आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न अध्याय 4 हिंदी, NCERT Solution for Class 10th के इस ब्लॉग में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता आत्मकथ्य से जुड़ी छोटी से छोटी महत्वपूर्ण प्रश्न जो परीक्षा में आने लायक है। जो पिछले कई परीक्षाओं में आ चुकी है । वैसे प्रश्नों का विस्तार पूर्वक सरल भाषा में महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के रूप में इस ब्लॉग पर दर्शाया गया है ।
आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न अध्याय 4 हिंदी, NCERT Solution for Class 10th
(1.) कवि और कविता का नाम लिखें।
उत्तर-कवि का नाम- जयशंकर प्रसाद, कविता का नाम- आत्मकथ्य।
(2.) यह मधुप कौन है ? यह क्या कहता है ?
उत्तर-यह मधुप मनरूपी भौंरा है। यह गुनगुनाकर अपनी कहानी कह जाता है। पता नहीं यह कहानी कौन-सी है ?
(3.) मुरझाकर गिरती पत्तियाँ किस ओर संकेत करती हैं ?
उत्तर-मुरझाकर गिरती पत्तियाँ विश्व की सारहीनता को व्यक्त करती हैं। इस प्रकार व्यक्ति की वेदना का कहीं अंत नहीं है।
(4.) ‘गंभीर अनंत-नीलिमा के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर-‘गंभीर अनंत-नीलिमा’ के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि यह दुनिया बहुत बड़ी है। यहाँ अनगिनत लोग बसते हैं और अपना-अपना जीवन जीते हैं।
(5.) ‘असंख्य जीवन-इतिहास’ से क्या आशय है ?
उत्तर-‘असंख्य जीवन-इतिहास’ का आशय है- अनगिनत आत्मकथाएँ। संसार में अनेक लोगों ने अपने-अपने जीवन की कथाएँ लिखी हैं।
(6.) कवि अपनी आत्म-कथा क्यों नहीं कहना चाहता?
उत्तर-आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न के इस सवाल में कवि कहता है कि वह साधारण व्यक्ति है। वह नहीं चाहता कि अपने जीवन के व्यक्तिगत क्षणों के विषय में दूसरे लोगों को बताए क्योंकि लोग उसका उपहास करेंगे। कवि कहता है कि वह साधारण व्यक्ति है। वह नहीं चाहता कि अपने जीवन के व्यक्तिगत क्षणों के विषय में दूसरे लोगों को बताए क्योंकि लोग उसका उपहास करेंगे।
(7.) कवि को क्या आशंका है ?
उत्तर-कवि को आशंका यह है कि उसकी कथा सुनने वाला अर्थात् उसका प्रिय ही तो वह नहीं है जिसने उसके जीवन की गागर खाली की हो। कहीं उसी ने तो नहीं कवि की गागर से रस लेकर अपनी गागर में भर लिया हो। कवि के जीवन का रस प्रिय के जीवन में जा पहुँचा हो।
(8.) कवि ‘खाली करने वाले’ किसे कह रहा है और क्यों ?
उत्तर-आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न 8 में कवि अपने उन मित्रों को ‘खाली करने वाले’ कह रहा है, जिन्होंने उसे आत्मकथा लिखने के लिए कहा। क्योंकि कवि के निजी अनुभव बहुत कटु रहे हैं। हो सकता है, उनके साथ के साहित्यिक मित्रों ने ही उनकी खुशी और उन्नति में बाधा डाली हो। इस प्रकार उन्होंने उसके जीवन को वंचित करने की कोशिश की हो।
(9.) कौन है जो कवि के रस से अपनी गगरी भर गया ?
उत्तर-कवि के निजी और साहित्यिक मित्र ही उसके जीवन के रस से अपनी गगरी भरने वाले हैं। कवि का संकेत है कि उनके आस-पास भँवरे की तरह मँडराने वाले मित्रों ने उनके काव्य-रस को सोखकर स्वयं को उन्नत बना लिया।
(10.) कवि किस बात को विडंबना कह रहा है और क्यों ?
उत्तर-कवि अपने स्वभाव की सरलता को दोष नहीं देना चाहता। यदि वह अपनी सरलता को अपने कष्टों का कारण मानता है तो यह उसके लिए विडंबना ही होगी। क्योंकि कवि अपनी सरलता को लेकर प्रसन्न है। यदि उसे सरलता के कारण कई कष्ट भी झेलने पड़े, तो भी वह इसमें बुरा नहीं मानता।
(11.) कवि की बीती रातें कैसी थीं ?
उत्तर- कवि की बीती रातें बहुत ही अच्छी थीं। वह अपने प्रिय के साथ मधुर चाँदनी रात में बैठकर खूब खिलखिलाकर हँसता था। उस वातावरण में बड़ी मीठी-मीठी बाते होती थीं।
(12.) खिल-खिला कर हँसते हुए होने वाली बातों का क्या आशय है ?
उत्तर- खिल-खिला कर हँसते हुए होने वाली बातों का आशय है- प्रेम के सुमधुर क्षण; अपनी प्रेमिका के संग जिए हुए प्रेमिल क्षण।
(13.) ‘मधुर चाँदनी रातों की उज्ज्वल गाथा’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर-कवि को यौवन की स्वर्णिम बेला में अपनी प्रिया का भरपूर प्रेम मिला था। उन मधुर रातों की कहानी अन्तहीन है। इस तथ्य को इस पंक्ति के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
(14.) कवि किसकी प्रतीक्षा करता रह गया ?
उत्तर-कवि उस सुख के आने की प्रतीक्षा करता ही रह गया जिसकी कल्पना करके वह स्वप्न से जाग गया। वह सुख कवि के आलिंगन में आते-आते मुसकुराकर भाग गया अर्थात् उसके निकट आते-आते रह गया।
(15.) अरुण-कपोलों के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर-कवि कहता है कि प्रेयसी के लाल-लाल गालों की सुंदर मतवाली छाया में उषा भी अपना सुहाग-सुख तलाशती थी। प्रेयसी के गालों की लालिमा उषा के लिए भी ईर्ष्या का विषय था।
(16.) वह कौन हो सकता है जो कवि के आलिंगन में आते-आते भाग गया ?
उत्तर-आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न 14 के द्वारा वह कवि की प्रेमिका (या पत्नी) ही है जिसका वह आलिंगन करते-करते रह गया। उसकी प्रेमिका मुस्करा कर उससे दूर चली गई। कवि ने तीन बार विवाद किए थे। तीनों पत्नियों एक के बाद एक चल बसीं। कवि उन्हीं पत्नियों की बात कर रहा है जिन्हें वह ठीक से अपना भी न पाया कि वे उससे दूर चली गई।
(17.) कवि को क्या आशंका है ?
उत्तर-कवि को यह आशंका है कि कथा सुनाने का आग्रह करने वाला उसके जीवन रूपी गुदड़ी की सिलाइयों को उधेड़कर देखेगा अर्थात् वह उसके जीवन की समीक्षा करेगा।
(18.) अरुण-कपोलों और अनुरागिनी उषा का क्या सम्बन्ध बताया गया है ?
उत्तर-कवि ने अरुण-कपोल’ के लिए ‘अनुरागिनी उषा’ का उपमान प्रस्तुत किया है। उसने प्रेमिका के अरुण-कपोलों को अनुरागिनी उषा की लालिमा से बहुत अधिक सुंदर और लाल दिखाया है। इस तुलना के कारण अरुण-कपोलों का सौंदर्य कई गुना बढ़ गया है।
(19.) कवि सीवन को उधेड़ कर देखना’ किसे कह रहा है ?
उत्तर-कवि अपनी आत्मकथा लिखने को ‘सीवन को उधेड़कर देखना’ कह रहा है। कवि का आशय यह है कि यदि वह सच्ची आत्मकथा लिखेगा तो लोंगों को उसके जीवन का एक-एक रहस्य पता चल जाएगा। लोग उसके एक-एक दुख और अभाव को देखकर उसके जीवन को चिथड़े-चिथड़े कर डालेंगे।
(20.) कंथा से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर- कंथा का आशय है- गुदड़ी। इसका प्रतीकार्थ है- कवि का जीवन गुदड़ी के समान नगण्य है। उसमें किसी प्रकार की महानता नहीं है। वह बहुत साधारण मनुष्य है।
(21.) कवि की प्रेमिका के कपोल कैसे थे?
उत्तर- कवि की प्रेमिका के कपोल ऐसे मतवाले और लाल थे कि स्वयं ऊषा की लाली भी उससे कुछ लाली उधार लेती थी।
(22.) उसकी स्मृति पाथेय बनी है’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-कवि कहता है- अब वह अपनी सुंदर प्रेमिका/पत्नी की यादों के सहारे ही जीवन जी रहा है।
(23.) कवि के जीवन का आधार क्या है ?
उत्तर-कवि की प्रेम-भरी यादें ही उसके जीवन का आधार है। वह अपने विफल प्रेम के बारे में सोच-सोचकर जीवन के दिन काट रहा है।
(24.) कवि अपनी कथा क्यों नहीं कहना चाहता ?
उत्तर-आत्मकथ्य कविता महत्वपूर्ण प्रश्न 24 में कवि अपनी कथा इसलिए नहीं कहना चाहता क्योंकि इससे किसी का भला नहीं होने वाला। अभी इस कथा को कहने का उचित समय भी नहीं आया है। अभी कवि की मौन व्यथा थककर सोई है अर्थात् शांत पड़ी है। अभी उसे जगाने का अवसर नहीं है।
(25.) ‘अभि समय भी नहीं’ से कवि का क्या आशय रहा होगा ?
उत्तर-इसके दो आशय हो सकते हैं-
(i) अभी कवि के जीवन में ऐसा कोई महान अवसर नहीं आया, जिसे लोगों में बाँटा जा सके। अभी उसने ऐसी कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं की जिसके बारे में जानकर लोगों को कोई प्रेरणा मिले।
(ii) अभी उसके मन की व्यथाएँ सोई पड़ी हैं। चित्त शांत है। अतः यह आत्मकथा लिखने का उचित अवसर नहीं है। जब व्यथाएँ व्यक्त होने के लिए व्याकुल होंगी, तब आत्मकथा लिखने का उचित अवसर आएगा।
(26.) कवि क्यों कहता है- ‘सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?’
उत्तर-कवि को लगता है कि उसके जीवन में कुछ भी महान नहीं है। उसे जानकर कुछ नहीं सीखा जा सकता। उसके जीवन में सरलता और भोलेपन के सिवा कुछ भी नहीं है। इसलिए वह कहता है कि ऐसे जीवन के बारे में कुछ जानना व्यर्थ है।
(27.) ‘छोटे-से-जीवन’ और ‘बड़ी कथाएँ’ का गूढ़ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-कवि स्वयं को बहुत सामान्य व्यक्ति कहता है। इसलिए वह अपने जीवन को छोटा-सा जीवन कहता है। “बड़ी कथाएँ’ का आशय है- महान बातें, ऊँची बातें। कवि अपनी सामान्य जिंदगी को बड़ी-बड़ी बातें करके बनावटी रूप से महान नहीं सिद्ध करना चाहता।
(28.) ‘थकी सोई है मेरी मौन व्यथा’ का भावार्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-कवि कहता है, कि मेरे जीवन की व्यथाएँ दुख झेलते-झेलते थक कर मौन हो चुकी हैं। आशय यह है कि मैंने अनेक कष्ट सहे हैं। परन्तु अब मेरा चित्त थककर मौन और शांत पड़ा है। अब मैं आत्मकथा लिखकर उन्हें फिर से हरा नहीं करना चाहता।
(29.) कवि की कठिनाई क्या है ?
उत्तर-कवि की कठिनाई यह है, कि उसका जीवन तो बहुत छोटा है। वह इस छोटे जीवन की बड़ी कथाएँ किस प्रकार कहे।
(30.) कवि अपनी कथा कहने की बजाए कौन-सा पथ अपनाना चाहता है ?
उत्तर-कवि अपनी कथा कहने की बजाए औरों की कथाएँ सुनाना चाहता है।
(31.) कवि ने किस प्रकार विनय प्रकट की है ?
उत्तर-कवि ने स्वयं को सामान्य, छोटा-सा और साधारण कहकर अपनी विनय प्रकट की है। अपने में औरों की बात करते हुए Jac Board
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