अनौपचारिक पत्र के उदहारण
अनौपचारिक पत्र के उदहारण में आज हम इसके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे । आज युग में पत्र लेखन हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इनके द्वारा हम अपने परिचितों और अन्य व्यवहारिक कामों के लिए एक दूसरे से संवाद करने के लिए प्रयोग में लेते है।अनौपचारिक पत्र लेखन का एक महत्वपूर्ण प्रकार अनौपचारिक पत्र है। अनौपचारिक को पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है क्योंकि इनके माध्यम से प्रत्येक मनुष्य अपनी विचार, संवेदना, आभार, कृतज्ञता इत्यादि व्यक्त करते है।
16.अनौपचारिक पत्र के उदहारण में पिता के पास एक पत्र लिखकर पुस्तक खरीदने हेतु दो सौ रुपए माँग करें।
राँची
दिनांक-20.03.2020
प्रिय पिताजी,
सादर प्रणाम,
आपने मुझे अपना समाचार लिखने कहा है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं सकुशल हूँ। मैं आपसे बताना चाहूँगा कि मुझे कुछ किताब की कमी के कारण पढ़ाई में कठिनाई का अनुभव हो रहा है। क्या आप कृपा करके मुझे दो सौ रुपए किताब खरीदने देत भेज देंगे। आप शीघ्र मनी ऑडर द्वारा दो सौ रुपए भेज दें ताकि मैं पस्तकें खरीद सकूँ और अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखू। बडे लोगों को मेरा प्रणाम तथा छोटों को आर्शीवाद ।
आपका पुत्र
मनीष
17.अपने पिता के पास पत्र लिखकर अपने सहपाठियों के साथ किसी महत्वपूर्ण स्थानों के भ्रमण के लिए अनुमति माँगे।
राँची
दिनांक- 03.03.2020
उत्तर- पूज्य पिताजी
सादर प्रणाम
विद्यालय के छात्रावास में रहते हुए, अच्छा तो लग रहा है, फिर भी न जाने क्यों मैं कुछ बंधा-बंधा सा अनुभव कर रहा हूँ। कभी-कभी ऊब जाता हूँ। लेकिन आनेवाली दशहरे की छुट्टी की याद आते ही राहत की सांस लेता हूँ।विद्यालय के शिक्षक एवं अन्य छात्र भी अवकाश की आवश्यकता महसूस करते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी की जकड़न से छुटकारा चाहते हैं। खैर, छुट्टियाँ होती ही हैं और होंगी भी। लेकिन इस वर्ष सभी छात्र, शिक्षक और विद्यालय के प्रबंधक एकमत होकर आगामी अवकाश का बिहार भ्रमण के लिए उपयोग करना चाहते है। यों, यात्रा हम एक स्थल विशेष की ही करना चाहते यात्रा के क्रम में निकटवर्ती स्थलों को भी देखते जाना चाहते हैं। लोग बस से राजगीर जाना चाहते हैं। हमारे साथ हमारे शिक्षक भी रहेंगे। सभीअपने-अपने अभिभावक से अनुमति ले चुके है। अभिभावक का अनुमति अनिवार्य है। हमलोग सात से दस दिनों तक घूमेंगे। हम हर एक दर्शनीय स्थल का दर्शन करेंगे साथ-साथ नालंदा और पावापुरी आयगे। आशा है. आप भ्रमण की अनुमति देगे, क्योंकि यह यात्रा पूर्णतः निरापद होगी। बड़ों को प्रणाम, छोटे को प्यार ।
आपका प्यारा बेटा
राकेश
18. अनौपचारिक पत्र के उदहारण में माताजी को अपनी पढ़ाई के विषय में जानकारी देते हुए पत्र लिखें।
उत्तर-रातु रोड, राँची
2 जनवरी, 2020
पूज्य माताजी,
सादर प्रणाम,
आपका स्नेह-पूर्ण पत्र मिला। पढ़कर मन आनंद से भर गया। आपका स्वास्थ्य अब पहले से अच्छा है, यह पढ़कर मन को सुख-चैन मिला। आगामी 15.3.2020 से मेरी वार्षिक परीक्षाएँ प्रारंभ हो रही हैं। अब हमारे लिए विद्यालय में छुट्टियाँ हैं। अब मैं अपने सभी विषयों की आवृत्ति कर रहा हूँ। जो याद करता हूँ, उसे लिखकर भी देख लेता हूँ।अभी तक की तैयारी से मन को पूरा संतोष और विश्वास है कि मेरा परिणाम अच्छा ही रहेगा। आपका आशीर्वाद तो मेरे साथ है ही। अब मैं अगला पत्र परीक्षा समाप्त होने पर ही लिटूंगा। भैया को सादर नमस्कार तथा छोटे भाई बहनों को सस्नेह मेरी शुभकामनाएँ। शेष सब कुशल है।
आपका प्यारा बेटा
राजेश
19.अपनी माताजी की बीमारी की सूचना एक पत्र द्वारा अपने मामाजी को दें।
राँची
दिनांक- 08.04.2006
उत्तर- आदरणीय मामाजी,
सादर प्रणाम
आशा है कि आप सभी सकुशल ही होंगे। शायद आपकी जानकारी मिली होगी कि माताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। पिछले दो माह से वे गठिया रोग से बुरी तरह परेशान हैं। सर्दियों में वे बिल्कुल लाचार हो जाती हैं। यहाँ तक कि उनके लिए घर का काम करना भी कठिन हो जाता है। यद्यपि हम लगकर डॉक्टर से दिखा रहे हैं और दवाई भी सावधानी से दे रहे हैं, किंतु अभी कोई समाधान नहीं हो रहा है। हमसे जो सेवा बन पड़ रही है, हम भरपूर कर रहे हैं। आगे ईश्वर की इच्छा! आप कभी पत्र लिख कर माताजी से कुशल पूछ लें, तो उन्हें मानसि बल प्राप्त होगा। आदरणीय मामीजी को मेरी ओर से प्रणाम तथा चिंटू को स्नेह ।
आपका भांजा
राहुल।
20.अपने मित्र के पास एक पत्र लिखें जिसमें झारखण्ड के ऐतिहासिक स्थल के बारे में वर्णन हो।
राँची
20 जनवरी, 2006
प्रिय रवि,
सप्रेम नमस्ते।
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुमलोग स्वस्थ एवं प्रसन्न हो। हमलोग भी यहाँ सकुशल हैं।तुमने झारखण्ड के किसी ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानने की जिज्ञासा प्रकट की है। मैं इसी सन्दर्भ में तुम्हें बताने जा रहा हूँ। राँची शहर से मात्र 10 कि०मी० दूरी पर प्रकृति के सुन्दर वातावरण में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्वामी जगन्नाथ जी का प्राचीन मंदिर अवस्थित है। यह मंदिर यहाँ के राजा शाहदेव जी द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व बनवाया गया था। यह प्राचीन मंदिर झारखण्ड का धरोहर है। प्रतिदिन यहाँ दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। पहाड़ी पर मंदिर पास खड़ा होकर देखने पर राँची का मनोहरी विहंगम दृश्य हृदय को स्पर्श करता है। प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में यहाँ रथ यात्रा का आयोजन होता है। इस अवसर पर झारखण्ड का सबसे बड़ा मेला भी लगता है। इस अवसर पर तुम एक बार अवश्य आओ। पूज्य चाची जी को मेरा प्रणाम निवेदित करना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
राकेश
21.अनौपचारिक पत्र के उदहारण में समय के सदुपयोग और परिश्रम पर बल देते हुए अपने छोटे भाई को एक लिखें।
गोड्डा
12 सितम्बर, 2010
प्रिय राजेश,
शुभाशीष।
कल ही तुम्हारा मित्र प्रमोद मुझसे मिला था। उसकी बातों से हमे आभास हुआ कि इन दिनों तुम समय का पूर्ण उपयोग नहीं कर रहे हो तथा में मेहनत भी नहीं कर रहे हो। राजेश, अभी तम्हारा एक-एक मिनट अत्यंत कीमती है। अच्छे परीक्षा द्वारा ही तुम अपने भविष्य की ठोस आधारशिला रख सकते हो। याद रखो। व्यक्ति अपने जीवन का प्रत्येक क्षण सदुपयोग करता है वह भाग्यवान बनता जाता है। जो अनवरत परिश्रम करता है वही उन्नति की सीढ़ियों पर चला जाता है। ऐसा व्यक्ति ही जीवन में सदा प्रसन्न, सन्तुष्ट और सम्पन्न रहता है। विद्यार्थी के लिए तो समय के सदुपयोग और सही दिशा में कड़ी मेहनत की और भी अधिक आवश्यकता है। आशा है इन बातों को ध्यान में रखोगे। स्वर्णिम भविष्य तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। शुभकामानाओं के साथ।
तुम्हारा मित्र
रवि
22.आपका मित्र हडसन एंड्री आस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखें।
राँची
21-3-2010
प्रिय हडसन एंड्री
सप्रेम नमस्कार।
कैसे हो, आशा है, तुम आनंद से होगे। तुम्हारी माताजी तथा पिताजी भी प्रसन्न होंगे। प्रिय एंड्री, इस बार मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ दस मई से आरंभ होंगी। इन दिनों तुम्हारी भी छुट्टियाँ होती है। मैं चाहता हूँ कि इस बार तुम भारत आओ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध पर्वतीय स्थान दिखाना चाहता हूँ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध पर्वत की सैर कराऊँगा। मुझे तुम्हारे साथ आस्ट्रेलिया में बिताए हुए दिन आने तक याद है। मैं चाहता हूँ कि इस बार हम भारत-भ्रमण करें।तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मित्र
सोमेश
23.राष्ट्रपति द्वारा वीर बालक पुरस्कार से सम्मानित अपने छोटे भाई को बधाई-पत्र लिखें।
नई दिल्ली
26-6-2010
उत्तर- प्रिय निरंजन,
शुभाशीर्वाद।
आज के समाचार-पत्र में यह समाचार पढ़कर हृदय प्रसन्नता से भर गया कि तुम्हें राष्ट्रपति द्वारा ‘वीर बालक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। मैं तुम्हें इस पुरस्कार प्राप्ति पर हार्दिक बधाई देता हूँ। तुमने यह पुरस्कार पाकर परिवार की गौरवशाली परम्परा को चार चाँद लगाए हैं। इससे हम सबका मस्तक ऊँचा हुआ है। तुमने जिस बहादुरी का प्रदर्शन करके अपने साथियों की जान बचाई थी, वह घटना निश्चय ही अदम्य वीरता का परिचायक है। मैं आशा करता हूँ कि तुम भविष्य में इससे भी महान कार्य करोगे। बधाई एवं शुभाशीष।
तुम्हारा शुभचिंतक
मंगल
24.अनौपचारिक पत्र के उदहारण में राष्ट्रपति द्वारा वीर बालक पुरस्कार से सम्मानित अपने छोटे भाई को बधाई-पत्र लिखें।
नई दिल्ली
26-6-2010
उत्तर- प्रिय निरंजन,
शुभाशीर्वाद।
आज के समाचार-पत्र में यह समाचार पढ़कर हृदय प्रसन्नता से भर गया कि तुम्हें राष्ट्रपति द्वारा ‘वीर बालक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। मैं तुम्हें इस पुरस्कार प्राप्ति पर हार्दिक बधाई देता हूँ। तुमने यह पुरस्कार पाकर परिवार की गौरवशाली परम्परा को चार चाँद लगाए हैं। इससे हम सबका मस्तक ऊँचा हुआ है। तुमने जिस बहादुरी का प्रदर्शन करके अपने साथियों की जान बचाई थी, वह घटना निश्चय ही अदम्य वीरता का परिचायक है। मैं आशा करता हूँ कि तुम भविष्य में इससे भी महान कार्य करोगे। बधाई एवं शुभाशीष।
तुम्हारा शुभचिंतक
मंगल
25.अपने मित्र के पास एक पत्र लिखें जिसमें झारखण्ड के ऐतिहासिक स्थल के बारे में वर्णन हो।
राँची
20 जनवरी, 2010
प्रिय रवि,
सप्रेम नमस्ते।
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुमलोग स्वस्थ एवं प्रसन्न हो। हमलोग भी यहाँ सकुशल हैं। तुमने झारखण्ड के किसी ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानने की जिज्ञासा प्रकट की है। मैं इसी सन्दर्भ में तुम्हें बताने जा रहा हूँ। राँची शहर से मात्र 10 कि०मी० दूरी पर प्रकृति के सुन्दर वातावरण में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्वामी जगन्नाथ जी का प्राचीन मंदिर अवस्थित है। यह मंदिर यहाँ के राजा शाहदेव जी द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व बनवाया गया था। यह प्राचीन मंदिर झारखण्ड का धरोहर है। प्रतिदिन यहाँ दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। पहाड़ी पर मंदिर पास खड़ा होकर देखने पर राँची का मनोहरी विहंगम दृश्य हृदय को स्पर्श करता है। प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में यहाँ रथ यात्रा का आयोजन होता है। इस अवसर पर झारखण्ड का सबसे बड़ा मेला भी लगता है। इस अवसर पर तुम एक बार अवश्य आओ।पूज्य चाची जी को मेरा प्रणाम निवेदित करना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
राकेश