औद्योगीकरण का युग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solutions class X history 2022

औद्योगीकरण का युग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solutions class X history 2022 के एक नए ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है इस ब्लॉग के माध्यम से आपको इस पाठ से जुड़ी हर तरह के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर पढ़ने के लिए मिलेगा, इसलिए आप सभी विद्यार्थी इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा पढ़ें ताकि आने वाले परीक्षाओं में आपके लिए मददगार साबित हो सके |

औद्योगीकरण का युग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न | Ncert Solutions class X history 2022

✔️औद्योगीकरण का युग पाठ 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
✔️औद्योगीकरण का युग पाठ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
✔️औद्योगीकरण का युग पाठ 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उत्तर

1 ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए। व्याख्या करें।
अथवा, बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध क्यों कर रहे थे?
अथवा, स्पिनिंग जेनी क्या था? इसका आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर-
(क) स्पिनिंग जेनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीब्ज ने 1764 ई० में किया। इस मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी जिसके कारण अब मजदूरों की मांग घट गई।

(ख) एक ही पहिए को घुमाकर एक मजदूर सारी स्पिडल्स को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।

(ग) बेरोजगारी के डर से महिला-कारीगर, जो हाथ से धागा कातकर गुजारा करती थीं, घबरा गई।

(घ) इसलिए उन्होंने इन नई मशीनों को लगाने का विरोध किया और जहाँ-जहाँ ये मशीनें लगाई गई उन्होंने उनपर आक्रमण करके उनको तोड़-फोड़ दिया। महिलाओं का विरोध तोड़-फोड़ काफी समय तक चलती रही।

औद्योगीकरण का युग class 10

2 सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। व्याख्या करें।
उत्तर-
सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। उन्होंने ऐसा निम्नांकित कारणों से किया-

(क) उस समय विश्व-व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीजों की मांग बढ़ने लगी थी, इसलिए उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे। परन्तु शहरों में रहकर ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघों और व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।

(ख) गाँवों में गरीब काश्तकार और दस्तकार सौदागरों के लिए काम करने लगे। इस समय काम चलाने के लिए छोटे किसान और गरीब किसान आमदनी के लिए नए स्रोत ढूँढ रहे थे। गाँवों में बहुत से किसानों के पास छोटे-मोटे खेत थे। लेकिन उनसे परिवार के सभी लोगों का भरण-पोषण नहीं हो सकता था।

(ग) शहरों के यूरोपीय सौदागर जब गाँवों में आए और उन्होंने माल पैदा करने के लिए पेशगी रकम दी तो किसान और कारीगर काम करने के लिए फौरन तैयार हो गए। ये लोग गाँव में रहकर अपने खेतों को सँभालते हुए, सौदागरों का काम भी कर लेते थे।

(घ) इस व्यवस्था से शहरों और गांवों के बीच एक घनिष्ठ संबंध विकसित हुआ। सौदागर शहरों में रहते थे लेकिन उनके लिए काम ज्यादातर देहात में चलता था। चीजों का उत्पादन कारखानों के बजाय घरों में होता था और उस पर सौदागरों का पूर्ण नियंत्रण होता था।

औद्योगीकरण का युग class 10 notes

3 सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था। व्याख्या करें।
उत्तर-
(क) औपनिवेशिक काल में सूरत एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था। जहाँ से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाला व्यापार काफी समृद्ध था। तेजी से बदलती परिस्थितियों में कलकत्ता और बंबई नए औद्योगिक केन्द्र के रूप में उभरे जबकि सूरत जैसा विकसित केन्द्र हाशिए पर पहुँच गया।

(ख) इससे सूरत व हुगली, दोनों पुराने बंदरगाह कमजोर पड़ गए। यहाँ से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। नए बंदरगाहों के जरिए होने वाला व्यापार यूरोपीय कंपनियों के नियंत्रण में था।

(ग) अठारहवीं सदी के अंत तक यूरोपीय कंपनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। पहले उन्होंने स्थानीय दरबारों से कई तरह की रियायतें हासिल की और उसके बाद उन्होंने व्यापार पर इजारेदारी अधिकार प्राप्त कर लिए।

(घ) बहुत सारे पुराने बंदरगाहों की जगह नए बंदरगाहों (बंबई व कलकत्ता) का बढ़ता महत्व औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत का संकेत था।

class 10 notes in hindi, औद्योगीकरण का युग

4 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाशतों को नियुक्त किया था। व्याख्या करें।
उत्तर-
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौपे गए।

(क) वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और व्यापारी को अपना माल तैयार करके न दे सके।

(ख) वे ही बुनकरों से तैयार किए हुए माल को इकट्ठा करते थे।

(ग) वे बने हुए सामान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।

5 पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर
-पूर्व-औद्योगीकरण से हमारा अभिप्राय उन उद्योगों से है जो फैक्ट्रियाँ लगाने से पहले पनप रहे थे। अभी जब इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ शुरू नहीं हुई थीं तब भी वहाँ अंतर्राष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिए बहुत-सा माल बनता था।

यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था परन्तु घर-घर में हाथों से माल तैयार होता था और वह भी काफी मात्रा में। बहुत से इतिहासकार फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले की औद्योगिक गतिविधियों को पूर्व-औद्योगीकरण के नाम से पुकारते हैं। शहरों में अनेक व्यापारिक गिल्ड्स थीं जो विभिन्न प्रकार की चीजों का, फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले, उत्पादन करती थीं।

ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से सौदागर यही काम किसानों और मजदूरों से हाथ द्वारा करवाते थे। यह पूर्व-औद्योगीकरण की व्यवस्था इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ लगने से पहले के काल में व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण अंग बनी हुई थी।

6 ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?
उत्तर-
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए-
(क) निर्यात व्यापार में बहुत सारे भारतीय व्यापारी और बैंकर की भूमिका सराहनीय थी।

(ख) कंपनी ने बुनकरों से माल तैयार करवाने, बुनकरों को माल उपलब्ध कराने और कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किए जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

(ग) कंपनी बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए कर्ज उपलब्ध कराने लगी।

(घ) कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी। इसके लिए उन्हें पेशगी की रकम दी जाती थी।

(ङ) महीन कपड़े की मांग बढ़ने के साथ बुनकरों को अधिक कर्ज दिया जाने लगा ज्यादा कमाई की आस में बुनकर पेशगी स्वीकार कर लेते थे।

(च) यूरोप में भारतीय कपड़ों की भारी माँग को देखते हुए बुनकर और आपूर्ति की सौदागरों पर नियंत्रण करना आवश्यक समझा। कंपनी ने प्रतिस्पर्धा समाप्त करने, लागतों पर अंकुश रखने और कपास एवं रेशम से बनी चीजों की नियमित आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन और नियंत्रण की एक नई व्यवस्था लागू कर दी।

7 1840 के दशक के बाद किन कारणों से रोजगार के साधन बढ़े?
उत्तर-
(क) सड़कों को चौड़ा करने में।
(ख) नए रेलवे स्टेशनों के निर्माण में।
(ग) रेलवे लाइनों के विकास में।
(घ) गुफाओं की खुदाई में।

8 मैनचेस्टर में बने कपड़े के आयात से भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
(क) इस आयात से भारतीय कपड़ा उद्योग को बड़ी हानि हुई क्योंकि अब भारतीय कपड़े के उपभोक्त्ता बहुत कम रह गए क्योंकि मैनचेस्टर का कपड़ा सस्ता और चमकदार था।

(ख) इससे बहुत से बुनकर बेकार हो गए जिन्हें आस-पास के नगरों में जाकर मजदूरों का-सा काम करना पड़ा।

9 औद्योगिक क्रांति का अर्थ समझाएँ।
उत्तर-
औद्योगिक क्रांति हम उस क्रांति को कहते हैं जिसने अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए। ये परिवर्तन इतनी तेज रफ्तार से आए और इतने प्रभावशाली सिद्ध हुए कि उन्हें क्रांति’ का नाम दे दिया गया। इस क्रांति ने घरेलू उद्योग-धन्धों के स्थान पर फैक्ट्री सिस्टम को जन्म दिया, कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से होने लगा और छोटे कारीगरों का स्थान पूँजीपति श्रेणी ने ले लिया।

10 गाँव के बुनकरों और गुमाश्तों के बीच झगड़े क्यों हो रहे थे?
उत्तर-
जल्दी ही बहुत सारे बुनकर गाँवों में बुनकरों और गुमाश्तों के बीच टकराव की खबरें आने लगीं। इससे पहले आपूर्ति सौदागर अक्सर बुनकर गाँवों में ही रहते थे और बुनकरों से उनके नजदीकी तालुक्कात होते थे। वे बुनकरों की जरूरतों का ख्याल रखते थे और संकट के समय उनकी मदद करते थे। नए गुमाश्ता बाहर के लोग थे।

उनका गाँवों से पुराना सामाजिक सम्बन्ध नहीं था। वे दंभपूर्ण व्यवहार करते थे, सिपाहियों व चपरासियों को लेकर आते थे और माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा देते थे। सजा के तौर पर बुनकरों को अक्सर पीटा जाता था और कोड़े बरसाए जाते थे। अब बुनकर न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे। उन्हें कंपनी से जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी पर वे कों की वजह से कंपनी से बंधे हुए थे।

औद्योगीकरण का युग notes

11 नए उपभोक्ता पैदा करने में विज्ञापन मदद करता है। कैसे ? कारण बताएँ।
उत्तर-
नए उपभोक्ता पैदा करने का एक तरीका विज्ञापनों का है। जब नयी चीजें बनती हैं, तो लोगों को उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित भी करना पड़ता है। लोगों को लगना चाहिए कि उन्हें उस उत्पाद की जरूरत है। जैसा कि हम जानते हैं, विज्ञापन विभिन्न उत्पादों को जरूरी और वांछनीय बना लेते हैं।

वे लोगों की सोच बदल देते हैं और नयी जरूरतें पैदा कर देते हैं। आज हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहाँ चारों तरफ विज्ञापन छाए हुए हैं। अखबारों, पत्रिकाओं, होर्डिग्स. दीवारों, टेलीविजन के परदे पर, सब जगह विज्ञापन छाए हुए हैं। लेकिन अगर हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखें तो पता चलता है कि औद्योगीकरण की शुरुआत से ही विज्ञापनों ने विभिन्न उत्पादों के बाजार को फैलाने में और एक नयी उपभोक्ता संस्कृति रचने में अपनी भूमिका निभाई है। jac

जब मेनचेस्टर के उद्योगपत्तियों ने भारत में कपड़ा बेचना शुरू किया तो वे कपड़े
के बंडलों पर लेबल लगाते थे। लेबल का फायदा यह होता था कि खरीदारों को कंपनी का नाम व उत्पादन की जगह पता चल जाती थी। लेबल ही चीजों की गुणवत्ता का प्रतीक भी था। जब किसी लेबल पर मोटे अक्षरों में ‘मेड इन मेनचेस्टर लिखा दिखाई देता तो खरीदारों को कपड़ा खरीदने में किसी तरह का डर नहीं रहता था। इस प्रकार स्पष्ट है कि विज्ञापन नए उपभोक्ता पैदा करने में काफी मदद करता है।