अपवाह पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न के उत्तर | Ncert Solution For Class 9th Geography के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्याथियों का स्वागत है , इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी विद्यार्थियों को पाठ से जुड़ी उन सभी महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर पढ़ने को मिलेगा जो पिछले कई परीक्षा में पूछे जा चुके हैं, इसलिए यदि आप इस पोस्ट को पहली बार पढ़ रहे हैं, तो कृपया करके इस पोस्ट को पूरा पढ़ें ताकि आपकी परीक्षा की तैयारी और भी अच्छी हो सके तो चलिए शुरू करते हैं |
अपवाह पाठ 3 लघु उत्तरीय अभ्यास प्रश्न के उत्तर , Ncert Solutions
अपवाह पाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उत्तर
अपवाह पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न के उत्तर
अपवाह पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न के उत्तर
1 नदियों और झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।
उत्तर-नदियों और झीलों के आर्थिक महत्त्व-
(क) घरेलू उद्देश्य और फसलों के लिए नदियाँ जल उपलब्ध करवाती हैं, विशेषकर भारत जैसे देश में जहाँ फसल मानसून पर निर्भर होती है।
(ख) वे गाद और तलछट बहाकर लाती हैं जो बाढ़ मैदानों को उपजाऊ बनाते हैं और देश को एक सबसे उपजाऊ कृषि भूमि प्रदान करते हैं।
(ग) नदियाँ परिवहनीय अपशिष्ट को जमने नहीं देतीं उसे गलाकर नष्ट कर देती हैं।
(घ) नदियों के साथ-साथ औद्योगिक विकास फलता-फूलता है क्योंकि अनेक औद्योगिक प्रक्रियाओं में जल को ही कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जैसे- शीतलक में और जलविद्युत उत्पादन में।
(ङ) नदियाँ परिवहन के साधन और अंतर्देशीय जलमार्ग उपलब्ध करवाती हैं।
(च) तटीय नगरों के साथ-साथ मनोरंजन, पर्यटन प्रोत्साहन और मत्स्य संग्रहण भी विकसित होते हैं।
2 नदियों के प्रदूषित होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर- नदियों के प्रदूषित होने के कारण-
(क) जब कागज बनाने वाले कारखाने, चीनी बनाने वाले कारखाने तथा चमड़े के काम करने वाले कारखाने अपना कचरा नदियों में डालते हैं तो उनका जल प्रदूषित हो जाता है।
(ख) कभी-कभी इन कारखानों के आसपास कोई नदी-नाला नहीं होता। ऐसी स्थिति में इन कारखानों का कचरा भूमि पर ही सड़ने लगता है और धीरे-धीरे रिसते-रिसते भौम जल में मिलकर उसे प्रदूषित बना देता है।
ऐसी स्थिति तमिलनाडु में हुई जहाँ कई गाँवों में कुओं का जल चमड़े के कारखाने से निकले कचरे के कारण प्रदूषित हो गया।
(ग) इसके अतिरिक्त महानगरों का कचरा और मल भी किसी पास के नदी-नालों में डाल देने से उनका जल भी प्रदूषित हो जाता है।
उदाहरण के लिए, दिल्ली में नजफगढ़ नाला लगातार अपना कचरा यमुना नदी में खाली करता रहता है जिससे यमुना नदी का जल प्रदूषित हो गया है।
(घ) यही नहीं, कभी-कभी तो खेतों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक रसायनों और उर्वरकों के कारण भी पानी प्रदूषित हो जाता है।
जब कभी यह पानी आस-पास की नदियों या झीलों में मिल जाता है तो उनका जल भी प्रदूषित हो जाता है। इसके फलस्वरूप नदी-नालों में बड़ी मात्रा में शैवाल आदि उग आते हैं और जल में घुली हुई आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है ,ऐसी परिस्थिति में मछलियाँ और जलीय जीव जीवित नहीं रह पाते।
NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 3 – अपवाह भूगोल
3 ब्रह्मपुत्र नदी की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर-ब्रह्मपुत्र नदी की विशेषताएँ-
(क) यह तिब्बत से उद्गमित होती है तथा इसकी लंबाई सिंधु नदी के बराबर है।
(ख) यह अपने साथ बड़ी मात्रा में अवसाद (गाद) को बहाकर ले जाती है।
(ग) यह तिब्बत स्थित हिमालय पर्वतमाला के समांतर बहती है।
(घ) यह नमचा बरुआ (7757 मी०) में अंग्रेजी के “U” आकार का मोड़ लेती है तथा अरुणाचल प्रदेश के निकट भारत में प्रवेश करती है।
(ङ) यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है और गिरने के ठीक पहले अवसाद और गाद के अत्यधिक निक्षेपों के कारण विभाजिकाओं को वेणी जैसी गूंथ देती है।
4 गोदावरी द्रोणी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चिम घाट की ढालों से निकलती है।
इसकी लंबाई लगभग 1,500 किलोमीटर है। यह बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। प्रायद्वीपीय नदियों में इसका अपवाह तंत्र सबसे बड़ा है। इसकी द्रोणी महाराष्ट्र (नदी द्रोणी का 50 प्रतिश भाग), मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा आंध्रप्रदेश में स्थित है।
गोदावरी में अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं, जैसे- पूर्णा, वर्धा, प्रान्हिता, मांजरा, वेनगंगा। इनमें से अंतिम तीनों सहायक नदियाँ बहुत बड़ी हैं। बड़े आकार और विस्तार के कारण इसे ‘दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
5 हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अंतरों को स्पष्ट करें।
उत्तर-हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों में अंतर-
हिमालय की नदियाँ
(a) हिमालय की नदियों की द्रोणियाँ बड़ी हैं।
(b) ये नदियाँ सदावाहिनी हैं क्योंकि इनका प्रवाह वर्षा तथा हिम के पिघलने से होता है।
(c) ये नदियाँ गहरी घाटियों से होकर गुजरती हैं।
(d) ये नदियाँ ऊपरी भागों में अत्यधिक अपरदन करती हैं तथा विशाल मात्रा में बालू और गाद बहाकर ले जाती है।
(e) अत्यधिक गाद के कारण मैदानों में ये विशाल मोड़ या विसर्पबनाते हैं।
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ
(a) प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की द्रोणियाँ अपेक्षाकृत छोटी हैं।
(b) ये नदियाँ मौसमी हैं क्योंकि इनका प्रवाह वर्षा पर निर्भर होता है।
(c) ये नदियाँ कम गहरी घटियों से होकर गुजरती हैं।
(d) गर्मी के दिनों में इसकी बड़ी नदियों में भी बहुत कम पानी का बहाव होता है जिसके कारण अपेक्षाकृत अपरदन की क्रिया कम होती है।
(e) गाद की कमी के कारण ये नदियाँ कोई विशेष विसर्प नहीं बनाती हैं।
6 प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना करें।
उत्तर-प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अंतर-
पूर्व दिशा की नदियाँ
(a) महानदी को छोड़कर पूर्व दिशा में बहने वाली अधिकतर नदियाँ पश्चिमी घाट के पूर्वी ढाल से निकलती हैं।
(b) पूर्व में बहने वाली नदियाँ अपेक्षाकृत लम्बा मार्ग तय करती हैं और डेल्टा का निर्माण करती है।
(c) इन नदियों के कुछ हिस्सों में नौकायन संभव है।
(d) पूर्व की ओर बहने वाली अधिकतर नदियाँ बड़े आकार की हैं।
पश्चिम दिशा की नदियाँ
(a) पश्चिम दिशा में बहने वाली अधिकतर नदियाँ पश्चिमी ढाल से निकलती हैं। नर्मदा और ताप्ती ऐसी नदियाँ हैं जो मध्य भारत की उच्च भूमियों से निकलती हैं।
(b) पश्चिम में बहने वाली नदियों अपेक्षाकृत छोटा मार्ग तय करने के कारण ज्वारनदमुख बनाती हैं।
(c) ये नदियाँ नौकायन के लिए कम उपयुक्त ।
(d) पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ अपेक्षाकृत छोटे आकार की हैं। प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ JAC