और देष का सेवा करने वाले सैनिकों का आदर एवं अपने देष के प्रति प्रेम और देष भक्ति कि भावना को हमेषा बनाए रखना है ।
4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए?
उत्तर-पानवाला साक्षात अपने आप पान का भंडार था, उनकी दुकीन पर ही नहीं पर हमेषा उनके मॅुंह पर भी पान ठॅुंसा रहता था ,जिसके कारण लोगों से बात भी बहुत कम करता था, पान खाने के कारण उसके दाँत काले-लाल हो चुके थे, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे थे, काला, मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था,उसका तोंद हमेषा निकला रहता था, जब वह हॅंसने लगता तो उसका तोंद थिरकने लगता था
5. वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए?
उत्तर-यह टिप्पणी कैप्टन के बारे में है, जब हालदार साहब द्वारा पूछे जाने पर पानवाले द्वारा बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तरीका से की गई थी जो बिलकुल उचित नहीं था। कैप्टन शार्रीरिक रूप से असर्मथ था इसलिए वह सेना में नहीं जा सकता था। परंतु उसके हृदय में देशभक्ति की भावना कुट कुट कर भरी थी, वह किसी स्वतंत्र सेनानी से कम नहीं था, वह अपने कर्मों से जो देशप्रेम प्रकट करता था । इस प्रकार की सारी बात पानवाले को पता था फिर भी पानवाला उसे पागल कहता था । ऐसा कहना पानवाले को कतई षोभा नही दे रहा था,इस प्रकार की बात कहना उसकी स्वार्थ की भावना को दर्शाता है, जो अच्छा नहीं था ,पानवाला को उसकी देष भक्ति पर माजाक इस तरह से नहीं उड़ाना चाहिए था ।
रचना और अभिव्यक्ति
6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं –
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रूकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला – साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था ।
उत्तर-(क) हालदार साहब का हमेशा उस चौराहे पर रूकना और नेता सुभाषचंद्र बोस प्रतिमा को निहारना यह दर्षाता है कि उनके अंदर भी देशभक्ति की भावना थी और वह हमारे देष के स्वतंत्रता के लिए लड़ाई करनेवाले सैनिकों को दिल से सम्मान करते हैं, कैप्टन द्वारा नेताजी को पहनाए गए चश्मे के माध्यम से उनकी देशभक्ति को देखकर बहुत खुश होते थे । उसके मन में भी कैप्टन की देशभक्ति के लिए श्रद्धा थी
(ख) जब हलदार साहब कैप्टन के बारे में पुछा तो पानवाला उदास हो गया क्योंकि कैप्टन की मृत्यु हो चुकी थी, उसकी मृत्य की पर पानवाले का उदास हो जाना और सर झुका कर आँसू पोछना इस बात को प्रकट करता था कि पानवाले के हृदय में भी कैप्टन के प्रति अपनापन की भावना थी। पानवाले मन में भी कैप्टन की देशभक्ति के लिए श्रद्धा थी, जिस कारण कैप्टन के मर जाने पर पानवाला दुःखी हो गया था इस घटना से पानवाले की दया और देशप्रेम की भावना का पता असानी से चलता है ।
(ग) कैप्टन द्वारा बार-बार नेता सुभाषचंद्र बोस प्रतिमा पर चश्मा लगाना यह प्रकट करता है कि वह देश के लिए त्याग करने वाले व्यक्तियों एवं स्वतंत्र सेनानियों के प्रति अपार श्रद्धा रखता था। कैप्टन हृदय में देशभक्ति और त्याग की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी, इस लिए वह बार बार नेताजी के प्रतिमा पर चश्मा लगा देता था, ग्राहक जब वही वाली चश्मा पसंद करता तो वह चश्मा नेताजी को क्षमा मांगकर उतार लेता फिर ग्राहक को बेच देता था ।
7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक उसके मानस पटल पर उसका कौन -सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखें?
उत्तर-हालदार साहब ने जब तक कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन की चरित्र एवं उनके कद काठी पर अनुमान लगाते हुए सोचता है कि वह एक भारी-भरकम मज़बूत शरीर वाली रौबदार व्यक्ति कि तरह होगी। हालदार साहब कैप्टन षब्द सुनकर लगता था कि वह फौज में होने के कारण उनका षरीर गठीले एवं मजबूत बदन जैसा होगा,फौजी भेषभूशा में रहता होगा,उसकी बड़ी-बड़ी मुच्छें होगी और आवाज भी तेज होगी ।
8. कस्बों, शहरों, महानगरों पर किसी न किसी शेत्र के प्रसिद्व व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर-(क) इस तरह की मूर्ति लगाने का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि उस महान व्यक्ति की याद हमारे मन में बनी रहे । हमें यह याद रहे कि उस महापुरूष ने देश व समाज के भलाई के लिए किस तरह के महान कार्य किये थे, उसके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर हम भी अच्छे कार्य करें, जिससे समाज व राष्ट्र का भला हो। इसलिए हर भीड़ भाड़ वाले चौक चौराहे पर इस तरह की प्रतिमा लगाई जाती है ।
(ख) हम अपने इलाके के चौराहे पर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे, इसका मुख्य कारण यह है कि आज जिस प्रकार दिन प्रति दिन बुराइयाँ आसमान को छुने लग रही है , स्वामी विवेकानंद सभी तरह बुराई जैसे-लोभ-लालच, उॅंच-नीच,धोखा, स्वार्थ, वैमनस्य,साम्प्रदायिकता, हिंसा, झूठ, भ्रष्टाचार आदि के विशय में लोगों को पहले से ही समझाते आए हैं, चौराहे पर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति स्थापित होने से लोगों के अंदर इस प्रकार का बुराई न पनपे बल्कि स्वामी विवेकानंद भॉंति हर आदमी के प्रति प्रेम, सम्मान सत्य, अहिंसा, सदाचार, साम्प्रदायिक सौहार्द आदि की भावनाएं उत्पन्न होंगी, इससे हर स्थानीय समाज व देश का वातावरण स्वच्छ अच्छा बनेगा, स्वामी विवेकानंद की अच्छे गुणों को अपने दैनिक जीवन में उतारें ।
(ग) उस मूर्ति के प्रति हमारे एवं दूसरे लोगों यह उत्तरदायित्व होने चाहिए कि मूर्ति की सम्मान एवं गरिमा का ध्यान रखें। हम कभी भी उस मूर्ति का अपमान एवं अनादर नहीं करेंगे और न ही उसे क्षति पहुँचाएगे और न ही दूसरों को ऐसा करने की सलाह देगें हम उस मूर्ति के प्रति हमेषा श्रद्धा प्रकट करेंगे एवं उस महापुरूष के आदर्शों को स्वयं पर भी अपनाएंगे तथा दूसरे लोगों को भी इनके राहों पर चलने के लिए उत्साहित करूंगा ।
नेताजी का चश्मा पाठ 10 पाठ के प्रश्न उत्तर (कक्षा 10)
10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए –
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा ? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया ।
उत्तर-मानक हिंदी में रुपांतरण – कैप्टन के पास अगर कोई ग्राहक आ जाता था और उसे नेताजी के ऑंखों पर लगा चौड़े चौखट चाहिए तो वह किधर से लाता इसलिए वह नेताजी ऑंखों वह चश्मा उतारता उसके स्थान पर दुसरा लगा देता फिर उसे मूर्तिवाला चौखट दे देता है ,इस प्रकार वह चश्मा सेल करता था ।
11. ’भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर-भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में :- एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से उस भाष की अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि हो जाती है, भाषा का भण्डार बढ़ता है। भाषा का स्वरुप और अधिक आकर्षक हो जाती है। भाषा को प्रयोग करने में काफी आसानी हो जाती है
नेताजी का चश्मा पाठ 10 question answer
भाषा अध्यन
12. निम्नलिखित वाक्य से निपात छाती और उनसे नए वाक्य बनाइए –
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(गं) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।
उत्तर-(क) कुछ न कुछ – रूही हमेशा कुछ न कुछ करते ही रहती है ।
(ख) को ही – गोपाल को ही हमेशा कुछ मिलते हैं।
(ग) तो था – बाजार में कोई दुकान तो थी नहीं ।
(घ) अब भी – तुम अब भी षहर नहीं गए हो।
(ङ) में – उसके मन में आपके लिए बहुत प्यार है ।
13. निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
(क) वह अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
(घ) ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा।
(ड़) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर-(क) उसके द्वारा अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाले द्वरा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।
(घ) ड्राईवर द्वारा जोर से ब्रेक मारा गया।
(ड़) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
14. नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए –
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर-(क) माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मुझ से देखा नहीं जाता।
(ग) चलो अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।
आप इन्हें भी अवश्य पढ़ें –
1. पद– सूरदास
2. राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद – तुलसीदास
3. (I) सवैया, – देव
(II) कवित्त – देव
4. आत्मकथ्य – जयशंकर प्रसाद
5. उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
6. (I) यह दन्तुरित मुस्कान – नागार्जुन
(II) फसल – नागार्जुन
7. छाया मत छूना – गिरजा कुमार माथुर
8.कन्यादान – ऋतुराज
9. संगतकार – मंगलेश डबराल
10 .नेता जी का चश्मा – स्वयं प्रकाश
11 . बालगोविंद भगत – रामवृक्ष बेनीपुरी
12 . लखनवी अंदाज़ – यशपाल
13. मानवीय करुणा की दिव्य चमक – सवेश्वर दयाल सक्सेना
14. एक कहानी यह भी – मन्नू भंडारी
15.स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन – महावीर प्रसाद द्विवेदी
16. नौबतखाने में इबादत – यतीन्द्र मिश्र
17. संस्कृति – भदंत आनंद कौसल्यायन
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