अपवाह पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उतर,NCERT Solution For Class 9th Geography के इस पोस्ट पर आप सभी विद्यार्थियों का स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से पाठ से जुड़े हर महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जो पिछले कई परीक्षा में पूछे जा चुके हैं, उन सभी प्रश्नों को इस पोस्ट पर कवर किया गया है, इस ब्लॉग में उन सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से बताए गए हैं, इसलिए इस पोस्ट को कृपया करके ध्यान से पढ़ें ताकि आने वाली परीक्षाओं की तैयारी आपकी अच्छी हो सके-
अपवाह पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उतर NCERT Solution For Class 9th
अपवाह पाठ 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न के उतर
अपवाह पाठ 3 लघु उत्तरीय प्रश्न के उतर
अपवाह पाठ 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न के उतर
1 किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं ?
उत्तर-(क) नदियाँ हमारे ग्राम्यगीतों ओर लोकगीतों का अभिन्न हिस्सा हैं। यह मनुष्य जाति, कृषि और उद्योगों के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधन हैं।
यह कार्य स्वरूप में अनार्थिक हैं लेकिन दीर्घकाल में ये भी आर्थिक बन जाते हैं। जैसे- साहित्य अकादमी द्वारा नाटक, एकांकी और कथाओं को विदेशों में भेजकर भारत के लिए मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित किया जाना।
(ख) भारत की जनसंख्या का 80 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है। यह स्वयं में दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नदियों के जल का कितना महत्त्व है।
. (ग) बीसवीं शताब्दी के भूमंडलीकरण के बाद भारत का पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित हुआ है।
यह उद्योग लाखों अमेरिकी डालर (अर्थात् प्रामाणिक मुद्रा) अर्जित करता है क्योंकि विश्वभर के पर्यटक भारत की नदियाँ, झीलों और प्राकृतिक दृश्यों को निहारने प्रतिवर्ष भारत आते हैं।
(घ) मानव स्वभाव अपने प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रयोजन, उद्देश्य या लक्ष्य के बिना कोई काम न करने का है। यायावरी से लेकर चतुर्थक व्यवसाय व्यक्ति इसीलिए करते हैं कि अपनी आजीविका अर्जित करें ओर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करें।
पर्यटन भी व्यक्ति निरूद्देश्य और केवल प्रकृति प्रेम के कारण नहीं करता है। इसके पीछे भी व्यवसाय, व्यापार, वाणिज्य रहस्योद्घाटन, तस्करी आदि का लक्ष्य रहता है।
उद्देश्य चाहे जो भी हो, पर्यटन के माध्यम से एक देश की संस्कृति, साहित्य और क्रियाकलाप (सकारात्मक या नकारात्मक) ठीक उसी तरह स्वचालित ढंग से दूसरे देश में पहुँचते हैं जैसे कीड़े-मकोड़े और पक्षियों के पंख बीजों का परागण संभव बनाते हैं।
धीरे-धीरे विभिन्न देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और व्यवसाय की संविदाएँ होती हैं और एक देश की वस्तुओं को क्रमशः समूचे विश्व में उपभोग होने लगता है।
यह अर्थव्यवस्था का भूमंडलीकरण है अतः इसमें सभी तरह के सांस्कृतिक या साहित्यिक क्रिया-कलाप जो प्रथमदृष्ट्या अनार्थिक समझे जाते हैं, समयांतराल में आर्थिक क्रिया-कलाप बन जाते हैं।
अपवाह पाठ 3 भूगोल NCERT Solutions for Class 9th
2 गंगा नदी तंत्र का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-गंगा अपना यह नाम देवप्रयाग, जहाँ इसकी दो शीर्ष धाराएँ- अलकनंदा तथा भागीरथी मिलती हैं, के पश्चात धारण करती है।
गंगा हरिद्वार में हिमालय पर्वत से निकल कर मैदान में प्रवेश करती है। उत्तर की ओर से आकर इसमें बड़ी संख्या में सहायक नदियाँ मिलती हैं।
इनमें से घाघरा, गंडक तथा कोसी भारत mके उत्तरी मैदानों में नेपाल से प्रवेश करती हैं। इन नदियों में बहुत अधिक जलशक्ति उत्पन्न करने की तथा भारत और नेपाल दोनों में सिंचाई करने की संभावित क्षमता है।
आपसी विश्वास तथा सहयोग द्वारा विकास कार्यों के लिए नदियों के जल का उपयोग करने से दोनों देशों के निवासियों की संपन्नता में वृद्धि हो सकती है।
फरक्का से आगे, गंगा दक्षिण-पूर्व से पूर्व की ओर बहकर पद्मा के रूप में बांग्लादेश में प्रवेश करती हैं।
मुख्य नदी की एक शाखा, जिसे भागीरथी-हुगली कहते हैं दक्षिण की ओर डेल्टाई मैदानों से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं।
मुख्य धारा पद्मा बांग्लादेश में दक्षिण की ओर बहती है जहाँ इसमें ब्रह्मपुत्र मिलती है जिसे यहाँ जमुना कहते हैं।
और आगे इसमें मेघना मिलती हैं और जब तक यह बंगाल की खाड़ी में नहीं मिलती इस सम्मलित धारा का कितनाम मेघना ही है। गंगा के जल के बँटवारे के बारे में भारत तथा बांग्लादेश के बीच एक समझौता है।
गंगा की लंबाई 2500 किलोमीटर से अधिक है। भारत में इसकी द्रोणी सबसे बड़ी है। उत्तर भारत का अधिकांश जल गंगा नदी तंत्र द्वारा बहाया जाता है। का अंबाला नगर सिंधु तथा गंगा नदी तंत्रों के बीच जल-विभाजक पर स्थित है।
नि अंबाला से सुंदरवन तक मैदान की लंबाई लगभग 1800 किलोमीटर है। परंतु इसके ढाल में गिरावट मुश्किल से 300 मीटर है।
दूसरे शब्दों में, प्रति 6 किलोमीटर की दूरी में गिरावट पर ढाल केवल एक मीटर है। इसलिए यहाँ ,नदियों में अनेक बड़े-बड़े मोड़ या विसर्प बन जाते हैं।
अपवाह पाठ 3 NCERT Solutions, (कक्षा नवीं), सामाजिक विज्ञान
3 सिंधु नदी तंत्र का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है। पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हुई यह भारत में जम्मू और कश्मीर में प्रवेश करती है। इस भाग में यह एक बहुत ही सुंदर दर्शनीय महाखडु का निर्माण करती हैं।
कश्मीर क्षेत्र में इसमें कई सहायक नदियाँ जैसे- जास्कर, श्योक, नूबरा, हुंजा आदि मिलती हैं। यह लद्दाख, बालतिस्तान तथा गिलगित होते हुए बहती है और अटक में पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है।
पंजाब की पाँच प्रसिद्ध नदियाँ- सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम का सम्मिलित जल सिंधु नदी में मिठान-कोट के थोड़ा-सा ऊपर मिलता है।
सिंधु नदी पाकिस्तान के मध्य से होकर दक्षिण की ओर बहती है और कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में मिलती है।
सिंधु के मैदान का ढाल बहुत धीमा है। सिंधु नदी की कुल लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है और यह संसार की लंबी नदियों में से एक है।
सिंधु की द्रोणी का एक-तिहाई से कुछ अधिक भाग भारत (जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब) में स्थित है। सिंधु के जल के बँटवारे के विषय में भारत तथा पाकिस्तान के बीच एक समझौता है।
सिंधु जल समझौता संधि के अनुच्छेदों के अनुसार, भारत इस नदी प्रक्रम के संपूर्ण जल का केवल 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है।
इस नदी तंत्र के जल का उपयोग हम पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के पश्चिमी भागों में सिंचाई के लिए करते हैं। Ncert