सत्संगति का महत्व से संबधित बातें
मनुष्य के जीवन में चरित्र-निर्माण में संगति का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । सत्संगति का महत्व हमारे पुराने शास्त्रों में सत्संगति को बहुत महत्त्व दिया गया है । अच्छा संगति अर्थात सच्चरित्र व्यक्तियों के सम्पर्क में रहना, उनसे सम्बन्ध बनाना । सचरित्र व्यक्तियों, सज्जनों, बुद्धिजीवियों ,मुनियों , विद्वानों आदि की संगति से साधारण आम व्यक्ति भी महत्त्वपूर्ण बन जाता है ।इसलिए संगती का महत्त्व को हर मनुष्य को समझना चाहिए ।
सत्संगति का अर्थ–
अच्छे संगति का अर्थ है अच्छे आदमियों की संगति और गुणी जनों का साथ। अच्छे मनुष्य का अर्थ होता है – वे व्यक्ति जिनका आचरण अच्छा है, मतलब उनका व्यवहार हो जो हमेशा अच्छे श्रेष्ठ गुणों को धारण करते और अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के प्रति अच्छा बर्ताव करते हैं। जो सत्य का पालन करते हैं, परोपकारी हैं, अच्छे चरित्र ‘ के सारे गुण उनमें विद्यमान हैं, जो निष्पछ एवं दयावान हैं, जिनका व्यवहार हमेशा सभी के साथ अच्छा रहता है। ऐसे अच्छे व्यक्तियों के साथ रहना, उनकी बातें सुनना, उनके साथ घूमना, उनकी पुस्तकों को अध्ययन , ऐसे अच्छे चरित्र वाले व्यक्तियों की जीवनी पढ़ना और उनकी अच्छाइयों को जीवन में अमल करना सत्संगति के ही अन्तर्गत आते हैं।
संगति का प्रभाव-
संगति का मनुष्य-जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। वह जिस प्रकार की संगति करता है, उससे अवश्य प्रभावित होता है।मनुष्य -जीवन भगवान की अमूल्य देन है । मनुष्य इस पृथ्वी पर धर्म-कर्म के पथ पर चलते हुए मानव-समाज का विकास करने के लिए जन्म लेता है । अच्छा संगति जीवन को अर्थपूर्ण बनाने के लिए प्रेरणा देती है, ताकि मानव-समाज उन्नति कर सकेऔर दूसरों को भी उन्नति करने के लिए प्रेरणा दे सके ।
रहीम का एक दोहा है-
कदली सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन।
जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन।।
स्वाति की एक बूंद भिन्न-भिन्न संगति पाकर उसके अनुरूप परिवर्तित हो जाती है। जब वह कोमल केले के संपर्क में आती है, तो कपूर बन जाती है, समुद्र की सीपी की संगति पाकर वहीं बूंद मोती बन जाती है और सॉप के मुँह में पड़ जाने पर विष बन जाती है। इससे सत्संगति का महत्व स्पष्ट है।
सत्संगति की आवश्यकता-
मनुष्य में शुभ और अशुभ दोनों प्रवृत्तियाँ होती हैं। सत्संगति मनुष्य के शुभ गुणों का निरंतर विकास करती है। परिणामस्वरूप अशुभ बातें अपने आप नष्ट होने लगती हैं। इसीलिए तो कबीर ने कहा है-
कबिरा संगति साधु की, बेगि करीजै जाइ।
दुरमति दूर गँवाइसी, देसी सुमति बताइ।।
जब हम अच्छे लोगों या विचारों के संपर्क में रहते हैं तो हमारे व्यक्तित्व में सद्गुणों का समावेश अपने आप होने लगता है। मनुष्य सत्संगति के लाभों से बच नहीं सकता।
सत्संगति का महत्व उदाहरण-
संसार के इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिससे सत्संगति की महिमा पर प्रकाश पड़ता है। प्रसिद्ध डाकू अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध के संपर्क में आने से श्रेष्ठ महात्मा बन गया। सुभाष चंद्र बोस, जो अंग्रेजी सरकार का पिटू बनने गया था, क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर अमर नेता बन गया। सत्संगति वह पारस पत्थर है जो लोहे को सोना बना देती है।
सत्संगति के लाभ-
सत्संगति का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे व्यक्ति का जीवन श्रेष्ठ बनता है। सच्चे मित्र अपने साथी को कभी भी राह से भटकने नहीं देते। इसलिए सत्संगति एक प्रकार से अपने ऊपर बिठाया गया पहरा है। अच्छे मित्र ही दुःख-सुख के सच्चे साथी होते हैं। इसलिए सत्संगति में पड़ा हआ व्यक्ति कभी स्वयं को अकेला नहीं समझता, जबकि दुर्जन कभी दूसरों के नहीं होते। सत्संगति दुःख में तो साथ देती है, वह सुख में भी अलौकिक आनंद देती है। अच्छे मित्रों में बैठने से मन को असीम आनंद मिलता है। वास्तव में सत्संगति मानव-जीवन के लिए उत्तम टॉनिक है।